Thursday, August 27, 2015

पालतू जानवर से प्यार के साथ दूरी भी जरूरी


आजकल घर के आसपास के माहौल के असुरक्षित होते जाने के कारण पेट्स पालने का चलन बढ़ता जा रहा है। ये पेट्स वफादार साथी साबित होते हैं इसलिए बहुत से परिवारों में इनके साथ परिवार के सदस्य की तरह बर्ताव किया जाता है। विशेषकर छोटे बच्चे तो सारा-सारा दिन पेट्स से चिपके रहते हैं।
हमारे यही प्यारे पेट्स कभी-कभी हमारे लिए खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। इनके काटने से हमें रैबीज हो सकता है जिसके कीटाणु पालतू जानवरों की लार द्वारा व्यक्ति के खून के सम्पर्क में आ सकते हैं। इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा पेट्स से अन्य त्वचा रोग तथा एलर्जी भी हो सकती है इसलिए पेट्स को घर में बड़ी सावधानी से रखना चाहिए।
रैबीज पेट्स के काटने के एक साल बाद तक कभी भी हो सकता है। पेट्स के काटने का असर कितने समय में होगा यह जख्म के स्थान पर निर्भर करता है। जख्म यदि शरीर के ऊपरी हिस्से में है तो उसका असर केवल तीन-चार दिन में ही हो जाता है। दूसरी ओर यदि जख्म निचले हिस्से में है तो असर को मस्तिष्क में पहुंचने में ज्यादा दिनों का समय लग जाता है।
पेट्स के काटने के बाद दस दिन तक उस पर नजर रखनी चाहिए यदि रैबीज हो तो जानवर तीन-चार दिन में मर जाता है। इसलिए बेहतर यही होता है कि कुत्ता काटने के तुरंत बाद वैक्सीन लगवाना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि एंटीबाडीज बनने में थोड़ा समय लग ही जाता है। कुल मिलाकर छ एन्टीरैबीज वैक्सीन लगवाने पड़ते हैं।
जानवर के काटते ही काटे हुए स्थान को पानी से खूब धोना चाहिए। साथ ही घाव को किसी ऐसे साबुन से धोना चाहिए जिसमें कास्टिक सोड़े की मात्रा ज्यादा हो जैसे कपड़े धोने का साबुन क्योंकि कास्टिक वायरस को खत्म कर देता है। जख्म पर पट्टी नहीं बांधनी चाहिए। लोगों में यह गलतफहमी भी है कि पेट्स के काटने पर प्रभावित स्थान पर लाल मिर्च लगाना चाहिए जिससे इसका प्रभाव खत्म हो जाता है। परन्तु ऐसा सही नहीं है, अपितु यह नुकसानदायक भी हो सकता है।
रैबीज होने के लिए पेट्स के द्वारा काटा जाना ही जरूरी नहीं है। यदि शरीर में कहीं चोट लगी है और यदि कुत्ता उस चोट को चाटता है तो उसकी लार हमारे रक्त के सम्पर्क में आ जाती है। इससे भी रैबीज हो सकता है। साथ ही चाटने से घाव से खून भी निकल सकता है जो और कष्टदायी हो सकता है।
इसके अलावा यदि पेट्स की लार किसी तरह पेट में चली जाए तो रैबीज नहीं होता क्योंकि रैबीज लार के खून के सम्पर्क में आने के बाद होता है। परन्तु यदि व्यक्ति को अल्सर है और उसके पेट में पेट्स की लार चली जाती है तो उसे रैबीज होने की पूरी-पूरी संभावना होती है।
कई बार पेट्स पंजा मार देता हैं इससे घबराना नहीं चाहिए क्योंकि पंजों से रैबीज नहीं फैलता परन्तु सुरक्षा की दृष्टि से टिटनेस का इंजैक्शन जरूर लगवा लेना चाहिए। पंजा लगने से विभिन्न त्वचीय रोग हो सकते हैं इसलिए किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।
पालतू जानवरों को अपने शयन कक्ष में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि इससे विभिन्न संक्रमण फैल सकते हैं। हालांकि पालतू जानवरों की कोई भी बीमारी इंसानों को नहीं होती परन्तु फिर भी कुछ सामान्य बीमारियां जैसे टीबी पेट्स के सम्पर्क में आने के बाद हो सकती है। दूसरी ओर यदि आपके पेट्स को त्वचा रोग स्केबिज है तो इसके सम्पर्क में आकर यह रोग आपको भी हो सकता है।
यदि आपका पालतू जानवर घर से बाहर जाता है तो उसका ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आसपास के जानवरों के सम्पर्क में आने से उसे टिक्स हो सकती है। इन टिक्स से लाइम जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि समय-समय पर अपने पेट्स की जांच करते रहें कि उसे टिक्स तो नहीं है। एक बार यदि टिक्स पूरे घर में फैल जाएं तो उन्हें हटाना मुश्किल हो जाता है। टिक्स से निजात पाने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह से किसी साबुन या शैम्पू का प्रयोग भी किया जा सकता है।
कभी-कभी पेट्स के रोएं झडऩे लगते हैं जो पूरे घर में फैल जाते हैं। ये भोजन के साथ हमारे पेट में भी जा सकते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए जरूरी है कि जानवर के रोएं झड़ते ही उसका उचित उपचार करवाया जाए।
पालतू जानवर से आप चाहे जितना प्यार करें परन्तु फिर भी उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखना भी जरूरी होता है।

प्यारी निंदिया रानी!


नींद ना आना विकराल समस्या हो सकती है लेकिन यह लाइलाज 'बीमारीÓ नहीं है। बहुत से ऐसे उपाय हैं जिससे कोई भी व्यक्ति नींद को बुलावा दे सकता है। इनमें जो जरूरी चीजें हैं उनमें शामिल हैं डाइट जांचना, सोने का माहौल देखना, समय, व्यक्क्तिगत आदतें, जीवनशैली और तात्कालिक एकाग्रता। इन सब बातों में तालमेल बिठाकर बढिया नींद ली जा सकती है। इनके अलावा आप और क्या कर सकती हैं, बता रही हैं
पिछले साल हुए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में करीब पांच प्रतिशत लोग अनिद्रा की समस्या से पीडित हैं। दरअसल इस समस्या का प्रमुख कारण तनाव और उससे उपजी अन्य समस्याएं हैं। अगर आपको भी इस तरह की समस्या है तो आप इन्हें आजमाएं-
1. सुबह उठकर सबसे पहले व्यायाम करें। अगर आप नियमित तौर पर व्यायाम करेंगी तो इससे आपको सही समय पर नींद आ जाएगी। सुबह व्यायाम करने से शरीर में हार्मोस की सक्रियता बढ़ती है और आप ज्यादा स्फूर्ति महसूस करती हैं। इससे आपके काम करने का उत्साह बढ़ता है जिससे दिन के अंत तक थकने से नींद अच्छी आती है। अमूमन दोपहर के बाद की एक्सरसाइज नींद के हिसाब से अच्छी मानी जाती है।
2. डॉक्टर नींद और नाश्ते में सीधा संबंध बताते हैं। वे कहते हैं कि अगर आप रात को ठीक तरह से सो नहीं पाई हैं तो सुबह अच्छे से नाश्ता नहीं कर पाएंगी और अगर सही तरीके से नाश्ता नहीं किया है तो रात को नींद नहीं आएगी। नाश्ता न करने या सही तरीके से ना करने से मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है जिससे दिमाग को आराम नहीं मिलता। अगर दिमाग परेशान हो तो अच्छी नींद नहीं आ सकती। इसलिए आप ऐसा नाश्ता करें जो फैट, फाइबर, अनाज और प्रोटीन से युक्त हो।
3. आप अपनी ऊर्जा के अनुसार ही काम निपटाएं। सबसे ज्यादा थकाने वाला काम या तनाव वाला काम पहले करें। उसके बाद दूसरे काम निपटाती जाएं। इसके दो फायदे होंगे। पहला तो यह कि आपके सभी काम समय से निपट जाएंगे और आपको तनाव नहीं होगा और दूसरा यह कि आप सुबह अधिक थकाने वाला काम करेंगी तो आपकी को ऊर्जा सही दिशा मिलेगी।
4. कैफीन और निकोटिन का सेवन कम करें। इनके सेवन के 10 मिनट के बाद ही ये दोनों शरीर में अपना असर दिखाने लगते हैं। शरीर को 4 घंटे से अधिक लगते हैं इन्हें शरीर से बाहर निकालने में। इस दौरान अगर आप सोने की कोशिश करती हैं तो उसमें बाधा आती है।
5. रात का भोजन जल्दी करें। अगर आप देर रात भोजन करती हैं तो शरीर को भोजन पचाने में दिक्कत आती हैं। जिससे नींद आने में समस्या आती है। चूंकि शरीर को रात को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए रात को कम भोजन ही करना बेहतर होता है।
6. सोने से पहले गुनगुने पानी में पैरों को कुछ देर डुबोकर रखना भी अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से पैरों के साथ-साथ पूरे शरीर को आराम मिलता है और नींद जल्दी और अच्छी आती है।
7. बिस्तर आरामदायक होना चाहिए। बिस्तर कैसा हो, इसके कोई तय मानक नहीं हैं, लेकिन, तकिया बहुत ऊंचा न हो और गद्दा मुलायम होना चाहिए। कुछ ऐसा, जहां लेटते ही आपके थके-हारे शरीर को आराम मिले। शरीर को आराम मिलेगा तो नींद भी जल्दी आएगी।
8. कुछ लोगों को शोर-गुल, रोशनी या किसी भी तरह के अवरोध के कारण भी नींद नहीं आती है। अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो सोने के लिए जाने से पहले सोने लायक माहौल बनाएं। साथ ही खुश रहने और तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। तनाव से दूर रहेंगी तो नींद भी जल्दी आएगी और परेशानियों से लडऩे की ऊर्जा भी आपको मिलेगी।
उम्रदराज लोगों के लिए 
अधिकतर बुजुर्गों की यह समस्या होती है कि उन्हें रात में ठीक से नींद नहीं आती है। सुबह आंख भी जल्दी खुल जाती है। ऐसे में थोड़ा वक्त निकालकर दोपहर में नींद अवश्य लें। यह आराम या नींद 10 से 20 मिनट की हो। कोशिश करें कि एकांत व अंधेरे में नींद लें। कोशिश करें कि रात का खाना सूर्यास्त के बाद करें। शाम के वक्त यानी भोजन से पहले खुद को कुछ छोटे-मोटे कामों में व्यस्त रखें। व्यस्त रहेंगे तो थकेंगे और थकावट के कारण नींद जल्दी आएगी।

वापस आ जाएगी रूठी नींद


यह साधारण सी बात लगती है कि मेरी नींद पूरी नही होती या फिर मुझे नींद नहीं आती है। लेकिन इसे साधारण समझने की गलती न करें, यह इंसोमेनिया या स्लीपिंग डिसॉर्डर भी हो सकता है। महानगरीय जीवन, अव्यवस्थित दिनचर्या और काम का बोझ आपसे आपकी नींद छीन रहा है।
कई लोग रातभर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकेट्रिक डिस्ऑर्डर माना जाता है। इंसोमेनिया और ऑब्सट्रक्टि स्लीप एपीनिया दो बीमारियां है, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर भागती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज न होने पर परेशानियां हो सकती हैं।
रॉकलैंड अस्पताल में इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉं आर. पी. सिंह कहते हैं, 'नींद का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है। हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और चक्र के मुताबिक उसकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं। लेकिन फिर भी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को 8 से 10 घंटे, किशोरावस्था में 8-9 घंटे की नींद जरूरी है, जबकि युवाओं और प्रौढ़ों के लिए 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 10 से 15 मिनट में अच्छी नींद आ जाती है, इसके लिए उसे प्रयास नहीं करना पड़ता।Ó
क्या है इन्सोमनिया?
पिछले कई सालों में इन्सोमनिया के कई मामले सामने आए हैं। यह कई तरीके का हो सकता है। जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना, दिन में नींद के झटके आते रहना, रात में ज्यादा सपने आना, बार-बार नींद का टूटना, मुंह सूखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार-बार उठना, खर्राटे लेना, रातों में टांगों का छटपटाना, नींद में चलना आदि।
अक्?सर नींद को लोग थकावट या फिर दिमागी तनाव से जोड़ कर सोचते हैं और अच्छी नींद लेने के लिए खुद ही कोई नींद की गोली खा लेते हैं। इस तरह बिना कारण जाने नींद की गोलियां लेने से बीमारी और बढ़ सकती है। हो सकता है कि नींद न आने के सिर्फ ये कारण न हों, कोई अन्य हो। कई बार कार्य करने के घंटों में फेरबदल होने से भी नींद नहीं आती। जिन लोगों की गर्दन छोटी होती है, जबड़ा छोटा होता है, चेहरा बेहद पतला या लंबा होता है, उन लोगों को सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कई बार टांगों में नसें फड़कती है और टांगों में छटपटाहट होने लगती है, जिस कारण वह अच्छी नींद नहीं ले पाता। इसी तरह कई लोगों को नींद में थोड़ा-सा झटका आने पर नींद टूट जाती है। जांच न कराने पर परिणाम भयानक हो सकते हैं।
सुनने में ये समस्याएं छोटी-छोटी जरूर लगती हैं लेकिन इन्हीं असमान्यताओं के कारण ही रात को सोते समय कई बार हार्ट अटैक आ जाता है। अचानक सांस रुक जाती है और नींद में चलते हुए व्यक्ति अपराध तक कर सकता है। अगर समय रहते डॉक्टरी मदद ली जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। नींद अच्छी आएगी तो सेहत अच्छी रहेगी और मन प्रसन्न रहेगा।
आदतों में लाएं सुधार
सोने से पहले स्नान: रात को सोने से पहले स्नान करने से आपकी दिन भर की थकान एकदम से काफूर हो जाएगी और आपको बहुत अच्छी नींद आएगी। आप चाहें तो अपने नहाने के पानी में कोई खुशबूदार तेल भी मिला सकती हैं। इससे आपको सुकून भरी नींद तो आएगी ही, साथ ही आपको एक अलग ही शांति का अनुभव होगा।
धूम्रपान और एल्कोहल के सेवन से बचें: कैफीनयुक्त वस्तुओं और एल्कोहल को ना कहें। दोपहर के बाद कॉफी का एकाध प्याला लेना बुरा नहीं है, लेकिन सोने से पहले ऐसा न करें। धूम्रपान भी अच्छी नींद की राह में रोडम अटकाने वाली वस्तु है। सोने से पहले कुछ तरल पदार्थ ले सकती हैं जैसे जूस, दूध आदि।
सोने का एक ही समय निश्चित करें: सोने व जागने के लिए एक समय तय कर लें और उस टाइम टेबल को अपनाएं। इससे आपके शरीर की बायोलॉजिक घड़ी खुद-ब-खुद काम करने लगेगी और आपकी नींद में खलल नहीं पड़ेगा।
देर तक कंप्यूटर या टीवी के सामने न बैठें: सोने से तकरीबन आधा घंटा पहले टीवी और कंप्यूटर बंद कर दें। देर तक इनके सामने बैठने से सिरदर्द, आंखों में जलन आदि का सामना करना पड़ता है जो अच्छी नींद में बाधक है। बेड पर बैठकर टीवी न देखें, इससे भी नींद बाधित होती है ।
संगीत थैरेपी: सोने से पहले संगीत सुनें। वैसे भी कहते हैं कि संगीत के पास हर मर्ज का इलाज है। सोने से पहले अपनी पसंद का संगीत सुनें। पर ध्यान रहे कि संगीत ईयरफोन से न सुनें।
तनाव को बिस्तर पर न लाएं: दिनभर के किसी भी तनाव को अपने साथ बिस्तर पर न लाएं। इसके लिए आप एक डायरी बनाएं। उस पर अपने दिनभर का तनाव लिखें और साथ ही ये भी लिखें कि कल में इस टेंशन का हल तलाश लूंगी। इससे भी नींद आने में मदद मिलती है। अगर कोई तनाव है और नींद नहीं आ रही है तो बिस्तर पर लेटकर उसके बारे में न सोचें। कोई किताब पढ़ें या कुछ ऐसा करें जिससे आपका ध्यान उस तनाव से हट जाए।

पौष्टिक खाना खाएं, अच्छी नींद पाएं


अमेरिका में नींद पर किए गए एक शोध में साबित हुआ है कि सिर्फ तनाव ही नहीं, बल्कि पौष्टिक खाने की कमी भी कम सोने का कारण बन सकती है। किन पदार्थों का करें सेवन और खानपान से जुड़ी किन आदतों में सुधार लाएं ताकि नींद आसानी से आपके पास आ जाए।
हमारे खानपान का सीधा संबध हमारी नींद पर पड़ता है। यह खुलासा अमेरिका में किए गए एक शोध में पहली बार सामने आया है। यह शोध पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के पेरलमान स्कूल ऑफ मेडिसीन ने करवाया। इसमें नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशंस एग्जामिनेशन सर्वे से प्राप्त आंकड़ों पर विस्तार से अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के सामाजिक-आर्थिक, भौगोलिक स्थिति, उनके डायट चार्ट में पौष्टिक भोजन की मात्रा आदि के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि कुछ पोषक तत्व कम और ज्यादा सोने में अहम भूमिका निभाते है।
शोध में पाया गया कि जो लोग साधारण नींद यानी सात-आठ घंटे की नियमित नींद लेते हैं, उनके खाने में विविधता होती है। उनके आहार में नींद के लिए जरूरी पोषक तत्व जिनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल शामिल हैं, भरपूर मात्रा में होते हैं। ठीक उसके विपरीत कम सोने वालों के शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी पाई गई है। नतीजा कि ज्यादा सोने वालों की अपेक्षा कम सोने वाले लोगों के शरीर में ज्यादा कैलोरी जमा होती है। भविष्य में यही कैलोरी मोटापा, मधुमेह, हृदय और रक्तवाहिनियों से संबंधित गंभीर बीमारियों का एक प्रमुख कारण बन जाती है। जानी-मानी वेलनेस एक्सपर्ट डॉं. ईशी खोसला कहती हैं कि रात को आप जल्दी भोजन करने की आदत डालें। रात का भोजन आपके दोपहर के भोजन की अपेक्षा हल्का होना चाहिए। सोने के कम से कम तीन-चार घंटे पहले भोजन करने से भोजन का पाचन अच्छी तरह से होता है। रात में सोने से पहले हल्दी या अदरक मिले दूध का सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
शरीर में पानी की कमी
शरीर में पानी की कमी भी कम नींद यानी अनिद्रा का एक प्रमुख कारण हो सकता है। ज्यादा पानी पीने से आपका मेटाबॉलिज्म ठीक रहेगा और शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाएंगे। इसके अलावा विटामिन सी की कमी भी कम नींद का एक कारण है। स्ट्रॉबेरी, संतरा, अंगूर, नीबू, पपीता, कीवी, अमरूद, शिमला मिर्च का सेवन न केवल आपके पाचन शक्ति को बढ़ाता है बल्कि अच्छी नींद में सहायक है। शोध में पाया गया है कि सिलीनीयम जो कि मीट, मछली, चिकन, अंडे आदि में पाया जाता है, खाने से अच्छी नींद आती है। जो लोग शाकाहारी हैं वे नट्स, सनफ्लावर सीड्स, मशरूम, प्याज, चना, बार्ली, ब्राउन राइस, ओट आदि को अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। लूटिन ओर जैकसनथिन नामक कैरोटिन जो हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। लाइकोपीन की कमी नींद में बाधक बन सकती है। इससे बचने के लिए आप नारंगी रंग के फल और सब्जियां जैसे संतरा, गाजर, टमाटर, खरबूज का सेवन कर सकते हैं। इनमें एंटी ऑक्सिडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो आपके शरीर मेंकोलोस्ट्रॉल को कम करते हैं।
कार्बोहाइड्रेट भी है जरूरी
अच्छी नींद के लिए कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा लेना जरूरी है। वेलनेस एक्सपर्ट डॉं. शिखा शर्मा कहती हैं कि अगर अच्छी नींद चाहिए तो ग्लूकोज, अनाज, दूध और ओट्स का नियमित रूप से सेवन करें। साथ ही संतुलित भोजन पर जोर दें। खानपान के मामले में अनदेखी से आप अनिद्रा की शिकार हो सकती हैं।
नींद नहीं ली तो बन जाएंगे डायबिटीज के मरीज
तनाव के कारण लोग रात में कम नींद ले पाते हैं। अगर आप भरपूर नींद नहीं ले रहे हैं तो मोटापा और डायबिटीज के मरीज बन सकते हैं। सेहतमंद रहने के लिए रोज कितने घंटे की नींद जरूरी है? ब्रिटेन में माइकल मोचले ने नींद पर यूनिवर्सिटी ऑफ सरेज स्लीप रिसर्च सेंटर में शोध किया। देखा कि नींद का एक घंटा बढ़ा देने का क्या असर होता है। शोध में उन लोगों को शामिल किया गया, जो 6 से 9 घंटे की नींद ले रहे थे। इन्हें दो टीमों में बांटा गया। एक टीम को साढ़े छह घंटे और दूसरी को साढ़े सात घंटे की नींद लेने को कहा गया। एक हफ्ते बाद उनके ब्लड टेस्ट लिए गए। अब दोनों को नींद के वक्त की अदला—बदली करने को कहा गया। यानी साढ़े छह घंटे वाली टीम का एक घंटा बढ़ा दिया। साढ़े सात घंटे वाली टीम का एक घंटा कम कर दिया। एक हफ्ते बाद फिर ब्लड टेस्ट लिए गए। यह पाया गया कि जो लोंग अच्छी नींद लेते हैं, उनमें बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

नींद होगी पूरी दिन रहेगा खुशगवार!


चिड़चिड़ा मिजाज, बिगड़ा स्वास्थ्य और गड़बड़ दिन। इन सबकी गुत्थी जिस एक चीज पर आकर खुलती है वह है नींद। नींद यानी वह दवा जिसका सही डोज, सही समय पर लेने पर जिंदगी सेहतमंद और खुशी के रंग में रंगी रह सकती है। पर तेज रफ्तार जिंदगी में नींद के लिए ही वक्त कम होता जा रहा है।
कभी नन्हा बच्चा, तो कभी ऑफिस का ढेर सारा काम और कभी ऑफिस और बच्चे के साथ घर का मैनेजमेंट आपकी नींद पूरी नहीं होने देते। आपके साथ भी ऐसा ही होता होगा। पर नींद की कमी कई बड़ी बीमारियों को भी जन्म दे सकती है, इसलिए जरूरी है कि नींद पूरी हो। पर इसके लिए कुछ बातें आपको याद रखनी होंगी:
कब सोती हैं आप
सुबह सात बजे उठना है, रात के 12 ऐसे ही बज गए हैं। पर मुझे तो फेसबुक एकाउंट चेक करना है। अरे वो जरूरी ई-मेल तो चेक की ही नहीं, जरा वो भी देख लूं। सबकुछ करेंगी पर सुबह जल्दी उठने के लिए जल्दी सोएंगी नहीं। आपकी भी यही आदत है तो बदल दीजिए। सोने का समय तय कर लीजिए और किसी भी हाल में उसी समय पर सोने की कोशिश करें। जल्दी उठने के लिए जल्दी सोने पर ध्यान दीजिए, क्योंकि नींद है तो सेहत है और सेहत है तो दूसरे काम भी हैं।
अंधेरा हो कमरे में
दिनभर के काम, ऑफिस और फिर बच्चे, इन सबके बीच में एक-दो घंटे ही रिलैक्स करने के लिए मिलते हैं। पर, दिन में आराम करने जाओ तो बाकी के बचे काम की चिंता में ही नींद नहीं आती। अगर आपके पास भी सोने के नाम पर यह कुछ घंटे हैं तो इनका इस्तेमाल कीजिए। कमरे में पूरी तरह से अंधेरा करके सोइए। फिर देखिए आराम करने के लिए मिले दो घंटों का आप भरपूर इस्तेमाल कर पाएंगी।
टु-डू लिस्ट देगी अच्छी नींद
10 घंटे चिंताओं में करवटें बदलने से अच्छा 5 घंटे की सुकून भरी नींद का आनंद लिया जाए। रिलैक्स रहेंगी तो जितनी देर भी सोएंगी वो सुकून की नींद होगी। इसलिए जरूरी है कि आप दूसरे दिन किए जाने वाले कामों की टु-डू यानी कल करने वाले कामों की लिस्ट बना लें। ऐसा करना आपको सुकून तो देगा ही, साथ ही यह आपको दूसरे दिन सारे काम हो जाएंगे का आत्मविश्वास भी देगा।
बेडरूम का माहौल हो अच्छा
तकिये का कवर गंदा है, बिस्तर पर गैरजरूरी सामान पड़े हैं। बच्चों ने टॉफी खाई थी, उसके कवर जमीन पर ही पड़े हैं और हां, कमरे के कोनों में जाले भी लगे हैं। बेडरूम का नजारा ऐसा होगा तो सोने के लिए मिलने वाला समय भी बेकार हो जाएगा। मतलब पूरे दिन में नींद के लिए बमुश्किल निकलने वाले कुछ घंटों के समय में आप सुकून ही महसूस नहीं करेंगी। इसलिए जरूरी है कि बेडरूम हमेशा साफ-सुथरा रखिए। बेडशीट, दीवारें या फिर कोई शोपीस सबके सब साफ होंगे, माहौल अच्छा होगा तो यकीन मानिए दो घंटे की नींद भी आपको रिफ्रेश कर देगी।
कम नींद यानी झुर्रियों को बुलावा
जी हां, जरूरत से कम नींद झुर्रियों को जरा जल्दी बुला लेती है। इतना ही नहीं, मुहांसे और त्वचा का रूखापन भी कम नींद का परिणाम हो सकते हैं। दरअसल जब हम सोते हैं तो उस दौरान मस्तिष्क के साथ-साथ त्वचा की भी मरम्मत होती है। जब सोएंगे नहीं तो यह मरम्मत होगी नहीं और असर आपकी त्वचा पर साफ दिखेगा।
नींद अच्छी, तो सेहत अच्छी
ज्यादातर महिलाओं में नींद न आने की परेशानी शारीरिक दर्द से शुरू होती है। फिर खट्टी डकारें, थकान और हमेशा बुझा महसूस करना आम हो जाता है। पर इस पर ध्यान न दिया जाए तो छोटी-सी लगने वाली समस्या बड़ी बन जाती है। किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी, लखनऊ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉं डी. हिमांशु रेड्डी मानते हैं कि मेंटल कंफ्यूजन, डिप्रेशन से होते हुए परेशानी हाइपर टेंशन तक पहुंच जाती है। दरअसल महिलाओं पर पहले के मुकाबले मानसिक दबाव ज्यादा बढ़ गया है। उन्हें परिवार के रख-रखाव और ऑफिस के कामों को साथ में मैनेज करना होता है। डॉं रेड्डी कहते हैं कि इन सबके बीच बने तनाव के परिणाम स्वरूप उन्हें नींद से समझौता करना पड़ता है। महिलाएं मुश्किल से हर रोज 4 से 5 घंटे की नींद ही ले पाती हैं और इसका असर उनकी सेहत पर पड़ता है।
तेज दिमाग के लिए सोएं
सोना हमारे लिए क्यों जरूरी है, यह सवाल बार-बार उठता है और शोधकर्ता अपनी-अपनी तरह से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश भीकरते रहे हैं। एक शोध के मुताबिक सोने से हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं रिपेयर होती हैं, इसलिए हमें सोना चाहिए। एक अन्य शोध के मुताबिक सोने से हमारी याददाश्त बेहतर होती है, ऊर्जा मिलती है, ईटिंग डिसऑर्डर से बचाव होता है और साथ ही हम अल्जाइमर जैसी बीमारी के खतरे से भी बचे रहते हैं।
नींद को समझने की दिशा में न्यूयॉर्क के रॉस्टर युनिवर्सिटी की शोधकर्ता डॉं. मेकन नेडर्गार्ड ने एक और कदम बढ़ाया है। उनके अनुसार नींद हमारे मस्तिष्क की सफाई ठीक उस तरह से करता है, जिस तरह से डिशवॉशर बरतनों की सफाई करता है। यानी जब हम जगे होते हैं उस वक्त हमारे शरीर के संचालन के दौरान मस्तिष्क में कई तरह का कूड़ा-कचरा इक_ा हो जाता है। इनकी सफाई का काम मस्तिष्क उस समय करता है, जब हम सो रहे होते हैं। इस क्रम में मस्तिष्क में तरल पदार्थ जाते हैं और वे अपने साथ सारी गंदगियों को बाहर ले आते हैं। इस शोध में इस बात पर भी बल दिया गया है कि अच्छी नींद से अल्जाइमर का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है।
बच्चा सोता नहीं, कैसे सोएं?
बच्चा कुछ महीनों का ही है। अपने हिसाब से सोता है, अपने हिसाब से जागता है। पर इन सबके चक्कर में आपका अपना हिसाब गड़बड़ा गया है। सोने के वक्त जागना पड़ता है। जागने के वक्त बच्चे की ड्यूटी में रहती हैं वो अलग। तो मैडम, अपनी ड्यूटी को ऐसे बदलिए कि आप भी नींद ले सकें, वरना रूटीन के साथ आपकी हेल्थ भी गड़बड़ा जाएगी। इसके लिए करना इतना है कि जब बच्चा सोए तो आप भी सो लें। जरूरी नहीं कि जब वो सोए तब आप खाली ही हों। पर वो दिन भर में कई बार सोएगा और जागेगा। ऐसे में उसके सोते ही आप अपनी प्राथमिकता नींद को बनाएं, पर कोई दूसरा काम ज्यादा जरूरी लगे तो कर लें और अगली बार उसके सोते ही अपनी नींद की प्राथमिकता को पूरा कर लें।