Saturday, September 5, 2015

पासवर्ड बदलने के आसान टिप्स


इन दिनों अधिकतर लोग जीमेल अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। कभी-कभी कुछ कारणों से हम अकाउंट में लॉगइन नहीं कर पाते। उस वक्त ठीक यही रहता है कि तुरंत अपना पासवर्ड बदल लिया जाए। उसी तरह फेसबुक में भी यह समस्या आ सकती है।

जीमेल
जीमेल में आप न सिर्फ जरूरी मेल देख या भेज पाते हैं, बल्कि कई साइट्स में लॉगइन करने के लिए भी जीमेल की जरूरत पड़ती है। इसलिए जीमेल का सुरक्षित रहना बेहद जरूरी है।


जीमेल अकाउंट का पासवर्ड ऐसे बदलें-
जीमेल अकाउंट में प्रवेश करने के बाद आपको  Need Help दिखेगा, उस पर क्लिक करना होगा। आप इसे Sign in के नीचे ढूंढ़ सकते हैं। उसके बाद I don’t know my password क्लिक करें। अब आपको यहां जीमेल आईडी डालनी होगी।

अगर आप अपना पुराना पासवर्ड भूल गए हैं तो I don’t know पर क्लिक करें। इसके बाद अन्य ईमेल आईडी पर गूगल रीसेट लिंक भेजा जाएगा।

एड्रेस को एक्सेस न कर पाने की स्थिति में आपको अपनी पहचान की जांच करवानी होगी।

पासवर्ड चेंज  स्टेप्स—  Verify Your Identity पर क्लिक करें और गूगल द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दें। अगर आप सभी सवालों का सही जवाब दे देते हैं तो आप अपना पासवर्ड री सेट करने में सफल होंगे।

क्या है नेट न्यूट्रलिटी
जब कोई व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डेटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वह नेट सर्फ करे या स्काइप या फिर वाइबर पर वॉयस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से शुल्क लगता है।

शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने इस दौरान कितना डेटा इस्तेमाल किया है। यही नेट न्यूट्रलिटी कहलाती है।


एक उदाहरण से समझते हैं- 
आप बिजली का इस्तेमाल एसी से लेकर घर के बल्ब, टय़ूबलाइट, टीवी आदि में करते हैं।
कंपनी यह नहीं कहती कि अगर आप टीवी चलाएंगे तो बिजली के रेट अलग होंगे और फ्रिज चलाएंगे तो अलग।
अगर नेट न्यूट्रलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डेटा के मामले में ऐसा हो सकता है। यानी आप सर्फिंग में 100 एमबी डेटा इस्तेमाल करते हैं तो शुल्क अलग देना होगा।
वही डेटा आपने वॉयस या वीडियो कॉल में खर्च किया तो उसके अलग चार्ज चुकाने होंगे, जो स्वाभाविक रूप से ज्यादा होंगे।

फेसबुक का पासवर्ड बदलने के लिए Settings के विकल्प पर जाएं। इसके बाद Password के सामने लिखे Edit पर क्लिक करें।
अगर आप फेसबुक का पासवर्ड भूल गए हैं तो इन स्टेप्स को फॉलो करें-

फेसबुक पेज पर आप Forgotten your password? का विकल्प देखेंगे, उस पर क्लिक करें।
आप यहां ईमेल, पूरा नाम, फोन नम्बर भर कर Search पर क्लिक करें।
इसके बाद फेसबुक आपको तीन विकल्प देगा—
Use your google account to sign in
Send a link via email
Send link to your phone
इनमें से अपनी सुविधानुसार एक विकल्प पर क्लिक करके Continue पर क्लिक करें। इसके बाद फेसबुक आपको एक लिंक भेजेगा, जिस पर क्लिक करके आप अपना फेसबुक पासवर्ड बदल पाएंगे।

एजुकेशन लोन: सच होंगे सपने


अच्छे अंक लेकर उत्तीर्ण होने के बाद कभी-कभी उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले छात्रों के सामने पढ़ाई का खर्च सबसे बड़ी रुकावट बन जाता है। ऐसे में एजुकेशन लोन एक बड़ा सहारा होता है।

अब कुछ ही दिन बाद कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पर संस्थानों की महंगी फीस को लेकर कई छात्र चिंतित होंगे। अगर आप भी कॉलेज की फीस को लेकर परेशान हैं तो चिंता छोड़िए, क्योंकि बैंकों द्वारा दिए जाने वाला एजुकेशन लोन आपकी इस चिंता का बेहतर समाधान है।

कोर्स और लोन
सामान्य बैचलर व मास्टर डिग्री कोर्सेज से लेकर इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, लॉ, फैशन टेक्नोलॉजी समेत तमाम तरह के टेक्निकल, प्रोफेशनल व ट्रेडिशनल मान्य कोर्सेज के लिए आसानी से बैंक लोन मिल जाता है। दरअसल बैंकों ने देश में और विदेशों में पढ़ाई के लिए लोन देने के लिए कुछ मापदंड तय हैं, जिनके अंतर्गत आने वाले कोर्सेज में ही लोन मिल पाता है।


लोन लेने की योग्यता
अधिकांश बैंकों द्वारा बारहवीं उत्तीर्ण होने के बाद हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन दिया जाता है। एजुकेशन लोन के लिए देश में भारतीय नागरिक होने के साथ-साथ यह जरूरी है कि छात्र का एडमिशन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से, मेरिट या फिर कट ऑफ मार्क्स के आधार पर देश या विदेश के किसी मान्यताप्राप्त संस्थान के टेक्निकल, प्रोफेशनल या किसी अन्य मान्यताप्राप्त कोर्स में हुआ हो। कट ऑफ मार्क्स के आधार पर एडमिशन होने की स्थिति में क्वालिफाइंग एग्जाम में सामान्य छात्रों के न्यूनतम 60 प्रतिशत अंक और एससी, एसटी छात्रों के न्यूनतम 50 फीसदी अंक होने जरूरी हैं।

लोन की राशि
अधिकांश बैंकों द्वारा देश में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है। कुछ बैंकों द्वारा आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में नामांकन होने की स्थिति में इससे ज्यादा का लोन भी मिल सकता है। देश में बिना किसी मार्जिन के चार लाख रुपए तक का लोन आसानी से मिल जाता है, जबकि चार लाख से ज्यादा लोन 5 प्रतिशत मार्जिन पर दिया जाता है। विदेश में पढ़ाई के लिए 20 लाख रुपए तक का लोन मिलता है। विदेशों में पढ़ाई के लिए लोन लेने पर चार लाख से ज्यादा की राशि होने पर 15 प्रतिशत मार्जिन पर लोन दिया जाता है। मतलब कि लोन के लिए सेंक्शन हुई राशि में से 5 प्रतिशत या 15 प्रतिशत जो भी मार्जिन हो, उसे बैंक अपने पास बतौर सिक्योरिटी रख कर बची हुई राशि छात्रों को देते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 30 लाख रुपए तक का एजुकेशन लोन देता है।

ब्याज दरें
सामान्य तौर पर अधिकांश बैंक 11 से 15 प्रतिशत सालाना दर से बैंक लोन देते हैं। प्राइवेट बैंकों में यह दर कुछ अधिक हो सकती है। अधिकांश बैंक लड़कियों को एजुकेशनल लोन में 0.5 प्रतिशत की छूट भी देते हैं।

इनके लिए भी लोन
एजुकेशन लोन के तहत कॉलेज फीस के साथ-साथ हॉस्टल फीस, एग्जाम फीस, लाइब्रेरी फीस, लेबोरेट्री फीस, बुक, इक्विपमेंट्स, इंस्ट्रूमेंट्स, यूनिफॉर्म, कॉशन डिपॉजिट, बिल्डिंग फंड, रिफंडेबल डिपॉजिट, ट्रेवल एक्सपेंस, पैसेज मनी आदि के लिए भी लोन मिल जाता है। यदि कोर्स के लिए अनिवार्य व अति आवश्यक हो तो कम कीमत पर मिलने वाले कंप्यूटर खरीदने के लिए भी राशि मिल सकती है। इसके अलावा स्टडी टूर, प्रोजेक्ट वर्क, थीसिस जैसे अन्य जरूरी कार्यों के लिए भी राशि मिल सकती है।
 

क्या लोन के लिए गारंटर चाहिए? 
सामान्य तौर पर चार लाख रुपए तक का लोन लेने पर किसी गारंटी की जरूरत नहीं होती, सिर्फ पेरेंट्स या गार्जियन के सिग्नेचर और उनकी आर्थिक स्थिति को देख कर ही लोन सेंक्शन हो जाता है। चार लाख से साढ़े सात लाख का लोन लेने पर किसी सक्षम रिश्तेदार या जानकार व्यक्ति का गारंटर बनना जरूरी है, वहीं साढ़े सात लाख से ज्यादा का एजुकेशन लोन होने पर कोलेटरल सिक्योरिटी अर्थात जितनी राशि लोन ली जा रही है, उतनी राशि के प्रॉपर्टी के कागजात या ज्वेलरी आदि बहुमूल्य वस्तुएं बैंक के पास जमा करानी होंगी।

जरूरी दस्तावेज
लोन लेने के वक्त कुछ जरूरी दस्तावेज होने जरूरी है। बैंक द्वारा निर्धारित फॉर्मेट के एजुकेशन लोन फॉर्म को भर कर उसके साथ पासपोर्ट साइज फोटो, एड्रेस प्रूफ, एज सर्टिफिकेट, क्वालिफाइंग एग्जाम की मार्क्सशीट, जिस संस्थान में नामांकन लिया है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, कॉलेज प्रॉस्पेक्टस, जिसमें एडमिशन फी, कॉलेज फी, एग्जाम फी, हॉस्टल फी जैसे सभी तरह के शुल्कों का स्पष्ट विवरण हो, देने पड़ते हैं। इसके अलावा पेरेंट्स या गार्जियन की संपत्ति व देनदारी का विवरण भी हो।

यदि लोन कोलेटरल सिक्योरिटी पर लिया जा रहा हो तो संबंधित प्रॉपर्टी के कागजात और उसका वैल्यूएशन सर्टिफिकेट भी जरूरी है। विदेशों में नामांकन के लिए लोन की स्थिति में पासपोर्ट और वीजा की फोटोकॉपी की जरूरत पड़ती है।

लोन लेने से पहले ध्यान दें
पूरी जानकारी जुटाएं: अगर आप एजुकेशन लोन लेने की सोच रहे हैं तो लोन लेने से पहले लोन से संबंधित सभी तरह की अहम जानकारियों के बारे में जरूर पता कर लें, ताकि भविष्य में जब लोन चुकाना हो तो किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

ब्याज दरों की तुलना करें: सभी बैंकों की ब्याज दरों को देख लें और जांच लें, क्योंकि सभी बैंकों में एक समान ब्याज दरें नहीं होतीं। अगर आप ब्याज दरों की तुलना कर लेंगे तो कम ब्याज दर पर आपको लोन मिल सकता है। इसके लिए बैंकों की वेबसाइट पर जाकर उनके इंटरस्ट रेट को पता कर सकते हैं। कुछ वेबसाइट ऐसी भी हैं, जहां पर बैंक लोन की तुलना की जा सकती है।

कितने समय में लोन मिलेगा: बैंकों में यह पता कर लें कि कितने समय में लोन सेंक्शन हो पाएगा, क्योंकि कई बार बैंकों द्वारा लोन सेंक्शन करने में काफी समय लगा दिया जाता है। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि जब तक आपको लोन मिले, तब तक काफी देर हो गई हो और कॉलेज में आपका प्रवेश ही मुश्किल हो जाए।

रिपेमेंट टाइम: सभी बैंकों का रिपेमेंट टाइम अर्थात लोन लौटाने का समय अलग-अलग होता है। ऐसे में रिपेमेंट टाइम की पहले से जानकारी होगी तो डिग्री पूरी होने के बाद लोन की राशि लौटना आपके लिए आसान रहेगा।

अन्य शुल्क: बैंकों के बेस रेट और एजुकेशनल लोन इंटरस्ट रेट में फर्क होता है, ऐसे में आप इस फर्क को समझें। साथ ही यह भी पता कर लें कि इंटरस्ट रेट फिक्स्ड है या नहीं और इंटरस्ट रेट के अलावा सर्विस टैक्स या किसी अन्य तरह का कोई और चार्ज तो नहीं है।

छूट भी मिल सकती है
कोर्स के दौरान ब्याज दर का भुगतान कर छूट पा सकते हैं।
यदि कोई छात्र लोन लेने के तुरंत बाद से केवल ब्याज दर की राशि का भुगतान कर दे तो उसे लोन पर एक प्रतिशत तक की छूट मिल सकती है।

अल्पसंख्यक छात्रों को लोन में सब्सिडी की सुविधा
केन्द्र सरकार की पढ़ों परदेश योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसका फायदा मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के छात्रों को मिलेगा।

वापसी का विकल्प
सामान्यत: बैंक 7.5 लाख रुपए तक के लोन को चुकाने के लिए दस साल तक का समय देते हैं, वहीं 7.5 से ज्यादा राशि के लोन को चुकाने के लिए 15 वर्ष तक का समय दिया जाता है। इसके साथ ही यह शर्त है कि डिग्री पूरी होने के बाद एक साल के भीतर या जॉब लगने के छह माह के अंदर (दोनों में से जो भी पहले हो) बैंकों को लोन की ईएमआई का भुगतान करना जरूरी है।

भारत में संस्थानों पर लोन
यूजीसी/ एआईसीटीई /एआईबीएमएस/आईसीएमआर/सरकार आदि से मान्यता प्राप्त और यूनिवर्सिटी/ कॉलेज/ संस्थान में बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री और पीजी डिप्लोमा कोर्स के लिए।
आईसीडब्लूए, सीए, सीएफए जैसे कोर्स
आईआईएम, आईआईटी,आईआईएससी, निफ्ट, एनआईडी, एक्सएलआरआई द्वारा संचालित कोर्स।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन/शिपिंग आदि से मान्यताप्राप्त एयरोनॉटिकल, पायलट ट्रेनिंग, शिपिंग आदि जैसे रेगुलर डिग्री और डिप्लोमा कोर्स।
प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटीज द्वारा मान्यताप्राप्त और भारत में संचालित कोर्स
मान्यताप्राप्त पार्ट टाइम जॉब ओरिएंटेड कोर्स (ईवनिंग कोर्स आदि)
मान्यताप्राप्त टीचर्स ट्रेनिंग / बी.एड, नर्सिंग कोर्स के लिए

विदेश में इन कोर्स के लिए
प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के जॉब ओरिएंटेड टेक्निकल और प्रोफेशनल बैचलर डिग्री

कोर्सेज
एमसीए, एमबीए, एमएस जैसे मान्यताप्राप्त पोस्टग्रेजुएट डिग्री कोर्स।
सीआईएमए-लंदन, सीपीए-यूएसए आदि द्वारा संचालित पाठय़क्रम।
एयरोनॉटिकल, पायलेट ट्रेनिंग, शिपिंग जैसे डिग्री या डिप्लोमा कोर्स, जो भारत और विदेश में मान्यताप्राप्त हों।

एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंगः तकनीक की ऊंची उड़ान


एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंग एविएशन सेक्टर से संबंधित एक प्रमुख क्षेत्र है, जिसे मेन्टेनेन्स ब्रांच में शामिल किया गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें प्रोफेशनल्स को पद व पैसा दोनों मिल रहा है। इसमें कमर्शियल एवं मिलिट्री एयरक्राफ्ट, स्पेस क्राफ्ट, सेटेलाइट एवं मिसाइल आदि की डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग, ऑपरेशन एवं मेन्टेनेन्स आदि के बारे में विशेषज्ञता हासिल की जाती है। एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियर का सीधा संबंध एविएशन डिवीजन से होता है। एयरक्राफ्ट के सफलतापूर्वक टेक ऑफ की जिम्मेदारी भी इन्हीं के जिम्मे होती है। ये इंजीनियर पूरी तरह से सुरक्षा पर फोकस करते हैं, ताकि एयरक्राफ्ट को बिना किसी अवरोध के उड़ाया जा सके।

क्या कहती है इंडस्ट्री रिपोर्ट
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक घोषणा के अनुसार इस समय भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की नौवीं सबसे बड़ी एविएशन इंडस्ट्री है तथा 2020 तक इसके तीसरे सबसे बड़े एविएशन मार्केट के रूप में बनने की उम्मीद है। इसी तरह से 2030 तक पहुंचते-पहुंचते इसके पहले स्थान पर काबिज होने का अनुमान है। फिक्की-केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार एविएशन इंडस्ट्री में वर्ष 2017 तक देश में रोजगार में दोगुनी वृद्धि होगी और यह बढ़ कर 1.17 लाख के करीब पहुंच जाएगा। आने वाले समय में इसमें एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियर पदों के लिए भारी संख्या में प्रोफेशनल्स की आवश्यकता पड़ेगी।

बारहवीं के बाद रखें कदम
एयरक्राफ्ट मेन्टेनेन्स इंजीनियरिंग तीन वर्षीय ट्रेनिंग कोर्स है। इसमें प्रवेश के लिए छात्रों को 10+2 की परीक्षा फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। छात्र की आयु 23 वर्ष से अधिक न हो।

सैलरी 
इसमें ज्यादातर सैलरी पैकेज एकेडमी करियर एवं काम के बारे में जानकारी पर निर्भर करता है। शुरू शुरू में इसमें प्रोफेशनल्स को करीब तीन से चार लाख रुपए सालाना का पैकेज मिलता है। अनुभव बढ़ने के साथ सैलरी भी बढ़ती जाती है। प्राइवेट सेक्टर में सैलरी अधिक मिलती है। सुविधाओं के मामले में सरकारी क्षेत्र आगे है।

फीस
इसमें फीस की राशि संस्थान पर निर्भर करती है। अमूमन तीन साल के कोर्स में कुल छह सेमेस्टर होते हैं। इनकी फीस करीब दो से ढाई लाख रुपए होती है। इसके अलावा हॉस्टल, यूनिफार्म, खाने, टूल-किट व अन्य खर्चे भी शामिल हैं। छात्र किस्तों में भी  फीस दे सकते हैं।

एजुकेशन लोन
छात्रों को देश-विदेश में अध्ययन के लिए प्रमुख राष्ट्रीयकृत, प्राइवेट अथवा विदेशी बैंकों द्वारा एजुकेशन लोन प्रदान किया जाता है। यह राशि पांच लाख से लेकर अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है। छात्र को जिस संस्थान में एडमिशन लेना है, वहां से जारी एडमिशन लेटर, हॉस्टल खर्च, ट्यूशन फीस एवं अन्य खर्चों का ब्योरा बैंक को देना होता है। अंतिम निर्णय बैंक को करना होता है। बैंक सभी कागजात जांचता है।

एनएसआईटी: सवा करोड़ तक मिलता है पैकेज


अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक नामचीन कंपनियों में प्रमुख पदों पर छाए एनएसआईटी के छात्रों की संख्या बड़ी है। चाहे संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में अव्वल स्थान पाना हो या गूगल व फेसबुक तक पहुंचने की बात हो, यहां के छात्र अपनी शानदार जगह बना ही लेते हैं। यानी उच्च गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए विषय की पढ़ाई से लेकर सामाजिक व्यवहार तक, यहां के छात्र बेहतर साबित होते रहे हैं। तभी तो दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यहां के छात्रों की तारीफ करते हुए उनसे दिल्ली को दुनिया का बेहतरीन शहर बनाने में सहयोग देने का आह्वान किया।

यह सफलता यहां के छात्रों की तो है ही, एनएसआईटी की भी बड़ी सफलता है, जिसने छात्रों को बेहतर माहौल देते हुए इस तरह तैयार किया। साल 1983 में यह दिल्ली विश्वविद्यालय की फैकल्टी ऑफ टेक्नोलॉजी था। 1987 में इसे नया नाम मिला दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी डीआईटी। 1997 में इसे नया कैंपस भी मिला और नया नाम भी। इंस्टीट्यूट पश्चिमी दिल्ली के द्वारका स्थित 145 एकड़ में फैले अपने नए कैंपस में पहुंच गया और इसे नाम मिला नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी। आज यह एनएसआईटी के नाम से प्रसिद्ध है।

कोर्स और सीटें- यहां ग्रेजुएशन लेवल पर इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन इंजीनियरिंग, इंस्ट्रुमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, मेन्युफैक्चरिंग प्रोसेस एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग व बायो टेक्नोलॉजी की पढ़ाई होती है। पीजी लेवल पर सिग्नल प्रोसेसिंग, इंफॉर्मेशन सिस्टम्स और प्रोसेस कंट्रोल इंजीनियरिंग में एमटेक की पढ़ाई की व्यवस्था है। इंस्टीट्यूट में पीएचडी के लगभग दर्जन भर प्रोग्राम चलाए जाते हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इंस्ट्रुमेंटेशन एंड कंट्रोल इंजीनियरिंग, बायो टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट, ह्यूमेनिटीज एंड सोशल साइंसेज, मैथेमेटिक्स, फिजिक्स,मेन्युफैक्चरिंग प्रोसेस एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी व केमिस्ट्री शामिल हैं। यहां सीटों की कुल संख्या लगभग 800 और इंस्टीट्यूट में छात्रों की कुल संख्या लगभग 3000 है।

प्लेसमेंट - इंस्टीट्यूट के छात्रों का प्लेसमेंट शत प्रतिशत रहता है। यहां के छात्र 1.25 करोड़ तक का पैकेज पा चुके हैं। यहां के अधिकांश छात्र सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं और उसमें सफलत भी हासिल करते हैं।

पता- निदेशक, नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आजाद हिंद फौज मार्ग, सेक्टर 3, द्वारका, नई दिल्ली-110078
फोन - 011-25099050
इमेल आईडी- nsitadmissions@gmail.com
वेबसाइट - www.nsit.ac.in

विदेश से पीजी की पढ़ाई में मिलेगी मदद


कई ऐसी विदेशी यूनिवर्सिटी हैं, जो स्कॉलरशिप के जरिए छात्रों के लिए पीजी की राह आसान बनाती हैं। इन्हीं में से एक न्यूजीलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड भी है। यह यूनिवर्सिटी मास्टर प्रोग्राम में अध्ययन के लिए इच्छुक विदेशी छात्रों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से एडीबी-जेएसपी (एशियन डेवलपमेंट बैंक-जापान स्कॉलरशिप प्रोग्राम) प्रदान करती है। इसकी स्कॉलरशिप की शुरुआत 1988 में जापान सरकार की मदद से हुई। इस स्कॉलरशिप के अंतर्गत विकासशील देशों के छात्र इकोनॉमिक्स, मैनेजमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी एवं विकास से संबंधित क्षेत्रों में अध्ययन कर सकते हैं। इसमें आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरीकों से की जा सकती है।

प्रोग्राम दायरे में
इस स्कॉलरशिप के तहत निम्न प्रोग्राम शामिल किए जाते हैं-
- मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ
- मास्टर ऑफ साइंस (एन्वायर्नमेंटल साइंस)
- मास्टर ऑफ आट्र्स (डेवलपमेंट स्टडीज)
- मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस
- मास्टर ऑफ कॉमर्स
- मास्टर प्रोग्राम इन इंजीनियरिंग

संबंधित योग्यता एवं उम्र-सीमा
इस स्कॉलरशिप के लिए वही छात्र योग्य हैं, जिन्होंने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री हासिल की हो तथा जिनका एकेडमिक रिकॉर्ड काफी अच्छा हो। उनके पास कोर्स की समाप्ति के पश्चात दो साल का फुलटाइम वर्क एक्सपीरियंस हो। साथ ही वे अंग्रेजी में पूरी दक्षता के साथ लिख और बोल लेते हों। इसके अलावा उनकी उम्र 35 वर्ष से अधिक न हो और वे पूरी तरह स्वस्थ हों।

अवधि एवं राशि
यह स्कॉलरशिप एक से दो वर्ष के लिए दी जाती है। इसके लिए करीब 10 देशों से 300 से ज्यादा उम्मीदवार चुने जाते हैं। इसमें  ट्यूशन फीस, किताब व स्टडी मैटीरियल का खर्च, मकान का किराया, मेडिकल इंश्योरेंस और ट्रैवल खर्च आदि शामिल है।



जरूरी कागजात 
स्कॉलरशिप के लिए आवेदन करते समय उम्मीदवार को कई जरूरी कागजात लगाने आवश्यक हैं। उन्हें एडीबी-जेएसपी इंफॉर्मेशन शीट, पासपोर्ट और बर्थ सर्टिफिकेट की प्रमाणित कॉपी, शैक्षिक योग्यता से संबंधित प्रमाणपत्र, आईईएलटीएस/टॉफेल रिजल्ट की कॉपी, पासपोर्ट साइज फोटो जमा करने होते हैं।

संपर्क पता
दि यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड, प्राइवेट बैग नं.- 92019
ऑकलैंड, न्यूजीलैंड
वेबसाइट- www.adb.org, www.auckland.ac.nz

Thursday, August 27, 2015

पालतू जानवर से प्यार के साथ दूरी भी जरूरी


आजकल घर के आसपास के माहौल के असुरक्षित होते जाने के कारण पेट्स पालने का चलन बढ़ता जा रहा है। ये पेट्स वफादार साथी साबित होते हैं इसलिए बहुत से परिवारों में इनके साथ परिवार के सदस्य की तरह बर्ताव किया जाता है। विशेषकर छोटे बच्चे तो सारा-सारा दिन पेट्स से चिपके रहते हैं।
हमारे यही प्यारे पेट्स कभी-कभी हमारे लिए खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। इनके काटने से हमें रैबीज हो सकता है जिसके कीटाणु पालतू जानवरों की लार द्वारा व्यक्ति के खून के सम्पर्क में आ सकते हैं। इससे व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा पेट्स से अन्य त्वचा रोग तथा एलर्जी भी हो सकती है इसलिए पेट्स को घर में बड़ी सावधानी से रखना चाहिए।
रैबीज पेट्स के काटने के एक साल बाद तक कभी भी हो सकता है। पेट्स के काटने का असर कितने समय में होगा यह जख्म के स्थान पर निर्भर करता है। जख्म यदि शरीर के ऊपरी हिस्से में है तो उसका असर केवल तीन-चार दिन में ही हो जाता है। दूसरी ओर यदि जख्म निचले हिस्से में है तो असर को मस्तिष्क में पहुंचने में ज्यादा दिनों का समय लग जाता है।
पेट्स के काटने के बाद दस दिन तक उस पर नजर रखनी चाहिए यदि रैबीज हो तो जानवर तीन-चार दिन में मर जाता है। इसलिए बेहतर यही होता है कि कुत्ता काटने के तुरंत बाद वैक्सीन लगवाना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि एंटीबाडीज बनने में थोड़ा समय लग ही जाता है। कुल मिलाकर छ एन्टीरैबीज वैक्सीन लगवाने पड़ते हैं।
जानवर के काटते ही काटे हुए स्थान को पानी से खूब धोना चाहिए। साथ ही घाव को किसी ऐसे साबुन से धोना चाहिए जिसमें कास्टिक सोड़े की मात्रा ज्यादा हो जैसे कपड़े धोने का साबुन क्योंकि कास्टिक वायरस को खत्म कर देता है। जख्म पर पट्टी नहीं बांधनी चाहिए। लोगों में यह गलतफहमी भी है कि पेट्स के काटने पर प्रभावित स्थान पर लाल मिर्च लगाना चाहिए जिससे इसका प्रभाव खत्म हो जाता है। परन्तु ऐसा सही नहीं है, अपितु यह नुकसानदायक भी हो सकता है।
रैबीज होने के लिए पेट्स के द्वारा काटा जाना ही जरूरी नहीं है। यदि शरीर में कहीं चोट लगी है और यदि कुत्ता उस चोट को चाटता है तो उसकी लार हमारे रक्त के सम्पर्क में आ जाती है। इससे भी रैबीज हो सकता है। साथ ही चाटने से घाव से खून भी निकल सकता है जो और कष्टदायी हो सकता है।
इसके अलावा यदि पेट्स की लार किसी तरह पेट में चली जाए तो रैबीज नहीं होता क्योंकि रैबीज लार के खून के सम्पर्क में आने के बाद होता है। परन्तु यदि व्यक्ति को अल्सर है और उसके पेट में पेट्स की लार चली जाती है तो उसे रैबीज होने की पूरी-पूरी संभावना होती है।
कई बार पेट्स पंजा मार देता हैं इससे घबराना नहीं चाहिए क्योंकि पंजों से रैबीज नहीं फैलता परन्तु सुरक्षा की दृष्टि से टिटनेस का इंजैक्शन जरूर लगवा लेना चाहिए। पंजा लगने से विभिन्न त्वचीय रोग हो सकते हैं इसलिए किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करना चाहिए।
पालतू जानवरों को अपने शयन कक्ष में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि इससे विभिन्न संक्रमण फैल सकते हैं। हालांकि पालतू जानवरों की कोई भी बीमारी इंसानों को नहीं होती परन्तु फिर भी कुछ सामान्य बीमारियां जैसे टीबी पेट्स के सम्पर्क में आने के बाद हो सकती है। दूसरी ओर यदि आपके पेट्स को त्वचा रोग स्केबिज है तो इसके सम्पर्क में आकर यह रोग आपको भी हो सकता है।
यदि आपका पालतू जानवर घर से बाहर जाता है तो उसका ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आसपास के जानवरों के सम्पर्क में आने से उसे टिक्स हो सकती है। इन टिक्स से लाइम जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि समय-समय पर अपने पेट्स की जांच करते रहें कि उसे टिक्स तो नहीं है। एक बार यदि टिक्स पूरे घर में फैल जाएं तो उन्हें हटाना मुश्किल हो जाता है। टिक्स से निजात पाने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह से किसी साबुन या शैम्पू का प्रयोग भी किया जा सकता है।
कभी-कभी पेट्स के रोएं झडऩे लगते हैं जो पूरे घर में फैल जाते हैं। ये भोजन के साथ हमारे पेट में भी जा सकते हैं। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए जरूरी है कि जानवर के रोएं झड़ते ही उसका उचित उपचार करवाया जाए।
पालतू जानवर से आप चाहे जितना प्यार करें परन्तु फिर भी उससे थोड़ी दूरी बनाकर रखना भी जरूरी होता है।

प्यारी निंदिया रानी!


नींद ना आना विकराल समस्या हो सकती है लेकिन यह लाइलाज 'बीमारीÓ नहीं है। बहुत से ऐसे उपाय हैं जिससे कोई भी व्यक्ति नींद को बुलावा दे सकता है। इनमें जो जरूरी चीजें हैं उनमें शामिल हैं डाइट जांचना, सोने का माहौल देखना, समय, व्यक्क्तिगत आदतें, जीवनशैली और तात्कालिक एकाग्रता। इन सब बातों में तालमेल बिठाकर बढिया नींद ली जा सकती है। इनके अलावा आप और क्या कर सकती हैं, बता रही हैं
पिछले साल हुए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में करीब पांच प्रतिशत लोग अनिद्रा की समस्या से पीडित हैं। दरअसल इस समस्या का प्रमुख कारण तनाव और उससे उपजी अन्य समस्याएं हैं। अगर आपको भी इस तरह की समस्या है तो आप इन्हें आजमाएं-
1. सुबह उठकर सबसे पहले व्यायाम करें। अगर आप नियमित तौर पर व्यायाम करेंगी तो इससे आपको सही समय पर नींद आ जाएगी। सुबह व्यायाम करने से शरीर में हार्मोस की सक्रियता बढ़ती है और आप ज्यादा स्फूर्ति महसूस करती हैं। इससे आपके काम करने का उत्साह बढ़ता है जिससे दिन के अंत तक थकने से नींद अच्छी आती है। अमूमन दोपहर के बाद की एक्सरसाइज नींद के हिसाब से अच्छी मानी जाती है।
2. डॉक्टर नींद और नाश्ते में सीधा संबंध बताते हैं। वे कहते हैं कि अगर आप रात को ठीक तरह से सो नहीं पाई हैं तो सुबह अच्छे से नाश्ता नहीं कर पाएंगी और अगर सही तरीके से नाश्ता नहीं किया है तो रात को नींद नहीं आएगी। नाश्ता न करने या सही तरीके से ना करने से मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है जिससे दिमाग को आराम नहीं मिलता। अगर दिमाग परेशान हो तो अच्छी नींद नहीं आ सकती। इसलिए आप ऐसा नाश्ता करें जो फैट, फाइबर, अनाज और प्रोटीन से युक्त हो।
3. आप अपनी ऊर्जा के अनुसार ही काम निपटाएं। सबसे ज्यादा थकाने वाला काम या तनाव वाला काम पहले करें। उसके बाद दूसरे काम निपटाती जाएं। इसके दो फायदे होंगे। पहला तो यह कि आपके सभी काम समय से निपट जाएंगे और आपको तनाव नहीं होगा और दूसरा यह कि आप सुबह अधिक थकाने वाला काम करेंगी तो आपकी को ऊर्जा सही दिशा मिलेगी।
4. कैफीन और निकोटिन का सेवन कम करें। इनके सेवन के 10 मिनट के बाद ही ये दोनों शरीर में अपना असर दिखाने लगते हैं। शरीर को 4 घंटे से अधिक लगते हैं इन्हें शरीर से बाहर निकालने में। इस दौरान अगर आप सोने की कोशिश करती हैं तो उसमें बाधा आती है।
5. रात का भोजन जल्दी करें। अगर आप देर रात भोजन करती हैं तो शरीर को भोजन पचाने में दिक्कत आती हैं। जिससे नींद आने में समस्या आती है। चूंकि शरीर को रात को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए रात को कम भोजन ही करना बेहतर होता है।
6. सोने से पहले गुनगुने पानी में पैरों को कुछ देर डुबोकर रखना भी अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से पैरों के साथ-साथ पूरे शरीर को आराम मिलता है और नींद जल्दी और अच्छी आती है।
7. बिस्तर आरामदायक होना चाहिए। बिस्तर कैसा हो, इसके कोई तय मानक नहीं हैं, लेकिन, तकिया बहुत ऊंचा न हो और गद्दा मुलायम होना चाहिए। कुछ ऐसा, जहां लेटते ही आपके थके-हारे शरीर को आराम मिले। शरीर को आराम मिलेगा तो नींद भी जल्दी आएगी।
8. कुछ लोगों को शोर-गुल, रोशनी या किसी भी तरह के अवरोध के कारण भी नींद नहीं आती है। अगर आपके साथ भी ऐसा ही है तो सोने के लिए जाने से पहले सोने लायक माहौल बनाएं। साथ ही खुश रहने और तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। तनाव से दूर रहेंगी तो नींद भी जल्दी आएगी और परेशानियों से लडऩे की ऊर्जा भी आपको मिलेगी।
उम्रदराज लोगों के लिए 
अधिकतर बुजुर्गों की यह समस्या होती है कि उन्हें रात में ठीक से नींद नहीं आती है। सुबह आंख भी जल्दी खुल जाती है। ऐसे में थोड़ा वक्त निकालकर दोपहर में नींद अवश्य लें। यह आराम या नींद 10 से 20 मिनट की हो। कोशिश करें कि एकांत व अंधेरे में नींद लें। कोशिश करें कि रात का खाना सूर्यास्त के बाद करें। शाम के वक्त यानी भोजन से पहले खुद को कुछ छोटे-मोटे कामों में व्यस्त रखें। व्यस्त रहेंगे तो थकेंगे और थकावट के कारण नींद जल्दी आएगी।

वापस आ जाएगी रूठी नींद


यह साधारण सी बात लगती है कि मेरी नींद पूरी नही होती या फिर मुझे नींद नहीं आती है। लेकिन इसे साधारण समझने की गलती न करें, यह इंसोमेनिया या स्लीपिंग डिसॉर्डर भी हो सकता है। महानगरीय जीवन, अव्यवस्थित दिनचर्या और काम का बोझ आपसे आपकी नींद छीन रहा है।
कई लोग रातभर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकेट्रिक डिस्ऑर्डर माना जाता है। इंसोमेनिया और ऑब्सट्रक्टि स्लीप एपीनिया दो बीमारियां है, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर भागती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज न होने पर परेशानियां हो सकती हैं।
रॉकलैंड अस्पताल में इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉं आर. पी. सिंह कहते हैं, 'नींद का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है। हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और चक्र के मुताबिक उसकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं। लेकिन फिर भी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को 8 से 10 घंटे, किशोरावस्था में 8-9 घंटे की नींद जरूरी है, जबकि युवाओं और प्रौढ़ों के लिए 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 10 से 15 मिनट में अच्छी नींद आ जाती है, इसके लिए उसे प्रयास नहीं करना पड़ता।Ó
क्या है इन्सोमनिया?
पिछले कई सालों में इन्सोमनिया के कई मामले सामने आए हैं। यह कई तरीके का हो सकता है। जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना, दिन में नींद के झटके आते रहना, रात में ज्यादा सपने आना, बार-बार नींद का टूटना, मुंह सूखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार-बार उठना, खर्राटे लेना, रातों में टांगों का छटपटाना, नींद में चलना आदि।
अक्?सर नींद को लोग थकावट या फिर दिमागी तनाव से जोड़ कर सोचते हैं और अच्छी नींद लेने के लिए खुद ही कोई नींद की गोली खा लेते हैं। इस तरह बिना कारण जाने नींद की गोलियां लेने से बीमारी और बढ़ सकती है। हो सकता है कि नींद न आने के सिर्फ ये कारण न हों, कोई अन्य हो। कई बार कार्य करने के घंटों में फेरबदल होने से भी नींद नहीं आती। जिन लोगों की गर्दन छोटी होती है, जबड़ा छोटा होता है, चेहरा बेहद पतला या लंबा होता है, उन लोगों को सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कई बार टांगों में नसें फड़कती है और टांगों में छटपटाहट होने लगती है, जिस कारण वह अच्छी नींद नहीं ले पाता। इसी तरह कई लोगों को नींद में थोड़ा-सा झटका आने पर नींद टूट जाती है। जांच न कराने पर परिणाम भयानक हो सकते हैं।
सुनने में ये समस्याएं छोटी-छोटी जरूर लगती हैं लेकिन इन्हीं असमान्यताओं के कारण ही रात को सोते समय कई बार हार्ट अटैक आ जाता है। अचानक सांस रुक जाती है और नींद में चलते हुए व्यक्ति अपराध तक कर सकता है। अगर समय रहते डॉक्टरी मदद ली जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। नींद अच्छी आएगी तो सेहत अच्छी रहेगी और मन प्रसन्न रहेगा।
आदतों में लाएं सुधार
सोने से पहले स्नान: रात को सोने से पहले स्नान करने से आपकी दिन भर की थकान एकदम से काफूर हो जाएगी और आपको बहुत अच्छी नींद आएगी। आप चाहें तो अपने नहाने के पानी में कोई खुशबूदार तेल भी मिला सकती हैं। इससे आपको सुकून भरी नींद तो आएगी ही, साथ ही आपको एक अलग ही शांति का अनुभव होगा।
धूम्रपान और एल्कोहल के सेवन से बचें: कैफीनयुक्त वस्तुओं और एल्कोहल को ना कहें। दोपहर के बाद कॉफी का एकाध प्याला लेना बुरा नहीं है, लेकिन सोने से पहले ऐसा न करें। धूम्रपान भी अच्छी नींद की राह में रोडम अटकाने वाली वस्तु है। सोने से पहले कुछ तरल पदार्थ ले सकती हैं जैसे जूस, दूध आदि।
सोने का एक ही समय निश्चित करें: सोने व जागने के लिए एक समय तय कर लें और उस टाइम टेबल को अपनाएं। इससे आपके शरीर की बायोलॉजिक घड़ी खुद-ब-खुद काम करने लगेगी और आपकी नींद में खलल नहीं पड़ेगा।
देर तक कंप्यूटर या टीवी के सामने न बैठें: सोने से तकरीबन आधा घंटा पहले टीवी और कंप्यूटर बंद कर दें। देर तक इनके सामने बैठने से सिरदर्द, आंखों में जलन आदि का सामना करना पड़ता है जो अच्छी नींद में बाधक है। बेड पर बैठकर टीवी न देखें, इससे भी नींद बाधित होती है ।
संगीत थैरेपी: सोने से पहले संगीत सुनें। वैसे भी कहते हैं कि संगीत के पास हर मर्ज का इलाज है। सोने से पहले अपनी पसंद का संगीत सुनें। पर ध्यान रहे कि संगीत ईयरफोन से न सुनें।
तनाव को बिस्तर पर न लाएं: दिनभर के किसी भी तनाव को अपने साथ बिस्तर पर न लाएं। इसके लिए आप एक डायरी बनाएं। उस पर अपने दिनभर का तनाव लिखें और साथ ही ये भी लिखें कि कल में इस टेंशन का हल तलाश लूंगी। इससे भी नींद आने में मदद मिलती है। अगर कोई तनाव है और नींद नहीं आ रही है तो बिस्तर पर लेटकर उसके बारे में न सोचें। कोई किताब पढ़ें या कुछ ऐसा करें जिससे आपका ध्यान उस तनाव से हट जाए।

पौष्टिक खाना खाएं, अच्छी नींद पाएं


अमेरिका में नींद पर किए गए एक शोध में साबित हुआ है कि सिर्फ तनाव ही नहीं, बल्कि पौष्टिक खाने की कमी भी कम सोने का कारण बन सकती है। किन पदार्थों का करें सेवन और खानपान से जुड़ी किन आदतों में सुधार लाएं ताकि नींद आसानी से आपके पास आ जाए।
हमारे खानपान का सीधा संबध हमारी नींद पर पड़ता है। यह खुलासा अमेरिका में किए गए एक शोध में पहली बार सामने आया है। यह शोध पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के पेरलमान स्कूल ऑफ मेडिसीन ने करवाया। इसमें नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशंस एग्जामिनेशन सर्वे से प्राप्त आंकड़ों पर विस्तार से अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने विभिन्न आयुवर्ग के लोगों के सामाजिक-आर्थिक, भौगोलिक स्थिति, उनके डायट चार्ट में पौष्टिक भोजन की मात्रा आदि के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि कुछ पोषक तत्व कम और ज्यादा सोने में अहम भूमिका निभाते है।
शोध में पाया गया कि जो लोग साधारण नींद यानी सात-आठ घंटे की नियमित नींद लेते हैं, उनके खाने में विविधता होती है। उनके आहार में नींद के लिए जरूरी पोषक तत्व जिनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और मिनरल शामिल हैं, भरपूर मात्रा में होते हैं। ठीक उसके विपरीत कम सोने वालों के शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी पाई गई है। नतीजा कि ज्यादा सोने वालों की अपेक्षा कम सोने वाले लोगों के शरीर में ज्यादा कैलोरी जमा होती है। भविष्य में यही कैलोरी मोटापा, मधुमेह, हृदय और रक्तवाहिनियों से संबंधित गंभीर बीमारियों का एक प्रमुख कारण बन जाती है। जानी-मानी वेलनेस एक्सपर्ट डॉं. ईशी खोसला कहती हैं कि रात को आप जल्दी भोजन करने की आदत डालें। रात का भोजन आपके दोपहर के भोजन की अपेक्षा हल्का होना चाहिए। सोने के कम से कम तीन-चार घंटे पहले भोजन करने से भोजन का पाचन अच्छी तरह से होता है। रात में सोने से पहले हल्दी या अदरक मिले दूध का सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
शरीर में पानी की कमी
शरीर में पानी की कमी भी कम नींद यानी अनिद्रा का एक प्रमुख कारण हो सकता है। ज्यादा पानी पीने से आपका मेटाबॉलिज्म ठीक रहेगा और शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाएंगे। इसके अलावा विटामिन सी की कमी भी कम नींद का एक कारण है। स्ट्रॉबेरी, संतरा, अंगूर, नीबू, पपीता, कीवी, अमरूद, शिमला मिर्च का सेवन न केवल आपके पाचन शक्ति को बढ़ाता है बल्कि अच्छी नींद में सहायक है। शोध में पाया गया है कि सिलीनीयम जो कि मीट, मछली, चिकन, अंडे आदि में पाया जाता है, खाने से अच्छी नींद आती है। जो लोग शाकाहारी हैं वे नट्स, सनफ्लावर सीड्स, मशरूम, प्याज, चना, बार्ली, ब्राउन राइस, ओट आदि को अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं। लूटिन ओर जैकसनथिन नामक कैरोटिन जो हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है का सेवन भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। लाइकोपीन की कमी नींद में बाधक बन सकती है। इससे बचने के लिए आप नारंगी रंग के फल और सब्जियां जैसे संतरा, गाजर, टमाटर, खरबूज का सेवन कर सकते हैं। इनमें एंटी ऑक्सिडेंट तत्व पाए जाते हैं, जो आपके शरीर मेंकोलोस्ट्रॉल को कम करते हैं।
कार्बोहाइड्रेट भी है जरूरी
अच्छी नींद के लिए कार्बोहाइड्रेट की सही मात्रा लेना जरूरी है। वेलनेस एक्सपर्ट डॉं. शिखा शर्मा कहती हैं कि अगर अच्छी नींद चाहिए तो ग्लूकोज, अनाज, दूध और ओट्स का नियमित रूप से सेवन करें। साथ ही संतुलित भोजन पर जोर दें। खानपान के मामले में अनदेखी से आप अनिद्रा की शिकार हो सकती हैं।
नींद नहीं ली तो बन जाएंगे डायबिटीज के मरीज
तनाव के कारण लोग रात में कम नींद ले पाते हैं। अगर आप भरपूर नींद नहीं ले रहे हैं तो मोटापा और डायबिटीज के मरीज बन सकते हैं। सेहतमंद रहने के लिए रोज कितने घंटे की नींद जरूरी है? ब्रिटेन में माइकल मोचले ने नींद पर यूनिवर्सिटी ऑफ सरेज स्लीप रिसर्च सेंटर में शोध किया। देखा कि नींद का एक घंटा बढ़ा देने का क्या असर होता है। शोध में उन लोगों को शामिल किया गया, जो 6 से 9 घंटे की नींद ले रहे थे। इन्हें दो टीमों में बांटा गया। एक टीम को साढ़े छह घंटे और दूसरी को साढ़े सात घंटे की नींद लेने को कहा गया। एक हफ्ते बाद उनके ब्लड टेस्ट लिए गए। अब दोनों को नींद के वक्त की अदला—बदली करने को कहा गया। यानी साढ़े छह घंटे वाली टीम का एक घंटा बढ़ा दिया। साढ़े सात घंटे वाली टीम का एक घंटा कम कर दिया। एक हफ्ते बाद फिर ब्लड टेस्ट लिए गए। यह पाया गया कि जो लोंग अच्छी नींद लेते हैं, उनमें बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

नींद होगी पूरी दिन रहेगा खुशगवार!


चिड़चिड़ा मिजाज, बिगड़ा स्वास्थ्य और गड़बड़ दिन। इन सबकी गुत्थी जिस एक चीज पर आकर खुलती है वह है नींद। नींद यानी वह दवा जिसका सही डोज, सही समय पर लेने पर जिंदगी सेहतमंद और खुशी के रंग में रंगी रह सकती है। पर तेज रफ्तार जिंदगी में नींद के लिए ही वक्त कम होता जा रहा है।
कभी नन्हा बच्चा, तो कभी ऑफिस का ढेर सारा काम और कभी ऑफिस और बच्चे के साथ घर का मैनेजमेंट आपकी नींद पूरी नहीं होने देते। आपके साथ भी ऐसा ही होता होगा। पर नींद की कमी कई बड़ी बीमारियों को भी जन्म दे सकती है, इसलिए जरूरी है कि नींद पूरी हो। पर इसके लिए कुछ बातें आपको याद रखनी होंगी:
कब सोती हैं आप
सुबह सात बजे उठना है, रात के 12 ऐसे ही बज गए हैं। पर मुझे तो फेसबुक एकाउंट चेक करना है। अरे वो जरूरी ई-मेल तो चेक की ही नहीं, जरा वो भी देख लूं। सबकुछ करेंगी पर सुबह जल्दी उठने के लिए जल्दी सोएंगी नहीं। आपकी भी यही आदत है तो बदल दीजिए। सोने का समय तय कर लीजिए और किसी भी हाल में उसी समय पर सोने की कोशिश करें। जल्दी उठने के लिए जल्दी सोने पर ध्यान दीजिए, क्योंकि नींद है तो सेहत है और सेहत है तो दूसरे काम भी हैं।
अंधेरा हो कमरे में
दिनभर के काम, ऑफिस और फिर बच्चे, इन सबके बीच में एक-दो घंटे ही रिलैक्स करने के लिए मिलते हैं। पर, दिन में आराम करने जाओ तो बाकी के बचे काम की चिंता में ही नींद नहीं आती। अगर आपके पास भी सोने के नाम पर यह कुछ घंटे हैं तो इनका इस्तेमाल कीजिए। कमरे में पूरी तरह से अंधेरा करके सोइए। फिर देखिए आराम करने के लिए मिले दो घंटों का आप भरपूर इस्तेमाल कर पाएंगी।
टु-डू लिस्ट देगी अच्छी नींद
10 घंटे चिंताओं में करवटें बदलने से अच्छा 5 घंटे की सुकून भरी नींद का आनंद लिया जाए। रिलैक्स रहेंगी तो जितनी देर भी सोएंगी वो सुकून की नींद होगी। इसलिए जरूरी है कि आप दूसरे दिन किए जाने वाले कामों की टु-डू यानी कल करने वाले कामों की लिस्ट बना लें। ऐसा करना आपको सुकून तो देगा ही, साथ ही यह आपको दूसरे दिन सारे काम हो जाएंगे का आत्मविश्वास भी देगा।
बेडरूम का माहौल हो अच्छा
तकिये का कवर गंदा है, बिस्तर पर गैरजरूरी सामान पड़े हैं। बच्चों ने टॉफी खाई थी, उसके कवर जमीन पर ही पड़े हैं और हां, कमरे के कोनों में जाले भी लगे हैं। बेडरूम का नजारा ऐसा होगा तो सोने के लिए मिलने वाला समय भी बेकार हो जाएगा। मतलब पूरे दिन में नींद के लिए बमुश्किल निकलने वाले कुछ घंटों के समय में आप सुकून ही महसूस नहीं करेंगी। इसलिए जरूरी है कि बेडरूम हमेशा साफ-सुथरा रखिए। बेडशीट, दीवारें या फिर कोई शोपीस सबके सब साफ होंगे, माहौल अच्छा होगा तो यकीन मानिए दो घंटे की नींद भी आपको रिफ्रेश कर देगी।
कम नींद यानी झुर्रियों को बुलावा
जी हां, जरूरत से कम नींद झुर्रियों को जरा जल्दी बुला लेती है। इतना ही नहीं, मुहांसे और त्वचा का रूखापन भी कम नींद का परिणाम हो सकते हैं। दरअसल जब हम सोते हैं तो उस दौरान मस्तिष्क के साथ-साथ त्वचा की भी मरम्मत होती है। जब सोएंगे नहीं तो यह मरम्मत होगी नहीं और असर आपकी त्वचा पर साफ दिखेगा।
नींद अच्छी, तो सेहत अच्छी
ज्यादातर महिलाओं में नींद न आने की परेशानी शारीरिक दर्द से शुरू होती है। फिर खट्टी डकारें, थकान और हमेशा बुझा महसूस करना आम हो जाता है। पर इस पर ध्यान न दिया जाए तो छोटी-सी लगने वाली समस्या बड़ी बन जाती है। किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी, लखनऊ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉं डी. हिमांशु रेड्डी मानते हैं कि मेंटल कंफ्यूजन, डिप्रेशन से होते हुए परेशानी हाइपर टेंशन तक पहुंच जाती है। दरअसल महिलाओं पर पहले के मुकाबले मानसिक दबाव ज्यादा बढ़ गया है। उन्हें परिवार के रख-रखाव और ऑफिस के कामों को साथ में मैनेज करना होता है। डॉं रेड्डी कहते हैं कि इन सबके बीच बने तनाव के परिणाम स्वरूप उन्हें नींद से समझौता करना पड़ता है। महिलाएं मुश्किल से हर रोज 4 से 5 घंटे की नींद ही ले पाती हैं और इसका असर उनकी सेहत पर पड़ता है।
तेज दिमाग के लिए सोएं
सोना हमारे लिए क्यों जरूरी है, यह सवाल बार-बार उठता है और शोधकर्ता अपनी-अपनी तरह से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश भीकरते रहे हैं। एक शोध के मुताबिक सोने से हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं रिपेयर होती हैं, इसलिए हमें सोना चाहिए। एक अन्य शोध के मुताबिक सोने से हमारी याददाश्त बेहतर होती है, ऊर्जा मिलती है, ईटिंग डिसऑर्डर से बचाव होता है और साथ ही हम अल्जाइमर जैसी बीमारी के खतरे से भी बचे रहते हैं।
नींद को समझने की दिशा में न्यूयॉर्क के रॉस्टर युनिवर्सिटी की शोधकर्ता डॉं. मेकन नेडर्गार्ड ने एक और कदम बढ़ाया है। उनके अनुसार नींद हमारे मस्तिष्क की सफाई ठीक उस तरह से करता है, जिस तरह से डिशवॉशर बरतनों की सफाई करता है। यानी जब हम जगे होते हैं उस वक्त हमारे शरीर के संचालन के दौरान मस्तिष्क में कई तरह का कूड़ा-कचरा इक_ा हो जाता है। इनकी सफाई का काम मस्तिष्क उस समय करता है, जब हम सो रहे होते हैं। इस क्रम में मस्तिष्क में तरल पदार्थ जाते हैं और वे अपने साथ सारी गंदगियों को बाहर ले आते हैं। इस शोध में इस बात पर भी बल दिया गया है कि अच्छी नींद से अल्जाइमर का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है।
बच्चा सोता नहीं, कैसे सोएं?
बच्चा कुछ महीनों का ही है। अपने हिसाब से सोता है, अपने हिसाब से जागता है। पर इन सबके चक्कर में आपका अपना हिसाब गड़बड़ा गया है। सोने के वक्त जागना पड़ता है। जागने के वक्त बच्चे की ड्यूटी में रहती हैं वो अलग। तो मैडम, अपनी ड्यूटी को ऐसे बदलिए कि आप भी नींद ले सकें, वरना रूटीन के साथ आपकी हेल्थ भी गड़बड़ा जाएगी। इसके लिए करना इतना है कि जब बच्चा सोए तो आप भी सो लें। जरूरी नहीं कि जब वो सोए तब आप खाली ही हों। पर वो दिन भर में कई बार सोएगा और जागेगा। ऐसे में उसके सोते ही आप अपनी प्राथमिकता नींद को बनाएं, पर कोई दूसरा काम ज्यादा जरूरी लगे तो कर लें और अगली बार उसके सोते ही अपनी नींद की प्राथमिकता को पूरा कर लें।

Sunday, July 5, 2015

Angelina Jolie’s lookalike Veronika Black is new internet sensation
























A probability of finding a lookalike may be low, but this doesn’t mean that you will not come across such people.
 
The latest in this case is 27-year-old model Veronika Black, who has become an internet sensation because of striking similarity with Hollywood actress Angelina Jolie.
 
Photos of Angelina lookalike Veronika have set the internet on fire for the first time when she injected her lips. She has also enhanced her breasts surgically to a voluptuous 32J.
 
Veronika says that she has always been compared to Angelina Jolie because of her hair and lips resembling the actress.

Sunday, April 5, 2015

Indian BrahMos missiles will strengthen the capacity of India strike


In the defense sector Hindustan Aeronautics Limited (HAL) to the IAF recently supersonic cruise missile BrahMos' first Sukhoi-30 MKI fighters handed equipped. Bangalore, the Aero India 2015 air show in town Yelhanka airbase aircraft in the Air Force was handed over to the new force. Defence Research and Development Organisation (DRDO) Director General Dr aeronautics.'s. Tmilmani flight by Air Marshal SBP Sinha lends certificate was approved. AM General of Aeronautical Quality Assurance by the king Kannu clearance certificate credentials aircraft assigned to Air Marshal Sukhchain Singh. After the missile equipped enemy forces for the fighter aircraft to be extremely deadly and has proven disastrous.

On this historic occasion HAL HAL Chairman for the Suvarna Raju is a very proud moment. HAL after thorough analysis by its internal design team BrahMos missile is fitted into the plane. HAL BrahMos Aerospace Private Limited (Biapiel) made to reduce costs and provide indigenous solutions. Sukhoi-30 aircraft successfully integrating a combination of BrahMos missile, DRDO, HAL and IAF reflects a coordinated and coordination.

Hopefully in a short period, the second aircraft will be equipped with this missile. HAL 2010, the project was taken as a challenge to him in relation to the design of Sukhoi-30MKI were much lower figures. In January 2011 the company received approval for the project and integration in 2014, won the contract for the combination was Biapiel. This was achieved in much less time. Earlier, on February 14, 290 km to the Minister Manohar Parrikar supersonic cruise missile BrahMos longer range of the Indian Navy's INS Kolkata was successfully tested.

The world's fastest cruise missile BrahMos. The US subsonic Tomahawk cruise missile is three times faster. INS Kolkata on August 16 last year approved the Navy. The Indian Navy is extremely powerful and the new warship. BrahMos missile chief Sudhir Mishra eight missiles in general is the ability of a vessel INS Kolkata 16 BrahMos missiles but can stain. The special design of the universal vertical launcher was used horizontally with the help of which the missile can be attacked in any direction.



The first version of the BrahMos Indian Navy from 2005 to engage in the process of its frontline warships have taken up. In 2005, it was deployed in INS Rajput. March 21, 2010 off the coast of Orissa was tested by the Indian Navy's INS Ranvir. Wartikl test that it was vertical. The missile can be launched from the multipurpose platform. The missile has already been inducted into the Army. Two regiments of the Army of the missile is fully operational.

Brahmos functionally involved in the military in the first fleet of 67 missiles, five mobile autonomous launchers includes two mobile command post. The second regiment of BrahMos missiles -2 army is preparing to block the land attack cruise missile is known. The missile has been designed in such a way that the population is too small to be targeted goals. BrahMos Block-2, including terrorist camps can be traversed very specific goals. It is fully capable of surgical strikes. The army is now in the third regiment is ordered to deploy on production.

India's Brahmaputra river and Russia Moskwa BrahMos word is made up names. The missile in 2006, is India's military service. The creation of the Federal State Unitary Enterprise of Russia and India's Defence Research and Development Organisation (DRDO) has been by. The range of the missile costs about Rs 13.65 crore. Its maximum speed is 2.8 MAC. BrahMos missile approximately three times faster than the speed of sound is about to start. BrahMos missile armed with long-range firepower of 200 to 300 kg is able to move with conventional warfare. The missile is 8.4 meters in length, 0.6 meters in diameter and weighs 3,000 kg.

Three versions of BrahMos block with modern guidelines and advanced software has been tested successfully in December 2010 in which three of the missile test was able to prove its accuracy on all parameters. At various points in this trial were included its acrobatic. After the successful test, according to DRDO, India has become the world's only country which has such a sophisticated cruise missile that can hit Dive speed of sound is the last and most difficult targets but also the exact target is likely. The update operation technology and advanced software to a height of 10 meters to the ground and made efficient to penetrate the target. In the areas of cross-border terrorist camps can be dismantled without having to create all sorts of havoc.

India will develop future hypersonic BrahMos missile and will soon become the first country in the world with a speed of about 6,000 kilometers per hour will missile strike. India and Russia in September 2010 and the two countries agreed to build it had signed an agreement. The new version will not be an increase in firepower because Russia has signed Rizim missile control and the more distance than any other country with a range of 300 kilometers, can not develop missile. If the missile is developed then it broke its own record will become the world's fastest missile. The missile is expected to be built by 2016.

Clearly, the success of BrahMos missiles would incur the power of three forces of India.

Wednesday, March 11, 2015

The Intelligence Factory PHOTOS, where the high-speed aircraft was made



These pictures show how the engineers in California in 1960 for the SR -71 Blackbird USAF intelligence methods was prepared. These aircraft, the name still holds the record for the fastest aircraft. Lockheed SR -71 Blackbird spy plane strategic long-distance. These pictures show how the California Burbank intelligence circumstances Lockheed Blackbird three types A, B and C are used to make.

The US aerospace giant Lockheed Ayrfraft had been under a black project. It was a military project. Since July 1976 Blackbird SR -71 Ayrfraft record as the fastest, the speed 3,530 kph (2,193 mph) is. American aerospace engineer famous for its design by Clarence Kelly Johnson had several innovative concepts. SR -71 basic characteristics of the design, as well as a modern spy plane was ready to act.

Blackbird in the US Air Force from 1964 to 1998 and served a total of 32 aircraft were built. They have over 12 different accidents, but these were not subjected to any enemy attack. The missile hit the plane in the sky from the earth can not pursue. Its design has been designed such that they can stay away from the aircraft radar.