Thursday, April 18, 2013

किलिमंजारो पर्वत


उत्तर-पूर्वी तंजानिया स्थित किलिमंजारो पर्वत अफ्रीका महाद्वीप का सबसे बड़ा और विश्व का सबसे ऊंचा एकल पर्वत है। साथ ही यह सेवेन समिट्स का चौथा सबसे ऊंचा पर्वत भी है। किलिमंजारो पर्वत तीन अलग-अलग ज्वालामुखियों -कीबो, मावेंजी और शिरा से मिलकर बना हुआ एक संयुक्त ज्वालामुखी या स्ट्रेटवोल्केनो है। स्ट्रेटा का अर्थ होता है परत और वोल्केनो का अर्थ है, ज्वालामुखी।
ज्वालामुखी के विस्फोट से निकला लावा ठंडा होने पर जम जाता है। कई सालों तक जब विस्फोट से निकला लावा जमता जाता है तो इससे कई परतें बनती जाती हैं। इस तरह की प्रक्रिया सालों साल चलती जाती है और हर बार के विस्फोट से एक नई परत बनती है। विशाल किलिमंजारो पर्वत इसी प्रकिया से बना है। इसके बनने की शुरुआत लाखों साल पहले हुई थी। किलिमंजारो की दो चोटियां मावेंजी और शिरा ज्वालामुखी निष्क्रिय हैं, जबकि तीसरी और सबसे ऊंची चोटी कीबो सुप्त है और इसमें विस्फोट होने का खतरा रहता है। धरती से शिखर तक इसकी ऊंचाई 4,600 मीटर है। कीबो का पिछला बड़ा विस्फोट साढ़े तीन लाख वर्ष पूर्व हुआ था, जबकि 200 साल पहले इसमें कुछ हलचल हुई थी। किलिमंजारो पर्वत के कीबो ज्वालामुखी की ऊहुड़ चोटी (5895 मीटर) यहां की सबसे ऊंची चोटी है। जोहानस रेबमेन नामक एक जर्मन मिशनरी ने 1848 में किलिमंजारो पर्वत को खोजा था। उन्होंने रॉयल जियॉग्राफिकल सोसायटी को बर्फ से ढंके पहाड़ की अपनी खोज के बारे में बताया, लेकिन उस समय के विशेषज्ञों को भूमध्यरेखा के पास स्थित किसी बर्फ से ढंके पहाड़ की संभावना पर संदेह था।1889 में किलिमंजारो पर्वत पर पहली बार सफलतापूर्वक चढ़ाई की गई थी। हेंस मेयर (जर्मनी), योआनास किन्याला लौवो (तंजानिया) और लुडविग पुर्तस्चेलर (ऑस्ट्रिया) नाम के तीन पर्वतारोहियों को यह इतिहास रचने में करीब छह हफ्तों का समय लगा था। हर साल 20,000 से भी ज्यादा लोग किलिमंजारो पर चढ़ाई का प्रयास करते हैं। इनमें से लगभग 10 लोग इस प्रयास में अपनी जान गंवा बैठते हैं और केवल दो-तिहाई ही शिखर तक पहुंच पाते हैं। कीबो ज्वालामुखी पर स्थित किलिमंजारो की सबसे ऊंची उहुड़ चोटी पर एक लकड़ी के बॉक्स में एक किताब रखी गई है। यहां तक चढ़ाई करने वाले पर्वतारोही अपने अनुभव इस किताब में दर्ज करते हैं। फ्रांस के वॉल्टी डेनियल (87 वर्ष) किलिमंजारो पर्वत के शिखर तक चढ़ाई करने वाले सबसे अधिक उम्र के व्यक्ति हैं। किलिमंजारो पर्वत के शिखर पर मौजूद बर्फ तेजी से पिघलती जा रही है। 1912 से तुलना की जाए तो यहां की 80 प्रतिशत बर्फ पिघल चुकी है और केवल 20 प्रतिशत ही रह गई है। यह स्थिति ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बनी है। यदि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो यह अनुमान लगाया गया है कि 2020 तक यहां की सारी बर्फ गायब हो चुकी होगी। किलिमंजारो पर्वत 756 वर्ग किमी. में फैले किलिमंजारो राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। यह उद्यान यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है। यह धरती के उन गिने-चुने स्थानों में से एक है, जहां लगभग हर तरह का ईकोलोजिकल सिस्टम मौजूद है, खेती के लायक जमीन से लेकर वर्षावनों तक और एल्पाईन रेगिस्तान से बर्फ तक।
किलिमंजारो ऐसा पर्वत है, जिस पर आप अकेले जाकर चढ़ाई नहीं कर सकते हैं। इसके लिए लाइसेंस्ड गाइड के साथ ही चढ़ाई करना और सामान उठाने के लिए कुली की मदद लेना अनिवार्य है। किलिमंजारो पर सबसे तेजी से चढ़ाई इटली के ब्रुनो ब्रुनोद ने 2001 में की थी।




गर्मी में कैसा हो आपका खानपान


चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं के मौसम गर्मी में आपकी कार्यक्षमता पर तो बुरा असर पड़ता ही है, अपने ऊपर अधिक ध्यान देने की भी जरूरत होती है। खासकर खानपान का तो इस मौसम में विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
गर्मी के इस मौसम में अगर अपने ऊपर पर्याप्त ध्यान न दिया जाए तो तरह-तरह की मुश्किलें सामने आ सकती हैं। शरीर से अत्यधिक मात्रा में पसीना निकलने से जहां डीहाइड्रेशन की समस्या परेशान करती है, वहीं गंदगी भी कई बीमारियों की वजह बनती है। ऐसे में खाने-पीने का खास खयाल रखा जाए तो शरीर के कमजोर होने और बीमारी पास आने की आशंका काफी कम हो जाती है। दूसरी तरफ खाने-पीने में लापरवाही और कुछ अन्य जरूरी बातों का ध्यान न रखने पर मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पानी अधिक लें, चाय छोड़ें
इस मौसम में शरीर में पानी का स्तर ठीक रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए यह भी जानना जरूरी है कि कौन-सा पेय पदार्थ लें और कौन-सा नहीं। ऐसे पेय पदार्थ लेने से बचें, जो पेट में गैस पैदा करते हैं। खासकर चाय का सेवन बहुत कम कर दें। अगर संभव हो तो चाय छोड़ ही दें या दो कप से ज्यादा न लें, क्योंकि यह आपके पाचनतंत्र को बिगाड़ती है।
नारियल पानी है अमृत
नारियल पानी इस मौसम में काफी मिलता है और यह इस मौसम में सेहत के लिए काफी फायदेमंद भी होता है। इस मौसम में जौ भी काफी फायदेमंद साबित होती है। इसे दही में डाल कर सत्तू के रूप में भी खा सकते हैं या इसे उबाल कर टमाटर, खीरा, मिर्च, हरी चटनी, नमक आदि मिला कर भी खाया जा सकता है। रोटी में भी जौ के आटे का इस्तेमाल करें। गेहूं और जौ का आटा बराबर मात्रा में मिलाकर रोटी बनाएं। इस मौसम में यह शरीर को ठंडा भी रखेगी और पेट भी ठीक रहेगा।
चना जो आपको रखे ठंडा
चने को भी डाइट में प्रमुखता से शामिल करें। काला और हरा चना दोनों ही इस मौसम में ज्यादा खाना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। इससे पेट नहीं फूलता और भूख भी शांत हो जाती है।
मौसमी फलों को दें तरजीह
फलों में मौसमी, तरबूज, खरबूजा आदि इस मौसम में काफी फायदेमंद होते हैं। पित्त की समस्या है तो खीरे और लौकी के रस को बराबर मात्रा में मिला कर उसमें सेंधा नमक या लवण भास्कर आयुर्वेदिक चूर्ण डाल कर कर पी जाएं। यह गैस को नियंत्रित रखता है और पाचन क्षमता को भी बेहतर बनाता है। सलाद और चाट में भी सादे नमक की बजाय इन्हीं का इस्तेमाल करें। यह आम का भी मौसम है, लेकिन आम को खाने में थोड़ी सावधानी बरतें। खाने से पहले आम को दो घंटे के लिए पानी में रखें, फिर उसका इस्तेमाल करें।
धनिया, पुदीना और प्याज भी जरूरी
इस मौसम में हरी चटनियों का सेवन कर सकते हैं। धनिया, पुदीना, आंवला, प्याज आदि की चटनी बना कर खाने के साथ खाएं। यह आपके खाने का स्वाद भी बढ़ाती है और मौसम के अनुरूप भी है।
कामकाजी हैं तो..
कामकाजी लोग खाली पेट घर से बिलकुल न निकलें, क्योंकि इससे लू लगने की आशंका बढ़ जाती है। कामकाजी महिलाएं लंच में सलाद ज्यादा लें तो बेहतर है। नाश्ता करके ही घर से निकलें।
नॉनवेज न खाएं
आप मांसाहारी हैं तो इस मौसम में उसकी मात्र कम कर दें। अल्कोहल के इस्तेमाल से भी बचें। ये गर्म तासीर की चीजें हैं, जिन्हें पचाने के लिए शरीर को काफी मेहनत करनी पड़ती है।
बच्चों का रखें खास खयाल
बच्चों को इस मौसम में ऐसी चीजें न दें, जो जल्दी खराब हो जाती हैं। नूडल्स आदि पर रोक लगाएं। नींबू पानी नियमित रूप से दें। बच्चा खाना वापस ला रहा है तो उसे चावल और जौ की चीजें दे सकते हैं।
खाली पेट घर से कभी न निकलें
इस मौसम में आप लू की चपेट में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए सुबह बिना कुछ खाए घर से न निकलें।
प्रस्तुति : सत्य सिंधु
सुबह का नाश्ता कैसा हो?
सुबह का नाश्ता इस मौसम में बहुत जरूरी है, इसलिए इसे कभी भी मिस न करें। नाश्ते में आप तरल पदार्थों को तरजीह दें। नारियल पानी, फल आदि को प्रमुखता से शामिल कर सकते हैं। पोहे को भी नाश्ते में सर्व किया जा सकता है।
दोपहर का खाना कैसा हो?
दोपहर में अगर ज्यादा भूख नहीं है तो काले चने की चाट बना सकते हैं, जिसे घर में बनाना बेहतर है। हरे चने की चाट भी खाई जा सकती है। अगर ज्यादा भूख है तो रोटी, सब्जी, रायता, लस्सी, छाछ और हरी सब्जियों को खाने में शामिल करें। दही का सेवन कई रूप में किया जा सकता है। गोभी इस मौसम में कम खाएं, क्योंकि ये इस मौसम की सब्जी नहीं है। इस मौसम की सब्जियों में बीन्स, पालक, सेम की फली, बैंगन आदि का उपयोग करें। लौकी को भी अलग-अलग तरह से बना सकते हैं।
शाम के नाश्ते में क्या लें
शाम को मुरमुरे, भेलपुरी खाना ठीक रहेगा। कभी-कभी सलाद भी ले सकते हैं। शाम को शरबत, ठंडाई आदि पी जा सकती है। खस, गुलाब आदि का शरबत भी अच्छा रहता है। नींबू पानी और छाछ तो फायदेमंद हैं ही।
रात के खाने को हल्का रखें
रात के खाने को हल्का रखें। इस समय सलाद और सब्जी ज्यादा खाएं। रोटी खाते हैं तो उसकी संख्या  लंच से एक कम रखें। दूध की जरूरत गर्मियों में होती नहीं। नींद की समस्या है तो तो दूध पी सकते हैं, पर उसकी मात्र कम रखें और उसमें इलाइची डाल लें। चाय-कॉफी का सेवन रात में बिल्कुल न करें।
बीपी की समस्या है तो 
बीपी का खतरा इस मौसम में बढ़ जाता है। इसके अलावा मधुमेह के रोगियों में डिहाइड्रेशन होने की आशंका भी रहती है। ऐसे लोग खाने का समय निश्चित रखें और पानी व तरल पदार्थ समय-समय पर लेते रहें। इस मौसम में खाना बिल्कुल न छोड़ें। मूंग की खिचड़ी ले सकते हैं। यह पेट के लिए काफी फायदेमंद रहती है। डायबिटिक हैं तो रात का खाना खाना कभी न भूलें और अपने डॉक्टर के निर्देशानुसार खाना-पीना, दवा आदि समय पर लेते रहें।



मंद दृष्टि से बचे रहेंगे आपके बच्चे


लेजी आई, जिसे मंद दृष्टि भी कहते हैं, बच्चों में मिलने वाली आम समस्या है। अगर समय पर अपने बच्चे की इस समस्या पर ध्यान दे देंगे तो उसकी आंखें जल्द ही स्वस्थ हो सकती हैं।
एम्ब्लायोपिया (मंद दृष्टि) को सामान्यत: लेजी आई भी कहते हैं। इसमें बच्चे की दोनों आंखों में सामान्य रूप से दृष्टि का विकास नहीं हो पाता। अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज न करवाया जाए तो बच्चे की उस आंख में कभी भी सही दृष्टि नहीं आ पाती। नजर की यह कमजोरी समय के साथ-साथ बढ़ती जाती है। धीरे-धीरे बच्चे का मस्तिष्क कमजोर आंख से आने वाली छवि को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है। इसलिए अपने बच्चे की आंखों की जांच डॉक्टर से करा लें, ताकि इस रोग के संभावित लक्षण सही समय रहते पकड़ में आ जाएं।
क्यों होता है लेजी-आई
आमतौर पर इस रोग की शुरुआत तब होती है, जब एक आंख की रोशनी दूसरी से बेहतर होती है। एक आंख सब चीजें साफ देख रही होती है, पर दूसरी आंख को वही चीजें नजर नहीं आतीं। जब बच्चे के मस्तिष्क को एक धुंधली और एक साफ छवि नजर आती है तो वह धुंधली छवि की उपेक्षा करने लगता है। अगर यह सिलसिला महीनों अथवा वर्षों तक चलता रहे तो धुंधली छवि बनाने वाली आंख की रोशनी जा सकती है। इसकी एक वजह भेंगापन भी हो सकती है, जिसमें दोनों आंखें विपरीत दिशा में देखती हैं।
कैसे करें जांच 
स्कूल जाने की उम्र में ही बच्चे की आंखों की त्रिस्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए। इसमें देखा जाता है कि बच्चे की आंख में रोशनी सीधी जा रही है या नहीं, दोनों आंखों की दृष्टि समान है या नहीं और दोनों आंखें सामान्य रूप से हिल रही हैं या नहीं। कोई भी समस्या हो तो बिना विलम्ब उपचार शुरू कर देना चाहिए।
कैसे होता है इलाज 
इस बीमारी का सबसे सामान्य इलाज यही है कि बच्चे के मस्तिष्क पर कम रोशनी वाली आंख को इस्तेमाल करने के लिए जोर डाला जाए। शुरू में बच्चे को बहुत तकलीफ होती है, क्योंकि उसे सिर्फ कमजोर आंख से देखना होता है। आंखों की रोशनी दुरुस्त होने में कुछ हफ्ते और महीने भी लग सकते हैं। बेहद जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह का सही तरीके से पालन किया जाए।
क्या हैं परिणाम 
अगर इस बीमारी को सही समय पर भांप कर इसका उचित इलाज करवा लिया जाए तो अधिकतर बच्चों की नजर दुरुस्त हो जाती है। सात से नौ साल की उम्र के बाद इसका इलाज मुश्किल हो जाता है, इसलिए जरूरी है कि बच्चे की आंख की नियमित जांच करवाई जाए और कुछ असामान्य नजर आते ही फौरन उसका इलाज करवाया जाए ।
डॉक्टर की सलाह जरूर मानें 
डॉक्टर की सलाह को जरूर मानें। कई बार बच्चे रोजाना पैच नहीं पहनते। ऐसे में आपका दायित्व है कि बच्चे को डॉक्टर के दिशा-निर्देशों के अनुसार रहने के लिए प्रोत्साहित करें।


वो सपने ही क्या जो सच में न तब्दील हों


हैं तो गृहिणी, पर शौक है पर्वतारोहण का। रीना कौशल धर्मशक्तु के इसी शौक ने उन्हें पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दी, जब वो साउथ पोल पर जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
बर्फीली राह पर हर रोज 8-10 घंटे की यात्रा और लगातार 40 दिनों के सफर के बाद एक ऐतिहासिक उपलब्धि। यह सुनने में भले ही थोड़ा आसान लगे, लेकिन इस उपलब्धि को हासिल करना एक बड़े संघर्ष की सफलता थी। यह सफलता थी भारतीय पर्वतारोही रीना कौशल धर्मशक्तु की, जिन्होंने बर्फ से ढके दक्षिणी ध्रुव पर भारतीय झंडा लहरा दिया था। यूं तो यह दुनियाभर की 8 पर्वतारोही महिलाओं की संयुक्त यात्रा थी, लेकिन रीना के लिए यह सफलता इसलिए बहुत बड़ी थी, क्योंकि उनसे पहले दक्षिण ध्रुव पर कोई भारतीय महिला नहीं पहुंच पाई थी। लगातार 40 दिनों तक, -40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच लगभग 900 किलोमीटर की यात्रा तय कर उन्होंने 38 वर्ष की उम्र में 2010 में यह रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया था। यह यात्रा कॉमनवेल्थ की स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित की गई थी, जिसका नाम केस्परस्काई कॉमनवेल्थ अंटार्कटिक अभियान रखा गया था।
अंटार्कटिक आइस ट्रैक पर स्कीइंग करते हुए एक कदम भी आगे बढऩा आसान नहीं, क्योंकि उस बर्फीले माहौल में जब 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलती थी, तो खड़ा रहना भी मुश्किल होता था। ऐसे में कंधे पर खाना-पीना समेत 80 किलोग्राम का अपना सामान लिए आगे बढ़ते जाना असंभव-सा लगने वाला काम था, लेकिन वे लोग अभियान पर निकल चुके थे। ऐसे में सामने केवल मंजिल नजर आ रही थी। ब्रूनी, साइप्रस, घाना, जमाइका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और ब्रिटेन की महिलाओं के साथ भारत की ओर से शामिल रीना 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर ही इतना रोमांचित थीं कि विजेता बनने के सपने आंखों में उमडऩे-घुमडऩे लगे थे। पर्वतारोहण और स्कीइंग के लंबे अनुभव पर भरोसा था और आखिर उस भरोसे ने उन्हें दक्षिणी ध्रुव पर फतह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला का ताज पहना ही दिया था।
रीना बताती हैं, 'मेरे लिए वह साल बेहद खास बन गया था। एक तरफ मेरे पति लवराज सिंह ने पृथ्वी की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी और मुझे धरती के सबसे निचले बिंदु पर पहुंचने में सफलता मिली थी। मैं पंजाबी परिवार से हूं, लेकिन पिताजी आर्मी में थे, उस वजह से पूरे देश में घूमने का मौका मिला था। वैसे बचपन दार्जिलिंग में बीता था, जहां हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीटय़ूट से माउंटेनियिरग कोर्स करने का मौका मिल गया था। उसके बाद तो हिमालय के कई अभियानों में शामिल होने का मौका मिला। अलास्का, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल में मैं पर्वतारोहण का अनुभव हासिल कर चुकी थी। लेकिन दक्षिणी ध्रुव की यात्रा बिल्कुल अलग बात थी।Ó
'टीम में शामिल होने के लिए आवेदन पत्र भर तो दिया, लेकिन इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं लग रही थी कि उसमें चयन हो पाएगा। हालांकि अपने ऊपर भरोसा था। जब मालूम हुआ कि उस अभियान के लिए 800 आवेदन पत्र पहुंचे हैं तो उम्मीद कम हो गई थी। आखिरकार 16 महिलाओं का चयन किया गया था, जिन्हें उस अभियान के लिए आयोजित होने वाली विशेष ट्रेनिंग में शामिल होने का मौका मिला। मेरे लिए यह खुशी का मौका था कि उन 16 महिलाओं में मैं भी थी। नॉर्वे और न्यूजीलैंड में ट्रेनिंग शुरू हुई। अब मेरा उत्साह काफी बढ़ चुका था। वैसे पर्वतारोहण के लिए मैं हर चुनौती का सामने करने में खुद को तैयार कर लेती थी, लेकिन यह अपनी तरह का अलग अनुभव था। अपनी तैयारी और पति के प्रोत्साहन ने आखिरकार वह जज्बा और जुनून पैदा कर दिया था, जिसने बर्फीली हवा के विपरीत रफ्तार का सामना करते हुए दक्षिण ध्रुव पर पहुंचा दिया।Ó






रहें सावधान, आंखों पर दें विशेष ध्यान


गर्मी के मौसम में आप अपनी त्वचा और बालों का तो खास ख्याल रखती हैं, फिर आंखों को इतने समय से क्यों अनदेखा करती आ रही हैं? गर्मी में आपकी आंखों को भी खास देखभाल की जरूरत होती है।
गर्मियां दस्तक दे चुकी हैं। इस मौसम का नाम सुनते ही धूप, बेचैन करने वाली गर्मी, चिपचिपाहट, धूल, मच्छर आदि का नाम दिमाग में आ जाता है। साथ ही कई बीमारियां भी हमें आहत करने के लिए हथियार लेकर खड़ी होती हैं। तपती गर्मी व धूप से शरीर के कई अंगों पर मौसम की मार पड़ती है, जैसे त्वचा, बाल आदि। इस कतार में भला आंखें कैसे पीछे रह सकती हैं? आंखों पर तो गर्मी का बेहद दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है। आंखों की कई बीमारियां जैसे फ्लू, सूजी और थकी लाल आंखें, शुष्क आंखें, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम आदि अधिक देखने को मिलती हैं। आंखों का संक्रमण और बीमारियों का कारण कीटाणु और जीवाणु ही होते हैं।
गर्मियों में बढ़ते हुए प्रदूषण तथा कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करने की वजह से शुष्क आंखों की परेशानी बढऩे लगती है। इस समस्या के दौरान आंखों में खुजली या जलन होने लगती है। आंखें प्राय: कीचड़ से भर जाया करती हैं। इसी तरह अपने काम के सिलसिले में प्रदूषित क्षेत्रों से प्रतिदिन गुजरने वालों के बीच भी आंखों की एलर्जी की समस्या और शुष्क आंखों के लक्षण आम हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की वजह से आंखों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं। आंसू जो आंखों को तरल रखते हैं, वे जल, वसायुक्त तेल, प्रोटीन, इलेक्ट्रोलाइट तथा बैक्टीरिया से मुकाबला करने वाले तत्वों का मिश्रण होते हैं। वातावरण का प्रदूषण आंसुओं की इस कोमल परत को नुकसान पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप वह बहुत ही असंतुलित हो जाती है। यह असंतुलन आंखों की समस्याओं का मुख्य कारण होता है। गर्मी के मौसम में आंखों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है।
आंखों से जुड़ी आम परेशानियां
कंजक्टिवाइटिस गर्मियों में आंखों से जुड़ी सबसे आम बीमारी है, इसके दौरान आंखें सूज जाती हैं। इनमें बराबर दर्द बना रहता है और आंखों से पानी आता रहता है। आंखों की यह बीमारी बहुत तेजी से आसपास के लोगों तक पहुंच जाती है। एक दूसरे को छूने, आंखों में देखने से ही यह संक्रमण किसी दूसरे को हो सकता है।
मोतियाबिंद भी गर्मियों में अक्सर लोगों को परेशान करता है। इसीलिए कहीं आप भी ऐसी किसी बीमारी की चपेट में आएं, इससे पहले ही आप अपना और आंखों का ख्याल रखें। यदि हम कुछ बातों पर विशेष ध्यान दें तो इन सब समस्याओं को दूर कर सकते हैं। आंखों के किसी भी संक्रमण से प्रभावित होने के बाद साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। आंखों को बार-बार हाथ से न छुएं और न ही रगड़ें। बार-बार हाथ धोएं। काला चश्मा पहन कर रखें। अपना चश्मा किसी और को पहनने के लिए न दें। पीडित द्वारा इस्तेमाल की हुई किसी भी चीज को अपने संपर्क में न लाएं।
देखभाल
ताकि आंखें रहें सलामत
कड़कड़ाती धूप में अल्ट्रावायलट किरणें आपकी आंखों पर सीधे तौर से प्रहार करती हैं। इसीलिए धूप में जाते समय छतरी का उपयोग करें और आंखों पर बड़ा धूप का चश्मा लगाएं, जिससे आपकी आंखों का बचाव हो सके। धूप में ही नहीं, बल्कि बादलों के मौसम में भी चश्मा लगाकर ही बाहर निकलें।
अगर आप पावर लेंस लगाती हैं तो भी आपको सनग्लास पहनने चाहिए, ताकि अल्ट्रावायलट किरणें आपकी
आंखों को नुकसान न पहुंचा सकें। हमेशा ऐसा सनग्लास पहनें जो कि आपकी आंखों को अल्ट्रावायलट किरणों से बचा सके।
आंखों पर दिन में कई बार ठंडे पानी के छींटे मारें। आंखों पर खीरे के टुकड़े, रुई के फाहे में गुलाब जल डालकर रखें। इससे आंखों को ताजगी मिलेगी।
आंखों के लिए स्वस्थ भोजन और अच्छी नींद दोनों ही बेहद आवश्यक हैं। खाने में हरी सब्जियां जैसे पालक, गाजर, बथुआ, सरसों, अंकुरित अनाज आदि ज्यादा खाएं।
दिन में कम से कम दो लीटर पानी पिएं ताकि आपके शरीर की गंदगी बाहर निकले और नमी बनी रहे, जो कि आंखों के लिए भी जरूरी है।
आंखों में ऐसी दवाइयां डालें, जो कि आंखों को शुष्क होने से रोकें और संक्रमण न पैदा होने दें।
आंखों के आसपास सन्स्क्रीन न लगाएं। इससे आंखों को नुकसान हो सकता है।





शादीशुदा जिंदगी के नए फंडे


पुराने नियम-कायदों के मुताबिक आज की शादीशुदा जिंदगी को निभा पाना संभव नहीं। बुद्धिमानी इसी में है कि आप इस बदलाव को समझें और वक्त के साथ चलते हुए पति या पत्नी से अपनी अपेक्षाओं में बदलाव भी लाएं।
झगड़े तो कल सुबह भी निपट जाएंगे
अब तक आपने सभी से यही सलाह सुनी होगी कि अगर पति-पत्नी के बीच किसी बात पर बहस या मन-मुटाव हो जाए तो रात में सोने से पहले आपस में बातचीत कर सुलह कर लें। पर शादीशुदा जिंदगी से जुड़े इस फंडे में बदलाव आ चुका है। रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. गीतांजलि शर्मा के मुताबिक, 'किसी विषय पर पति-पत्नी दोनो की राय एक ही हो, यह जरूरी नहीं है। अगर आप दोनों के बीच किसी बात पर बहस हो गई है, तो उसे निपटाने की जल्दबाजी करने से बेहतर है कि रात को चैन की नींद सोएं। इसका फायदा यह होगा कि आप दोनों को उस मुद्दे पर सोचने के लिए अतिरिक्त वक्त मिल सकेगा और अगली सुबह ठंडे दिमाग से आप उस विषय पर बात कर सकेंगे।Ó
साथ घूमने जाना जरूरी नहीं
आप पति-पत्नी हैं, इसका कतई यह मतलब नहीं है कि आप लोग हमेशा एक साथ ही कहीं घूमने जाएं। आप दोनों का व्यक्तित्व अलग-अलग है और यही वजह है कि आपकी पसंद भी अलग-अलग होगी। संभव है कि कोई ऐसी जगह होगी, जहां घूमने जाने का आपका बहुत ज्यादा मन होगा, पर आपके पति को वह जगह पसंद नहीं होगी। ऐसा ही आपके साथ भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में बेहतर है कि आप अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग घूमने जाएं।
ज्वॉइंट अकाउंट? जरूरी नहीं
एक नए अध्ययन के मुताबिक अब शादीशुदा जोड़े पारंपरिक ज्वॉइंट बैंक अकाउंट की जगह अपना अलग-अलग बैंक अकाउंट रखना पसंद कर रहे हैं। इसका यह मतलब कतई नहीं है कि आपको अपने जीवनसाथी पर विश्वास नहीं है, बल्कि यह अपने पैसों पर अपना नियंत्रण बनाए रखने का एक तरीका मात्र है। और अगर आपको पैसे खर्च करना या भरपूर शॉपिंग करना पसंद है तो आपके लिए तो यह और भी फायदे का सौदा है।
अकेले लें शॉपिंग का मजा
महिलाएं अकसर यह शिकायत करती हैं कि उनके पति शॉपिंग के लिए साथ जाने से कतराते हैं। दूसरी ओर पुरुषों को यह बिल्कुल पसंद नहीं होता कि आप एक कुरते की खरीदारी में दो घंटे लगाएं और वो इंतजार करते रहें। शॉपिंग हमेशा उन लोगों के साथ करें, जिन्हें शॉपिंग करना पसंद है। अगर आपके पति को शॉपिंग करना पसंद नहीं है तो अपने दोस्तों के साथ शॉपिंग पर जाएं। शादी के बाद जरूरी नहीं है कि आप अपने पति के पारिवारिक मित्रों के साथ ही कहीं घूमने जाएं। शादी के पहले के दोस्तों का साथ छोडऩा कोई बुद्धिमानी नहीं। अगर आपके दोस्त अलग-अलग होंगे, तो आप दोनों के रिश्ते के लिए भी फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे आपके रिश्ते में ताजगी बनी रहेगी।
अपने लिए वक्त निकालना अच्छा है
अकेले, अपने साथ वक्त बिताना अगर पसंद है तो बिताएं। इस बात को लेकर ग्लानि में न रहें। ऐसा करने का यह मतलब नहीं है कि आप अपनी शादीशुदा जिंदगी या अपने रिश्ते को अनदेखा कर रही हैं। सच्चाई यह है कि अपनी पसंद की जिंदगी जीने से, अपनी पसंद-नापसंद अपनाने से आप अपने रिश्ते से ज्यादा खुश रहेंगी। दूसरी ओर इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर आपके पति अपने साथ या दोस्तों के साथ वक्त बिताना चाहते हैं, तो इस बात से आपका मूड खराब नहीं होना चाहिए। उन्हें भी अपनी मर्जी की जिंदगी जीने का मौका दें।






सबकी नजर आप पर!


साड़ी तो खूबसूरत है ही। उसकी खूबसूरती में चार-चांद लगा सकते हैं स्टाइलिश ब्लाउज। ब्लाउज के मामले में नए-नए प्रयोग करने से हिचके नहीं। आपके ये प्रयोग आपको सबके आकर्षण का केंद्र बना देगा।
साड़ी से ज्यादा फैशनेबल कुछ नहीं। और अगर आप अपनी इस खूबसूरत साड़ी के साथ स्टाइल का पुट शामिल करना चाहती हैं तो ब्लाउज के मामले में कुछ नए प्रयोग करें। आजकल स्टेटमेंट ब्लाउज का चलन है, जिसमें ब्लाउज के पीछे वाले हिस्से में आकर्षक डिजाइन और गला लो-कट होता है। जब भी ऐसा स्टाइलिश ब्लाउज पहनें तो अपने बालों को खुला या पीठ पर न रखें। बालों का जूडम बना लें या फिर चोटी बनाएं और उसे आगे की ओर रखें। हल्के से बॉडी मेकअप के कमाल से आप आकर्षक और खूबसूरत लुक पा सकेंगी। ब्यूटी एक्सपर्ट रिचा अग्रवाल के मुताबिक, अगर आपके पीठ पर दाग-धब्बे  हैं तो उसका असर आपकी पूरी पर्सनैलिटी पर पड़ेगा। पीठ के दाग-धब्बों को कंसीलर से छुपाएं। साथ ही बॉडी फाउंडेशन लगाना न भूलें। इससे आपकी पूरी त्वचा की रंगत एक समान दिखेगी। आपके ब्लाउज पर पसीना या मेकअप का निशान न पड़ें, इसलिए मेकअप करने के बाद ही ब्लाउज पहनें। अगर रात के किसी फंक्शन में जा रही हैं तो आप अपनी पीठ पर हल्का-सा ग्लिटर भी लगा सकती हैं। इससे आपको ग्लैमरस लुक मिलेगा। फैशन डिजाइनर राजदीप राणावत के मुताबिक स्टाइलिश ब्लाउज चुनते वक्त कुछ बातों को हमेशा ध्यान में रखें:
आकर्षक डिजाइन के चक्कर में न पड़ें। ब्लाउज का ऐसा डिजाइन चुनें जो आपके बॉडी के शेप के अनुरूप हो। अगर आपकी बांहें मोटी हैं तो ब्लाउज के बाजुओं की लंबाई कोहनी तक रखें। अगर आपके पेट पर चर्बी इक_ा है तो ब्लाउज की लंबाई ज्यादा रखें। कॉर्सेट स्टाइल के ब्लाउज आप पर अच्छे दिखेंगे।
ब्लाउज के गले का आकार भी सोच-समझकर चुनें। अगर आपके गर्दन की लंबाई कम है या फिर आपकी डबल चिन है तो चाइनीज कॉलर, टर्टल नेक या रोल नेक वाली डिजाइन आपके लिए नहीं है। अपने ब्लाउज के लिए वी-नेक या स्कूप-नेक गला चुनें।
आपका ब्लाउज चाहे कितना भी स्टाइलिश क्यों  न हो, अगर किनारे से ब्रा नजर आ रहा है तो आपकी  खूबसूरती में इससे बुरा दाग और कोई नहीं हो सकता। ऐसा ब्लाउज बनवाएं, जिसमें ब्रा के कप्स ब्लाउज के साथ ही सिले हों।
अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
अगर पीठ के दाग-धब्बों के कारण आप स्टाइलिश ब्लाउज पहनने से बच रही हैं, तो कुछ घरेलू नुस्खों से आप दाग-धब्बों के साथ-साथ अपनी झिझक भी मिटा सकती हैं:
1. चंदन पाउडर, जई का आटा, दूध, केसर और गुलाब जल का पेस्ट तैयार कर लें और इस पेस्ट को सप्ताह में तीन बार अपनी पीठ पर लगाएं। इसके अलावा आलू को कद्दूकस करके उसमें नीबू का रस, खीरे का रस और जौ का आटा मिलाएं। इस मिश्रण को हर दिन नहाने से पहले पीठ पर लगाएं और पूरी तरह से सूखने दें।
2. अगर टैनिंग के कारण आप स्टाइलिश ब्लाउज पहनने से बचती हैं तो पपीता को मैश करके उसमें संतरे का जूस मिलाएं और इसे 10 से 15 मिनट तक पीठ पर लगा कर रखें। गुनगुने पानी से पीठ को साफ कर लें।
3. पीठ को चमकदार बनाने के लिए स्ट्रॉबेरी में विटामिन ई तेल मिलाएं और उसे पीठ पर लगाएं। इसके अलावा ब्राउन शुगर, संतरे के छिलके का पाउडर और बादाम के तेल के इस्तेमाल से भी आप अपनी पीठ की चमक को बढम सकती हैं।





मिठास हो तो ऐसी!


हम आए दिन टेलीविजन में शुगर फ्री, स्वीट्नर्स, शुगर फ्री खाद्य पदार्थों के कई विज्ञापन देखते रहते हैं। ये शुगर फ्री एक दूसरे तरह का मीठा होता है, जिनमें मिठास तो होती है, लेकिन इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है, जिससे आपके ब्लड शुगर पर कोई असर नहीं होता। आमतौर पर डायबिटिक और वजन कम करने वाले लोग ही इनका इस्तेमाल करते हैं।
शुगर फ्री यानी आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स मानव निर्मित कृत्रिम रसायन है, जिन्हें चीनी की जगह इस्तेमाल किया जाता है। आम भाषा में कहें तो इनमें मिठास चीनी की तरह ही होती है, लेकिन कैलोरी चीनी से बहुत कम होती है। इन आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स को ऐसे यौगिकों से बनाया जाता है, जिनमें चीनी के मुकाबले मिठास तो कई गुना होती है, लेकिन कैलोरी नहीं होती। कुछ प्रमुख आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स हैं एस्पार्टेम, सेचरीन, निओटेम, सुक्रालोज। इन स्वीट्नर्स का चीनी के स्थान पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। आजकल बाजार में मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक्स, चॉकलेट, पेस्ट्री और अन्य कई ऐसे उत्पाद हैं, जिनमें आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स का इस्तेमाल कर इन्हें शुगर फ्री बनाया जाता है, जिससे मधुमेह रोगी भी मीठे का लुत्फ उठा सकें।
शुगर फ्री के फायदे 
वजन कम करने में मिलती है मदद: शुगर फ्री यानी शुगर सब्सिटीटय़ूट वजन कम करने में आपकी मदद करते हैं। खाने-पीने की चीजों में आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल करने से कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ती, जिससे वजन नहीं बढ़ता।
दांत भी रहें सुरक्षित: शुगर फ्री दांतों के लिए भी फायदेमंद हैं। ये दांतों में प्लॉक नहीं जमने देते। दांतों में रहने वाले बैक्टीरिया सबसे ज्यादा चीनी के कारण ही होते हैं, लेकिन ये आर्टिफिशयल स्वीट्नर्स बैक्टीरिया पैदा नहीं होने देते।
मधुमेह भी रहे नियंत्रण में: आर्टिफिशयल शुगर शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं। ये मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है।
शुगर स्तर का करे नियंत्रण: हाइपोग्लाइसेमिया शरीर में उस इंसुलिन को बहुत तेजी से बनाता है, जो शरीर में ग्लूकोज को ग्रहण करके उसे रक्त में पहुंचाता है। लेकिन हाइपोग्लाइसेमिया को बेअसर करने में ये आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स काफी मददगार साबित होते हैं।
चीनी के प्राकृतिक विकल्प
शहद और गुड़ प्राकृतिक चीनी के विकल्प हैं। लेकिन ये तभी ज्यादा फायदेमंद हैं, जब ये अनप्रोसेस्ड हों, क्योंकि प्रोसेस्ड शहद या गुड़ में चीनी से भी ज्यादा ग्लाइस्मिक इंडेक्स होता है। इसलिए मधुमेह रोगी बिना प्रोसेस्ड शहद या गुड़ का ही सेवन करें।
फल और फलों के रस में प्राकृतिक चीनी होती है। मधुमेह के मरीज होने के बावजूद आप सेब, अमरूद, पपीता, किवी, बेरी, जामुन और मौसमी जैसे फल खा सकती हैं।
मधुमेह रोगी अधिक से अधिक रेशेदार फलों व सब्जियों का सेवन करें। सलाद, बीन्स और हरी सब्जियों में ग्लाइस्मिक इंडेक्ट कम होता है, इसलिए ये मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है और इनसे कैलोरी भी नहीं बढ़ती। इस वजह से  वजन भी नियंत्रण में रहता है।
साबुत अनाज जैसे चोकर के साथ आटा, आटे में सोयाबीन और चने का आटा मिलाकर खाना भी फायदेमंद है। ब्राउन ब्रेड, ब्राउन या रेड राइस भी अच्छा विकल्प है।
मेवे जैसे अखरोट और बादाम में भी ग्लाइस्मिक इंडेक्स बहुत कम होता है और ये कैलोरी, वजन और खून में शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में बहुत मदद करते हैं।
तेल का कम से कम इस्तेमाल करें। अपने खाने में ऑलिव ऑयल या सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।
इन बातों का भी रखें खास ख्याल
लगातार चीनी न खाना भी आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इससे आपके शरीर में शुगर कम हो सकता है, जो सेहत की दृष्टि से खतरनाक है।
मीठे में आप ताजे फलों का सेवन करें या कोई ऐसी मिठाई लें, जिसमें फल शामिल हो। लेकिन याद रहे, आम, अनन्नास, लीची, अंगूर, चीकू और केले जैसे फल मधुमेह के रोगियों के लिए ठीक नहीं हैं। इनकी दो-तीन फांकों का ही सेवन करें।
अधिकतर मधुमेह रोगी मीठे में आर्टिफिशियल शुगर या किसी दूसरे विकल्प का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन याद रहे, इनके अत्यधिक सेवन के भी कई साइड इफेक्ट हैं।
बाहर का या पैक्ड फूड खाने से पहले उसके लेबल पर लिखी सामग्री को जरूर पढें। उनमें कितनी मात्रा में शुगर है, ये जांचकर ही उनका सेवन करें। इसके अतिरिक्त होटल या रेस्टोरेंट में कुछ भी खाने से पहले डिश में इस्तेमाल सामग्री को भी देखें।
घर में मीठा जैसे मिठाई, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि न रखें। ये चीजें आपकी भूख को ज्यादा बढ़ती हैं।
मीठे के स्थान पर मेवा, ताजा स्ट्रॉबेरी, फ्रूट सलाद, फ्रूट स्मूदी और ताजे फलों के रस का सेवन करें।


आज भी वही संभालती हैं पूरा घर


समाज और परिवार की सोच में आए तमाम बदलावों के बावजूद आज भी घर के कामकाज की सारी जिम्मेदारी महिलाओं पर ही है। यह बात एक सर्वे में सामने आई है। सर्वे में शामिल हर 10 में से आठ महिलाओं का कहना है कि घर के अधिकांश कामों की जिम्मेदारी उन पर है। सर्वे में शामिल कई महिलाएं प्रति सप्ताह 13 घंटे घर की साफ-सफाई और कपडों की धुलाई का काम करती हैं। साथ ही बच्चों की देखभाल व अन्य जिम्मेदारियां तो हैं ही। इंग्लैंड के द इंस्टीटय़ूट फॉर पब्लिक पॉलिसी रिसर्च के शोध से यह बात भी सामने आई कि समानता की तमाम बातों के बावजूद शादीशुदा जोड़े कामकाजी व हाउसवाइफ की भूमिका में अक्सर बंट जाते हैं।

ओमेगा-3 से पाएं लंबी उम्र


एक नए शोध के मुताबिक ऐसे व्यक्ति जिनके खून में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा औसतन ज्यादा होती है, वे इस फैटी एसिड के सबसे कम मात्रा वाले लोगों की तुलना में दो साल ज्यादा जीते हैं। अमेरिका के 2700 बुजुर्गों पर हुए इस अध्ययन में पाया गया कि ट्य़ूना जैसी तैलीय मछली का सप्ताह में दो बार सेवन करने वाले लोगों की औसत उम्र दो साल बढ़ जाती है। शोध से यह भी संकेत मिले कि लोगों को डाइट में मछली ज्यादा मात्रा में शामिल करनी चाहिए।





स्वाद क्यों बने मौसम का मोहताज


मौसम भिंडी का हो और आपका मन हो गाजर या गोभी खाने का, तो आप क्या करेंगी? बेमौसमी सब्जी बाजार से महंगे दामों पर खरीद कर लाएंगी या मन मसोस कर रह जाएंगी। बेमौसमी सब्जी का लुत्फ भी आप उठा सकती हैं।
सर्दी का मौसम लगभग खत्म हो चुका है और साथ ही हरी-भरी सब्जियां भी बाजार से विदा ले रही हैं। अगर आप आनेवाले कुछ माह तक इन सब्जियों का स्वाद चखना चाहती हैं तो आपके पास एक उपाय है। आप इन सब्जियों को संरक्षित कर सकती हैं। न तो झुलसाने वाली तेज धूप है और न ही तेज ठंडक। इसी मौसम में घरों में सालभर के लिए आलू के चिप्स, पापड़, बड़ी, मुंगौड़ी आदि बना कर रखे जाते हैं। आइये जानें कि सब्जियां
कैसे संरक्षित करें:
फूलगोभी, गाजर व शलजम ऐसे सुखाएं
गाजर, फूलगोभी, शलजम आदि सब्जियों को सुखाने के लिए पहले उन्हें अच्छी तरह धो लें। गाजर को छील कर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर बीच का पीला भाग निकाल दें। इसी तरह फूलगोभी के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। शलजम को भी छीलकर छोटे-छोटे टुकड़े में काट लें। सब्जियों को गुनगुने पानी में नमक और चुटकी भर खाने वाला सोडा डाल कर एक घंटा भिगोएं। फिर पानी से निकाल कर एक तौलिये पर रखें। जब सब्जियों का पानी सूख जाए तो एक बड़े धागे में सूई की सहायता से माला की तरह पिरो लें। पुराने मलमल के दुपट्टों से थैलियां बनायी जा सकती हैं। इनमें गाजर, मूली, शलजम की माला लटका दें और तेज धूप में सुखाएं। इस तरह से सुखाने में थोड़ा समय ज्यादा लगेगा पर सब्जियां समय तक टिकेंगी। अगर इन्हें हल्की छांव में सुखाया जाएगा तो फफूंद लगने की आशंका बनी रहेगी।
हरी सब्जियों को ऐसे सुखाएं
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे मेथी, पालक, पुदीना, करीपत्ता, धनिया आदि को सुखाने के लिए डंठल से अलग कर पत्तों को साफ पानी से खूब धोएं। फिर एक बड़े फैले बर्तन में पानी भरें और आधा किलो सब्जी की मात्रा पर एक चम्मच नमक व चुटकी भर खाने वाला सोडा मिला दें। इसमें सब्जियों को पन्द्रह मिनट भिगोएं। पानी से निकालकर रोयेंदार तौलिया पर डालें और हल्के हाथों से थपथपायें ताकि पानी थोडम सूख जाए। फिर मलमल के कपड़े पर हल्की धूप में सुखाएं। जब सब्जी अच्छी तरह सूख जाये तो किसी एयरटाइट डिब्बे में या छोटी-छोटी पॅलीथीन में बंद करके रख दें।
लहसुन और प्याज ऐसे सुखाएं
लहसुन की कलियों को छीलकर तेज धूप में सुखाएं, फिर पाउडर बना कर रख लें। जब भी प्रयोग करना हो तो जरूरत के मुताबिक प्रयोग में लाएं। प्याज को छीलकर पांच प्रतिशत नमक वाले घोल में डालें फिर कपड़े से पोंछ कर तेज धूप में सुखा लें। इसका भी पाउडर बना कर रखा जा सकता है।
हरी मटर के दाने व मक्की के दाने ऐसे करें प्रिजर्व
एक किलो मटर के दानों या मक्की के दानों को आधा लीटर पानी में एक बड़ी चम्मच चीनी और एक चौथाई चम्मच खाने वाला सोडा डाल कर दो मिनट उबालें और तीन मिनट पानी में ही पड़ा रहने दें। एक रोएंदार साफ तौलिया पर डालें और जब पानी सूख जाए तो जिप लॉक वाली छोटी थैलियों में भर कर लॉक करें। हवा निकाल दें और डीप फ्रीजर में रखें। जब जरूरत हो एक थैली निकालें और प्रयोग में लाएं।
बिना केमिकल के संतरे या नीबू का शरबत
एक बोतल में तीन-चौथाई पिसी चीनी भरें और उसमें संतरे या नीबू का ताजा रस निकाल कर डाल दें। रस उतना डालें, जितनी चीनी हो। बिना प्रिजर्वेटिव के अच्छा शरबत तैयार है। इस विधि में पानी का अंश बिल्कुल नहीं होना चाहिए। नहीं तो शरबत खराब हो जाएगा।
टमाटर प्यूरी
मार्च-अप्रैल में टमाटर सबसे सस्ते होते हैं तब इनकी प्यूरी बनाकर रखी जा सकती है। ढाई किलो लाल पके टमाटर लें। इनके ऊपर के फूल हटा कर चार-चार टुकड़े करें। प्रेशरकुकर में डाल कर एक सीटी आने तक पकाएं। ठंडा करके छलनी से पल्प अलग करें। पुन: इसमें पच्चीस ग्राम चीनी और चालीस ग्राम नमक डालकर एक उबाल आने तक पकाएं। आधा चाय का चम्मच सोडियम बेंजोएट मिलाएं और गरम-गरम ही स्टरलाइज्ड बोतलों में भर दें। डिब्बा एयरटाइट होना चाहिए। जब टमाटर महंगे हों इस टमाटर प्यूरी का प्रयोग करें।