Saturday, September 5, 2015

पासवर्ड बदलने के आसान टिप्स


इन दिनों अधिकतर लोग जीमेल अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। कभी-कभी कुछ कारणों से हम अकाउंट में लॉगइन नहीं कर पाते। उस वक्त ठीक यही रहता है कि तुरंत अपना पासवर्ड बदल लिया जाए। उसी तरह फेसबुक में भी यह समस्या आ सकती है।

जीमेल
जीमेल में आप न सिर्फ जरूरी मेल देख या भेज पाते हैं, बल्कि कई साइट्स में लॉगइन करने के लिए भी जीमेल की जरूरत पड़ती है। इसलिए जीमेल का सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है।


जीमेल अकाउंट का पासवर्ड ऐसे बदलें-
जीमेल अकाउंट में प्रवेश करने के बाद आपको  Need Help दिखेगा, उस पर क्लिक करना होगा। आप इसे Sign in के नीचे ढूंढ़ सकते हैं। उसके बाद I don’t know my password क्लिक करें। अब आपको यहां जीमेल आईडी डालनी होगी।

अगर आप अपना पुराना पासवर्ड भूल गए हैं तो I don’t know पर क्लिक करें। इसके बाद अन्य ईमेल आईडी पर गूगल रीसेट लिंक भेजा जाएगा।

एड्रेस को एक्सेस न कर पाने की स्थिति में आपको अपनी पहचान की जांच करवानी होगी।

पासवर्ड चेंज  स्टेप्स—  Verify Your Identity पर क्लिक करें और गूगल द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दें। अगर आप सभी सवालों का सही जवाब दे देते हैं तो आप अपना पासवर्ड री सेट करने में सफल होंगे।

क्या है नेट न्यूट्रलिटी
जब कोई व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डेटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वह नेट सर्फ करे या स्काइप या फिर वाइबर पर वॉयस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से शुल्क लगता है।

शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने इस दौरान कितना डेटा इस्तेमाल किया है। यही नेट न्यूट्रलिटी कहलाती है।


एक उदाहरण से समझते हैं- 
आप बिजली का इस्तेमाल एसी से लेकर घर के बल्ब, टय़ूबलाइट, टीवी आदि में करते हैं।
कंपनी यह नहीं कहती कि अगर आप टीवी चलाएंगे तो बिजली के रेट अलग होंगे और फ्रिज चलाएंगे तो अलग।
अगर नेट न्यूट्रलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डेटा के मामले में ऐसा हो सकता है। यानी आप सर्फिंग में 100 एमबी डेटा इस्तेमाल करते हैं तो शुल्क अलग देना होगा।
वही डेटा आपने वॉयस या वीडियो कॉल में खर्च किया तो उसके अलग चार्ज चुकाने होंगे, जो स्वाभाविक रूप से ज्यादा होंगे।

फेसबुक का पासवर्ड बदलने के लिए Settings के विकल्प पर जाएं। इसके बाद Password के सामने लिखे Edit पर क्लिक करें।
अगर आप फेसबुक का पासवर्ड भूल गए हैं तो इन स्टेप्स को फॉलो करें-

फेसबुक पेज पर आप Forgotten your password? का विकल्प देखेंगे, उस पर क्लिक करें।
आप यहां ईमेल, पूरा नाम, फोन नम्बर भर कर Search पर क्लिक करें।
इसके बाद फेसबुक आपको तीन विकल्प देगा—
Use your google account to sign in
Send a link via email
Send link to your phone
इनमें से अपनी सुविधानुसार एक विकल्प पर क्लिक करके Continue पर क्लिक करें। इसके बाद फेसबुक आपको एक लिंक भेजेगा, जिस पर क्लिक करके आप अपना फेसबुक पासवर्ड बदल पाएंगे।

एजुकेशन लोन: सच होंगे सपने


अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होने के बाद कभी-कभी उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले छात्रों के सामने पढ़ाई का खर्च सबसे बड़ी रुकावट बन जाता है। ऐसे में एजुकेशन लोन एक बड़ा सहारा होता है।

अब कुछ ही दिन बाद कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पर संस्थानों की महंगी फीस को लेकर कई छात्र चिंतित होंगे। अगर आप भी कॉलेज की फीस को लेकर परेशान हैं तो चिंता छोड़िए, क्योंकि बैंकों द्वारा दिए जाने वाला एजुकेशन लोन आपकी इस चिंता का बेहतर समाधान है।

कोर्स और लोन
सामान्य बैचलर व मास्टर डिग्री कोर्सेज से लेकर इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, लॉ, फैशन टेक्नोलॉजी समेत तमाम तरह के टेक्निकल, प्रोफेशनल व ट्रेडिशनल मान्य कोर्सेज के लिए आसानी से बैंक लोन मिल जाता है। दरअसल बैंकों ने देश में और विदेशों में पढ़ाई के लिए लोन देने के लिए कुछ मापदंड तय हैं, जिनके अंतर्गत आने वाले कोर्सेज में ही लोन मिल पाता है।


लोन लेने की योग्यता
अधिकांश बैंकों द्वारा बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन दिया जाता है। एजुकेशन लोन के लिए देश में भारतीय नागरिक होने के साथ-साथ यह जरूरी है कि छात्र का एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, मेरिट या फिर कट ऑफ मार्क्स के आधार पर देश या विदेश के किसी मान्यताप्राप्त संस्थान के टेक्निकल, प्रोफेशनल या किसी अन्य मान्यताप्राप्त कोर्स में हुआ हो। कट ऑफ मार्क्स के आधार पर एडमिशन होने की स्थिति में क्वालिफाइंग एग्जाम में सामान्य छात्रों के न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक और एससी, एसटी छात्रों के न्यूनतम 50 फीसदी अंक होने जरूरी हैं।

लोन की राशि
अधिकांश बैंकों द्वारा देश में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है। कुछ बैंकों द्वारा आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में नामांकन होने की स्थिति में इससे ज्यादा का लोन भी मिल सकता है। देश में बिना किसी मार्जिन के चार लाख रुपए तक का लोन आसानी से मिल जाता है, जबकि चार लाख से ज्यादा लोन 5 प्रतिशत मार्जिन पर दिया जाता है। विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपए तक का लोन मिलता है। विदेशों में पढ़ाई के लिए लोन लेने पर चार लाख से ज्यादा की राशि होने पर 15 प्रतिशत मार्जिन पर लोन दिया जाता है। मतलब कि लोन के लिए सेंक्शन हुई राशि में से 5 प्रतिशत या 15 प्रतिशत जो भी मार्जिन हो, उसे बैंक अपने पास बतौर सिक्योरिटी रख कर बची हुई राशि छात्रों को देते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 30 लाख रुपए तक का एजुकेशन लोन देता है।

ब्याज दरें
सामान्य तौर पर अधिकांश बैंक 11 से 15 प्रतिशत सालाना दर से बैंक लोन देते हैं। प्राइवेट बैंकों में यह दर कुछ अधिक हो सकती है। अधिकांश बैंक लड़कियों को एजुकेशनल लोन में 0.5 प्रतिशत की छूट भी देते हैं।

इनके लिए भी लोन
एजुकेशन लोन के तहत कॉलेज फीस के साथ-साथ हॉस्टल फीस, एग्जाम फीस, लाइब्रेरी फीस, लेबोरेट्री फीस, बुक, इक्विपमेंट्स, इंस्ट्रूमेंट्स, यूनिफॉर्म, कॉशन डिपॉजिट, बिल्डिंग फंड, रिफंडेबल डिपॉजिट, ट्रेवल एक्सपेंस, पैसेज मनी आदि के लिए भी लोन मिल जाता है। यदि कोर्स के लिए अनिवार्य व अति आवश्यक हो तो कम कीमत पर मिलने वाले कंप्यूटर खरीदने के लिए भी राशि मिल सकती है। इसके अलावा स्टडी टूर, प्रोजेक्ट वर्क, थीसिस जैसे अन्य जरूरी कार्यों के लिए भी राशि मिल सकती है।
 

क्या लोन के लिए गारंटर चाहिए? 
सामान्य तौर पर चार लाख रुपए तक का लोन लेने पर किसी गारंटी की जरूरत नहीं होती, सिर्फ पेरेंट्स या गार्जियन के सिग्नेचर और उनकी आर्थिक स्थिति को देख कर ही लोन सेंक्शन हो जाता है। चार लाख से साढ़े सात लाख का लोन लेने पर किसी सक्षम रिश्तेदार या जानकार व्यक्ति का गारंटर बनना जरूरी है, वहीं साढ़े सात लाख से ज्यादा का एजुकेशन लोन होने पर कोलेटरल सिक्योरिटी अर्थात जितनी राशि लोन ली जा रही है, उतनी राशि के प्रॉपर्टी के कागजात या ज्वेलरी आदि बहुमूल्य वस्तुएं बैंक के पास जमा करानी होंगी।

जरूरी दस्तावेज
लोन लेने के वक्त कुछ जरूरी दस्तावेज होने जरूरी है। बैंक द्वारा निर्धारित फॉर्मेट के एजुकेशन लोन फॉर्म को भर कर उसके साथ पासपोर्ट साइज फोटो, एड्रेस प्रूफ, एज सर्टिफिकेट, क्वालिफाइंग एग्जाम की मार्क्सशीट, जिस संस्थान में नामांकन लिया है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, कॉलेज प्रॉस्पेक्टस, जिसमें एडमिशन फी, कॉलेज फी, एग्जाम फी, हॉस्टल फी जैसे सभी तरह के शुल्कों का स्पष्ट विवरण हो, देने पड़ते हैं। इसके अलावा पेरेंट्स या गार्जियन की संपत्ति व देनदारी का विवरण भी हो।

यदि लोन कोलेटरल सिक्योरिटी पर लिया जा रहा हो तो संबंधित प्रॉपर्टी के कागजात और उसका वैल्यूएशन सर्टिफिकेट भी जरूरी है। विदेशों में नामांकन के लिए लोन की स्थिति में पासपोर्ट और वीजा की फोटोकॉपी की जरूरत पड़ती है।

लोन लेने से पहले ध्यान दें
पूरी जानकारी जुटाएं: अगर आप एजुकेशन लोन लेने की सोच रहे हैं तो लोन लेने से पहले लोन से संबंधित सभी तरह की अहम जानकारियों के बारे में जरूर पता कर लें, ताकि भविष्य में जब लोन चुकाना हो तो किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

ब्याज दरों की तुलना करें: सभी बैंकों की ब्याज दरों को देख लें और जांच लें, क्योंकि सभी बैंकों में एक समान ब्याज दरें नहीं होतीं। अगर आप ब्याज दरों की तुलना कर लेंगे तो कम ब्याज दर पर आपको लोन मिल सकता है। इसके लिए बैंकों की वेबसाइट पर जाकर उनके इंटरस्ट रेट को पता कर सकते हैं। कुछ वेबसाइट ऐसी भी हैं, जहां पर बैंक लोन की तुलना की जा सकती है।

कितने समय में लोन मिलेगा: बैंकों में यह पता कर लें कि कितने समय में लोन सेंक्शन हो पाएगा, क्योंकि कई बार बैंकों द्वारा लोन सेंक्शन करने में काफी समय लगा दिया जाता है। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि जब तक आपको लोन मिले, तब तक काफी देर हो गई हो और कॉलेज में आपका प्रवेश ही मुश्किल हो जाए।

रिपेमेंट टाइम: सभी बैंकों का रिपेमेंट टाइम अर्थात लोन लौटाने का समय अलग-अलग होता है। ऐसे में रिपेमेंट टाइम की पहले से जानकारी होगी तो डिग्री पूरी होने के बाद लोन की राशि लौटना आपके लिए आसान रहेगा।

अन्य शुल्क: बैंकों के बेस रेट और एजुकेशनल लोन इंटरस्ट रेट में फर्क होता है, ऐसे में आप इस फर्क को समझें। साथ ही यह भी पता कर लें कि इंटरस्ट रेट फिक्स्ड है या नहीं और इंटरस्ट रेट के अलावा सर्विस टैक्स या किसी अन्य तरह का कोई और चार्ज तो नहीं है।

छूट भी मिल सकती है
कोर्स के दौरान ब्याज दर का भुगतान कर छूट पा सकते हैं।
यदि कोई छात्र लोन लेने के तुरंत बाद से केवल ब्याज दर की राशि का भुगतान कर दे तो उसे लोन पर एक प्रतिशत तक की छूट मिल सकती है।

अल्पसंख्यक छात्रों को लोन में सब्सिडी की सुविधा
केन्द्र सरकार की पढ़ों परदेश योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसका फायदा मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के छात्रों को मिलेगा।

वापसी का विकल्प
सामान्यत: बैंक 7.5 लाख रुपए तक के लोन को चुकाने के लिए दस साल तक का समय देते हैं, वहीं 7.5 से ज्यादा राशि के लोन को चुकाने के लिए 15 वर्ष तक का समय दिया जाता है। इसके साथ ही यह शर्त है कि डिग्री पूरी होने के बाद एक साल के भीतर या जॉब लगने के छह माह के अंदर (दोनों में से जो भी पहले हो) बैंकों को लोन की ईएमआई का भुगतान करना जरूरी है।

भारत में संस्थानों पर लोन
यूजीसी/ एआईसीटीई /एआईबीएमएस/आईसीएमआर/सरकार आदि से मान्यता प्राप्त और यूनिवर्सिटी/ कॉलेज/ संस्थान में बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री और पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए।
आईसीडब्लूए, सीए, सीएफए जैसे कोर्स
आईआईएम, आईआईटी,आईआईएससी, निफ्ट, एनआईडी, एक्सएलआरआई द्वारा संचालित कोर्स।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन/शिपिंग आदि से मान्यताप्राप्त एयरोनॉटिकल, पायलट ट्रेनिंग, शिपिंग आदि जैसे रेगुलर डिग्री और डिप्लोमा कोर्स।
प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटीज द्वारा मान्यताप्राप्त और भारत में संचालित कोर्स
मान्यताप्राप्त पार्ट टाइम जॉब ओरिएंटेड कोर्स (ईवनिंग कोर्स आदि)
मान्यताप्राप्त टीचर्स ट्रेनिंग / बी.एड, नर्सिंग कोर्स के लिए

विदेश में इन कोर्स के लिए
प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के जॉब ओरिएंटेड टेक्निकल और प्रोफेशनल बैचलर डिग्री

कोर्सेज
एमसीए, एमबीए, एमएस जैसे मान्यताप्राप्त पोस्टग्रेजुएट डिग्री कोर्स।
सीआईएमए-लंदन, सीपीए-यूएसए आदि द्वारा संचालित पाठय़क्रम।
एयरोनॉटिकल, पायलेट ट्रेनिंग, शिपिंग जैसे डिग्री या डिप्लोमा कोर्स, जो भारत और विदेश में मान्यताप्राप्त हों।

एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंगः तकनीक की ऊंची उड़ान


एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंग एविएशन सेक्टर से संबंधित एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसे मेन्टेनेन्स ब्रांच में शामिल किया गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें प्रोफेशनल्स को पद व पैसा दोनों मिल रहा है। इसमें कमर्शियल एवं मिलिट्री एयरक्राफ्ट, स्पेस क्राफ्ट, सेटेलाइट एवं मिसाइल आदि की डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग, ऑपरेशन एवं मेन्टेनेन्स आदि के बारे में विशेषज्ञता हासिल की जाती है। एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियर का सीधा संबंध एविएशन डिवीजन से होता है। एयरक्राफ्ट के सफलतापूर्वक टेक ऑफ की जिम्मेदारी भी इन्हीं के जिम्मे होती है। ये इंजीनियर पूरी तरह से सुरक्षा पर फोकस करते हैं, ताकि एयरक्राफ्ट को बिना किसी अवरोध के उड़ाया जा सके।

क्या कहती है इंडस्ट्री रिपोर्ट
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक घोषणा के अनुसार इस समय भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की नौवीं सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री है तथा 2020 तक इसके तीसरे सबसे बड़े एविएशन मार्केट के रूप में बनने की उम्मीद है। इसी तरह से 2030 तक पहुंचते-पहुंचते इसके पहले स्थान पर काबिज होने का अनुमान है। फिक्की-केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार एविएशन इंडस्ट्री में वर्ष 2017 तक देश में रोजगार में दोगुनी वृद्धि होगी और यह बढ़ कर 1.17 लाख के करीब पहुंच जाएगा। आने वाले समय में इसमें एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियर पदों के लिए भारी संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता पड़ेगी।

बारहवीं के बाद रखें कदम
एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंग तीन वर्षीय ट्रेनिंग कोर्स है। इसमें प्रवेश के लिए छात्रों को 10+2 की परीक्षा फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। छात्र की आयु 23 वर्ष से अधिक न हो।

सैलरी 
इसमें ज्यादातर सैलरी पैकेज एकेडमी करियर एवं काम के बारे में जानकारी पर निर्भर करता है। शुरू शुरू में इसमें प्रोफेशनल्स को करीब तीन से चार लाख रुपए सालाना का पैकेज मिलता है। अनुभव बढ़ने के साथ सैलरी भी बढ़ती जाती है। प्राइवेट सेक्टर में सैलरी अधिक मिलती है। सुविधाओं के मामले में सरकारी क्षेत्र आगे है।

फीस
इसमें फीस की राशि संस्थान पर निर्भर करती है। अमूमन तीन साल के कोर्स में कुल छह सेमेस्टर होते हैं। इनकी फीस करीब दो से ढाई लाख रुपए होती है। इसके अलावा हॉस्टल, यूनिफार्म, खाने, टूल-किट व अन्य खर्चे भी शामिल हैं। छात्र किस्तों में भी  फीस दे सकते हैं।

एजुकेशन लोन
छात्रों को देश-विदेश में अध्ययन के लिए प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। यह राशि पांच लाख से लेकर अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन लेना है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चों का ब्योरा बैंक को देना होता है। अंतिम निर्णय बैंक को करना होता है। बैंक सभी कागजात जांचता है।

एनएसआईटी: सवा करोड़ तक मिलता है पैकेज


अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक नामचीन कंपनियों में प्रमुख पदों पर छाए एनएसआईटी के छात्रों की संख्या बड़ी है। चाहे संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अव्वल स्थान पाना हो या गूगल व फेसबुक तक पहुंचने की बात हो, यहां के छात्र अपनी शानदार जगह बना ही लेते हैं। यानी उच्च गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए विषय की पढ़ाई से लेकर सामाजिक व्यवहार तक, यहां के छात्र बेहतर साबित होते रहे हैं। तभी तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यहां के छात्रों की तारीफ करते हुए उनसे दिल्ली को दुनिया का बेहतरीन शहर बनाने में सहयोग देने का आह्वान किया।

यह सफलता यहां के छात्रों की तो है ही, एनएसआईटी की भी बड़ी सफलता है, जिसने छात्रों को बेहतर माहौल देते हुए इस तरह तैयार किया। साल 1983 में यह दिल्ली विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी था। 1987 में इसे नया नाम मिला दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी डीआईटी। 1997 में इसे नया कैंपस भी मिला और नया नाम भी। इंस्टीट्यूट पश्चिमी दिल्ली के द्वारका स्थित 145 एकड़ में फैले अपने नए कैंपस में पहुंच गया और इसे नाम मिला नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी। आज यह एनएसआईटी के नाम से प्रसिद्ध है।

कोर्स और सीटें- यहां ग्रेजुएशन लेवल पर इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन इंजीनियरिंग, इंस्ट्रुमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, मेन्युफैक्चरिंग प्रोसेस एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग व बायो टेक्नोलॉजी की पढ़ाई होती है। पीजी लेवल पर सिग्नल प्रोसेसिंग, इंफॉर्मेशन सिस्टम्स और प्रोसेस कंट्रोल इंजीनियरिंग में एमटेक की पढ़ाई की व्यवस्था है। इंस्टीट्यूट में पीएचडी के लगभग दर्जन भर प्रोग्राम चलाए जाते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंस्ट्रुमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, बायो टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट, ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंसेज, मैथेमेटिक्स, फिजिक्स,मेन्युफैक्चरिंग प्रोसेस एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी व केमिस्ट्री शामिल हैं। यहां सीटों की कुल संख्या लगभग 800 और इंस्टीट्यूट में छात्रों की कुल संख्या लगभग 3000 है।

प्लेसमेंट - इंस्टीट्यूट के छात्रों का प्लेसमेंट शत प्रतिशत रहता है। यहां के छात्र 1.25 करोड़ तक का पैकेज पा चुके हैं। यहां के अधिकांश छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं और उसमें सफलत भी हासिल करते हैं।

पता- निदेशक, नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आजाद हिंद फौज मार्ग, सेक्टर 3, द्वारका, नई दिल्ली-110078
फोन - 011-25099050
इमेल आईडी- nsitadmissions@gmail.com
वेबसाइट - www.nsit.ac.in

विदेश से पीजी की पढ़ाई में मिलेगी मदद


कई ऐसी विदेशी यूनिवर्सिटी हैं, जो स्कॉलरशिप के जरिए छात्रों के लिए पीजी की राह आसान बनाती हैं। इन्हीं में से एक न्यूजीलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड भी है। यह यूनिवर्सिटी मास्टर प्रोग्राम में अध्ययन के लिए इच्छुक विदेशी छात्रों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से एडीबी-जेएसपी (एशियन डेवलपमेंट बैंक-जापान स्कॉलरशिप प्रोग्राम) प्रदान करती है। इसकी स्कॉलरशिप की शुरुआत 1988 में जापान सरकार की मदद से हुई। इस स्कॉलरशिप के अंतर्गत विकासशील देशों के छात्र इकोनॉमिक्स, मैनेजमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी एवं विकास से संबंधित क्षेत्रों में अध्ययन कर सकते हैं। इसमें आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा सकती है।

प्रोग्राम दायरे में
इस स्कॉलरशिप के तहत निम्न प्रोग्राम शामिल किए जाते हैं-
- मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ
- मास्टर ऑफ साइंस (एन्वायर्नमेंटल साइंस)
- मास्टर ऑफ आट्र्स (डेवलपमेंट स्टडीज)
- मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस
- मास्टर ऑफ कॉमर्स
- मास्टर प्रोग्राम इन इंजीनियरिंग

संबंधित योग्यता एवं उम्र-सीमा
इस स्कॉलरशिप के लिए वही छात्र योग्य हैं, जिन्होंने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री हासिल की हो तथा जिनका एकेडमिक रिकॉर्ड काफी अच्छा हो। उनके पास कोर्स की समाप्ति के पश्चात दो साल का फुलटाइम वर्क एक्सपीरियंस हो। साथ ही वे अंग्रेजी में पूरी दक्षता के साथ लिख और बोल लेते हों। इसके अलावा उनकी उम्र 35 वर्ष से अधिक न हो और वे पूरी तरह स्वस्थ हों।

अवधि एवं राशि
यह स्कॉलरशिप एक से दो वर्ष के लिए दी जाती है। इसके लिए करीब 10 देशों से 300 से ज्यादा उम्मीदवार चुने जाते हैं। इसमें  ट्यूशन फीस, किताब व स्टडी मैटीरियल का खर्च, मकान का किराया, मेडिकल इंश्योरेंस और ट्रैवल खर्च आदि शामिल है।



जरूरी कागजात 
स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करते समय उम्मीदवार को कई जरूरी कागजात लगाने आवश्यक हैं। उन्हें एडीबी-जेएसपी इंफॉर्मेशन शीट, पासपोर्ट और बर्थ सर्टिफिकेट की प्रमाणित कॉपी, शैक्षिक योग्यता से संबंधित प्रमाणपत्र, आईईएलटीएस/टॉफेल रिजल्ट की कॉपी, पासपोर्ट साइज फोटो जमा करने होते हैं।

संपर्क पता
दि यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड, प्राइवेट बैग नं.- 92019
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
वेबसाइट- www.adb.org, www.auckland.ac.nz