Tuesday, February 11, 2014

हथियारों से दिखेगी 'बाजुओं' की ताकत, चीन और पाक को पछाड़ भारत नंबर वन


नई दिल्ली. देश की राजधानी में डिफेंस एक्सपो गुरुवार को शुरू हो गया है। प्रगति मैदान में यह 9 फरवरी तक चलेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एशिया का सबसे बड़ा एक्सपो है। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने एग्जीबिशन का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि डिफेंस के क्षेत्र में भारत नई टेक्नोलॉजी अपना रहा है। हम हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम कमजोर हैं। डिफेंस एग्जीबिशन ऑर्गेनाइजेशन (डीईओ) इस एक्सपो का आयोजन कर रही है। एग्जीबिशन में इक्विपमेंट्स का प्रदर्शन करने के लिए फ्रांस, जर्मनी, इटली, नॉर्वे, हंगरी, इजरायल, ब्रिटेन और अमेरिका ने ज्यादा स्पेस खरीदा है।

आर्म्स इंपोर्ट कराने वाले देशों में भारत नंबर वन

दुनिया में सबसे ज्यादा आर्म्स इंपोर्ट कराने वाले देशों में भारत नंबर वन पर है। इस मामले में चीन दूसरे और पाकिस्तान तीसरे नंबर पर है।

बढ़ोतरी हुई

2008-12 के दौरान भारत के आर्म इंपोर्ट में

1.93 लाख करोड़ का डिफेंस बजट 2012 में

2 लाख करोड़ का डिफेंस बजट 2013 में

42% आर्मी, नेवी, एयर फोर्स को एडवांस करने पर खर्च

एक नजर में हथियार मेला

30 देश भाग ले रहे हैं डिफेंस एक्सपो में

256 भारतीय कंपनियां

368 विदेशी कंपनियां डिफेंस इक्विपमेंट्स का प्रदर्शन करेंगी

335 कंपनियों ने भाग लिया था 2012 में

27,700 वर्ग मीटर स्पेस की नीलामी हुई है एक्सपो के लिए

27,150 वर्ग मीटर स्पेस नीलाम हुआ था 2012 में


इजरायल की अनमैन्ड फास्ट पेट्रोलिंग बोट

इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री लिमिटेड कंपनी ने नेवी के लिए एक अनमैन्ड फास्ट पेट्रोलिंग बोट डेवलप की है।

इसलिए खास

ऑयल टर्मिनल्स और समुद्र के अंदर गैस और ऑयल पाइपलाइन की निगरानी करेगी। खतरे का संकेत मिलते ही कंट्रोल रूम में अलर्ट जारी कर देगी।


टाटा का लाइट आर्म्ड हाई मोबिलिटी व्हीकल
इसलिए खास: सभी सीटें माइन ब्लास्ट प्रोटेक्टड हैं। 12 लोग बैठ सकते हैं। इस पर तीन गन लगी हैं।
105 किमी प्रति घंटा की स्पीड व ऑल व्हील ड्राइव
हल्का बहुउद्देशीय सशस्त्र वाहन
हथियारों से लैस इस वाहन का इस्तेमाल रेतीले इलाके में आर्मी के लिए होता है। वाहन में दो मशीन गन इंस्टॉल की गई है। जिनकी क्षमता 300 राउंड फायर की है। बुलेटप्रूफ इस वाहन को गोलियों की बौछार के बीच भी दौड़ाया जा सकता है। दुश्मन की रेंज नापने के लिए इसमें दो रेडियो एक्टिव सिस्टम इंस्टॉल हैं जो इसके 700 मीटर के रेडियस में आने वाले माइन्स और विस्फोटक टैंक माइन्स को पहचान सकता है।


फिनलैंड: टीआरजी एम-10 स्नाइपर राइफल

फिनलैंड की कंपनी साको लिमिटेड ने टीआरजी एम-10 स्नाइपर राइफल पेश की है। यह पूरी तरह ऑटोमैटिक है। हर तरफ मूवमेंट करवाई जा सकती है। फिलहाल कीमत का खुलासा नहीं किया गया है।


डीआरडीओ ने पेश किया रस्टम-1 यूएवी

डीआरडीओ ने अनमैन्ड एरियल व्हीकल रस्टम वन पेश किया। मिलिट्री ऑपरेशन में इस्तेमाल होगा।


खासियतः 11,500 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। दुश्मन के रेडियस से ऊपर उड़ने के कारण आसानी से हमले करने की क्षमता है।




एके-104: ये स्टेनगन एके-47 के मुकाबले तीन गुना ज्यादा एडवांस है। रक्षा प्रणाली में इसका इस्तेमाल थलसेना और नेवी करती हैं। एके-104 की मारक क्षमता करीब 1200 मीटर तक है। रूसी अर्द्धसैनिक बलों के पास रहने वाली एके-104 से एक मिनट में करीब 80-90 गोलियों दागी जा सकती हैं। 
इसके मुकाबले एके-47 एक मिनट में 60 गोलियां दाग सकती है। रूसी कंपनी द्वारा निर्मित एके-104 को पिछले वर्ष ही रूसी सेना को सौंपा गया। जबकि भारत ने वर्ष 2014 के हथियारों के बजट में इस गन को शामिल किया है। 
कब बनी थी पहली मशीन गन
एके-47 दुनिया भर में मशहूर थी और कई देशों की सेना और गुरिल्ला आर्मी ने इसे अपनाया था। हीरो ऑफ रूस के सम्मान से नवाजे गए रूसी डिजाइनर मिखाइल कालाश्निकोव ने पहली मशीन गन का डिजाइन 1942 में बनाया था। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह सोवियत यूनियन की रेड आर्मी में टैंक कमांडर के तौर पर नियुक्त थे और घायल अवस्था में थे। 1947 तक सोवियत मिलिट्री सर्विस में एके-47 को अपना लिया गया था। 1950 की शुरुआती समय सोवियत यूनियन और वार्सा संधि वाले देशों के बीच में यह मशीन गन स्टैंडर्ड मान ली गई थी। सबसे ज्यादा गन का इस्तेमाल पैरामिलिट्री सेना ने किया। एके 47 की प्रसिद्धी का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 1960 से 70 के दशक में मोजाम्बिक में जारी अस्थिरता के बीच इसे इतनी लोकप्रियता हासिल हुई कि राष्ट्रीय ध्वज पर भी इसकी तस्वीरें थी। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 10 करोड़ एके 47 राइफलें हैं।


एंटीपनडुब्बी युद्धक विमान पी-81
 
युद्धक विमान पी-81 को सबसे पहले ऑस्ट्रेलियन वाटर में पाटरोल बोट्स में इस्तेमाल किया गया। 28 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले इस एयरकाफ्रट की 1400 मील तक मारक क्षमता है। वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी रिजर्व में इसे शामिल किया गया है। एक समय में इसमें 3 सैनिक और 16 सेलर मौजूद रहते हैं। 40 एमएम क्षमता वाली गन से लैस विमान के अंदर 0.50 कैलिबर की दो एम2 मशीन गन्स भी इंस्टॉल रहती हैं।


पोर्टेबल आर्टिलरी सिस्टम 85 एमएम कार्ल-गुस्ताफ

इसका विकास जर्मनी के द्वारा किया गया और एक स्वीडिश कंपनी को इस अत्याधुनिक हथियार को तैयार करने में 27 महीने लगे थे। मारक क्षमता में इस अत्याधुनिक मिसाइल गन का जवाब नहीं। 300 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलने वाली इस गन की खासियत ये है कि इसे कहीं भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 500 एमएम स्टील कोटेड ये मिसाइल गन एक बार में दो राउंड फायर करने में सक्षम है। इससे पहले जर्मन और स्वीडिश सेना के पास 84 एमएम कार्ल गुस्ताफ हुआ करती थी, जिसे 1948 में ही सेना में शामिल की गई थी। एक्सपोर्ट मार्किट में उसकी डिमांड अच्छी होने के कारण यह आज लगभग सभी देशों की सेना में शामिल है। हालांकि जर्मन और स्वीडन के बाद किसी अन्य देश की सेना में इसे 1990 में शामिल किया गया था। 


सैनिकों के लिए तैयार बॉडी सूट

थलसेना के लिए बॉडी सूट को बहुत पहले से इस्तेमाल किया जाता है। गन, चाकू और छोटे आर्म्स रखने के लिए इसे वर्दी के नीचे पहना जाता है। खासकर रेतीले बॉर्डर और ऊंची पोस्ट पर तैनात सैनिकों के लिए ये कारगर है। इस अत्याधुनिक सूट को यूएस आर्मी ने डिजाइन किया था। इसे पावर्ड आर्मर, एग्जोफ्रेम और एक्सोसूट भी कहा जाता है। सैनिकों को अपना बैग और आर्म्स इस सूट के साथ बांधकर ले जाने में आसानी रहती है। इसमें करीब 80 किलो से लेकर 300 किलो तक का भार सहने की क्षमता होती है।



बख्तरबंद गाड़ी केस्ट्रेल

केस्ट्रेल का इस्तेमाल पानी और जमीन दोनों पर होता है। इस टैंक को मरिन न्यू वैपन के नाम से भी जाना जाता है। चीन ने इसे सबसे पहले अपनी आर्मी में शामिल किया था। इसकी खासियत है कि पानी के अंदर भी ये उतनी ही मारक क्षमता रखता है जितनी जमीन पर। जमीनी इलाकों में ये जितनी तेजी से दुश्मन खेमे में पहुंच सकता है दूसरा कोई टैंक नहीं पहुंच सका। एक मिनट में तीन राउंड फायर करने की क्षमता से लैस है।



रूसी हथियारों का पंडाल
 
रूसी हथियार पंडाल में रखी ये 3 नॉट थ्री एयर गन को प्रदर्शनी में रखा गया है। यह पूरी तरह ऑटोमैटिक गन है। गन को हर तरफ मूवमेंट करवाई जा सकती है। एक समय में 30 राउंड गोली फायर करती है।



मल्टीपर्पज, हैवीवेट टॉरपिडो सी हॉक

सी हॉक एक ऐसी मिसाइल है जिसे मिग विमानों में इस्तेमाल किया जाता है। वायुसेना और नेवी इसे अपने सबसे प्रमुख हथियारों में से एक मानती हैं। 1970 में पहली बार इसे यूएस नेवी ने अपने हेलीकॉप्टर्स में इस्तेमाल किया था। 


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इजरायल का रक्षा पंडाल

इजरायल के रक्षा पंडाल में वायुसेना विमानों को देखना बेहद दिलचस्प है। इसमें खासकर इजरायल स्पेस जेट विमान को पेश किया गया है। इसके अलावा इजरायली एयरोस्पेस इंडस्ट्री लिमिटेड कंपनी ने नेवी के लिए एक अनमैन्ड फास्ट पेट्रोलिंग बोट को भी प्रदर्शित किया है।



सबसे लंबी शिप

डिफेन्स एक्सपो में पेश की गई ये शिप भारत में बनी अब तक की सबसे लंबी शिप है। एक्सपो में आने वालों की दिलचस्पी इसमें बहुत दिखाई दे रही है। 


डिफेन्स एक्सपो में पहुंचे गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे