अनार भारत के लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है। अनार के फल के अलावा इसके पेड़ के सभी हिस्से औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। माना जाता है कि फल की अपेक्षा इसकी कच्ची कली व फलों के छिलके में अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं। अनार का वानस्पतिक नाम प्युनिका ग्रेनेटम है। आदिवासी भी अनार को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाते हैं। चलिए, आज जानते हैं अनार के औषधीय गुणों के बारे में।
अनार के संदर्भ में रोचक जानकारियों और परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहे हैं डॉ. दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्य प्रदेश), डांग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहे हैं।
मिरगी के दौर पड़ने पर अनार के फायदे-
लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्तों को 500 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाए, तो इसे छानकर 75 ग्राम घी और 75 ग्राम शक्कर मिलाएं। इसे सुबह-शाम पीने से मिरगी के रोग में खूब फायदा होता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फायदेमंद
2-आदिवासियों की मान्यता के अनुसार, जिन महिलाओं को मातृत्व प्राप्ति की इच्छा हो, अनार की कलियां उनके लिए वरदान की तरह हैं। इन आदिवासियों के अनुसार अनार की ताजी, कोमल कलियां पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।
3-लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को आधा लीटर पानी में उबालें, जब यह एक-चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ले करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है।
दांतों से खून और दिल से जुड़ी बीमारियों के लिए
3-ऐसा माना जाता है कि अनार के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है और इसी वजह से यह हृदय के लिए भी खूब लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक गिलास अनार का जूस पीने से सेहत तंदुरुस्त रहती है।
5-पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीसकर मंजन की तरह दिन में 2 से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दांतों से खून आना बंद हो जाता है और दांत मजबूत हो जाते हैं।
पेशाब और पेट दर्द के लिए
5-लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण (लगभग 1 ग्राम) और सोंठ का चूर्ण (लगभग आधा ग्राम) मिलाकर पीने से पुरुषों में पेशाब के साथ वीर्य निकलने की समस्या में बहुत लाभ होता है।
7-डांग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार पेटदर्द और अतिसार में इसके पत्तों को अनारदानों के साथ पीसकर अदरक के रस के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
बुखार, पीलिया और खांसी के लिए
5-पीलिया, बुखार और सर्दी-खांसी में बीच से कटी हुयी भिंडी की फलियां (लगभग 5), नींबू रस (आधा चम्मच), अनार और भुई आंवला की पत्तियां (5-5 ग्राम) आदि को 1 गिलास पानी में रात भर के लिए रख दें। अगली सुबह सारे मिश्रण को अच्छी तरह से पीसकर प्रतिदिन 2 बार लगातार 7 दिनों तक लेने पर पीलिया में यह काफी आराम दिलाता हैं।
9-डांग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, अनार के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन अतिशीघ्र कम हो जाती है और दर्द में भी आराम मिलता है।