Tuesday, September 17, 2013

अंतरिक्ष में 3डी प्रिंटर से बनेंगे रॉकेट


मुकुल व्यास 

भविष्य में ऐसे 3डी प्रिंटर बन जाएंगे जो अंतरिक्ष में ही रॉकेट के इंजनों और अंतरिक्षयानों का निर्माण करने में सक्षम होंगे। इस दिशा में कोशिश शुरू भी हो गई है।

नासा के इंजीनियर एक ऐसे 3डी प्रिंटर का परीक्षण कर रहे हैं, जो निम्न गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में प्लास्टिक की वस्तुएं निर्मित कर सकता है। बहुचर्चित साइंस फिक्शन सीरियल, स्टार ट्रेक के ‘रेप्लीकेटर’ में कुछ ऐसी ही टेक्नोलॉजी दर्शाई गई थी। नासा अगले साल जून में इस प्रिंटर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के इंजीनियरों को उम्मीद है कि इससे भविष्य में और अधिक उन्नत 3डी प्रिंटरों के निर्माण का आधार तैयार हो जाएगा जो अंतरिक्ष में हर तरह की जरूरत का सामान निर्मित कर सकेंगे।

3डी प्रिंटर को अंतरिक्ष में रवाना करने से पहले उसमें उन सारे कलपुर्जो और हिस्सों के ब्ल्यूप्रिंट लोड किए जाएंगे जो बदले जाने के लायक हैं। कुछ अन्य चीजों के बारे में पृथ्वी से ही निर्देश भेजे जा सकते हैं। 3डी प्रिंटर का एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि अंतरिक्षयात्री अपने सम्मुख आने वाली समस्या से निपटने के लिए अपनी जरूरत के हिसाब से कलपुजरें का निर्माण कर सकेंगे। इस सिस्टम से पृथ्वी से अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजे जाने वाले एवजी कलपुजरें की मात्रा में कमी आएगी।

इससे आपात स्थिति में अंतरिक्षयात्रियों को जल्दी से जल्दी अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।

1970 में एपोलो-13 के अंतरिक्षयात्रियों को अपने यान में ऑक्सीजन टैंक में विस्फोट के बाद अपने यान के कार्बन डायोक्साइड फिल्टर की मरम्मत करनी पड़ी थी। लेकिन मरम्मत के लिए उन्हें डक्ट टेप और प्लास्टिक की थैली जैसी चीजों से ही काम चलना पड़ा था। अभी हाल ही में इटली के अंतरिक्षयात्री लुका पर्मिटानो के हेलमेट में वेंटिलेशन सिस्टन से पानी घुस गया था, जिसकी वजह से उसे अंतरिक्ष में चहलकदमी की योजना त्यागनी पड़ी थी। इस गड़बड़ी को दूर करने के लिए नासा को आवश्यक सप्लाई के साथ मरम्मत का सामान भी भेजना पड़ा था। भविष्य में इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए अंतरिक्षयात्री अपने स्टेशन पर ही जरूरी उपकरणों की प्रिंटिंग कर सकेंगे।

नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में 3डी प्रिंटिंग पर रिसर्च चल रही है। रिसर्च टीम के प्रमुख निकी वर्कहाइस्रर का कहना है कि हम सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में 3डी प्रिंटिंग को आजमाना चाहते हैं और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं। कई बार कलपुर्जे टूट-फूट जाते हैं या गुम हो जाते हैं। उन्हें बदलने के लिए बहुत से अतिरिक्त कजपुज्रे भेजने पड़ते हैं। नई टेक्नोलॉजी से इन हिस्सों को आवश्यकतानुसार अंतरिक्ष में ही निर्मित करना संभव है। इस टेक्नोलॉजी के बारे में अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन समझ जाता है कि इसमें प्लास्टिक के पेस्ट का उपयोग किया जाता है। पिछले कुछ दिनों से इस प्रिंटर का शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में परीक्षण चल रहा है। नासा ने एक वीडियो जारी करके इस प्रिंटर की कार्य प्रणाली दर्शाई है।

नासा ने एक अन्य प्रोजेक्ट के तहत पिछले महीने एक ऐसे रॉकेट इंजन का परीक्षण किया, जिसका निर्माण 3डी प्रिंटिंग से तैयार किए गए हिस्सों से किया गया था।

रॉकेट इंजेक्टर के निर्माण के लिए धातु के पाउडर को गलाने और उसे एक त्रिआयामी संचरना में बदलने के लिए लेजर तरंगों का प्रयोग किया गया था। नासा का मानना है कि 3डी प्रिंटिंग से धरती पर और अंतरिक्ष में कलपुर्जो, इंजन के पार्ट्स और यहां तक कि पूरे अंतरिक्षयान को प्रिंट करके उत्पादन समय और उत्पादन लागत में भारी कमी की जा सकती है। इससे अंतरिक्ष के समस्त भावी मिशनों में बहुत मदद मिल सकती है।

अंतरिक्ष स्टेशन पर छह महीने बिताने वाले अमेरिकी अंतरिक्षयात्री टिमोथी क्रीमर का कहना है कि 3डी प्रिंटिंग से हम भी मौके पर ही स्टार ट्रेक के रेप्लीकेटर की तरह वे चीजें बना सकते हैं, जिन्हें हम गंवा बैठे हैं या जो हमसे छूट गई हैं। साथ ही हम अंतरिक्ष में उपयोग के लिए दूसरी नई चीजें भी निर्मित कर सकते हैं रिसर्चरों का ख्याल है कि अगले वर्ष पूरी तरह से तैयार 3डी प्रिंटर अंतरिक्ष स्टेशन के लिए जरूरी करीब एक-तिहाई अतिरिक्त कलपुजरें को प्रिंट करने में सक्षम होगा।

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