Sunday, May 19, 2013

मेरी मेडिकल चॉइस: ऐंजलीना जोली



करीब दस साल पहले मेरी मां की मौत ब्रेस्ट कैंसर से हुई थी। उस समय वह 59 साल की थीं। मां बच्चों को बहुत प्यार करती थीं। हमारे परिवार के कई बच्चों को उनसे मिलने का सौभाग्य मिल चुका है लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी नानी को नहीं देखा। मैं बच्चों को उनकी नानी के बारे में बताती हूं। उन्हें उस बीमारी के बारे में भी बताती हूं जिसने नानी को हमसे छीन लिया। बच्चे उदास होकर मुझसे पूछते हैं, क्या मैं भी उन्हें उसी तरह छोड़कर चली जाऊंगी जैसे नानी चली गई।
उनका मन रखने के लिए मैं कहती हूं कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन मुझे पता है कि मेरे अंदर वह खराब जीन बीआरसीए 1 मौजूद है जिसकी वजह से मुझे कभी भी ब्रेस्ट कैंसर और ओवरियन कैंसर हो सकता है। डॉक्टरों का कहना था कि इनके होने का खतरा मेरे लिए क्रमश: 87 और 50 परसेंट है। हर औरत के मामले में यह रिस्क अलग-अलग होता है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में ब्रेस्ट कैंसर की वजह वंशानुगत नहीं होती।
जरूरी नहीं कि परिवार में किसी को यह बीमारी हो तभी दूसरों को इसका रिस्क हो। यह भी संभव है है कि जीन में गड़बड़ी होने के बावजूद किसी महिला को यह बीमारी न हो। जीन में गड़बड़ी वाली सौ में 65 महिलाओं को ही कैंसर होने का खतरा होता है। जब मुझे इस सच्चाई का पता चला तो मेरे पास एक ही रास्ता था। बचाव के कदम के रूप में मैंने अपने दोनों स्तन निकलवा देने का फैसला किया, क्योंकि मुझे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा है। 27 अप्रैल को मेरी करीब तीन महीने लंबी मास्टेक्टॉमी पूरी हुई।
अब तक मैंने कहीं इसका जिक्र नहीं किया, लेकिन अब मैं इस विषय में सबको बताना चाहती हूं ताकि अन्य स्त्रियों को भी इस बीमारी के बारे में पता चले। आज के दौर में भी कैंसर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। हताश हो जाते हैं और उम्मीद छोड़ देते हैं। लेकिन आज कैंसर से लडऩा उतना मुश्किल नहीं है। एक ब्लड टेस्ट से पता चल जाता है कि किसी महिला को ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर का खतरा है या नहीं। सही समय पर बीमारी के बारे में पता चल जाए तो इलाज संभव है।
मेरा मेडिकल प्रसीजर 2 फरवरी को शुरू हुआ। पहला कदम था निपल डिले। इसमें निपल के पीछे छाती में रक्त प्रवाह बढ़ाकर बीमारी को रोकने की कोशिश की जाती है। इसमें दर्द होता है लेकिन इससे निपल बचने की संभावना बढ़ जाती है। दो हफ्ते बाद मेरी आठ घंटे लंबी एक बड़ी सर्जरी हुई जिसमें ब्रेस्ट के टिशूज को निकालकर उसकी जगह टेंपररी फिलर्स लगाए गए। होश आया तो मेरे शरीर में ट्यूब्स लगे थे। लगा कि किसी साइंस फिक्शन फिल्म की शूटिंग कर रही हूं। लेकिन सर्जरी के कुछ ही दिनों बाद मैं नॉर्मल हो गई। नौ हफ्ते बाद ब्रेस्ट इम्प्लांट के लिए फाइनल सर्जरी हुई। पिछले कुछ सालों में इस सर्जरी की तकनीक बहुत उन्नत हो चुकी है। इसके नतीजे भी बहुत खूबसूरत हैं।
मेरे लिए यह फैसला लेना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब मैं खुश हूं कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर होने का चांस अब सिर्फ पांच परसेंट है। मैं अपने बच्चों को कह सकती हूं कि उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं। नानी की तरह उनकी मां उन्हें छोड़कर नहीं जाएगी। मैं पूरी कोशिश करती हूं कि मेरे बच्चे खुश रहें। उन्हें मेरी तकलीफ के बारे में पता न चले। उन्हें मेरे शरीर पर कुछ छोटे निशान दिखते हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं। बाकी सब पहले जैसा है।
उनकी मां पहले की तरह उनसे प्यार करती है, उनके नखरे उठाती है। वे जानते हैं कि उनकी मां उन पर जान छिड़कती है और उनके लिए किसी भी हद तक जा सकती है। व्यक्तिगत तौर पर मैं खुद को पहले से ज्यादा ताकतवर महसूस कर रही हूं। बेशक, इस फैसले ने मेरे स्त्रीत्व को खंडित नहीं किया, बल्कि उसे मजबूत बनाया क्योंकि स्त्रीत्व देह का नहीं, व्यक्तित्व का गुण है।
मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे ब्रैड पिट जैसा जीवनसंगी मिला। किसी पति या पार्टनर के लिए भी यह एक अभूतपूर्व अनुभव है क्योंकि वह इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है। सर्जरी के दौरान ब्रैड पिंक लोटस ब्रेस्ट सेंटर में मौजूद थे। जब मैं अस्पताल में थी तो वह हर पल यह कोशिश करते थे कि मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट हो। इस बीच हम एक दूसरे के करीब आए और हमारा प्यार और बढ़ा। मैं हर औरत को बताना चाहती हूं कि उसे निराश होने की जरूरत नहीं क्योंकि उसके पास विकल्प मौजूद है। जिन महिलाओं के परिवार में किसी को ब्रेस्ट या ओवरियन कैंसर हो चुका है, उन्हें भी परेशान होने के बजाय डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए। इस तरह वे तय कर सकेंगी कि उन्हें किस तरह के इलाज की जरूरत है। कई डॉक्टर हैं सर्जरी की बजाय दूसरी तकनीकों का भी इस्तेमाल करते हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के आंकड़े बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से हर साल साढ़े चार लाख मरीजों की मौत होती है। खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में न तो उन्हें जांच की सुविधा मिलती है, न ही सही समय पर उनका इलाज किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि हर पृष्ठभूमि और आर्थिक स्थिति वाली महिला को जीन टेस्टिंग का मौका मिले और समय पर उसका उपचार हो। अमेरिका में बीआरसीए 1 और बीआरसीए 2 की जांच बहुत महंगी -तीन हजार डॉलर से ज्यादा है, इसलिए यहां भी बहुत सी महिलाएं अपनी जांच नहीं करा पातीं।
मैंने अपने अनुभव को सार्वजनिक करने का फैसला किया, क्योंकि मैं चाहती हूं कि अन्य औरतों को भी इस बारे में पता चले। वे कैंसर के खतरों के बारे में जानें, साथ ही यह भी जानें कि इसका इलाज संभव है। उम्मीद है, वे अपनी जांच कराएंगी और कैंसर का खतरा होने पर विकल्पों की तलाश करेंगी। जीवन चुनौतियों से भरा है, लेकिन जिन चुनौतियों का मुकाबला करने की ताकत हममें है, उनसे हमें बिल्कुल घबराना नहीं चाहिए।

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