Tuesday, May 7, 2013

बरसता पानी हैं शनि के छल्ले


अंतरिक्ष में बरसात की परिकल्पना अब तक किसी ने नहीं की थी। लेकिन शनि ग्रह के लिए ये बहुत ही स्वाभाविक प्रक्त्रिया है। दरअसल अब ये साबित हो चुका है कि शनि ग्रह अपने लिए बरसात भी खुद ही बनाता है। और उसके छल्लों से ये बारिश ग्रह के ऊपर होती है। शनि के वलय से होने वाली ये बारिश खुद शनि ग्रह के वातावरण को भी खासा प्रभावित करती है।
 एक ताजा शोध के अनुसार आवेशित जल कणों की बरसात शनि ग्रह के वातावरण पर उसके छल्ले से होती है। इतना ही नहीं ये बरसात शनि ग्रह के अधिकाश हिस्से में होती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तस्वीरों के आधार पर इंग्लैंड की लेस्सेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर किए अध्ययन में पाया कि शनि ग्रह के ऊपरी हिस्से के वातावरण को ये बारिश खासा प्रभावित करती है। इससे वातावरण की सामग्री से लेकर ग्रह के तापमान तक पर असर पड़ता है।
 प्रमुख शोधकर्ता जेम्स ओ डोनाघ के अनुसार शनि अब तक का पहला ऐसा ग्रह है जहा वातावरण और वलय प्रणाली में सीधे कोई संबंध है। और उनके बीच किसी अहम प्रक्त्रिया का सक्त्रिय रूप से आदान-प्रदान होता है। इस बारिश का सबसे बड़ा प्रभाव यही है कि आयन से भरे शनि ग्रह को शात किया जाता है। दूसरे शब्दों में ये बारिश जिधर भी होती है शनि ग्रह के आवेशित इलेक्ट्रानों के घनत्व में खासी कमी आ जाती है।




भूकंप को एक दिन पहले भाप लेती हैं चीटिया


अभी तक भूकंप की भविष्यवाणी करना असंभव है लेकिन नन्हीं सी चींटी को इसका आभास हो जाता है और वह भी भूकंप आने के एक दिन पहले।
 शोधकर्ताओं की मानें तो चीटियों को एक दिन पहले ही भूकंप आने का अहसास हो जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि रेडवुड चीटिया भूकंप के दौरान पड़ी दरारों में अपनी बस्तिया बसाती हैं। अध्ययन में उन्होंने देखा कि भूकंप आने से एक दिन पहले चीटियों के व्यवहार में काफी बदलाव आ जाता है और भूकंप के एक दिन बाद वे पहले की तरह सामान्य हो जाती हैं।
 लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक चीटियों की इस विशेषता को जानने के लिए जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी डिसबर्ग एसेन के गैब्रियल बरबेरिक ने चीटियों के 15 हजार से भी ज्यादा टीलों का अध्ययन किया। बरबेरिक और उनके सहयोगियों ने करीब तीन साल तक वीडियो कैमरे की मदद से चीटियों पर नजर बनाए रखी और एक विशेष सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से उनकी गतिविधियों का अध्ययन किया गया।
 शोधकर्ताओं का कहना है भूकंप की तीव्रता दो से अधिक होने पर ही चीटिया अपना व्यवहार बदलती हैं। बरबेरिक कहते हैं कि भूकंप आने से एक दिन पहले चीटिया रातभर अपने टीले के बाहर जागती रहती हैं जबकि आम दिनों में वह दिनभर काम करने के बाद रात को सो जाती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि चीटियों को उस दौरान जमीन से उठने वाली गैसों और हलचलों से भूकंप का अंदाजा हो जाता है। इस अध्ययन को विएना में वार्षिक कार्यक्त्रम यूरोपियन जियोसाइंसेज यूनियन में भी पेश किया जा चुका है।






अंटार्कटिक में दस गुना तेजी से पिघल रही बर्फ


अंटार्कटिक में अब से 600 साल पहले के मुकाबले अब गर्मियों के मौसम में दस गुना अधिक रफ्तार से बर्फ पिघल रही है। बीसवीं सदी की मध्य से अंटार्कटिक ने अपने बर्फ का बड़ा हिस्सा खोना शुरू कर दिया है। एक ताजा अध्ययन में चेताया गया है कि अब गर्मियों के मौसम में बर्फ पिघलने की प्रक्त्रिया इतनी अधिक और घातक हो गई है कि वह अंटार्कटिक की बर्फ की परत और ग्लेशियरों के अस्तित्व को ही प्रभावित करने लगी है। हर एक हजार साल में अंटार्कटिक प्रायद्वीप के मौसम के पुनर्निर्माण पर पत्रिका नेचर जीयोसाइंस के अनुसार गर्मियों में दस परतों तक की बर्फ पिघलने लगी है।
 वर्ष 2008 में ब्रिटेन-फ्रेंच साइंस टीम ने जेम्स रास द्वीप के मुख्य स्थान पर 364 मीटर की गहराई तक बर्फ काट करके ये जानने की कोशिश की थी कि अंटार्कटिक प्रायद्वीप के उलरी क्षेत्र में बर्फ की हालत और तापमान कैसा है। उन्होंने पाया कि आइस कोर में की गई खुदाई से बर्फ के भविष्य का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। आइस कोर पर दिखने वाली परतें बताती हैं कि कितनी गर्मियों में बर्फ पिघलने के बाद सर्दियों में वापस जम गई। इन पिघली हुई परतों की मोटाई नापकर बर्फ के पिघलने की रफ्तार का खाका तैयार हो जाता है। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने पिछले एक हजार साल की परतों की नाप और तबके तापमान का तुलनात्मक अध्ययन किया है। इसी हिसाब से भविष्य के हालात का भी अनुमान निकाला गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो खामियाजा पूरी धरती को भुगतना होगा।






किचन वेस्ट से बनेगी बिजली


रसोई में बचे खाने एवं सब्जियों-फलों के छिलकों से अब बायोगैस एवं बिजली बन सकेगी। पंजाब सरकार और नई दिल्ली की द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के बीच तीन माह पूर्व मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन होने के बाद पंजाब एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी (पीएयू) अपने कैंपस में बने हॉस्टल में पहली यूनिट लगाने की तैयारी कर रही हैं।
 इसकी पूरी योजना तैयार हो चुकी है तथा यूनीवर्सिटी प्रबंधक इसको लगाने पर खर्च होने वाले 36 लाख के फंड का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार के साथ लुधियाना के सासद मनीष तिवारी को पत्र भेजकर एमपीलैड्स फंड से यह रुपया मागा है।
 सेमी गवर्नमेंट एजेंसी टेरी की टीम ने कुछ दिन पहले यूनीवर्सिटी का दौरा किया था। यहा पर वेस्ट टू एनर्जी गैसीफायर प्रोजेक्ट के संदर्भ में उन्होंने यूनीवर्सिटी के अधिकारियों से बातचीत की। इसमें पता चला कि पीएयू के हॉस्टल से रोजाना एक टन किचन की वेस्टेज निकलती है। अगर उपरोक्त प्लाट लगता है तो इसके जरिए यूनीवर्सिटी खाना पकाने के लिए बायोगैस का उत्पादन कर सकती है। अगर किचन वेस्ट ज्यादा हुई तो फिर बिजली भी पैदा की जा सकती है। पीएयू की योजना है कि अगर प्रोजेक्ट का यह ट्रायल सफल रहा तो फिर वह घरों से निकलने वाले किचन वेस्ट को जमाकर प्लाट के जरिए गैस और बिजली पैदा करने पर विचार करेंगे। लगभग 35 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट में पीएयू प्लाट के लिए जगह व दूसरे सपोर्ट देगी, जबकि बाकी का काम टेरी करेगी। प्लाट लगने के बाद इसका स्वामित्व पीएयू के पास हो जाएगा।
 ट्रायल सफल होने के बाद पीएयू शहरों, गावों व कस्बों में लोगों को इसी तरह के छोटे-छोटे यूनिट लगाने के लिए प्रेरित करेगी। सूत्रों के मुताबिक, बाजार में कई कंपनिया इस तरह का प्लाट बनाती हैं, जिसकी कीमत महज 35 हजार तक है। टेरी के सहयोग से लगने वाले प्लाट के ट्रायल सफल होने के बाद पीएयू छोटे यूनिटों का भी ट्रायल करेगी तथा फिर उनके संदर्भ में आगे सिफारिश करेगी।
 पीएयू के स्कूल आफ एनर्जी स्टडीज के डायरेक्टर डॉ. सर्बजीत सूद ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पूरी योजना तैयार हो चुकी है तथा फंड मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस प्लाट के साथ पीएयू कई दूसरी छोटी यूनिटों का भी परीक्षण कर रही है, जो आसानी से घरों में किचन वेस्ट के जरिए बायोगैस बनाने के इस्तेमाल में आ सकेंगी।





भूखा तो नहीं है आपका छोटू


बच्चों की यह मूल प्रवृलि होती है कि जब उन्हें भूख लगती है, तब वे प्राय: रोने लगते हैं। यही नहीं मांएं भी उन्हें तभी दूध पिलाती या कुछ खिलाती हैं, जब बच्चे रोना शुरू कर देते हैं। आपके लिए कुछ टिप्स जिनके जरिए आप अपने नन्हें-मुन्ने की भूख के बारे में जान सकती हैं।
 -आमतौर पर यही धारणा है कि शिशु अगर भूखा नहीं है तो वह आराम से खेलता रहेगा। अगर शिशु आराम से खेल रहा है तो समझ लें कि उसे भूख नहीं लगी है। यह धारणा पुरानी है, कई शोधों और अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि खेलते समय ही बच्चे को खाने की सामग्री दे देना बेहतर रहता है। इससे वह आराम से खा लेगा।
 - बच्चे के लिए खाने या पीने को कुछ देते समय थोड़ी मात्रा में ही सामग्री लें। अगर वह इसे खा-पी लेता है तो तुरंत ही उसे और सामग्री न देकर थोड़ी देर बाद ही दें।
 - यदि घर-परिवार में कई बच्चे हैं तो कोशिश करें कि उन्हें आपस में नजदीक लाकर ही खिलाएं-पिलाएं। आपका शिशु अन्य बच्चों को देखकर खाने-पीने के लिए अपने आप प्रेरित होगा।
 - मौसम बदल रहा है, बदलते मौसम में बच्चे को लिक्विड की अधिक मात्रा की जरूरत पड़ती है। उसे दूध के साथ ही घर में निकाला हुआ जूस, सूप आदि दें। अगर बच्चा छह माह से अधिक का है तो उसे दाल का पानी, पतला दलिया आदि दे सकती हैं।
 - अगर बच्चा खाने-पीने में आनाकानी कर रहा है तो उसके सामने ऐसा प्रदर्शित करें जैसे कि उसके खाने की चीजें आप भी खा रही हैं। इससे बच्चा खाने-पीने के लिए अधिक प्रेरित होगा।
 - याद रखें कभी भी खाना बच्चे के मुंह में जबरदस्ती न ठूंसें।
 - बच्चे को हमेशा पौष्टिक चीजें ही खाने के लिए दें। उसे बाजार की वस्तुओं से दूर रखें।
 - तमाम प्रयासों के बावजूद यदि आपका नन्हा-मुन्ना कुछ खाता-पीता नहीं है तो उसे किसी अच्छे चिकित्सक को ही दिखाएं। हो सकता है बच्चे को अंदरूनी कोई समस्या हो।





बच्चे भी हो रहे हैं साइबर बुलिंग के शिकार


इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से संचार की दूरिया खत्म हो गई हैं। नई तकनीक जहा अपने साथ सीखने और लोगों को मसरूफ रखने की असीमित संभावनाएं लेकर आई है, वहीं इसके साथ नई चुनौतिया और दबाव भी आए हैं। उनमें से एक है साइबर बुलिंग। यानी इंटरनेट पर दूसरों को डराना-धमकाना या फिर उनका शोषण करना। इसके शिकार इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले बच्चे और टीनएजर भी हो रहे हैं। ज्यादातर मा-बाप इस खतरे से अनजान हैं। जो इससे वाकिफ भी हैं तो उन्हें इससे निपटने का तरीका नहीं मालूम होता है।
 एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी नॉर्टन बाय सिमेंटिक के कंट्री सेल्स मैनेजर रितेश चोपड़ा के मुताबिक सोशल नेटवर्किग साइटों को साइबर बुलिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है मगर ये साइटें समस्या नहीं हैं। बल्कि असली समस्या इन्हें इस्तेमाल करने का तरीका है। साइबर बुलिंग का मसला विभिन्न आयु वर्ग के लिए अलग-अलग हो सकता है। कम उम्र के बच्चे गलत वेबसाइट देख सकते हैं। वहीं बड़े बच्चों के लिए यह सेक्सटिंग, निजता और प्रतिष्ठा से जुड़ा मसला या ऑनलाइन स्कैम जैसा कुछ भी हो सकता है।
 नॉर्टन ऑनलाइन फैमिली रिपोर्ट 2011 के अनुसार भारत में 79 फीसद बच्चों का ऑनलाइन अनुभव बेहद खराब रहता है। सोशल नेटवर्क पर मौजूद करीब 84 फीसद बच्चों को असामान्य परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। करीब 32 फीसद माता-पिता ने पुष्टि की कि उनके बच्चे को साइबर बुलिंग का अनुभव है।
 संकेतों को पहचानें 
 द बर्कमैन सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी एट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन बच्चों को ज्यादा डराया धमकाया जाता है उनमें स्कूल बदलने वाले बच्चे, कम आय या ज्यादा आय वर्ग से आने वाले बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा सामान्य से अलग दिखने वाले जैसे ज्यादा वजन, कम वजन, चश्मा पहनने वाले या फिर विकलाग बच्चे भी इसके ज्यादा शिकार होते हैं। वहीं, जो बच्चे दूसरों को परेशान करते हैं उनमें भी इसी तरह के लक्षण होते हैं। मगर उनमें ऊर्जा का स्तर काफी अच्छा होता है। वे धूर्त होते हैं और अपनी बात मनवाने में उन्हें बड़ी खुशी होती है। अगर बच्चा स्कूल या अपनी ऑनलाइन सोशल लाइफ से दूर भाग रहा हो, मूडी हो गया हो या जल्दी परेशान हो जाता हो, अपनी निजी वस्तुओं को नुकसान पहुंचाता हो, उसे सोने में मुश्किल हो रही है, त्वचा पर निशान या चोट लगने की वजह नहीं बता पा रहा है, तो मुमकिन है कि उसे स्कूल में या ऑनलाइन डराया-धमकाया या परेशान किया जा रहा है।
 जोखिम करें कम 
 अगर आपको संदेह है कि आपके बच्चे को परेशान किया जा रहा है, तो सबसे पहले इस बारे में बच्चे से बातचीत करें। कोशिश करें कि वह इस बारे में खुलकर बात करे। आपकी कोशिश होनी चाहिए कि वह बिना डरे आपको पूरी जानकारी दे। उसे यह डर नहीं हो कि आप आगे उन्हें उपकरणों या इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने देंगे। अगर बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार हुआ है तो उसे इंटरनेट के इस्तेमाल से रोके नहीं बल्कि इसके लिए नियम बना दें। साथ ही बच्चे के इंटरनेट इस्तेमाल पर नजर भी रखें।
 आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपका बच्चा कौन कौन सी साइट देख रहा है और किस लिए। बाजार में कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर भी हैं, जिनके जरिये मा-बाप बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रख सकते हैं। अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं और उससे नियमित तौर पर खुल कर बात करें। उन्हें अपने रोजाना अनुभव साझा करने के लिए भी प्रोत्साहित करें।






खुश हों कि बच्चा शरारती है!


अगर आपका बच्चा शरारती है, तो उसके भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। एक शोध के अनुसार बड़े होने पर ऐसे बच्चे खुशहाल जिंदगी जीते हैं। शोध के अनुसार बड़े होने पर ऐसे बच्चों के अवसाद या बेचैनी का शिकार होने की आशंका कम होती है। डेयकिन विश्वविद्यालय की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि बचपन में शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के बाद की जिंदगी में निराशा से बचने में मदद मिलती है। यह जानकारी 2,152 ऑस्ट्रेलियाई बच्चों पर अध्ययन करने के बाद दी गई है।
 शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक चुस्त और शरारती बच्चों की तुलना में निष्क्रिय रहने वाले बच्चों के बड़े होकर अवसाद की चपेट में आने की आशंका 35 फीसदी अधिक रही। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. फेलिस जेका ने बताया कि बचपन वह अवस्था होती है जब दिमाग का विकास बहुत तेजी से होता है और बचपन में अधिक शारीरिक गतिविधियों का मस्तिष्क के विकास पर लाभकारी असर पड़ता है।
 डॉ. जेका के अनुसार खेलकूद में व्यस्त रहने से बच्चों में तनाव प्रबंधन कौशल के विकसित होने में मदद मिलती है और ऐसे बच्चे किशोरावस्था में भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।
 बच्चे को जरूर दें बेबी फूड 
 शिशुओं को शुरुआती दौर में दिए गए बेबी फूड का उनके स्वास्थ पर दीर्घकालिक असर होता है।
 एक नए शोध में यह बात सामने आई है। क्लाउडे बर्नार्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों ने मां का दूध पिया था, तीन साल की उम्र में उनका रक्तचाप उन शिशुओं की तुलना में कम था, जिन्हें उच्च प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया था। इसके अलावा दुग्धपान करने वाले बच्चों का सिर भी उन बच्चों से कुछ बड़ा था, जिन्हें निम्न प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया था।
 लाइफ साइंस की रिपोर्ट के अनुसार बेबी फूड लेने के बावजूद बच्चों का रक्तचाप और सिर का आकार सामान्य था। मां का दूध शिशुओं के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन इसमें विटामिन डी की मात्रा कम होती है। अध्ययन के लिए डेन्वर में पीडियाट्रिक एकेडमी सोसाइटी ने 234 शिशुओं के तीन समूहों का अध्ययन किया।
 पहले समूह को विशेषरूप से शुरुआती चार महीनों में दुग्धपान कराया गया था, जबकि अन्य दो समूहों को या तो निम्न प्रोटीन फॉ?र्म्यूला या उच्च प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया। इनमें प्रोटीन की मात्रा इस उम्र में बच्चों के लिए बताए गए स्तर के समान थी।




आपके बाद कौन संभालेगा आपकी जीमेल रियासत


कभी आपके मन में यह सवाल तो नहीं उठता कि आपके इस दुनिया से जाने के बाद आपके जीमेल की रियासत कौन संभालेगा.. आपके इमेल्स, डिजिटल फोटोज, डाक्यूमेंट्स की जागीर का उत्तराधिकारी कौन बनेगा.. गूगल ने इन सवालों को ध्यान में रखते हुए इसका हल ढूंढ़ निकाला है। इस योजना के तहत गूगल ने एक अकाउंट मैनेजर पेज पेश किया है जो आपके आदेशानुसार आपके बाद आपकी डिजीटल रियासत का उत्तराधिकारी उसे ही बनाएगा जिसे आप चुन कर जाएंगे।
 गूगल अपने सदस्यों से यह जानकारी ले लेगा की उनकी मृत्यु के बाद डिजीटल तस्वीरों, दस्तावेजों और अन्य आभासी सामग्रियों का क्या करना चाहेंगे? एक इनेक्टिव अकाउंट मैनेजर का इस्तेमाल कर गूगल को यह निर्देश दिया जा सकता है कि वह गूगल ड्राइव, जीमेल, यूट्यूब, या सोशल नेटवर्क गूगल प्लस से डाटा अमुक व्यक्ति को भेज दे या लंबे समय के बाद इन्हें खत्म कर दे।
 अकाउंट सेटिंग पेज पर एक संदेश में गूगल अपने सदस्यों को अपने डाटा को विश्वस्त मित्र या परिवार के सदस्य से साझा करने या अपना अकाउंट खत्म करने का विकल्प देगा। साथ ही गूगल सदस्यों से कार्रवाई करने से पहले समय की अवधि की जानकारी भी लेगा। कैलिफोर्निया आधारित यह कंपनी अकांउट धारक को समय समाप्त होने से पहले इस बारे में इमेल या मोबाइल पर संदेश भेजेगी। आप अकाउंट के निष्क्रिय होने की अवधि का चयन करने में भी सक्षम होंगे। इसके बाद 10 विश्वस्त लोगों को इस बारे में विशेष सूचना मिलेगी कि अकाउंट के साथ क्या करना है।
 अंत में गूगल अपने उपयोगकर्ता को यूट्यूब वीडियो, गूगल प्लस प्रोफाइल्स सहित गूगल की सभी सेवाओं से अपना अकाउंट प्रभावी तरीके से साफ करने का विकल्प देगा। उपयोगकर्ता 3, 6, 9, 12 महीने की अवधि का चयन कर सकते हैं और इस अवधि की समय सीमा खत्म होने से एक महीने पहले गूगल दूसरे ईमेल पते पर एक अधिसूचना भेजेगा।
 आप इन्हें अपने किसी विश्वस्त मित्र या परिवार के साथ साझा करना चाहते हैं, या फिर इन्हें पूरी तरह से मिटाने का विकल्प चुन सकते हैं। इनेक्टिव अकाउंट मैनजर के इस्तेमाल से आप यह फैसला कर सकते हैं कि आपके डाटा के साथ क्या किया जाए और इस बारे में किसके पास संदेश भेजा जाए। तो अब आप बाकी चिंता छोड़ अपने गूगल जागीर के लिए सोच लिजिए अपने उत्तराधिकारी का नाम।








जीमेल, फेसबुक को करें रिमोट लॉग आउट


आप ऑफिस के काम काज में व्यस्त हो घर के लिए निकलते समय अपना फेसबुक या जीमेल अकाउंट लॉग आउट करना भूल गए तो कहीं से भी रिमोट लॉग आउट फीचर का उपयोग कर आप अपने फेसबुक अकाउंट को बंद कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कैसे करें रिमोट लॉग आउट- 
 फेसबुक अकाउंट की दायीं ओर अकाउंट सेटिंग में जाइए और बायीं ओर सिक्योरिटी को क्लिक कीजिए। सिक्योरिटी सेटिंग में आपको एक्टिव सेशन मिलेगा।
 हो सकता हे आपका फेसबुक अकाउंट कोई न खोले लेकिन फिर भी आपको सावधान रहना चाहिए और एक्टिव सेशन मोड को लॉग आउट जरूर करना चाहिए। अब रिमोट लॉग आउट के लिए वहां दिख रहे इंड एक्टिविटी को क्लिक करिए और उसके बाद सामान्यत: जैसे फेसबुक लॉग आउट करते हैं बस, अब आप निश्चिंत हो जाइए आपका फेसबुक कोई नहीं देखेगा।
 इसी तरह जीमेल अकाउंट में नीचे की ओर दायीं तरफ डिटेल्स पर क्लिक करें और साइन आउट ऑल अदर सेशन पर क्लिक करें। डिटेल्स में आपको यह भी दिख जाएगा की किस आइपी से आपके जीमेल अकाउंट को खोला गया है।
 तो बस रहिए थोड़ा अलर्ट क्योंकि आपके अकाउंट के खुला रहने पर कोई चुरा सकता है आपकी प्राइवेसी।









बड़ी फाइल्स की फटाफट शेयरिंग


कई बड़ी फाइल्स भेजने में काफी दिक्कत होती है। ईमेल से भी लार्ज अटैचमेंट्स फाइल्स नहीं भेज सकते, क्योंकि उमसें भी 25 एमबी तक की फाइल्स भेजने की लिमिट होती है। ऐसे में यूजर के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। अगर आपको फटाफट फाइल भेजनी हो, तो क्या करें? हम बता रहे हैं ऐसी कुछ सर्विसेज जिससे आप और बड़ी फाइलें आसानी से शेयर कर सकते हैं..
 ईमेल से भेजें बड़ी फाइल्स 
 कई ईमेल प्रोवाइडर्स एक मेल में केवल 25 एमबी तक का ही डाटा अटैच करने की सुविधा देते हैं। इस फीचर का इस्तेमाल तब तो ठीक है, जब कई सारी छोटी-छोटी फाइल्स भेजनी हों। आप उन्हें एक-एक करके भेज सकते हैं।
 जिप कंप्रेशन 
 अगर आपको यूट्यूब पर अपलोड किए बिना 30 एमबी की कोई फाइल या वीडियो भेजना हो, तो ऐसे में क्या करेंगे? वहीं, अगर इंटरनेट स्पीड भी स्लो हो, तो इसके लिए आप जिप या रार सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बड़ी फाइल्स भेजने का आसान तरीका है। इसकी एक और खूबी है कि इसमें अतिरिक्त सुरक्षा के लिए पासवर्ड भी लगा सकते हैं। जिप और रार दोनों सॉफ्टवेयर्स ही फाइल्स को 60 फीसदी तक कंप्रेस कर देते हैं, जिससे उनका वॉल्यूम कम हो जाता है और उन्हें भेजना आसान हो जाता है।
 यूआरएल: डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.रारलैब.कॉम
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.7-जिप.ओआरजी
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.विनजिप.कॉम
 फाइल स्प्लिटर 
 जिप सॉफ्टवेयर्स की भी अपनी एक लिमिट है। ये भी किसी फाइल को एक लिमिट तक ही कंप्रेस कर सकते हैं। लेकिन कभी अगर 1 जीबी का कोई सॉफ्टवेयर या वीडियो अपलोड करना हो, तो शायद जिप भी आपकी मदद नहीं कर पाएगा। ऐसे में फाइल स्प्लिटर की मदद ले सकते हैं। फाइल स्प्लिटर की खासियत है कि यह किसी भी तरह की फाइल को टुकड़ों में बांट देता है, जिसके बाद आप सभी फाइल्स को अलग-अलग ईमेल से भेज सकते हैं। इनकी दूसरी खूबी यह है कि टुकड़ों में बंटी फाइल्स को यह एक फाइल में भी कनवर्ट कर देते हैं।
 यूआरएल: डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एचजेस्पलीट.कॉम
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.फाइलस्पिलीटर.ओआरजी
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.डेकाबाइट.कॉम
 बेस्ट शेयरिंग सर्विसेज 
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.बेफाइल्स.कॉम 
 बेफाइल्स से यूजर 5 जीबी तक की फाइल्स ही शेयर कर सकते हैं। यहां पर फाइल्स डाउनलोड या अपलोड करने की कोई लिमिट नहीं हैं। इसके इंटरफेस पर यूजर अपलोड स्पीड और टाइमर भी देख सकता है। लेकिन यह मल्टीपल अपलोड फाइल्स सिस्टम को सपोर्ट नहीं करता। इसके अलावा इस पर अपलोड की गई फाइल 30 दिन में ऑटोमेटिकली इनएक्टिव हो जाती है। इंटरफेस के जरिए फाइल अपलोड करने के बाद यूजर चाहे तो किसी के साथ भी शेयरिंग कर सकता है और चाहे तो लिंक्स को डिलीट भी कर सकता है।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.फाइलड्रॉपर.कॉम 
 बेफाइल्स की तरह फाइलड्रॉपर का इंटरफेस भी बेहद आसान है। यहां भी यूजर 5 जीबी तक की फाइल्स अपलोड कर सकता है। यूजर को इसमें कोई साइन-अप नहीं करना पड़ता। इसके अलावा इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि दूसरी साइट्स की तरह यहां से डाटा डिलीट नहीं होता है। यह तभी संभव है अगर कोई भी यूजर उस फाइल को 30 दिनों तक डाउनलोड नहीं करता है अन्यथा वह फाइल ऑटोमेटिकली डिलीट हो जाएगी।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.स्लिंगफाइल.कॉम 
 इसकी खासियत है कि इसमें यूजर 50 जीबी तक की फाइल्स अपलोड कर सकता है। यह मल्टीपल अपलोडिंग को सपोर्ट करता है। साथ ही दूसरी साइट्स के मुकाबले इसकी इनएक्टिव लिमिट भी ज्यादा है। अगर फाइल 180 दिन तक इनएक्टिव रहती है, तभी फाइल डिलीट होगी। एक बार फाइल अपलोड करने के बाद यूजर अपने ईमेल पर डाउनलोड और डिलीट लिंक भी भेज सकता है, और 3 लोगों के साथ उस लिंक को शेयर भी कर सकता है। साथ ही स्लिंगफाइल में अनलिमिटेड डाउनलोडिंग का ऑप्शन है।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.योरफाइललिंक.कॉम 
 इसमें यूजर 5 जीबी तक की फाइल्स अपलोड कर सकते हैं। इसमें साइन-अप करने की जरूरत नहीं है, साथ ही यूजर अनलिमिटेड डाउनलोड कर सकते हैं। दूसरी साइट्स की तरह यहां इनएक्टिव फाइल्स 15 दिनों में डिलीट हो जाती हैं।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.पाइपबाइट्स.कॉम 
 यह वेब बेस्ड इंटरफेस एप्लीकेशन है, जहां यूजर अपने ब्राउजर से ही फाइल्स अपलोड या डाउनलोड कर सकता है। इसमें साइज की कोई पाबंदी नहीं है, साथ ही न तो आपको रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत है और न ही अपना ईमेल आईडी देने की। आपको बस कोड अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर करना होता है और वे डाउनलोडिंग शुरू कर सकते हैं। इसकी ट्रांसफर स्पीड 30 एमबिट प्रति सेकेंड है और यूजर फटाफट फाइल शेयर कर सकता है।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.सेनडुइट.कॉम 
 इसमें यूजर कोई सॉफ्टवेयर डाउनलोड किए बिना वेब इंटरफेस से ही फाइल्स अपलोड कर सकता है। इसमें फाइल्स के साइज को लेकर कोई पाबंदी नहीं है और अनलिमिटेड साइज की फाइल्स शेयर कर सकते हैं। इसकी एक और खासियत है कि इसमें फाइल को डिलीट करने का टाइम यूजर के पास होता है। यूजर चाहे तो 30 मिनट से लेकर 1 हफ्ते का टाइम सेट कर सकता है, जिसके बाद फाइल ऑटोमेटिकली डिलीट हो जाएगी।
 शेयरिंग फटाफट 
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.ड्रॉपबॉक्स.कॉम 
 ऑनलाइन शेयरिंग के मामले में ड्रॉपबॉक्स सबसे बेस्ट है। ड्रॉपबॉक्स में यूजर केवल 2 जीबी का डाटा ही अपलोड कर सकते हैं। ड्रॉपबॉक्स की सबसे बड़ी खूबी है कि यूजर डाटा को आईफोन-आईपैड, एंड्रॉयड, ब्लैकबेरी और सिंबियन एप्स से डिवाइसेज पर भी एक्सेस और अपलोड कर सकते हैं। हालांकि ड्रॉपबॉक्स पर 2 जीबी ही फ्री स्पेस मिलता है लेकिन फ्रेंड्स को इनवाइट करके 500 एमबी प्रति इनविटेशन से मुफ्त में ही स्पेस बढ़ा सकते हैं। ड्रॉपबॉक्स को एक्सेस करने के लिए किसी ब्राउजर की जरूरत नहीं पड़ती। यूजर अगर ऑफलाइन है, तो भी डेस्कटॉप पर सेव एप्लीकेशन ऑटोमेटिक सिंक करती रहेगी और ऑनलाइन होते ही ड्रॉपबॉक्स पर ऑटोमेटिक अपडेट हो जाएगा।
 स्काइड्राइव.लाइव.कॉम 
 स्काईड्राइव पर यूजर 25 जीबी की फ्री स्टोरेज देता है। स्काइड्राइव में भी हार्डड्राइव से फाइल्स को ड्रेग और ड्रॉपिंग करने का ऑप्शन है। स्काइड्राइव को यूजर आउटलुक.कॉम, हॉटमेल.कॉम या लाइव.कॉम पर आईडी बना कर भी एक्सेस कर सकते हैं। यहां पर मल्टीपल फाइल शेयरिंग का ऑप्शन है। केवल फोल्डर क्रिएट करके उसे फ्रेंड्स के ईमेल एड्रेस शेयर करने हैं। इसकी डेस्कटॉप एप्लीकेशन भी इंस्टॉल कर सकते हैं।
 ड्राइव.गूगल.कॉम 
 गूगल की यह सुविधा जीमेल यूजर्स के लिए है। जीमेल में गूगल ड्राइव को इंटीग्रेट किया गया है। साइन-इन करने के बाद ड्राइव पर क्लिक करके यूजर सीधे फाइल को अपलोड करके फ्रेंड्स के साथ शेयर कर सकते हैं। इसमें मल्टीपल ईमेल एड्रेस शेयरिंग की सुविधा है। इसमें यूजर को 5 जीबी का फ्री स्पेस मिलता है। इसकी डेस्कटॉप एप्लीकेशन भी इंस्टॉल कर सकते हैं।
 ड्राइव.गूगल.कॉम 
 बॉक्स पर यूजर 5 जीबी का फ्री स्पेस मिलता है। इसके वेब एप्स के साथ डेस्कटॉप और मोबाइल एप भी उपलब्ध हैं। इसमें मल्टीपल शेयरिंग की सुविधा है। साथ ही वर्ड या एक्सेल डॉक्यूमेंट्स की ऑनलाइन एडिटिंग भी कर सकते हैं।
 डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.एड्राइव.कॉम 
 एड्राइव बेसिक प्लान में मेंबर को पर्सनल यूज के लिए 50 जीबी का स्पेस फ्री देती है। एड्राइव में यूजर अपलोडिंग के दौरान डाउनलोडिंग भी कर सकते हैं। एड्राइव पर यूजर एमएस ऑफिस, फोल्डर्स, एप्लीकेशंस, फोटोग्राफ्स, म्यूजिक और वीडियो फाइल्स शेयर कर सकते हैं।



कीबोर्ड शार्टकट्स के साथ रफ्तार से करें काम


की बोर्ड को केवल टाइपिंग के लिए इस्तेमाल करने के अलावा उसे अपनी वर्क स्पीड बढ़ाने में भी कारगर रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं। जानें कुछ की बोर्ड शार्टकट्स के बारे में, जो आपके काम की रफ्तार बढ़ा सकते हैं..
 - कंट्रोल प्लस इएससी का इस्तेमाल करके आप सीधे स्टार्ट मेन्यू खोल सकते हैं।
 - किसी फाइल या फोल्डर को रिनेम करने के लिए एफ 2 दबाएं।
 - किसी फाइल को ढूंढना चाहते हैं तो सिर्फ एफ 3 या विन प्लस एफ दबाकर सर्च विंडो खोलें।
 - किसी फाइल, फोल्डर या ड्राइव आदि की प्रोपर्टीज देखने के लिए माउस का कर्सर उस पर रखें और अल्ट प्लस इंटर यूज करें।
 - डेस्कटॉप पर खुले हुए सभी प्रोग्राम्स को एक साथ मिनिमाइज करने के लिए विंडोज की प्लस एम यूज करें।
 - मिनिमाइज किए हुए सभी प्रोग्राम्स और फाइलों को मैक्सिमाइज करने के लिए विंडोज की प्लस शिफ्ट प्लस एम का यूज करें।
 - डेस्कटॉप पर खुले सभी डॉक्यूमेंट्स या प्रोग्राम्स में से किसी एक को सेलेक्ट करने के लिए अल्ट प्लस टैब का यूज करें।
 - किसी भी एक्टिव प्रोग्राम को बंद करने के लिए अल्ट प्लस एफ 4 का यूज करें।
 -अगर माउस को राइट क्लिक किए बिना काम करना चाहते हैं तो शिफ्ट प्लस एफ 10 यूज करें।
 - जब किसी फाइल को डिलीट करते हैं, तो वह सीधे रिसाइकिल बिन में चली जाती है, जहां से दोबारा रिस्टोर किया जा सकता है। अगर किसी फाइल को हमेशा के लिए डिलीट करना चाहते हैं तो शिफ्ट के साथ डिलीट का यूज करें।
 -अगर टास्कबार में खुले प्रोग्राम्स को एक-एक कर खोलना चाहते हैं तो अल्ट के साथ इएससी यूज करें।
 - किसी भी एक्टिव विंडो को बंद करने के लिए कंट्रोल के साथ डब्ल्यू का यूज करें।
 - अगर ब्राउजर में कई टैब्स खुले हों तो कंट्रोल के साथ टैब से एक-एक ब्राउजर को चेक कर सकते हैं।
 - किसी भी पेज या डाक्यूमेंट की प्रोपर्टीज जाननी हो, तो राइट क्लिक करने की बजाय शिफ्ट के साथ एफ 10 का यूज भी कर सकते हैं।
 - किसी भी पीसी की सिस्टम कंफिगरेशन के बारे में जैसे सीपीयू, रैम या ओएस के बारे में तुरंत पता लगाना है तो विन के साथ पाउज या ब्रेक का यूज कर सकते हैं।


सज्जा दीवारों की


रंगों के त्योहार होली के दौरान अक्सर फ्लोर और दीवारों पर रंग गिर ही जाता है। कैसे करें इसकी सफाई कि घर की सज्जा की खूबसूरती रहे बरकरार..
 रंगों के त्योहार होली बीत गया और इसी के साथ गर्मी के मौसम ने भी दस्तक दे दी है। होली के दौरान खेले जाने वाले रंगों से संभव है कि आपके घर की दीवारों के रंगों को कुछ नुकसान पहुंचा हो, जाहिर है घर के इंटीरियर पर किसी तरह का प्रभाव न पड़े इसलिए आप भी उसकी सफाई के बारे में जरूर सोच रहे होंगे या फिर यह विचार भी हो रहा हो कि क्यों न घर की दीवारों पर नया रंग-रोगन करा लिया जाए। वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि दीवारों पर रंग कराने के लिए यह सही मौसम है। बहरहाल यदि आप नया रंग नहीं कराना चाहते और यदि डिस्टेंपर की जगह दीवारों पर अगर आपने पेंट का इस्तेमाल किया है तो उसकी साफ-सफाई और मेंटीनेंस के लिए इन बातों पर गौर कर सकते हैं-
 -दीवारों की सफाई के लिए यह बेहद जरूरी है कि उन पर वॉशेबल पेंट किया गया हो। ऑयल बाउंड डिस्टेंपर की सफाई की जाए तो उसके पूरी तरह से खराब होने का डर रहता है।
 -वॉशेबल पेंट से रंगी गई दीवारों की साफ-सफाई के दौरान भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है। ऐसी दीवारों से रंग या फिर धब्बे को छुड़ाने के लिए पानी के साथ स्पंज या फिर सूती तौलिये का इस्तेमाल किया जा सकता है।
 -दीवारों की सफाई के लिए आप चाहें तो पानी में साबुन भी मिला सकते हैं। पानी और साबुन के घोल से दीवारों पर लगे दाग आसानी से छुड़ाए जा सकते हैं।
 -वॉशेबल पेंट की सफाई के बारे में पेंट बनाने वाली कंपनियों की वेबसाइट्स पर भी जानकारी दी गई होती है। इसकी सहायता भी आप ले सकते हैं।
 -पानी प्रतिरोधी रंगों से रंगी गई दीवारों के लिए आप स्टेन ब्लॉकर की मदद भी ले सकते हैं। इसके इस्तेमाल से सामान्य तौर पर आसानी से दीवारों पर दाग-धब्बे नहीं लगते।
 -यदि साफ-सफाई के बावजूद दीवारों दाग नहीं हटते तो ऐसे में टच-अप का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में दाग लगे हिस्से की सफाई के बाद दुबारा उसी रंग का पेंट कर दिया जाता है।
 -खास बात यह है कि टच-अप करने के बाद जब पेंट पूरी तरह से सूख जाता है तो उसमें किसी तरह का दाग नहीं दिखाई देता। हां, यह संभव है कि नया पेंट कुछ अलग से दिखे, इसके लिए आप प्रोफेशनल पेंटर की सेवाएं ले सकते हैं।
 -यह भी संभव है कि दीवारों के साथ कुछ रंग फ्लोर पर भी गिरा हो और उसकी वजह से फ्लोर कुछ भद्दा दिखाई दे। इसकी सफाई के लिए आप बेकिंग सोडा और पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
 -बेकिंग सोडा और पानी को कुछ समय के लिए दाग के ऊपर रखकर छोड़ दें और बाद में उसे सूखे कपड़े से पोंछकर दाग हटा सकते हैं।
 -बेहतर होगा कि बेकिंग सोडा का इस्तेमाल सिर्फ फ्लोर की सफाई के लिए करें, दीवारों के रंगों पर इसके इस्तेमाल से पेंट का नुकसान पहुंच सकता है।
 -इन चीजों का अपनाकर आप एक बार फिर अपने घर की सज्जा और सजावट को उसी रंग में वापिस ला सकते हैं।






स्मार्ट महिला.. स्मार्ट खाता


डिजिटल दुनिया की जरूरत है कि स्मार्टली मैनेज हो आपकी बैंक डिपॉजिट। जानें कि कैसे एटीएम के इस्तेमाल से लेकर मोबाइल एलर्ट तक अब आपके साथ चौबीसों घंटे है ताकत अपने पैसे तक पहुंच और इस पर नियंत्रण की..
 दिनभर की भागमभाग वाली जिंदगी में लगी स्मार्ट महिलाओं को चाहिए एक स्मार्ट बैंक खाता, जो उनकी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के साथ रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बना सके। इसके लिए बैंकों ने सदियों से चले आ रहे बचत खाता के स्वरूप को बदलकर रख दिया है। अब यह सिर्फ कम ब्याज देकर छोटी बचतों को सहेजने या बचत की आदत डालने वाला साधारण खाता नहीं रहा। बैंकों ने इसमें कई फीचर जोड़कर इसे काफी आकर्षक बना दिया है। इसी के जरिये वह आपसे संबंधों की शुरुआत करते है।
 एटीएम कार्ड मुफ्त में 
 खाते से पैसा निकालने के लिए आपको बैंक आना न पड़े इसके लिए अधिकांश बैंक एटीएम कार्ड खाता खुलने के साथ वेलकम किट में ही दे देते है। कई बैंकों के एटीएम में डेबिट कार्ड का फीचर रहता है इससे आप खरीददारी या उपयोग वाली सेवाओं के बिलों का भुगतान और रेलवे का आरक्षण भी करा सकती है या फिर किसी धार्मिक संस्था या मंदिर को दान देने के लिये भी उपयोग कर सकती है। इसके जरिये खरीददारी को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक समय-समय पर कैशबैक ऑफर भी देते है। अब एटीएम कार्ड के जरिये दूसरे खाते में पैसा भी भेजा जा सकता है। कई बैंकों के एटीएम में आपस में तालमेल होता है। इससे आप दूसरे बैंक के एटीएम का उपयोग कर सकती है। अपने बैंक के एटीएम के उपयोग के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। कई बैंकों ने कुछ शुल्क भी निर्धारित किया है। स्टेट बैंक ने एटीएम का सबसे बड़ा नेटवर्क स्थापित किया है। कई शहरों में उनके मोबाइल एटीएम भी कार्य कर रहे है। वैसे तो बैंक एटीएम कार्ड मुफ्त देते है, पर कई बैंक वार्षिक या रखरखाव शुल्क के नाम पर कुछ शुल्क पहले या दूसरे साल से लेने लगते है। यदि संयुक्त खाता है तो सभी खातेदारों को एटीएम कार्ड दिया जा सकता है।
 आया मल्टीसिटी चेक का जमाना 
 चूंकि अधिकांश बैंकों की शाखाएं अब आपस में नेटवर्क से जुड़ी रहती है इससे ग्राहक शाखा का न होकर बैंक का हो जाता है और वह दूसरे शहर की शाखाओं भी लेन-देन कर सकता है। इसके लिए बैंक सममूल्य भुगतान सुविधा वाली मल्टीसिटी चेक जारी करता है। कई बैंक तो इन चेकों के ऊपर ग्राहकों का नाम तथा खाता नंबर भी मुद्रित करा देते है। अधिकांश बैंक साधारण शुल्क पर कुछ बैंक उससे कुछ अधिक शुल्क पर इसे जारी करते है।
 सैलरी खाता है तो कई सुविधाएं 
 संस्था के कर्मचारियों का वेतन खाता खोलने वाले संस्थानों के कर्मचारियों को बैंक कई आकर्षक रियायतें और सहूलियतें प्रदान करते है। उनके खातों का वर्गीकरण उनके पद और वेतन के अनुरूप करके सुविधायें प्रदान करते है। इसमें प्रमुख है रिटेल लोन की प्रक्रिया शुल्क की कमी, मुफ्त चेक पर्ची, खाते से असीमित निकासी, एटीएम से अधिक निकासी की सुविधा एवं अधिक सुविधा वाले कार्ड जारी करना, चेक वापसी सुरक्षा या अल्पकालिक ओवरड्राफ्ट या ऋण की सुविधा प्रमुख है।
 आटो स्वीप के जरिए ज्यादा ब्याज 
 यदि आपके बचत खाते में ठीक-ठाक बैलेंस रहता है तो बेहतर है कि उस शाखा में खाता खोलें जहां आटो स्वीप की सुविधा उपलब्ध हो। इसमें महीने में आप द्वारा चुनी गई तिथि पर आप द्वारा निर्धारित राशि से अधिक राशि स्वत: आटो स्वीप के जरिये टर्म डिपाजिट में ट्रांसफर हो जाती है और आपको सावधि जमा का ऊंची दर पर ब्याज मिलने लगता है। यह अधिक ब्याज कमाने का अच्छा जरिया है। भुगतान लेते समय स्वत: टर्म डिपाजिट से राशि बचत खाते में अंतरित हो जाती है और आपका भुगतान हो जाता है।
 इंटरनेट बैंकिंग का मुकाबला नहीं 
 यदि आप टेक्नोसेवी है, आपकी पहुंच में इंटरनेट है तो आप इंटरनेट बैंकिंग के जरिये अपना लेन-देन कर सकती है। बैंक नेट के जरिये बैंकिंग को काफी प्रोत्साहन देते है। स्टेटमेंट छापना, खाते में धन ट्रांसफर करना, चेकबुक की मांग या ड्राफ्ट इत्यादि बनवाना इसकी कुछ मुख्य विशेषतायें है। इंटरनेट के जरिए टैक्स भुगतान को अब सरकार अनिवार्य करने जा रही है। बैंकें यह सेवा भी मुफ्त में प्रदान करती है।
 विशेष लोगों को विशेष रियायतें 
 संपन्न खाताधारकों को बैंक कई तरह की रियायतें जैसे लॉकर किराये में कमी, कुछ सीमा तक ड्राफ्ट, बैंकर्स चेक या धन का प्रेषण या चेकों का संग्रह, डिमेट खाते में छूट, बीमा जैसी सुविधायें प्रदान करते है। ऐसे लोगों के लिए और भी आकर्षक आफरों के साथ व्यक्तिगत सेवा प्रदान करने के लिए रिलेशनशिप मैनेजर भी नियुक्त कर रखे है।
 एसएमएस अलर्ट से अपडेट 
 यदि आपने अपने खाते को एसएमएस अलर्ट से जोडऩे के लिए बैंक में आवेदन कर रखा है तो आपके खाते में होने वाले किसी भी लेनदेन का मैसेज आपके मोबाइल पर आ जाता है। कुछ बैंक खाता खुलने के समय ही यह सुविधा स्वत: ग्राहकों को प्रदान कर देते है और कई बैंकों में आवेदन पत्र देकर या इंटरनेट बैंकिंग के जरिये यह सुविधा लेनी पड़ती है।
 मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा 
 कुछ बैंकों ने इसकी शुरुआत कर दी है। शुरुआत में बिलों का भुगतान या खाते में राशि अंतरित करने जैसे कार्य किये जा सकते है।
 दूसरे बैंकों में पैसा भेजना आसान आरटीजीएस यानी रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट एवं एनईएफटी यानी नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर किया जा सकता है। रिजर्व बैंक द्वारा प्रायोजित यह सुविधा अधिकांश बैंकों की नेटवर्क से जुड़ी शाखाओं में उपलब्ध है। इसके लिए आपके पास उस बैंक का आईएफएससी कोड हेना चाहिए जहां आप पैसा भेज रही है। आरटीजीएस में ऑनलाइन दो लाख रुपये से अधिक का फंड ट्रांसफर होता है, जबकि एनईएफटी में कोई सीमा निर्धारित नहीं है। ड्राफ्ट की तुलना में इसके जरिये पैसा भेजना काफी किफायती है और तत्काल पैसा ट्रांसफर होने से इसका उपयोग दूसरी ओर किया जा सकता है।