Friday, September 30, 2016

कमांडो को दी जाती है 15 दिनों तक जागने की ट्रेनिंग, इसलिए कहते हैं स्पेशल फोर्स


भोपाल। पठानकोट हमले के बाद सेना के कमांडो की बहादुरी के चर्चे हर तरफ हैं। खास ऑपरेशन के लिए तैयार इन जवानों की ट्रेनिंग बेहद कठिन और शरीर को थका देने वाली होती है। इस ट्रेनिंग में जो जवान खरा उतरता है, उसे ही स्पेशल फोर्स में शामिल किया जाता है। ट्रेनर की जुबानी सुनिए, कैसे तैयार होते हैं कमांडो क्यों कहते हैं स्पेशल फोर्सेज?

जबलपुर के रहने वाले कमांडोज मेंटर ग्रैंड मास्टर शिफुजी शौर्य भारद्वाज ने आर्मी डे पर  बताया था कि स्पेशल फोर्सेज का सेना की भाषा में मतलब होता है 'नो केजुअल्टी'। यदि स्पेशल फोर्स के 20 जवान लड़ने जाते हैं तो माना जाता है कि 20 जवान वापस लौटकर आएंगे। हालांकि कई दफा परिस्थितियों के कारण ऐसा नहीं हो पाता।

ऐसे होती है ट्रेनिंग :
- रोजाना 42 किमी दौड़ना
- 7 किमी पानी में तैरना
- 3200 पुशअप्स
- 25 अलग-अलग तरह की बेहद कठिन एक्टिविटी
- 42 किमी में से 12 किमी अपने से दोगुना वजन लेकर दौड़ना
- 22 घंटे की ट्रेनिंग, 2 घंटे की नींद

15 दिनों तक जागने की ट्रेनिंग
इन कमांडोज को इतनी ट्रेनिंग दी जाती है कि वे बिना खाए-पिये और सोए 15 दिनों तक लड़ाई करते रहें। ये कमांडोज 50 डिग्री से ज्यादा वाले रेगिस्तान और खून जमा देने वाले सियाचिन में भी लड़ाई के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

15 महीने से 3 साल तक की ट्रेनिंग
कमांडोज की यह ट्रेनिंग 15 महीने से 3 साल तक होती है। इसके बाद भी उन्हें हर दूसरे महीने में पहले के मुकाबले अपनी क्षमता लगातार बढ़ानी होती है।

ये हैं भारत की स्पेशल फोर्सेस
- मार्कोस
यह कमांडो वैसे तो भारतीय नौ सेना के जवान होते हैं, लेकिन किसी भी स्थिति में लड़ाई लड़ने में सक्षम होते हैं। भारत के सबसे बेहतरीन कमांडो इन्हें माना जाता है। मार्कोस कमांडो को थ्री डाइमेंशन फोर्स भी कहा जाता है।
- पैरा कमांडोज
2015 में म्यामांर में सर्जिकल ऑपरेशन पैरा कमांडोज ने ही किया था। इन कमांडोज को दुश्मन के इलाके में घुसकर बिना कोई सबूत छोड़े ऑपरेशन करने के लिए जाना जाता है। ये कमांडोज थल सेना के होते हैं।
- गरुड़ कमांडोज
भारतीय वायु सेना के इन कमांडोज ने भी पठानकोट एयरबेस में ऑपरेशन में हिस्सा लिया था। 6 गोली लगने के बाद भी 1 घंटे तक लड़ने वाला जांबाज गरुड़ कमांडोज फोर्स का था। ये हवा और पृथ्वी के माहिर होते है।
- एनएसजी
एनएसजी कमांडोज को ही ब्लेक कैट कमांडोज के नाम से जाना जाता है। 2008 के मुंबई हमले जैसे ऑपरेशन में एनएसजी फोर्स का उपयोग किया गया। इन कमांडोज को दुनिया के सबसे बहादुर कमांडोज में से एक माना जाता है।























इस हेलीकॉप्टर से हुआ Surgical strike, जानें क्या है इसकी खासियत


ग्वालियर। LOCके पार हमारी सेना ने Surgical strike में ध्रुव हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया है। देश में ही बना ध्रुव हेलीकॉप्टर, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है। इस हेलीकॉप्टर को आर्मी के अलावा एयरफोर्स और नेवी तीनों को बनाकर दिया गया है। ऐसे होती है प्रैक्टिस........
आर्मी के पास है ध्रुव का रुद्र वर्जन
-जिस ध्रुव हेलीकॉप्टर से आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक किया, वह रुद्र वर्जन था। इस रुद्र हेलीकॉप्टर में नाग मिसाइल सिस्टम है।
-यही नहीं रुद्र दुश्मन के मिसाइल हमले का पहले अनुमान लगाकर दिशा बदलने की क्षमता रखता है।
-ध्रुव में इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग सिस्टम है, जो पहले से खतरे का अनुमान लगाकर स्ट्राइक करने में सक्षम हैं।

देखिए ध्रुव हेलीकॉप्टर के आसमान में करतब.........