Tuesday, May 27, 2014

मां को दें सेहत का भी गिफ्ट



मां शब्द याद दिलाता है प्यार, दुलार और ढेर सारी देखभाल की। हालांकि इस प्यार-दुलार का बदला तो नहीं चुकाया जा सकता लेकिन मां की सेहत का ख्याल रख कर उन्हें इस बात का अहसास तो दिलाया ही जा सकता है कि वह आपके लिए कितनी स्पेशल हैं। आज मदर्स डे को मौके पर जानते हैं कैसे रख सकते हैं मां को हमेशा हेल्दी :

इतनी तो करें कोशिश 
वॉक पर जाएं : हर बार मां के टाइम न होने के बहाने को एक किनारे रख कर उनके साथ सुबह या शाम वॉक पर जाएं। इससे उनकी फिटनेस में इजाफा तो होगा ही साथ ही आपके साथ वक्त बिता कर वह खिल उठेंगी।

नाश्ते पर नजर : हमेशा आपके नाश्ते और खाने की फिक्र करने वाली मां के नाश्ते के टाइम पर आप भी नजर रखें। हो सके तो अपने साथ ही नाश्ता करवाएं।

मां का हॉलिडे : अक्सर हाउसवाइफ के रोल में मां का रुटीन काफी उबाऊ हो जाता है इसलिए हफ्ते में कम-से-कम एक दिन उनका भी हॉलिडे फिक्स करें। वह चाहें तो घूमने का प्लान करें या आराम करे।

आराम का टाइमटेबल : अक्सर मां के टाइम टेबल में केवल काम ही होते हैं। आप उनके आराम का टाइम टेबल सेट करें और जोर डाल कर उसे लागू भी करवाएं।

एंटरटेनमेंट का इंतजाम : मां के एंटरटेनमेंट का इंतजाम करें। अगर वह म्यूजिक की शौकीन हैं तो उनके लिए एक एफएम रेडियो किचन में ही फिक्स करवाएं।

हॉबी का भी रखें ख्याल : अगर मां की कोई ऐसी हॉबी है जो वह बिजी रुटीन के चलते फॉलो नही कर पाई है तो उसे जॉइन करने की सलाह दें। मनपसंद का करने से वह तरोताजा फील करेंगी।

मेडिकल केयर भी जरूरी : बढ़ती उम्र के साथ कुछ बीमारियां भी दस्तक दे सकती हैं। इलाज से बेहतर है एहतियात। ऐसे में इन परेशानियों पर नजर रखना भी है जरूरी।



सिस्ट या फाइब्रॉइड
ओवरी में सिस्ट या यूटरस में फाइब्रॉइड आजकल कॉमन समस्या है। सिस्ट आमतौर पर फ्लूइड वाले ट्यूमर होते हैं, जबकि फाइब्रॉइड ठोस ट्यूमर होते हैं। ज्यादातर सिस्ट दवा से ठीक हो जाते हैं।

लक्षण: पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग बहुत ज्यादा हो और पीरियड्स 15-20 दिन में हो जाते हों तो फाइब्रॉइड हो सकता है।
एहतियात: ओवरी में सिस्ट या यूटरस में फाइब्रॉइड आजकल कॉमन समस्या है। जब कोई दिक्कत होती है, तो डॉक्टर इसे निकालने की सलाह देते हैं।फाइब्रॉइड या सिस्ट के करीब एक फीसदी मामलों के कैंसर में बदलने की आशंका होती है। जितना हो सके हरी सब्जियां और फल खाएं, दिन में कम से कम 10 गिलास पानी पिएं।



मीनोपॉज
करीब 40 साल की उम्र से महिलाओं में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। ऐसा अचानक नहीं होता, बल्कि इस बदलाव में कुछ साल लगते हैं। इस स्टेज को पेरीमीनोपॉज कहा जाता है।इस दौरान एग्स कम बनने लगते हैं, पीरियड्स बहुत कम या ज्यादा हो जाते हैं, पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और मन चिड़चिड़ा हो जाता है।
लक्षण: प्राइवेट पार्ट में सूखापन, बालों का झड़ना, ब्रेस्ट का ढीला होना, सेक्स की इच्छा कम होना, मोटापा बढ़ना जैसे बदलाव भी नजर आते हैं। धीरे-धीरे पीरियड्स पूरी तरह बंद हो जाते हैं। अगर एक साल तक पीरियड्स न आएं तो मीनोपॉज हो जाता है।
एहतियात: मीनोपॉज के बाद खून के धब्बे नजर आएं तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इस दौरान ब्लीडिंग होने पर कैंसर की आशंका हो सकती है। मीनोपॉज के बाद लाइफस्टाइल मैनेजमेंट ठीक करें। युवा बेटी इस दौरान मां की शारीरिक और मानसिक स्थिति को समझ उसका सहारा बन सकती है। इस वक्त महिला के खाने में हरी सब्जियां, दूध और सोयाबीन ज्यादा होना चाहिए।

ओस्टियो-ऑर्थराइटिस
मीनोपॉज के बाद महिलाओं में जोड़ों में दर्द या जकड़न की समस्या आम देखी जाती है क्योंकि इस दौरान कैल्शियम की कमी या एक्सर्साइज न करने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इससे फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती है।
लक्षण: जोड़ों और आसपास के मसल्स में दर्द, दर्द की वजह से नींद में कमी, सुबह उठते ही जोड़ों में जकड़न आदि।
एहतियात: इस दौरान विटामिन सी, डी और बीटा कैरोटीन भरपूर लेना चाहिए। खाने में फैट-फ्री दूध, पनीर, ब्रोकली, बींस, गाजर, पपीता, पालक, अंडा, अखरोट, सेब, चेरी, ग्रीन टी आदि शामिल करने चाहिए। जरूरत पड़ने पर हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी भी कराई जा सकती है। महिला को ऐसे काम करने चाहिए, जिनमें शारीरिक मेहनत हो, जैसे डांस, बागवानी, चलना, दौड़ना, तैराकी आदि। एक्सरसाइज जरूर करें ताकि बॉडी मसल्स अच्छी शेप में रहें। वजन कम करना बहुत जरूरी है।

पीसीओडी यानी पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसीज़
यह 12 से 45 साल की प्रजनन उम्र में होती है। इसके पीछे हॉर्मोंस में बदलाव, लाइफस्टाइल और कई बार जिनेटिक वजहें होती हैं। इसमें ओवरी के आसपास छोटे-छोटे सिस्ट (ट्यूमर) बन जाते हैं।
लक्षण: इससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और ब्लीडिंग बहुत कम हो जाती है या फिर बहुत बढ़ जाती है। शरीर पर बालों की ग्रोथ बढ़ जाती है, सिर के बाल झड़ने लगते हैं, मुंहासे निकल आते हैं या वजन बढ़ जाता है। गर्भ धारण करने में दिक्कत हो सकती है।

एहतियात: वक्त से इलाज हो तो इस प्रॉब्लम से निपटा जा सकता है। डॉक्टर वजन कम करने, नियमित एक्सर्साइज करने की सलाह देते हैं। आमतौर पर लाइफस्टाइल सुधारने से ही इसमें फायदा हो जाता है।

ये टेस्ट भी कराएं
ब्लड शुगर, यूरिन, ब्लड प्रेशर(बीपी)
महिलाओं को हर साल ब्लड शुगर, यूरिन, ब्लडप्रेशर(बीपी), कॉलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए।
कब कराएं: वैसे तो ये टेस्ट 30 साल के बाद ही शुरू कर देने चाहिए लेकिन 40 साल के बाद जरूर रेग्युलर तौर पर ये बेसिक टेस्ट कराएं। इस उम्र में मां को समझाएं कि वजन कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। साथ ही नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करने के लिए भी प्रेरित करें।
खर्च कितना: ब्लड शुगर, यूरिन और बीपी के टेस्ट लगभग 200 रुपये और कॉलेस्ट्रॉल का लिपिड प्रोफाइल टेस्ट 600-800 रुपये तक होता है।

पेप स्मीयर
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए तीन साल तक लगातार पेप स्मियर टेस्ट कराएं। अगर तीनों साल तक टेस्ट नेगेटिव आता है तो अगले कुछ साल तक टेस्ट की जरूरत नहीं है।
कब कराएं: 40-45 साल की उम्र में यह टेस्ट (तीन साल लगातार) करा लें। कैंसर का पता अगर शुरुआती स्टेज में लग जाता है तो इलाज की संभावना काफी बढ़ जाती है।इसके अलावा, सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए टीका भी मौजूद है।
खर्च कितना: टेस्ट पर 300 से 500 रुपये तक खर्च आता है। तीन टीकों के इस कोर्स पर 9-10 हजार रुपये का खर्च आता है। तीनों टीके लगवाना जरूरी है।

मेमोग्रफी
देर से शादी, पहला बच्चा होने में देरी, बच्चे को दूध न पिलाना और जिनेटिक वजहों से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा है।
कब कराएं: यह जांच किसी भी उम्र में की जा सकती है। अगर मां के परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर रहा है तो डॉक्टर की सलाह से मेमोग्रफी कराएं।
खर्च कितना: मेमोग्राफी पर करीब डेढ़-दो हजार रुपये का खर्च आता है।
ध्यान दें: टीके लगाने के बावजूद सर्वाइकल कैंसर की आशंका सौ फीसदी खत्म नहीं होती क्योंकि यह कुछ ही वजहों से बचाव करता है। दूसरे, अगर टीके लगने से पहले कैंसर शुरू हो चुका हो तो भी टीकों का कोई फायदा नहीं है। इसलिए भी पेप स्मियर टेस्ट जरूर कराएं।
नोट: टेस्ट और टीकों के रेट्स में जगह के हिसाब से अंतर हो सकता है।

इंश्योर करें मां की हेल्थ: 
मदर्स डे पर मां को ग्रीटिंग्स, फूल आदि तो आप हर बार देते होंगे, लेकिन क्या कभी आपका ध्यान एक बेहद जरूरी चीज की ओर गया है? जी हां, क्या आपने मां का हेल्थ इंश्योरेंस कराया हुआ है? अगर नहीं तो इस मदर्स डे के मौके पर उनके लिए एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जरूर लीजिए। इससे आपको टैक्स संबंधी फायदे भी मिलेंगे। मां शब्द ही याद दिलाता है प्यार, दुलार और ढेर सारी देखभाल की। हालांकि इस प्यार-दुलार का बदला तो नहीं चुकाया जा सकता लेकिन मां की सेहत का ख्याल रख कर उसे इस बात का अहसास तो दिलाया जा सकता है कि वह आपके लिए कितनी स्पेशल हैं। आज मदर्स डे को मौके पर जानते हैं कैसे रख सकते हैं मां को हेल्दी:

तीन फायदे टैक्स के
1. अगर आप अपने, अपनी पत्नी और अपने बच्चों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस ले रहे हैं तो उसके प्रीमियम पर इनकम टैक्स की धारा 80 डी के तहत आपको अधिकतम 15 हजार रुपए की छूट मिलेगी।
2. लेकिन अगर आप मदर या फादर के लिए ली गई पॉलिसी के लिए प्रीमियम पे कर रहे हैं तो आपको 15 हजार रुपए का अतिरिक्त डिडक्शन मिलेगा।
3. और अगर आपकी मदर सीनियर सिटिजन हैं तो आपको 20 हजार रुपए का डिडक्शन मिलेगा।

चार बातें जो याद रखें

1. एंट्री और रिन्यूअल एज
सीनियर सिटिजंस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जारी करने वाली कंपनी अपने हिसाब से एंट्री एज तय करती है। हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त ऐसी पॉलिसी चुनें, जिसमें एंट्री की उम्र ज्यादा से ज्यादा दी गई है। इसी तरह पॉलिसी को रिन्यू करने की उम्र भी हर कंपनी अपने हिसाब से तय करती है। इसमें भी ऐसी कंपनी की पॉलिसी चुनें, जिसमें ज्यादा से ज्यादा उम्र तक हेल्थ पॉलिसी रिन्यू कराई जा सके। जीवनभर तक रिन्यू कराई जा सकने वाली पॉलिसी और भी अच्छी हैं।

2. प्री एग्जिस्टिंग डिजीज
प्री एग्जिस्टिंग डिजीज का क्लॉज अकसर उपभोक्ताओं को परेशान करता है। इसमें कंपनी का कहना यह होता है कि चूंकि उपभोक्ता को कोई खास बीमारी पहले से है, इसलिए वह पॉलिसी लेने के बाद एक तय समय सीमा के बाद ही उस बीमारी को कवर करेगी। बुढ़ापे में ऐसी तमाम बीमारियां इंसान को घेर ही लेती हैं। ऐसे में पॉलिसी लेते वक्त यह जरूर चेक करें कि पॉलिसी लेने के कितने समय के बाद प्री एग्जिस्टिंग डिजीज कवर होगा। जो कंपनी कम से कम समय के बाद ऐसी बीमारियों को कवर करने का वादा करती है, उसकी पॉलिसी को प्रेफर करें।

3. मेडिकल टेस्ट
आमतौर पर 45 साल के बाद हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर कई इंश्योरेंस कंपनियां उपभोक्ता का मेडिकल टेस्ट कराती हैं। अगर टेस्ट उनके मुताबिक ठीक हैं तो उपभोक्ता को पॉलिसी दे दी जाती है। ऐसे में पॉलिसी लेने से पहले इंश्योरेंस कंपनी से यह जरूर पूछें कि क्या वह मेडिकल टेस्ट कराएगी? और अगर हां तो वे कौन-से टेस्ट हैं? जिस कंपनी में मेडिकल टेस्ट का झंझट कम से कम हो, उसकी पॉलिसी प्रेफर की जा सकती है।

4. टेस्ट का खर्च कौन देगा
यह भी पता करें कि इन टेस्टों का खर्च इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी या आपको उठाना होगा। कुछ कंपनियां अपने खर्च पर मेडिकल टेस्ट कराती हैं। कई कंपनियों के मामले में यह खर्च उपभोक्ता को उठाना पड़ता है। कुछ कंपनियां इस खर्च को रीइंबर्स कर देती हैं। ऐसे में ऐसी कंपनी चुनना बेहतर है जो टेस्ट का खर्च खुद वहन कर रही है।

पांच पॉलिसी जो ले सकते हैं
मैक्स बूपा हार्ट बीट प्लान किसी भी उम्र में जीवनभर
बजाज आलियांज सीनियर प्लान 46 से 70 साल 75 साल तक
यूनाइटेट इंडिया इंश्योरेंस सीनियर सिटिजंस प्लान 61 से 80 जीवनभर
अपोलो म्यूनिख ऑप्टिमा सीनियर 61 के बाद जीवनभर
न्यू इंडिया इंश्योरेंस सीनियर सिटिजंस मेडिक्लेम पॉलिसी 60 से 80 90 साल तक

(साभार)