Wednesday, January 23, 2013

6 उपाय पुरुष करके देखें हर तरह की कमजोरी दूर हो जाएगी


PHOTOS:6 उपाय पुरुष करके देखें हर तरह की कमजोरी दूर हो जाएगी

असंयमित खान-पान या शरीर में पोषक तत्वों के कारण या अन्य गलत आदतों से कई बार पुरुषों को दुर्बलता या कमजोरी की परेशानी होने लगती है।क्या आप दुर्बलता या कमजोरी से परेशान हैं?आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं है।सारी दवाओं और तेल का उपयोग करने के बाद भी कोई असर नहीं हो रहा है तो चिंता न करें पुरुषों की इस कमजोरी और परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं। उनमें से 6 उपाय इस प्रकार हैं-

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 - आंवला विटामिन सी का जबरदस्त भंडार है। साथ ही कई पौष्टिक तत्वों से लबालब भी है।अकेले आंवले में जितना विटामिन सी होता है दूसरे किसी फल में अब तक नहीं पाया गया है।एक सौ ग्राम ताजे हरे आंवले में आठ सौ मिलीग्राम विटामिन सी होता है। जिन लोगों को अत्यधिक स्वप्नदोष होने की समस्या है वे प्रतिदिन आंवले का मुरब्बा खाएं।


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- केला पुरुष की शक्ति बढ़ाने वाला फल है।केला खाने से पुरूषों में स्पर्म की मात्रा बढ़ जाती है, जो उनके अंदर सेक्स पावर को भी बढ़ाता है। साथ ही केले खाने से स्त्रियों को मासिक धर्म के समय परेशानी का कम सामना करना पड़ता है।प्रतिदिन केले खाएं एवं संभव हो तो केले खाने के बाद दूध भी पीएं।


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-अनार खाने से शरीर में शक्ति और विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसके पेड़ों की पत्तियों व छाल का उपयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है।सदियों से माना जा रहा है कि यह फल सैकड़ों बीमारियों में फायदा पहुंचाता है। अनार हृदय रोगों, तनाव और यौन जीवन के लिए बेहतर माना जाता है। कमजोरी या स्वप्नदोष की समस्या हो तो अनार के छिलको सूखा लें और पीस लें। इसके बाद प्रतिदिन सुबह और शाम एक चम्मच इस चूर्ण को खाएं।



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- आंवले के चूर्ण में मिश्री पीसकर मिलाएं। इसके बाद प्रतिदिन रात को सोने से पहले करीब एक चम्मचइस मिश्रित चूर्ण का सेवन करें। इसके बाद थोड़ा सा पानी पीएं।



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-आंवला बेहद गुणकारी है। इसलिए इसे हर मर्ज की दवा भी कहा जाता है। आंवला पाचन तंत्र से लेकर स्मरण शक्ति   तक को दुरुस्त करता है। नियमित रूप से आंवले का सेवन करने से बुढ़ापा भी दूर रहता है। कमजोरी की समस्या में  आंवला बहुत फायदेमंद होता है। अत: प्रतिदिन रात्रि में गिलास में थोड़ा सा हुआ सुखा आंवले का चूर्ण लें और उसमें पानी भर दें। सुबह उठने के बाद इस पानी में हल्दी मिलाएं एवं छानकर पीएं।


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- लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है जो बहुत से रोगों के बचाव में लाभप्रद है। नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर कम या ज्यादा होने की बीमारी नहीं होती। गैस्टिक ट्रबल और एसिडिटी की शिकायत में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है।कमजोरी की समस्या में पुरुषों को रोजाना रात को लहसुन की दो कलियां रात को सोने से पहले निगल कर थोड़ा पानी पी लेना चाहिए।

(साभार)

Monday, December 17, 2012

Mujhe Tum Yaad Aate Ho


Muqaddar Ke Sitaron Par
Zamano Ke Aasaron Par
Udaasi Ke Kinaron Par
Kabhi Veeran Sheron Mein
Kabhi Sunsaan Rahon Par
Kabhi Hairan Aankhon Mein
Kabhi Bejaan Lamhon Par
Tumhari Yaad Chupke Se
Koi Sargoshi Karti Hai
Ya Phir Palkein Bheeg Jaati Hai
Toh Aansoo Toot Ke Girte Hai
Hum Palkon Ko Jhukate Hai
Bazahir Muskurate Hai
Faqat Itna Hi Kehte Hai
Mujhe Tum Yaad Aate Ho

Thursday, November 1, 2012

टॉप 5 ब्लॉगिंग वेबसाइट्स


टॉप 5 ब्लॉगिंग वेबसाइट्स

अगर आप अपने विचारों, रचनाओं या टैलंट के प्रदर्शन के लिए ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो महज दस मिनट के भीतर अपना ब्लॉग बना सकते हैं। ऐसे ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म्स की कमी नहीं है जो आम यूजर को आसानी से नया ब्लॉग बनाने और उसे मेंटेन करने की सुविधा देते हैं। ब्लॉग के लिए न डोमेन नेम दर्ज कराने की जरूरत है और न इंटरनेट पर वेब होस्टिंग स्पेस लेने की।

blogger.com 
सबसे लोकप्रिय ब्लॉग प्लैटफॉर्मों में से एक ब्लॉगर भारतीय ब्लॉगरों के लिए रोजमर्रा की बात बन चुका है। अगर आप गूगल की किसी सेवा का इस्तेमाल करते हैं तो अपने उसी लॉग-इन नेम और पासवर्ड से ब्लॉगर पर भी लॉग-ऑन कर सकते हैं। यहां एक से ज्यादा ब्लॉग बनाने, सामूहिक ब्लॉग चलाने, आरएसएस फीड्स देखने-पढ़ने, हिंदी में टाइप करने जैसी सुविधाएं हैं। डैशबोर्ड के जरिए ब्लॉग ऐडमिनिस्ट्रेशन भी आसान हो जाता है। ब्लॉगर के ब्लॉग गूगल सर्च इंजनों में बेहतर रेटिंग पाते हैं इसलिए उनकी विजिबिलिटी ज्यादा है।

wordpress.com 
वर्डप्रेस ब्लॉगर की ही तरह ब्लॉगों के संचालन का बेहतरीन प्लैटफॉर्म उपलब्ध कराता है, लेकिन ब्लॉगर के उलट, वह आपके ब्लॉग में नई सुविधाएं जोड़ने और उसे ज्यादा प्रफेशनल लुक देने का मौका भी देता है। ब्लॉगर पर उपलब्ध ब्लॉग डिजाइन बिल्कुल सादा है, जबकि वर्डप्रेस पर उनकी ज्यादा बड़ी वैरायटी है जो सुंदर और शालीन भी दिखते हैं। इसमें ब्लॉग शुरू करना ब्लॉगर जितना आसान नहीं है लेकिन एक बार ब्लॉग बन जाए तो वहां उपलब्ध हजारों प्लग-इंस, थीम्स और विजेट्स की मदद से उसे इंप्रेसिव बनाया जा सकता है।

myspace.com 
पश्चिमी देशों के युवाओं के बीच लोकप्रिय इस वेबसाइट को ब्लॉगिंग और सोशल नेटवर्किंग के मामले में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां अपने विचार रखने के साथ-साथ दोस्तों के साथ गपशप भी मुमकिन है और पसंदीदा संगीत, विडियो, गेम्स और दिलचस्प लेखों को पोस्ट करने और दूसरों के साथ शेयर करने का मजा भी लिया जा सकता है। माईस्पेस आपको अपनी ऑनलाइन आइडेंटिटी तैयार करने का मौका देता है।

LiveJournal.com 
ऊपर दिए गए सभी प्लैटफॉर्म्स की तरह लाइवजर्नल भी पूरी तरह फ्री है। यहां ब्लॉगर जैसे फीचर्स तो हैं ही (जैसे सामूहिक ब्लॉग, कॉमेंट्स आदि), कुछ इनोवेटिव सुविधाएं भी हैं, जैसे पोल, कैलेंडर, ऑनलाइन कम्युनिटी और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग फीचर्स। यह ओपन सोर्स पर आधारित है।

MovableType.com 
कुछ हद तक वर्डप्रेस जैसा महसूस होने वाला मूवेबल टाइप दो तरह से ब्लॉग होस्टिंग की सुविधा देता है -फ्री सेल्फ होस्टिंग पैकेज (MovableType.org) और ऑनलाइन ब्लॉग होस्टिंग सर्विस (MovableType.com) पहला ऑप्शन उन लोगों के लिए है जो निजी वेबसाइट पर मूवेबल टाइप का कोड इस्तेमाल कर ब्लॉग चलाना चाहते हैं। दूसरा उनके लिए जो ब्लॉगर या वर्डप्रेस की ही तरह मूवेबल टाइप द्वारा इंटरनेट पर उपलब्ध कराए गए फ्री वेब स्पेस पर ब्लॉग बनाना चाहते हैं। एक से ज्यादा ब्लॉग बनाने, फाइलों को मैनेज करने, यूजर्स के अलग-अलग रोल तय करने जैसी सुविधाएं इसे अलग पहचान देती हैं।
(साभार)

बायोडेटा बनाने वाली टॉप-5 वेबसाइट


बायोडेटा बनाने वाली टॉप-5 वेबसाइट

एक अच्छे बायोडेटा की चाह किसे नहीं होती! ज्यादातर लोग इसके लिए माइक्रोसॉफ्ट वर्ड जैसे वर्ड प्रोसेसर से आगे नहीं बढ़ पाते, जहां अपनी सूचनाओं को एक-एक कर डालना इस बात की गारंटी नहीं देता कि बायोडेटा देखने वाले उसे देखकर प्रभावित होंगे, लेकिन उनमें कुछ ऐसे होते हैं जो अलग छाप छोड़ते हैं। कभी डिजाइन के कारण तो कभी अच्छी प्रजेन्टेशन के कारण। आप भी एक दमदार बायोडेटा बनाना चाहते हैं तो इन वेबसाइटों की मदद ले सकते हैं। ये सब फ्री सर्विस देती हैं : 

1- ceevee.com
सीवी डॉट कॉम का इस्तेमाल करने के लिए आप चाहें तो नया अकाउंट बना सकते हैं या फिर अपने फेसबुक अकाउंट से लॉग-इन कर सकते हैं। इसके my ceevee सेक्शन में जाकर रेज्युमे बनाना आसान है। बस ऑनलाइन फॉर्म में शिक्षा, रोजगार, अनुभव, दिलचस्पी वगैरह के बारे में जरूरी सूचनाएं डालते जाइए और अपना ताजातरीन फोटो अपलोड कर दीजिए। देखते ही देखते एक आकर्षक बायोडेटा तैयार हो जाएगा। आप इसे पीडीएफ फॉर्मैट में भी डाउनलोड कर सकते हैं।

2- jobspice.com

जॉब स्पाइस डॉट कॉम पर बिना रजिस्ट्रेशन बायोडेटा तैयार किया जा सकता है। दस अलग-अलग स्टाइल और डिजाइनों के बायोडेटा टेम्प्लेट में से अपनी पसंद का टेम्प्लेट चुनने के बाद आसान चरणों में आप अपना रेज्युमे तैयार कर सकेंगे। हर रेज्युमे में कुछ सेक्शन होते हैं, जैसे शिक्षा, अनुभव वगैरह। यहां इन्हें अपने बायोडेटा में शामिल करना बहुत आसान है। बायोडेटा तैयार होने के बाद चाहें तो इसे कॉपी करके किसी वर्ड प्रोसेसर में पेस्ट कर फाइल बना लें या फिर पीडीएफ की शक्ल में डाउनलोड कर लें। इसे कस्टमाइज्ड यूआरएल के जरिए इंटरनेट पर भी दूसरों के साथ शेयर किया जा सकता है।

3- emurse.com
इमर्स डॉट कॉम पर भी जॉबस्पाइस डॉट कॉम की तरह साइन-अप करने की जरूरत नहीं है। तैयार रेज्युमे को पीडीएफ, डॉक, आरटीएफ और ऐसे ही कई दूसरे फॉर्मैट्स में डाउनलोड किया जा सकता है। उसे ऑनलाइन शेयर करना या सीधे प्रिंट करना भी मुमकिन है। इमर्स के जरिये इसे सीधे एम्प्लॉयर्स को भी भेजा जा सकता है। अच्छे रेज्युमे तैयार करने के लिए ढेरों टिप्स भी यहां पढ़ने को मिलेंगे।

4- visualcv.com
बहुत सी कंपनियां विजुअल सीवी डॉट कॉम पर अच्छे, भावी कर्मचारियों की तलाश करती हैं। अगर आप लिंक्ड-इन सोशल नेटवर्किंग साइट के सदस्य हैं तो उसकी सारी जानकारी को यहां अपने बायोडेटा में इंपोर्ट कर सकते हैं। तैयार सीवी को पीडीएफ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं। हालांकि रेज्युमे पर विजुअल सीवी का बैज लगा दिखाई देगा।

5- leadyou.com
कई आकर्षक कलर टेम्प्लेट्स में से अपने पसंदीदा टेम्प्लेट का चुनाव कर आप यहां अपना बायोडेटा बनाने की प्रोसेस शुरू कर सकते हैं, जिसमें ज्यादा से ज्यादा 15-20 मिनट लगेंगे। लेकिन यहां सेक्शंस को मैनुअली जोड़ना पड़ता है। तैयार रेज्युमे को डाउनलोड करने की सुविधा भी नहीं है। हां, आप उसका प्रिंटआउट ले सकते हैं या फिर ऑनलाइन ही किसी को भेज सकते हैं।
(साभार)


Monday, October 22, 2012

टॉन्सिल इन्फेक्शन को टाटा


अक्सर बड़ी बीमारियों के डर से हम छोटी बीमारियों कोनजरअंदाज कर देते हैं। बड़ी बीमारियां न हों, इसके लिए तोहम अपने खानपान का पूरा ध्यान रखते हैं, लेकिन छोटी-सीदिखने वाली बीमारी को बढ़ा लेते हैं। ऐसी ही एक आम-सीलगने वाली बीमारी है टॉन्सिलाइटस। इसे नजरअंदाज करनासही नहीं है

क्या है टॉन्सिल्स
यह बादाम के आकार के ऐसे अंग हैं, जो हमारे मुंह के अंदर गले के दोनों तरफ होते हैं।टॉन्सिल्स हमारे शरीर के सिक्युरिटी गार्ड के रूप में काम करते हैं और बाहरी इन्फेक्शन सेहमारी हिफाजत करते हैं। ये बाहर से आने वाली किसी भी बीमारी को हमारे शरीर मेंदाखिल होने से रोकते हैं। अगर हमारे टॉन्सिल मजबूत होंगे तो वे बीमारी को शरीर मेंजाने से तो रोकेंगे ही, साथ ही खुद भी उस बीमारी या इन्फेक्शन से बच जाएंगे। अगरटॉन्सिल्स कमजोर होंगे तो वे बीमारी को शरीर में जाने से तो रोक लेंगे लेकिन खुद बीमारहो जाएंगे यानी उनमें सूजन आ जाएंगी, वे लाल हो जाएंगे, उनमें दर्द होगा जिससे बुखारहो जाएगा। इसके अलावा कुछ भी खाने-पीने या निगलने में दिक्कत होगी।

क्या है टॉन्सिलाइटस
टॉन्सिल में होने वाले इन्फेक्शन को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। टॉन्सिलाइटिस की समस्याक्रॉनिक (लगातार बनी रहे) हो जाए तो ठीक नहीं है। टॉन्सिलाइटस को क्रॉनिक तब कहेंगे,जब यह समस्या हर एक-दो महीने में बार-बार हो रही हो। एक बार टॉन्सिलाइटिस होनेपर अगर यह प्रॉब्लम दोबारा छह महीने बाद हो तो वह नॉर्मल है।
कितनीतरहकाहोताहैटॉन्सिलाइटिस
1) बैक्टीरियल इन्फेक्शन
2) वायरल इन्फेक्शन

बैक्टीरियल इन्फेक्शन: यह इन्फेक्शन बैक्टीरिया के अटैक से होता है, जिनमें प्रमुख हैं Staphylococcus aureus,U Streptococcus pyogenes, Haemophilus influenzae आदि।

वायरल इन्फेक्शन: यह इन्फेक्शन Reovirus, Adenovirus, Influenza virus आदि के अटैक से होता है। यहइन्फेक्शन तब होता है, जब हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होती है।

किसमौसममेंहोताहै
वैसे तो टॉन्सिलाइटिस इन्फेक्शन पूरे साल कभी भी हो सकता है लेकिन मौसम बदलने के दौरान यानी मार्च औरसितंबर-अक्टूबर में इस इन्फेक्शन के होने का खतरा ज्यादा रहता है। इन महीनों में आप अपना ज्यादा ख्यालरखेंगे मसलन बहुत ठंडा-गरम, तीखा आदि न खाएं तो टॉन्सिलाइटिस से बच सकते हैं।

किस उम्र में खतरा ज्यादा
टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, लेकिन 14 साल से कम उम्र के बच्चों में इसका खतराज्यादा होता है।

कैसे होता है
- बहुत तेज गर्म खाना खाने से
- बहुत ज्यादा ठंडा खाने या पीने से, जैसे एकदम ठंडी आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक आदि
- ज्यादा मिर्च-मसाले वाला तीखा और तला-भुना खाना खाने से
- टॉन्सिल्स के कमजोर होने पर भी
- प्रदूषण, धूल-मिट्टी आदि से
- इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कमजोर होने पर
- पेट खराब होने से गैस या कब्ज की लगातार शिकायत रहने पर

लक्षण
- टॉन्सिल्स का बढ़ना और सूज जाना
- गले के बाहर भी सूजन
- सूजन के साथ-साथ गले में दर्द
- कुछ भी खाने-पीने और निगलने में दिक्कत
- टॉन्सिल्स और गले का लाल होना
- तेज बुखार होना
- थकान होना
- कान में दर्द
- आवाज में बदलाव और भारीपन आना
नोट : बच्चों और बड़े, दोनों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।

कौन - से डॉक्टर के पास जाएं
- अगर आपको ऊपर बताएं लक्षण दिखें तो फौरन किसी अच्छे ईएनटी एक्सपर्ट यानी कान, नाक और गले वालेडॉक्टर को दिखाएं।
- अगर वायरल बुखार होने पर टॉन्सिल्स भी बढ़ जाएं, तब अपने फैमिली डॉक्टर (फिजिशन) को भी दिखासकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर बुखार में टॉन्सिल्स बढ़ें हीं।

क्या है इलाज
अगर बुखार न हो तो मरीज को बुखार की कोई दवा नहीं दी जाती। गले में दर्द के लिए सिर्फ गरारे के लिए कहाजाता है। अगर टॉन्सिलाइटिस वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है तो बुखार के लिए पैरासिटामॉल (क्रॉसिन,कालपोल आदि) की गोली दी जाती है। गले में दर्द के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर मरीज को उसके गरारेकरने को कहा जाता है। अगर टॉन्सिलाइटिस बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुआ है तो पैरासिटामॉल और गरारों केसाथ एंटी-बायोटिक दवाएं भी दी जाती हैं। इससे एक हफ्ते में मरीज को आराम हो जाता है और दो हफ्ते में वहपूरी तरह ठीक हो जाता है।

कब होता है ऑपरेशन
- अगर साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस का अटैक हो।
- अगर मरीज को बोलने, खाना निगलने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो।

प्रोसेस: मरीज को बेहोश करके ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन में टॉन्सिल को निकाल दिया जाता है।
वक्त: ऑपरेशन करने में करीब 30 मिनट का वक्त लगता है और एक से दो दिन में मरीज ठीक हो जाता है।
खर्च: करीब 20 से 30 हजार रुपये
कौन करता है: ईएनटी स्पेशलिस्ट या ईएनटी सर्जन

होम्योपैथी में इलाज
इम्यून सिस्टम कमजोर होने से भी टॉन्सिलाइटिस की समस्या होती है। होम्योपैथी में इलाज करते वक्त इस बातका ध्यान रखा जाता है कि इम्युनिटी को इतना बढ़ा दिया जाए कि हमारे टॉन्सिल मजबूत हो जाएं और खुद परअसर हुए बिना बीमारी को रोक सकें। होम्योपैथी में टॉन्सिलाइटिस के बार-बार होने का वक्त, उसकी समयसीमाऔर समस्या कितनी गंभीर है, इन तमाम बातों पर गौर किया जाता है। टॉन्सिलाइटिस को धीरे-धीरे कम औरफिर बिल्कुल ठीक किया जाता है। आमतौर पर पूरी तरह ठीक होने में 3-6 महीने लग जाते हैं।

दवाएं
Belladonna 30: टॉन्सिल्स बहुत बड़े हो गए हों, उनमें सूजन, लालिमा और दर्द हो।
डोज : 5-5 गोली दिन में 4 बार, 3-4 महीने तक
Baryta Carb 30: टॉन्सिल बड़े हो गए हों, मुंह खुला रहता हो, मुंह से लार आती हो, याददाश्त कम होनेलगी हो और देखने में परेशानी होने लगी हो।
डोज: 5-5 गोली दिन में 3 बार, 1-2 महीने तक
Calcarea Carb 30: टॉन्सिलाइटिस बार-बार हो रहे हों और हर ठंडी चीज जैसे ठंडा पानी, आइसक्रीम,कोल्ड ड्रिंक आदि खाने-पीने से परेशानी हो।
डोज: 5-5 गोली दिन में 3 बार, 2-3 महीने तक
नोट: इन दवाओं को अपने आप न लें। इन्हें किसी अच्छे होम्योपैथ डॉक्टर की सलाह से ही लें।

आयुर्वेद
आरोग्य वर्धिनी वटी: 2-2 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
पुनर्नवादिमंडूर: 2-2 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
महालक्ष्मी विलास रस: 1-1 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
त्रिभुवनकीर्तिरस: 1-1 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं। यह दवा गर्भवतीमहिलाओं को नहीं लेनी है।
कल्पतरु रस: 125 मिग्रा. पाउडर को आधा चम्मच शहद या अदरक के साथ मिलाकर रोज रात को सोने सेपहले एक हफ्ते तक खाएं।
नोट: इनमें से किसी एक दवा का सेवन करें। ये दवाएं लेने से पहले वैद्य से सलाह कर लें।

घरेलू इलाज
- 5 पत्ते तुलसी, 5 पत्ते काली मिर्च, 2 ग्राम या चने के बराबर अदरक को 1 कप पानी में उबालें। फिर छानकरपानी को पी लें। अगर चाहें तो इसमें आधा चम्मच चीनी और आधा चम्मच चाय पत्ती डालकर भी उबाल सकतेहैं।
डोज: महीने भर पिएं। रात को पीकर सोएं और इसे पीने के बाद कुछ खाएं-पिएं नहीं।
- आधा चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पिएं। हल्दी हमारे शरीर को इन्फेक्शन सेबचाती है। हल्दी को गर्म नहीं करना है।
डोज : रोज रात को सोने से पहले महीने भर पिएं।
- एक-चौथाई मुलेठी चूर्ण को आधा चम्मच शहद में मिलाकर खाएं।
डोज : रोजाना रात को महीने भर खाएं।

ऐसे बढ़ा एंइम्युनिटी
इम्युनिटी यानी शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता हर इंसान के शरीर के अनुसार अलग-अलग होती है।
- ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें खूब खाएं
- सादा खाना खाएं।
- खूब पानी पिएं।
- रोजाना आधा घंटा एक्सरसाइज करें
- ताजा हवा में टहलें।
- खाने को फ्रिज में रखने के बाद उसे बार-बार गर्म न करें। इससे खाने के पोषक तत्व कम होते हैं और इम्यूनसिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसा खाना हमारी पाचन क्रिया पर भी बुरा असर डालता है। वह खाने कोपचने नहीं देता, जिससे शरीर में गैस, कब्ज, खट्टी डकार, दस्त आदि की शिकायत हो जाती है। फोड़े-फुंसी भी होजाते हैं।
- 10 से 15 पत्ते तुलसी, 10 से 15 पत्ते पुदीने और 50 ग्राम अदरक को आधा भगौना पानी में उबालें। पानी कोतब तक उबालें, जब तक वह कुल पानी का एक-चौथाई न रह जाएं। इसके बाद पानी को छान लें और उसमें पडे़तुलसी और पुदीने के पत्तों और अदरक को भी पानी में निचोड़ लें। फिर उसमें शहद मिलाकर पिएं। इसे 7 दिनोंतक 3 से 4 बार पिएं। यह उपाय उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें टॉन्सिलाइटिस की प्रॉब्लम बढ़ने परडॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी है।

योग भी है कारगर
कुंजल क्रियाः सुबह एक जग भरकर पानी उबालें, गुनगुना होने पर उसमें नमक मिलाएं। उकडू होकर बैठ जाएंऔर पानी पिएं। पानी उतना पिएं, जितनी आपकी क्षमता हो, जोकि 2 से 4 गिलास तक हो सकती है। जब पानीगले तक आ जाए और उलटी आने को हो तो खडे़ हो जाएं। अब आगे झुककर उलटे हाथ को लेफ्ट साइड पर पेटपर रखें और पेट को दबाएं और सीधे हाथ की मिडल फिंगर से मुंह में उलटी लटकी जीभ को टच करें। ऐसा करनेसे उलटी होगी। ऐसा तब तक करें, जब तक सारा पानी उलटी के जरिए बाहर न निकल जाए और सूखी उलटी नआने लगे। इसके आधे घंटे बाद एक गिलास गुनगुना दूध पिएं।

कितने समय तक करें
- पहले 7 दिन रोज करें
- फिर 7 दिन में दो बार करें
- उसके बाद 7 दिन में 1 बार करें
नोट : यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी है और इस दौरान हाथ साफ हों और नाखून कटे हों। साथ ही जबटॉन्सिल बढे़ हुए हों, उनमें सूजन हो, लालिमा हो, उनमें दर्द हो या बुखार हो तो यह क्रिया न करें। इस क्रिया कोकिसी अच्छे योग गुरु के प्रशिक्षण में ही करें।

ये हैं मददगार
- कपालभाति
- सेतुबंधासन
- पवनमुक्तासन
- भुजंगासन
- धनुआर्सन
- उष्ट्रासन
- जालंधर बंध
-अनुलोम-विलोम
- उज्जायी प्राणायाम
- भस्त्निका प्राणायाम
- डीप ब्रीदिंग
नोट : इन्हें रोजाना सुबह 15 से 20 मिनट तक करें। ये तमाम आसन और प्राणायाम टॉन्सिलाइटिस होने पर भीराहत देते हैं।

कैसा है आपका शरीर
हमारे शरीर में मुख्यत: 3 तरह की प्रवृत्तियां पाई जाती हैं- 1. वात, 2. पित्त, 3. कफ। हालांकि एक इंसान केशरीर में दो तरह की प्रवृत्तियों का मिला-जुला असर भी पाया जा सकता है।

वात
जिन्हें पेट में गैस, कब्ज, सिरदर्द आदि रहता हो।
दवा : आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण 1 गिलास गर्म दूध के साथ रोजाना रात को 1 से 2 महीने तक पिएं।

पित्त
जिन्हें अक्सर बुखार, पेट में जलन, फोड़े-फुंसी, चक्कर आने की समस्या हो।
दवा : आधा चम्मच आंवला चूर्ण सादा पानी के साथ रोजाना रात को 1 से 2 महीने तक लें।

कफ
जिन्हें सर्दी-जुकाम, मोटापे या शरीर में सूजन की समस्या हो।
दवा : एक चम्मच सितोपलादि चूर्ण या आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण रोजाना रात को सादे पानी के साथ 1 से 2 महीने तक लें।

(साभार)