Friday, March 15, 2013

Skype Office in California


Skype has somewhere around 250 employees in the Palo Alto area and neede to renovate their current space to be something more work-friendly and enjoyable. To do this, they hired Blitz, who has this to say about the project:  “Skype’s primary goal was to create a world-class office that would differentiate them from their Bay Area competitors in the recruitment of talent. The project entailed a tenant improvement of 54,000 square feet of existing office space to support 250 employees involved in high technology development.


The space reflects Skype’s spirit of innovation in a highly functional yet creative workplace designed to encourage interaction and spontaneity, as well as meet specific acoustic requirements in support of their extensive use of AV. The project is registered for and seeking LEED Silver certification.” 19 more images after the break...
















Museum Of Science in Miami


The ongoing effort to turn a large swath of downtown Miami’s bayfront into a center of science, art and learning has taken another important step. Knight Foundation announced a $10 million challenge grant to the Patricia and Phillip Frost Museum of Science. To be paid, the funds must be matched by an additional $20 million in funding. The pledge comes as the science museum, currently located in Coconut Grove, is poised to break ground next month on its new home in downtown’s Museum Park along Biscayne Bay. The Frost will rise alongside the under-construction Jorge M. Perez Art Museum and sit a block from the Adrienne Arsht Center for the Performing Arts, two institutions that each received $10 million in Knight support.


The two museums and performance center - coupled with the sprawling public park, Museum Park - are set to become a vital, central destination on Miami’s cultural map. So too, the three institutions and public park will serve as a primary anchor in the ongoing revitalization of Miami’s urban core.  It represents a big turn for an area that has long languished.  I remember a decade ago, when I was in Miami for the first time, staying at a downtown hotel, and went for a morning jog through the city. I stumbled upon the 30-acre parcel on the bay; ratty and disheveled – and largely unused. But this $10 million challenge grant seeks to do much more than aide in reviving a barren stretch. It seeks to be a trigger for increased learning and public engagement with the sciences.  With the foundation's support, a new, high-tech learning center – to be called the Knight Learning Center – will be built to include classrooms and laboratories. It will be used for schools, professional development and workshops. 07 more images after the break...

The funds will support a newly-named position, the Knight Director of Education, that will oversee education and programming activities. The grant will also require outreach by the Frost Museum to school children across the metropolitan area. The grant requires that all students in Greater Miami be able to attend the museum at least once during elementary school and once during middle school. Groundbreaking of the new facility is set for Feb. 24, with it slated to open in early 2015.








कहीं बिगड़ न जाए आंखों की सेहत



गर्मियों का मौसम आ गया। इस मौसम में अनेक बीमारियां तो परेशान करती ही हैं, आंखों की सेहत के लिए भी यह मौसम अच्छा नहीं होता। खासकर युवाओं की आंखों को अपनी गिरफ्त में लेने वाले इस मौसम में कंजक्टिवाइटिस व कुछ अन्य बीमारियां आम हो जाती हैं। 
सर्दी के बाद अब मौसम ने फिर करवट ली है। दिन की तेज धूप गर्मी का एहसास करा रही है। मौसम का सीधा असर सेहत पर भी दिख रहा है। संक्रामक बुखार के साथ ही इस समय आंखों को तकलीफ पहुंचाने वाले कई तरह के वायरस भी सक्रिय हो गए हैं। आद्रता में ही कंजक्टिवाइटिस की समस्या होती है, जिसका असर सबसे अधिक कामकाजी युवाओं पर पड़ता है। घर से बाहर निकलने वाले लोगों को एहतियात के तौर पर इससे बचने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो अन्य वायरस की तरह ही आंखों को बीमार करने वाले वायरस का स्टेन भी हर साल बदल जाता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बगैर किसी ड्रॉप के इस्तेमाल से नुकसान हो सकता है।
आंखों की चुभन को न करें नजरअंदाज
आंखों में खुजली या फिर चुभन का सीधे रूप से डॉक्टरी पहलू यह होता है कि आंखें  सूख जाती हैं, जिससे उनकी ल्यूब्रिकेट करने की क्षमता प्रभावित होती है। लेकिन यह समस्या पिंक आई स्टेन के कारक एडिनो 8 वायरस की वजह से भी हो सकती है, जिसमें केवल आंखों की प्यूटिरायड ग्रंन्थि ही नहीं, बल्कि ग्लूकोमा भी प्रभावित होता है। फोर्टिस हेल्थ केयर के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय धवन 28 वर्षीय एक युवक की केस हिस्ट्री बताते हैं कि इस युवक  को दो सप्ताह से आंखों में चुभन और पलकों में हल्की सूजन की शिकायत थी। शुरुआत में घरेलू इलाज के रूप में युवक ने गुलाब जल और ठंडे पानी से आंखें धोईं, पर इस दौरान संक्रमण का असर और बढ़ गया। आंखों के इलाज में लापरवाही की वजह से युवक को अब सामान्य काम करने में भी आंखें खोलने में दिक्कत होती है।
एडिनो वायरस 8 कर सकता है प्रभावित 
कंजक्टिवाइटिस संक्रमण फैलाने में वैसे तो 50 प्रमुख तरह के वायरस को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन इसका स्टेन हर साल बदलता है। इस साल इन महीनों में आंखों के संक्रमण के शिकार अधिकांश मरीजों में एडिनो वायरस 8 की पहचान हुई है, जिसे पिंक आई सिंड्रोम भी कहते हैं। डॉ. सुभाष डाडिया कहते हैं कि पिंक आई सिंड्रोम का असर पहले आंखों की दृश्यता पर पड़ता है, इसके बाद कॉर्निया में हल्का सफेद चकत्ता पड़ता है। आंखों में हल्का दर्द भी इसकी प्रमुख पहचान है। हालांकि लक्षण को शुरू में पहचानने पर इसे ठीक किया जा सकता है। एहतियात के लिए जरूरी है कि आंखों पर बार-बार हाथ न लगाएं। कई बार इलाज करने पर भी आंखें ठीक न होने की वजह सिर्फ यह देखी जाती है कि मरीज बार-बार आंखों को हाथ लगा कर वायरस के संक्रमण को कम नहीं होने देता। यह भी सही है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, इसलिए इस्तेमाल की गई चीजों को अलग रखना चाहिए।  
एस्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचें
आंखों को सही करने वाले अधिकांश आई ड्राप स्टेरॉयड हार्मोन युक्त होते हैं। अगर आप डॉक्टर से भी सलाह ले रहे हैं तो यह निश्चित कर लें कि आपको दी गई दवा स्टेरॉयड तो नहीं है। दरअसल स्टेरॉयड के इस्तेमाल से ही आंखों की पुतलियों और पलकों में सूजन होती है। यदि कंजक्टिवाइटिस को शुरुआती दिनों में पहचान लिया जाए तो दो से तीन दिन के इलाज से इसे ठीक किया जा सकता है। इसमें दवाओं से अधिक साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है।
बच सकते हैं संक्रमण से
अन्य किसी भी संक्रमण की तरह आंखों का संक्रमण भी एक मरीज से दूसरे मरीज तक पहुंचता है, लेकिन इसके संक्रमण से बचा जा सकता है। युवाओं को सार्वजनिक जगहों पर जाने से पहले एहतियात बरतनी चाहिए। एम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजपाल कहते हैं कि जिसकी आंखों में संक्रमण की शुरुआत हुई है, उसे तीन से चार दिन तक सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
रखें आंखों का ख्याल 
स्वस्थ्य रहने के अन्य सभी पैमानों में आंखों को भी शामिल किया जाता है। आंखों की सही दृश्यता के साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं आंखें थकान की शिकार तो नहीं हो रहीं। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने के साथ-साथ आजकल दोपहर की तेज धूप में मौजूद अल्ट्रावॉयलेट किरणें भी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आंखों की दृश्यता सही होने पर भी दोपहर में घर से बाहर निकलते समय अच्छी गुणवत्ता के यूवी संरक्षित चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए। डॉ. राजपाल कहते हैं कि जागरुकता के बाद भी लोग आंखों के चश्मे के लिए गुणवत्ता से समझौता करते हैं, जिससे बाद में आंखों की दृश्यता भी प्रभावित हो सकती है।
कंजक्टिवाइटिस
कंजक्टिवाइटिस गर्मियों में होने वाली आंखों की आम समस्या है। इसमें आंखों में लाली, चुभन और आंखों से पानी आने जैसी समस्या हो सकती है। इसका तत्काल इलाज किया जाना चाहिए। इससे दूसरे व्यक्ति में इस संक्रमण के प्रसार को रोकने और आंखों की स्थिति खराब होने से सुरक्षा मिलती है। अपनी आंखों को साफ पानी से धोकर उनकी स्वच्छता को बनाए रखें। दूसरे के रुमाल या तौलिये का इस्तेमाल न करें और कंजक्टिवाइटिस होने पर पहले दो दिन लोगों के संपर्क में कम रहें, क्योंकि शुरुआती दो दिनों में यह रोग आसानी से फैलता है।
स्टाई : आंखों की पलकों में जीवाणु संक्रमण होने पर सूजन, लाली और दर्द होता है। अगर आपकी आंखों में स्टाई हो तो आंखों की गर्म सिकाई, दर्दनिवारक दवाइयां और एंटीबायटिक के साथ आंखों की स्वच्छता का भी ध्यान रखें।
ड्राई आई : गर्मियों में तापमान बढ़ने और आंसू के वाष्पीकृत होने के कारण ड्राई आइज सिंड्रोम की समस्या आम है। आंखों को धोते रहें और चिकनाई बनाये रखने वाले आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।

काम आएंगे ये उपाय



- आंखों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। आंखों को ठंडे पानी से बार-बार धोएं। 
- किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
- ऑफिस में बहुत से लोग एक ही कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हों तो की-बोर्ड और माउस को संक्रमण रहित करके ही काम करें। 
- इस रोग के मरीज आंखों पर बार-बार हाथ न लगाएं। अगर संक्रमित आंख को छुएं तो हाथ को अच्छी तरह साफ कर लें। 
- गंदगी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। 
- सप्ताह में एक बार आंखों का व्यायाम भी जरूरी है।
- चश्मा लगाते हैं तो बेहतर किस्म के लैंस का उपयोग करें।
- दोपहर की तेज धूप से आंखों को बचाने के लिए यूवी संरक्षित चश्मा पहनें।
- आंखों का ब्लडप्रेशर सामान्य रहे, इसके लिए जरूरी है कि तनाव मुक्त रहें। 
- सप्ताह में एक दिन आंखों पर खीरा लगाएं, इससे ठंडक मिलेगी।
- गुलाब जल या फिर घटिया किस्म के काजल का इस्तेमाल करने से बचें।
- आंखें के दोनों कोनों को नियमित रूप से साफ कपड़े से साफ करें। इससे कोनों पर स्थित छिद्र खुले रहेंगे और आंखों की ल्यूब्रिकेटिंग कम नहीं होगी।
- यदि आप तैराकी कर रहे हों तो क्लोरीन से होने वाली एलर्जी और स्विमिंग पूल कंजक्टिवाइटिस से बचने के लिए चश्मा पहनें।
- आपको धूप में जाना हो तो काला चश्मा पहन लें।
- जब आप काले चश्मे का चुनाव कर रहे हों तो यह सुनिश्चित कर लें कि वह आंखों को पराबैंगनी किरणों से शत-प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करे। निम्न गुणवत्ता वाले चश्मे पहनने से पुतली फैल सकती है, जिससे आंखों में अधिक मात्रा में हानिकारक पराबैंगनी किरणें प्रवेश कर उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं।- छह से आठ घंटे की आरामदायक नींद आपकी आंखों को प्राकृतिक तरीके से तरोताजा रखने में मदद करती है।

बच्चे की नाजुक आंखें सदा रहेंगी सलामत


यह बाल सुरक्षा माह है। बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए बहुत सारी सावधानियां जरूरी होती हैं। इनमें बच्चों की आंखों का ख्याल रखना भी जरूरी है। 
मोतियाबिंद
वैसे तो यह पचास पार कर रहे लोगों की बीमारी मानी जाती है, पर कई बच्चों को जन्म से या जन्म के बाद मोतियाबिंद हो जाता है। एक बच्ची किताब बहुत पास से पढ़ती थी और टीवी भी बिल्कुल पास जाकर देखती थी। अभिभावकों ने इस पर खास ध्यान नहीं दिया। स्कूल गई तो टीचर ने बताया कि ब्लैकबोर्ड पर जो होमवर्क लिखा जाता है, उसे वह अक्सर गलत नोट करती है। तब मां-बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए और जांच में पता चला कि उसे मोतियाबिंद है। पांच साल की उम्र में उसकी दोनों आंखों का एक साथ ऑपरेशन किया गया और उनमें लेंस लगा दिया गया। उसके बाद चश्मे का नंबर मिला। तो आपकी जरा-सी अनदेखी बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है।
एलर्जी
बच्चों में आंखों की एलर्जी होना आम बात है। यह एलर्जी किसी बाहरी रसायन की वजह से हो जाती है। इसमें आंखें लाल हो जाती हैं और उनसे पानी बहने लगता है। कई बार खुजली होती है, बुखार भी आता है और सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। साथ ही आंखें सूज भी सकती हैं। इसे कंजक्टिवाइटिस भी कहते हैं।
मायोपिया
मायोपिया(पास का न दिखना), स्क्विंट (भेंगापन) और एम्लीओपिया (एक आंख से कम दिखना) जैसे डिसऑर्डर बच्चों में अब आम हो रहे हैं। आंखों की कोई भी समस्या हो, वह बच्चे के दिमाग और उसके विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
खास देखभाल है जरूरी
- बच्चे को स्कूल भेजने से पहले उसकी आंखों की पूरी जांच करा लें। नजर कमजोर है तो चश्मा पहनाएं, अन्यथा आंखें और कमजोर हो जाती हैं। 
- बच्चों को नुकीली चीजों अथवा खिलौनों से दूर रखें।
- लंबे समय तक उन्हें कम्प्यूटर या टीवी स्क्रीन पर न देखने दें।
- धूल, मिट्टी और तेज धूप में न खेलने दें।
- बच्चों को झुक कर न पढ़ने दें, हमेशा टेबल-कुर्सी का इस्तेमाल करवाएं।
- हमारी आंखों का फोकसिंग पावर सीमित होती है। बच्चों को आधे घंटे के बाद पांच मिनट का ब्रेक लेने दें।
- सिर व आंखों में दर्द व अधिक पलक झपकाने के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
हमेशा रहेंगे ऊर्जा से भरपूर
- बच्चों को फास्ट फूड और फैट फूड की बजाए घर का बना खाना खिलाएं।
- अंकुरित अनाज खिलाएं, शरीर इनको आसानी से ग्रहण कर लेता है।
- उनके भोजन में फलों और सब्जियों को शामिल करें। भोजन में एक-तिहाई फल और सब्जियां तथा दो तिहाई अनाज होना चाहिए।
- पानी की कमी न होने दें। उन्हें पानी, दूध और ताजे फलों का रस पिलाएं।
- उन्हें अंडे, मांस, चिकन, मछली भी खिलाएं। यह आयरन, जिंक और प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत होते हैं।
- ऐसा भोजन खिलाएं, जिसमें प्रोटीन और फायबर की पर्याप्त मात्रा हो।


फ्री में बनाएं वेबसाइट


दोस्तों, पर्सनल वेबसाइट या मोबाइल वेबसाइट बनाने में काफी खर्च होता है। डोमेन खरीदने और होस्टिंग में ही हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और इसके बाद डाटा मेंटिनेंस का झंझट अलग होता है। तो क्यों न फ्री का जुगाड़ किया जाए, ताकि डोमेन और होस्टिंग जैसे बड़े खर्चो से बचा जा सके। इसके लिए आपको कोडिंग जानने की भी कोई जरूरत नहीं है। आप चाहें तो अपनी मोबाइल साइट भी क्रिएट कर अपने फ्रेंड्स पर रोब जमा सकते हैं। आइए जानें कि कैसे बनाएं फ्री में पर्सनल वेबसाइट..

फटाफट होमपेज
about.me
अबाउट.मी में साइन-अप के लिए लंबे-चौड़े फॉर्म को भरने की जरूरत नहीं है। यहां केवल दो मिनट में साइन-अप किया जा सकता है। यहां पर आप पर्सनल होमपेज बना सकते हैं। इसकी खासियत है कि इसके लिए आपको अलग से सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन फ्रेंडली यूआरएल या कोडिंग करने की जरूरत नहीं है। साइट पर फटाफट होम पेज बनाकर अपनी छोटी-सी बायोग्राफी और फेसबुक, ट्विटर के लिंक पेस्ट कर सकते हैं। आप चाहें तो पेज के बैकग्राउंड भी बदल सकते हैं या फिर खुद की बनाई बैकग्राउंड इमेज भी अपलोड कर सकते हैं। अबाउट.मी में फॉन्ट सलेक्शन और कलर सलेक्शन का भी ऑप्शन है। इसमें आप अपने पेज के स्टेटिटिक्स ट्रैक करने के साथ पेज एक्टिविटी का लॉग भी देख सकते हैं। पेज पब्लिश करने के बाद यूजर विजिटर आपको सीधे ईमेल या कमेंट भी लिख सकते हैं।
dooid.me
यहां पर आप चुटकियों में वेबसाइट बना सकते हैं। इसकी खासियत है कि इसमें आप अपने नाम से डोमेन बना सकते हैं। इसके अलावा आपकी वेबसाइट टेबलेट और मोबाइल के लिए ऑटो ऑप्टिमाइज हो जाएगी। वेबसाइट बनाते वक्त इसमें लाइव प्रीव्यू का भी ऑप्शन है। इसके फ्री अकाउंट में 10 सर्विसेज या लिंक्स को कनेक्ट कर सकते हैं। आपकी साइट पर आने वाले विजिटर्स आपकी कॉन्टैक्ट डिटेल्स के साथ वचरुअल बिजनेस कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा लाइफस्ट्रीम में आपके सोशल नेटवर्क अपडेट्स भी दिख सकते हैं।
flavurs.me
एकदम कलरफुल और अपने वेब प्रेजेंस दिखाने के लिए बेस्ट प्लेस। यहां आप फटाफट साइन-अप कर सकते हैं। यहां कुछ एडिशनल फीचर हैं, जैसे आप होमपेज का लेआउट बदल सकते हैं, कंटेंट ऑर्गेनाइज कर सकते हैं, साथ ही अपने कंटेंट में विजुअल इफेक्ट्स भी दे सकते हैं। इसके फ्री अकाउंट ऑप्शन में 5 सोशल नेटवर्क सर्विसेज कनेक्ट कर सकते हैं। इसके प्रीमियम अकाउंट में मल्टीपल डिजाइंस, अनलिमिटेड सर्विसेज, मोबाइल ऑप्टिमाइज्ड वेबपेज और विजिटर कॉन्टैक्ट फॉर्म भी बना सकते हैं।
follr.me
यह बाकी सभी वेबसाइट्स से थोड़ी अलग है। यहां आप अपना वचरुअल विजिटिंग कार्ड बना सकते हैं, जिसमें आपके सोशल नेटवर्क की डिटेल्स, स्किल्स, वर्क एक्सपीरियंस और कॉन्टैक्ट डिटेल्स का भी ऑप्शन होता है। इसमें सोशल नेटवर्क से ऑटोमैटिक अपडेशन की सुविधा है। इसके अलावा इसका अपना मिनी सोशल नेटवर्क भी है, जिससे आप लोगों को कनेक्ट कर सकते हैं।

फुल वेब होस्टिंग
weebly.com
यहां पर वेब अकाउंट बनाने से पहले आपको अपनी जरूरत बतानी होती है कि फोरम, ब्लॉग या पोर्टफोलियो में से क्या बनाना चाहते हैं? वीबली पर आप सब डोमेन बना सकते हैं या नया डोमेन खरीद सकते हैं। वेबसाइट बनाने के लिए यहां कई टूल्स हैं। पहले आपको थीम सलेक्ट करनी होती है, जिसके बाद मल्टीमीडिया कंटेंट बना सकते हैं। यहां ड्रैग-ऐंड-ड्रॉप का ऑप्शन है। एडवांस यूजर यहां पैसे भी कमा सकते हैं। इसके लिए साइट में एड स्लॉट बनाना होता है। इसके अलावा, यूजर दूसरे लोगों को भी साइट का एडमिन एक्सेस दे सकते हैं।
yola.com
यहां यूजर ग्राफिकल इंटरफेस वाली वेबसाइट बना सकते हैं। वेब कैटेगरी सलेक्ट करने के बाद आपकी च्वॉइस और पसंद के मुताबिक स्टार्टर वेबसाइट क्रिएट हो जाती है, जिसके बाद यूजर अपने मुताबिक थीम, बैकग्राउंड, लेआउट्स और विजेट्स बदल सकता है। यहां पर सब-डोमेन क्रिएट करने का ऑप्शन है और यूजर एडमिन पैनल के जरिये विजिटर्स को भी ट्रैक कर सकते हैं।
wix.com
डिजाइन के हिसाब से विक्स काफी रिच साइट है। यहां अलग-अलग वेबसाइट के मुताबिक कई फ्री टेंपलेट्स दिए गए हैं, जिन्हें अपनी पसंद के मुताबिक एडिट किया जा सकता है। इसमें एडिटिंग के लिए एचटीएमएल एडिटर दिया गया है, जिसमें एडिटिंग के लिए किसी तरह की कोडिंग जानने की जरूरत नहीं है। टेंपलेट को अपनी पसंद के मुताबिक डिजाइन करने के बाद आप उसे मिनटों में लाइव कर सकते हैं। यहां पर आप अपने नाम से भी सब-डोमेन बना सकते हैं।
zoho.com
यहां भी आप अपनी च्वाइस और वेबसाइट के स्टाइल के मुताबिक टेंपलेट्स चुन सकते हैं। ड्रैग-एंड-ड्रॉप ऑप्शन के जरिये आप टेंपलेट को कस्टमाइज भी कर सकते हैं। आप चाहें तो मल्टीमीडिया कंटेंट भी इंसर्ट कर सकते हैं। यहां पर कई थर्ड पार्टी एप्लीकेशंस हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप खूबसूरत वेबसाइट डिजाइन कर सकते हैं। इसमें पेमेंट के लिए पेपा, रेवेन्यू जेनरेशन के लिए गूगल एडसेंस और गूगल मैप्स जैसे विजेट्स भी लगा सकते हैं।

मोबाइल वेबसाइट
octomobi.com
अगर आप चुटकियों में मोबाइल वेबसाइट बनाना चाहते हैं, तो ऑक्टोमोबी पर फ्री में बना सकते हैं। टेंपलेट पसंद कीजिए, लेआउट एडिट कीजिए, अपना लोगो लगाएं और आपकी मोबाइल ऑप्टिमाइज्ड वेबसाइट तैयार है।
onbile.com
यहां आप अपनी च्वॉइस के मुताबिक सब डोमेन नेम चुन सकते हैं। यहां पर मल्टीपल पेजेज, कैटेलॉग और इमेज गैलरी भी बना सकते हैं। साथ ही, मोबाइल ई-कॉमर्स वेबसाइट की तरह भी यूज कर सकते हैं।
webs.com
यहां भी मिनटों में अपनी मोबाइल साइट तैयार कर सकते हैं। फटाफट साइन-अप करने के बाद अपने नाम से सब-डोमेन या डायरेक्ट डोमेन बुक कर सकते हैं। इसके बाद वेबसाइट की थीम चुनकर पसंदीदा टेंपलेट को सलेक्ट करके ड्रैग-ऐंड-ड्रॉप ऑप्शन से डिजाइन कर सकते हैं। यहां पर टेंपलेट डिजाइन करना बेहद ईजी है और यह बच्चों का खेल लगेगा। यहां पर ई-कॉमर्स मोबाइल साइट बनाने का भी ऑप्शन है।