9/11 से जुड़ी ये थ्योरीज, जिनसे आज भी बेखबर है पूरी दुनिया
कभी-कभी इतिहास में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिसकी याद आने वाली पीढ़ियों के दिमाग में भी ताजा बनी रहती हैं।
अमेरिका में 9/11 का हमला कुछ ऐसी ही घटना है। इस हमले के बाद पूरी दुनिया की शक्ल ओ सूरत बदल गई। अलकायदा द्वारा किए गए हमले की थ्योरी के बावजूद एक दूसरी थ्योरी भी पूरी दुनिया में चलती रही है। इस हमले को लेकर कई तरह के मिथ सामने आए। अमेरिका ने पूरी दुनिया से साफ-साफ कहा था या तो आप हमारे साथ हैं या फिर हमारे दुश्मन।
क्या यह हमले सच में अलकायदा ने करवाए थे या फिर अमेरिका ने जानबूझकर इन हमलों को अपने ऊपर करवाया, जिससे वो आने वाले समय में पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव बना सके।
नो प्लेन थ्योरी को मानने वाले कई विशेषज्ञों का कहना था कि ट्विन्स टॉवर को प्लेन से उड़ा देना लगभग नामुमकिन था. उनका मानना था कि जिस तरह स्टील का इस्तेमाल वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में किया गया है, उसे भेदना मुश्किल काम था. जानकार मानते हैं कि हमले के जितने वीडियो दिखाए जाते है वो सब एडिट किए गए है. अगर आप फ्रेम दर फ्रेम देखें तो आपको पता चलेगा कि असल में आप जिसे प्लेन समझ रहे थे वो मिसाइल निकले. दरअसल वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का गिरना उसके स्ट्रक्चर का ढहना था.
लोगों का मानना था कि अमेरिका ने खुद अपने ऊपर यह हमले करवाए हैं ताकि वो बाकी दुनिया में अपनी पहुंच को फिर से कायम कर सके. अपने ऊपर हमले करवा कर उसे अफगानिस्तान में हमला करने का बहाना चाहिए था, इसी तरह मध्यपूर्व में कमजोर पड़ चुकी ताकत को उसने इराक पर हमले करके मजबूत किया वो भी सिर्फ जैव हथियारों का बहाना बनाकर.
हमले के लिए चार प्लेन हाइजेक किए गए थे, जिसमें से दो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर, एक पेंटागन पर गिरे थे. जबकि चौथा शेंकविले में खाली मैदान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. रक्षा विभाग का कहना था कि इसका निशाना व्हाइट हाउस था. विशेषज्ञ कहते हैं कि इसका निशाना सच में राष्ट्रपति भवन था तो फिर यही निशाने पर क्यों नहीं लगा. कहा जाता है कि इस विमान को अमेरिकी सरकार ने सुरक्षित उतरवा लिया था और इसकी जगह टूटा हुआ विमान रख दिया था.
वॉल स्ट्रीट की कई फर्म्स और इंश्योरेंस फर्म्स का पैसा यूनाइटेड एयरलाइंस और अमेरिकी एयरलाइंस में लगा हुआ था. कई फर्म्स को भनक लग चुकी थी जल्द ही कोई बड़ी घटना घटने वाली है और कई फर्म्स ने इसी बहाने से पैसा बनाने तरीका निकला था.
एक सवाल ये खड़ा होता है कि हमले होने के तुरंत बाद ओसामा ने इन हमलों में अपना हाथ होने से साफ-साफ इनकार कर दिया था क्यों अचानक ऐसे वीडियो की बाढ़ सी आ गई थी , जिसमें वो अमेरिका को इसी तरह के हमले करने की चेतावनी देता था. क्या वो सभी वीडियो फर्जी थे.
हमले होने के पहले लगभग 4000 यहूदियों ने उस दिन छुट्टी ले रखी थी. इसका क्या मतलब निकला जाए क्या इन यहूदी समुदाय को पहले से ही पता था कि इस तरह के हमले होने वाले हैं.
एयरलाइन से जुड़े जानकार कहते हैं कि प्लेन में बैठे यात्रियों ने अपने घर फोन कर प्लेन के हाइजेक होने की बात कही, जबकि इतनी ऊंचाई पर फोन नेटवर्क मिलना एकदम असंभव है.
17 देशों में ग्लोबल सर्वे में अमेरिकी हमले को लेकर लोगों की राय मांगी गई, जिसके नतीजे बड़े चौंकाने वाले थे. 17 में से सिर्फ 9 देश मानते थे कि हमला अलकायदा ने करवाया है. सिर्फ 46 फीसदी लोग ही अलकायदा को इन हमलों का जिम्मेदार मानते थे, जबकि 7 फीसदी अमेरिका को, 7 फीसद इजराइल को और 7 फीसद अन्य को मानते थे.
साभार दैनिक भास्कर.
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