Wednesday, November 19, 2014

जानिए पेटेंट की A B C...


आंत्रप्रनरशिप की सीढ़ियां चढ़ते वक्त कहीं ये न भूल जाइएगा कि आइडिया का बल्ब किसी के भी दिमाग में जल सकता है लेकिन आइडिया माना उसी का जाता है जो उसे ऑफिशली रजिस्टर करवा दे। आइडिया को दर्ज कराने के इस प्रॉसेस को पेटेंट का नाम दिया गया है। किसी आइडिया का पेटेंट ही उससे होने वाली कमाई को आपकी जेब तक पहुंचाएगा। पेटेंट के प्रॉसेस को एक्सपर्ट्स की मदद से बता रहे हैं नीतू सिंह और अमित मिश्रा :

केस स्टडी 1- टेट्रा पैक ने बदली दुनिया 
दूध हो चाहें जूस या टमैटो प्यूरी हर चीज टेट्रा पैक में मिलती है। ये टेट्रा पैक इतने आम हो गए हैं कि शायद ही कभी हम इसमें छिपे आइडिया को महसूस कर पाते हों। इन्हें देखकर हमें हैरत नहीं होती, क्योंकि इनकी आदत-सी हो गई है, लेकिन अगर टेट्रा पैक को बाजार से हटा दिया जाए तो क्या होगा? या यूं कहें कि टेट्रा पैक कभी आया ही न होता तो? बेशक तब नजारा कुछ और होता। आज भी ये चीजें कांच या प्लास्टिक की बोतलों में बिकतीं, जिनका रेट महंगी पैकेजिंग के चलते डेढ़ से दो गुना ज्यादा होता। आप और हम बोतलें ढोते-संभालते परेशान होते। दरअसल टेट्रा पैक एक ऐसे अविष्कार का नमूना है, जिसके पेटेंट ने दुनिया भर में बिजनेस का एक नया नेटवर्क खड़ा कर दिया। इसके आविष्कारक इरिक वॉलेनबर्ग ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनका एक छोटा-सा आविष्कार उनकी कंपनी के मालिक रूबेन रॉजिंग को एक दिन अरबपति बना देगा। स्वीडिश इंजीनियर इरिक वॉलेनबर्ग ने अपने करियर की शुरूआत टेट्रा पैक बनाने वाली कंपनी में लैब असिस्टेंट की तरह की थी। एक दिन उनके बॉस ने उन्हें दूध की सस्ती और टिकाऊ पैकेजिंग तैयार करने की चुनौती दी। इसे इरिक ने सस्ते कागज के इस्तेमाल से कर दिखाया और 1963 में टेट्रा ब्रिक के नाम से कंपनी ने इसका पेटेंट कराया। जो मौजूदा वक्त में टेट्रा पैक के रूप में हमारे खाने की टेबल और फ्रिज में दिखता है। सचमुच, इसे कहते हैं आइडिया और पेटेंट की ताकत।

एक आइडिया बदल सकता है जिंदगी 
असल बात ये है कि आपका एक मामूली-सा आइडिया भी अगर यूनिक है, तो दुनिया भर में धमाल मचा सकता है। ये रातोंरात आपको फेमस और अमीर बना सकता है। जरूरत है तो बस इस पर थोड़ी मेहनत करने की और उसका पेटेंट अपने नाम करने की। जैसा कि पश्चिमी देशों के लोग करते हैं। अमेरिका और यूके जैसे देशों में लोग खिलौने रखने के बैग, लिपस्टिक लगाने के तरीकों और यहां तक कि किचन में इस्तेमाल होने वाली मल्टीपरपस छुरी के डिजाइन तक को पेटेंट कराते हैं और उसका लाइसेंस किसी कंपनी को बेचकर पैसा कमाते हैं। दूसरी ओर भारत में पेटेंट प्रोसेस को लेकर अब भी जागरूकता की काफी कमी है। यही वजह है कि आइडिया और आविष्कार होते हुए भी पहचान नहीं मिल पाती है।

समझें इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट 
पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और ट्रेड सीक्रेट, ये सब 'इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी' यानी बौद्धिक संपदा के तहत आते हैं। यानी एक ऐसा प्रॉडक्ट, जो क्रिएटिव दिमाग की उपज है। दरअसल इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी कल्पना को हकीकत में तब्दील करता है। इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी भी वैसे ही एक संपत्ति है, जैसे कि आपका घर, गाड़ी और यहां तक कि आपका बैंक अकाउंट। दूसरी संपत्तियों की तरह ही इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी को भी चोरी या गलत इस्तेमाल से बचाने की जरूरत होती है, तब ही आप इससे फायदा उठा सकते हैं। कुछ लोग पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क में कन्फ्यूज हो जाते हैं। हालांकि इन सबमें कुछ समानता हो सकती है, लेकिन ये अलग-अलग हैं और इनका उद्देश्य भी अलग होता है।

ट्रेडमार्क 
ट्रेडमार्क किसी भी प्रॉडक्ट या सर्विस की अलग पहचान बताने वाले शब्दों, नाम, सिंबल, आवाज या रंग को प्रोटेक्ट करता है। पेटेंट से अलग, ट्रेडमार्क को हमेशा के लिए रजिस्टर कराया जा सकता। यह तब तक वैलिड रहता है, जब तक कि इनका इस्तेमाल बिजनेस के लिए होता रहे। मिसाल के तौर पर कोका कोला की बोतल की शेप ट्रेडमार्क के तहत प्रोटेक्ट किया गया है। ट्रेडमार्क एक ब्रैंड नेम और पहचान होता है, जो प्रॉडक्ट या सर्विस की मार्केटिंग में बड़ी भूमिका निभाता है। ट्रेडमार्क का अधिकार किसी दूसरे द्वारा समान सिंबल (शब्द, आवाज, कलर आदि) बनाकर कन्फ्यूज करने से रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन ये किसी दूसरे को वैसा ही प्रॉडक्ट बनाकर अलग मार्क के साथ बेचने से रोकने का अधिकार नहीं देता है।

कॉपीराइट 
कॉपीराइट राइटिंग, म्यूजिक और आर्ट संबंधी ऐसे कामों को प्रोटेक्ट करता है, जो स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया गया हो। कॉपीराइट का अधिकार रचनाकार का जीवन रहने तक और इसके बाद के 70 सालों तक सुरक्षित रहता है। किताबें, फिल्में, रिकॉर्डिंग और विडियो गेम जैसे कामों का कॉपीराइट होता है। सिर्फ कॉपीराइट होल्डर ही अपनी रचना को दोबारा प्रकाशित कर प्रॉफिट कमा सकता है। अगर वो चाहे तो इसके अधिकार दूसरे को ट्रांसफर भी कर सकता है।

पेटेंट का फंडा
पेटेंट किसी इनवेंटर यानी आविष्कारक को ये अधिकार देता है कि कोई भी दूसरा इंसान उसकी सहमति के बिना उस आविष्कार को अगले 20 वर्षों तक न बना सकता है, न इस्तेमाल कर सकता है और न ही बेच सकता है। पेटेंट, इनवेंटर को ये अधिकार देता है कि वो अपने आइडिया के आधार पर प्रॉडक्ट को बाजार में ला सके या किसी दूसरे को ऐसा करने का लाइसेंस देकर पैसे कमा सके। पेटेंट 3 तरह के होते हैं :

यूटिलिटी पेटेंट: ये यूजफुल प्रॉसेस, मशीन, प्रॉडक्ट का कच्चा माल, किसी चीज का कंपोजिशन या इनमें से किसी में भी सुधार को सुरक्षित करता है। मिसाल के तौर पर : फाइबर ऑप्टिक्स, कंप्यूटर हार्डवेयर, दवाइयां आदि।

डिजाइन पेटेंट : ये प्रॉडक्ट के नए, ओरिजिनल और डिजाइन के गैर कानूनी इस्तेमाल को रोकता है। जैसे कि किसी एथलेटिक शूज का डिजाइन, बाइक का हेलमेट या कोई कार्टून कैरेक्टर, सभी डिजाइन पेटेंट से प्रोटेक्ट किए जाते हैं।

पेटेंट : इसके जरिए नए तरीकों से तैयार की गई पेड़-पौधों की वैराइटी को प्रोटेक्ट किया जाता है। हाइब्रिड गुलाब, सिल्वर क्वीन भुट्टा और बेटर बॉय टमाटर आदि प्लांट पेटेंट के उदाहरण हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि आप किसी आविष्कार के अलग-अलग पहलुओं के लिए यूटिलिटी और डिजाइन दोनों तरह के पेटेंट फाइल कर सकते हैं।

इनका नहीं होता पेटेंट - 
प्रकृति के नियम (हवा और गुरुत्वाकर्षण)
नेचरल चीजें (मिट्टी, पानी)
भाववाचक (एब्स्ट्रैक्ट) आइडिया (मैथमेटिक्स, कोई फिलॉसफी )
लिट्रेचर, नाटक, म्यूजिक जैसे क्रिएटिव काम को कॉपीराइट के जरिए प्रोटेक्ट किया जाता है।

इनका हो सकता है पेटेंट -
ऐसे आविष्कार जोः 1.अनोखा या नया हो 2. सबसे अलग : इसका मतलब है कि आविष्कार पूरी तरह से अलग होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, किसी दवा के किसी तत्व या आकार में बदलाव करके पेटेंट नहीं कराया जा सकता। पेटेंट हासिल करने के लिए आपका आष्किार पूरी तरह से नया होना चाहिए, जो पहले कभी नहीं बना। 3. ऐसे आविष्कार, जो यूजफुल हों। आपका गैजट काम का होना चाहिए और कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा करता हो और जो दावे किए गए हों उन पर यह प्रैक्टिकली खरा उतरता हो।

ऐसे फाइल करें पेटेंट ऐप्लिकेशन -

पेटेंट ऐप्लिकेशन में शामिल होते हैं : - एक लिखित डॉक्युमेंट, जिसमें आपके इनवेंशन की खासियतें लिखी होती हैं और घोषणापत्र होता है। अगर जरूरी हो तो ड्रॉइंग भी देना होता है।
-10 क्लेम और 30 पेजों में अगर कोई शख्स पेटेंट फाइल करता है तो 1000 रुपये लगते हैं लेकिन अगर ऑर्गनाइजेशन फाइल करता है तो 4000 रुपये लगते हैं। अगर क्लेम 10 से ज्यादा हैं तो किसी शख्स को हर एक्स्ट्रा क्लेम पर 200 रुपये और ऑर्गनाइजेशन को 800 रुपये भरने होंगे। इसी तरह पेजों की संख्या बढ़ने पर हर शख्स से 100 रुपये प्रति एक्स्ट्रा पेज और ऑर्गनाइजेशन को 400 रुपये प्रति एक्सट्रा पेज देने होंगे।
- ऐप्लीकेशन फाइल करने से पहले आविष्कार को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हो लें। हर डॉक्युमेंट को तैयार रखें, जरा-सी चूक आपके इंतजार को और बढ़ा सकती है।
- पेटेंट जारी होने में 3 साल तक का वक्त लग सकता है। अगर आप पेटेंट एक्सपर्ट नहीं हैं तो पहली बार में पेटेंट ऐप्लिकेशन रिजेक्ट होने की आशंका ज्यादा रहती है, हालांकि इसमें जरूरी सुधार करके आप दोबारा कोशिश कर सकते हैं।

ऐसे मिलता है पेटेंट -
आविष्कार करने वाला या उसकी तरफ से नियुक्त कोई भी पेटेंट के लिए ऐप्लिकेशन दे सकता है। अपने ऐप्लीकेशन में अपने इनवेंशन के बारे में पूरी और स्पष्ट जानकारी दें। यह बताएं कि यह किस प्रकार से नया, अनोखा और यूजफुल है।

- अगर दो या इससे अधिक लोगों ने मिलकर कोई आविष्कार किया है तो पेटेंट ऐप्लिकेशन पर सभी इनवेंटर्स का नाम लिखा होना चाहिए।
- पेटेंट के लिए फाइल किए गए इनवेंटर के ऐप्लिकेशन की पूरी जांच की जाती है। पेटेंट एग्जामिनर यह सुनिश्चित करता है कि ऐप्लिकेशन सभी योग्यताएं पूरी करता हो।
- जांच के 18 महीने के भीतर इसे पेटेंट अथॉरिटी अपने वीकली जर्नल और वेबसाइट पर आम लोगों के लिए पब्लिश करके ऑब्जेक्शन का इंतजार करती है।
- जिसने पेटेंट का ऐप्लीकेशन दिया है, उसे ऐप्लीकेशन के 48 महीने के भीतर पेटेंट एग्जामिनेशन के लिए रिक्वेस्ट करनी होती है।
- संबंधित अधिकारी सभी ऑब्जेक्शन और सवालों को फिर एप्लिकेंट के पास भेज कर जवाब मांगता है।
- इसके लिए डॉक्यूमेंट दाखिल करने के लिए 12 महीने का वक्त मिलता है। अगर आप अथॉरिटी को संतुष्ट नहीं कर सके तो ऐप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी जाएगी।
- यह बात भी याद रखें कि एग्जामिनर द्वारा कोई पहलू छूट जाने की हालत में बाद में भी आपका ऐप्लिकेशन वापस हो सकता है।
- खास बात यह है कि पेटेंट रजिस्ट्रेशन के लिए आप एजेंट की मदद भी ले सकते हैं। ध्यान रहे कि ऐसे पेटेंट एजेंट को ही चुनें, जो कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स डिजाइन और ट्रेडमार्क से सर्टिफाइड हो।
- आप ऑनलाइन ऐप्लीकेशन भी फाइल कर सकते हैं। इसके लिए www.ipindia.nic.in पर जाकर Patent सेक्शन में जाकर Comprehensive eFiling Services for Patents पर जाएं।
- गौरतलब है कि भारत में कराया हुआ पेटेंट दुनिया भर में मान्य नहीं होता। दुनिया के दूसरे देशों में आपको अलग से पेटेंट फाइल करना पड़ेगा।
- कुछ देशों के साथ भारत की पेटेंट ट्रीटी है। जिसके तहत आप यहां दी गई पेटेंट ऐप्लीकेशन के साथ ही कोलकाता, चेन्नै, मुंबई और दिल्ली के पेटेंट ऑफिसों में दे सकते हैं। इनकी डिटेल जानकारी www.ipindia.nic.in पर मिल सकती है।
- अक्सर देखने को मिलता है कि पेटेंट मिलने की प्रक्रिया के दौरान लोग 'Patent Pending' या 'Patent Applied For' लिख कर काम करते रहते हैं। लेकिन इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं होती है। इस पीरियड के दौरान पेटेंट वॉयलेशन को लेकर कोई कानूनी कदम नहीं उठाया जा सकता।

हम क्यों हैं पीछे? 
- लोगों में जागरूकता की कमी है। पेटेंट या इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट को लेकर किसी भी तरह की जानकारी आम कॉलेजों से नहीं मिल पाती।
- सरकारी विभाग भी इसको लेकर ज्यादा सक्रिय नही हैं।
- भारत में ज्यादातर लोग बिना पता किए ही अपने आविष्कार को यूनीक मान बैठते हैं। इंटरनेट के इस युग में सब कुछ सर्च करना आसान हो गया है लेकिन दिक्कत यह है कि आज भी यूनिफाइड पेटेंट सर्च जैसी कोई चीज नहीं है, जो दुनिया भर में पेटेंट हो चुकी चीजों के बारे में बता सके। अगर पेटेंट है भी तो उसमें क्या अलग फीचर जोड़कर उसे एडवांस और नया रूप दिया जा सकता है यह नहीं पता होता।
- भारत का पेटेंट ऑफिस तो पेटेंट ग्रांट कर देता है, मगर जब यूएस, यूके या यूरोप में पेटेंट के लिए अप्लाई किया जाता है तो ऐप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाता है।
- आम लोगों को पेटेंट ऐप्लीकेशन की टेक्निकल राइटिंग नहीं आती है और पेटेंट अटॉर्नी सर्च और राइटिंग आदि के बदले काफी फीस लेते हैं, जो कि यहां के अधिकतर इंडिविजुअल इंवेंटर के लिए दे पाना संभव नहीं होता।

यहां मिलेगी जानकारी
इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों के भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क देखता है। इसकी वेबसाइट ipindia.nic.in पर जा कर पूरी जानकारी ली जा सकती है।

ऑफिस से करें संपर्क 
Office of the Controller General of Patents, Designs & Trade Marks Bhoudhik Sampada Bhavan, Antop Hill, S. M. Road, Mumbai - 400 037
Head of the Office: Dr. Ruchi Tiwari Joint Controller of Patents & Designs Phone: 022-24123311, Fax: 022-24172288 E-mail: cgoffice-mh@nic.in
Intellectual Property Office Boudhik Sampada Bhawan, Antop Hill, S. M. Road, MumbaiI - 400 037. Phone: 24101144, 24148165
Dr. Rakesh Kumar Deputy Controller of Patents & Designs Phone: 022-24153651, Fax: 022-24130387 E-mail: mumbai-patent@nic.in
Shri S. M. Togrikar Senior Examiner of Trade Marks & G.I. Phone: 022-24137701, Fax: 022-24140808 E-mail: mumbai.tmr@nic.in
Intellectual Property Office Intellectual Property Office Building, Plot No. 32, Sector 14, Dwarka, New Delhi-110075 Phone: 011-28034304-05
Dr. K. S. Kardam Senior Joint Controller of Patents & Designs Phone: 011-28034317, Fax:011-28034315 E-mail: delhi-patent@nic.in
Geographical Indications Registry Intellectual Property Office Building, G.S.T. Road, Guindy,Chennai-600032 Phone: 044-22502092
Shri Chinnaraja G Naidu Assistant Registrar of Trade Marks & G.I. Phone: 044-22502091,Fax: 044-22502090, E-mail: gir-ipo@nic.in

जागरूक रहने में ही होशियारी 
इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान भी चलाती है। यहां पर एक दिन के ट्रेनिंग प्रोग्राम से लेकर साल भर तक का ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया जाता है। पूरी जानकारी www.ipindia.nic.in/niipm पर मिल सकती है। आप यहां भी संपर्क कर सकते हैं : Rajiv Gandhi National Institute for Intellectual Property Management Government of India Ministry of Commerce and Industry Department of Industrial Policy & Promotion Office of the Controller General of Patents, Designs, Trademarks 03, Hislop College Road, Civil lines, Nagpur, Maharashtra - 440001 Tel. Nos. 0712 - 2540913,920, 922/2542961,979 Fax Nos. 0712 -2542955 /2540916/ 2053836 Email - ipti-mh@nic.in, niipm.ipo@nic.in Smt. C. D. Satpute, Senior Documentation Officer Tel: 0712- 2540913,922/2542961,979 (Ext. No. 214) E mail - chhaya.satpute@nic.in , ipti-mh@nic.in , niipm.ipo@nic.in,

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