Tuesday, April 16, 2013

चर्म रोग, मधुमेह में फायदेमंद मिट्टी चिकित्सा


मिट्टी कीटाणुनाशक है। यह हमारे शरीर के विषों, विकारों को निकाल बाहर करती है। इस कारण इसे बेहतरीन औषधि कहा गया है।
मिट्टी चिकित्सा का प्रयोग करते समय सबसे पहले मिट्टी को आठ घंटे के लिये भिगोना होता है। इसके लिए उसे रात में ही भिगो दें। सुबह-सुबह मिट्टी को एक घंटे के लिए धूप में रख दें उसके बाद भीगी हुई मिट्टी का बहुत बारीक लेप बनाएं और रोगी के सारे कपड़े उतार कर, पूरे शरीर पर इस लेप को लगा दें। शरीर को धूप में खुला रखें और 30 से 40 मिनट तक लेप को सूखने दें। इसके बाद मिट्टी को छुड़ा कर ठंडे पानी से
नहा लें।
लाभ: इससे चर्म रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा आदि समस्या में काफी लाभ होता है।
सावधानियां: ध्यान रखें कि मिट्टी में कंकड़-पत्थर न हो। इसका इस्तेमाल करते समय आंखों को बंद कर लें। एक बार प्रयोग के बाद मिट्टी का दुबारा प्रयोग न करें। मिट्टी को साफ करते समय स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।
एड़ी के दर्द में फायदेमंद
रोगी दो बाल्टी में पानी भर कर रखें। एक बाल्टी में गर्म तथा दूसरी बाल्टी में ठंडा पानी रखें। पहले ठंडे पानी की बाल्टी में 1 मिनट तक रोगी के पैर रखें और उसके बाद 3 मिनट तक गर्म पानी में पैर रखें। इस प्रक्रिया को चार बार दुहराएं। इससे एड़ी में होने वाली असहनीय पीड़ा भी समाप्त हो जाती है।
लाभ: एड़ी के दर्द में लाभ होता है। पैर की त्वचा कोमल रहती है और रक्तसंचार ठीक चलता है।
सावधानियां: पैर ठंडे पानी में रखने से प्रक्रिया को शुरू करें और अंत भी ठंडे पानी की बाल्टी में पैर रखकर ही करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि पानी की गर्मी सहने योग्य हो।
राजधानी में प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ योगा एंड नेचुरोपैथी, ईस्ट ऑफ कैलाश
बालाजी निरोगधाम, महाराजा अग्रसेन नेचुरोपैथी एंड योग साधना रिसर्च ट्रस्ट, बख्तावरपुर
वेलनेस केयर योग प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, बी-4/55, फेज-2, अशोक विहार
देव योग एवं नेचर क्योर सेंटर, नारायणा गांव, नजदीक नारायणा गांव क्लब
डॉ. जैन योगा एंड नेचुरोपैथी सेंटर, सेक्टर 14, गुडग़ांव
जलने-झुलसने पर
जल जाए या झुलस जाए तो तुरंत उसके जले झुलसे अंग को ठंडे पानी में एक घंटा डुबोकर रखें। इससे जलन दूर होगी, फफोला नहीं पड़ेगा। पूरा शरीर जल जाय तो व्यक्ति को तुरंत बड़े पानी के हौज में रख दें। सांस लेने के लिए नाक को पानी से बाहर रखें। याद रखें कि जला झुलसा-अंग पानी में एक से दो घंटे डूबा रहे। इससे ठंडे पानी का चमत्कार दिखायी देगा।
मोच आए चा चोट लगे 
मोच आ जाए या चोट लग जाए तो तुरंत उस स्थान पर खूब ठंडे पानी की पट्टी लगा दें। पट्टी में बर्फ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे न तो सूजन होगी, न दर्द बढ़ेगा। गर्म पानी की पट्टी न लगाएं या ऐसे पानी से सेंक न करें, क्योंकि इससे सूजन आ जाएगी और दर्द भी बढ़ जाएगा। यदि चोट लगने या कटने से खून आ जाय तो बर्फ या काफी ठंडे पानी की पट्टी चढ़ाने से तुरंत आराम होगा।
घुटने का दर्द
घुटनों के दर्द की शिकायत हो तो रोगी ठंडे पानी में भिगोई पट्टी लेकर अपने घुटने पर बांधें। इस बात का ध्यान रखें कि पट्टी में इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा सूती हो। ठंडे पानी की पट्टी के ऊपर ऊनी या मलमल का कपड़ा लपेटना चाहिए।


बीमारियों में रामबाण जल चिकित्सा


पंचतत्वों से बने शरीर को जल की अत्यधिक आवश्यकता होती है। जल एक अमृत औषधि भी है। जल की औषधीय महत्ता इतनी अधिक है कि जल चिकित्सा से अनेक बीमारियां प्राकृतिक तरीके से ठीक हो जाती हैं।
शरीर का तीन चौथाई भाग पानी है। हम तरह-तरह से पानी को ग्रहण भी करते हैं। खाने-पीने के साथ-साथ स्नान तक में पानी का इस्तेमाल होता है, जिससे हमारी सेहत बनी रहती है। शरीर में पानी का संतुलन बिगड़े या खाने-पीने में स्वच्छ पानी की तनिक भी कमी आ जाए तो बीमारी हमें घेर लेती है। कई बार ऐसी बीमारियां हमें सताने लगती हैं, जिनका बेहतर उपचार पानी से ही होता है। इस प्रक्रिया को जल चिकित्सा कहते हैं।
किन-किन बीमारियों में है अचूक
पेट से संबंधित रोगों में जल की भूमिका अति आवश्यक होती है। त्वचा रोगों, कब्ज, अनिद्रा, थकान, जोड़ों में के दर्द, मिर्गी, डायबिटीज, शुगर व कई अन्य रोगों में जल चिकित्सा बेहद असरदार होती है। एक और खास बात यह कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
मिर्गी के दौरे
कारण: मिर्गी के दौरे मस्तिष्क के किसी एक भाग में अचानक विद्युत प्रवाह के कारण होते हैं। आमतौर पर मिर्गी का दौरा लगभग 4-5 मिनट में खत्म हो जाता है। यह दौरा काफी खतरनाक होते हैं और कभी-कभी रोगी का मल-मूत्र भी निकल जाता है।
लक्षण: रोगी के शरीर में किसी भी अंग में दर्द या शरीर का टेढ़ा होना, मुंह से झाग आना, कुछ देर बाद अचानक ठीक होना इसका लक्षण हो सकता है।
उपचार: रोगी को पूर्ण रूप से विश्वास में लेने का प्रयास करें। 4-5 मिनट तक सिर पर गीला तौलिया बांधें। पीठ पर धीरे-धीरे पानी की धार छोड़ें। टब या बाल्टी में 5-7 मिनट तक दोनों पैरों को पानी में डुबाकर रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
अनिद्रा
कारण: अनिद्रा या नींद न आने की स्थिति अधिकतर मानसिक कारणों से होती है। गलत खान-पान, चिंता, देर रात तक जागना, पेट में गैस हो, छाती में भारीपन, शरीर में दर्द हो, रात को अधिक चाय पीना, कॉफी का सेवन करना आदि।
लक्षण: रात को नींद नहीं आती और पूरी रात करवटें बदलते बीतती है। नींद खुल जाती है, दुबारा नींद नहीं आती। सुबह को उठने पर शरीर में सुस्ती, थकावट आदि होती है।
उपचार: रात में हल्का भोजन लें। रात को सोने के लिए हवादार कमरे तथा आरामदायक बिस्तर का प्रयोग करें। सोने से पहले स्नान करें। नहाते समय सिरे पर पानी की धार डालें।
सूजन
कारण: शरीर में छोटी-मोटी बीमारी से सूजन नहीं होती। यह शरीर से खून निकल जाने या अन्य किसी प्रकार की कमजोरी के कारण उत्पन्न हो जाती है। भोजन में अधिक नमकीन, खट्टे, तीखे पदार्थों का सेवन करने भी से भी यह रोग पैदा हो जाता है। कई बार अशुद्ध भोजन लेने के कारण भी शरीर में विष उत्पन्न हो जाता है, जिससे सूजन की समस्या आती है।
लक्षण: कभी सूजन हो जाती है तो कभी खुद ही ठीक हो जाती है। सूजन आने से नसें पतली पड़ जाती हैं, जिससे त्वचा पर नीचे रंग की शिराएं दिखाई देने लगती हैं। शरीर में रोएं खड़े हो जाते हैं। यह सूजन वात, पित्त तथा कफ का संतुलन बिगडऩे के कारण होती है।
उपचार: 10 से 20 मिनट तक कटि स्नान करें। उसके बाद तौलिये को गीला करके कमर पर रगड़ें। सूजन वाले स्थान पर पानी की धार धीरे-धीरे छोड़ें।
पेट में गैस बनती है
उपचार: जब पित्त की मात्रा शरीर में अधिक हो जाए और अपचय हो तो रोगी को चाहिए की वह अपने पेट को वमन (उल्टी) द्वारा ठीक करे। सबसे पहले पीने के लिए 5-6 गिलास पानी गर्म करें। उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। अब कागासन में बैठ कर पानी पिएं। अब 5 से 10 मिनट तक टहलें। उसके उपरांत आगे की तरफ झुककर वमन कर दें। इसे कुंजन क्रिया कहते हैं।
लाभ: इससे गैस संबंधित रोग खत्म होता है। शरीर के अन्दर की सफाई होती है। आप काफी हल्का महसूस करेंगे।
सावधानियां: उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही यह क्रिया करें।
मन हल्का करने को वाष्प स्नान
उपचार: घर पर वाष्प स्नान लेने के लिए एक कुर्सी पर रोगी को बैठा दें। उसको कम्बल से चारों तरफ से ढक दें। दूर गैस चूल्हे पर एक कुकर पानी भर कर रखें। सिटी को हटा कर एक लम्बी पाइप लगा दें। पाइप के एक सिरे को सावधानीपूर्वक रोगी की कुर्सी के नीचे रख दें। इससे पहले रोगी को एक गिलास पानी पिलाएं और सिर पर ठंडे पानी से भीगा तौलिया रखें।
लाभ: भाप स्नान से त्वचा का मैल फूलकर निकल जाता है। शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं। शरीर में हल्कापन आता है। त्वचा निखरती है। कमर की सिकाई से दर्द दूर हो जाता है।
सावधानियां: उच्च रक्तचाप की तकलीफ है तो वाष्प स्नान न करें। अगर गरमी सहन न हो तो उपचार तुरंत रोक दें।
सर्दी-जुकाम से निजात दिलाए
उपचार: सर्दी-जुकाम से निजात पाने के लिए जल नेति क्रिया फायदेमंद होती है। एक लोटा लेकर उसमें हल्का गर्म पानी और 1/2 चम्मच नमक मिलाकर नाक में लगाएं और मुंह को खोलकर सांस लें तथा दूसरी नाक से पानी को निकाल दें।
लाभ: जल नेति से सर्दी-जुकाम की समस्या से मुक्ति मिलती है। नेत्र ज्योति बढ़ाती है। समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। सिरदर्द ठीक होता है।
पाचन क्रिया बेहतर करने के लिए
विधि: कमर स्नान काफी फायदेमंद होता है। बड़े टब में पानी भरें। रोगी को टब में कपड़े उतारकर इस तरह बैठा दें कि उसकी नाभि तक पानी आ जाए। रोगी के पैर बाहर एक मेज पर रख दें। रोगी के सिर पर एक गिला तौलिया रख दें तथा रोगी को एक सूती कपडा़ देकर नाभि के चारों तरफ रगडऩे को कहें। यह चिकित्सा 20 से 30 मिनट तक दें।
लाभ: यह पाचन क्रिया को ठीक करता है। कब्ज, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता को ठीक करता है।

Monday, April 15, 2013

11 टिप्स ज्यूलरी खरीदने के


गहने स्त्रियों के सच्चे मित्र माने जाते हैं और मनपसंद गहने चुन पाना सच्चा दोस्त मिलने जैसा ही मुश्किल होता है। कोई भी ऐसी स्त्री नहीं, जो एक बार में आभूषण पसंद करके खरीद लेती हो। किसी का डिजाइन भाता है तो किसी की फिटिंग नहीं हो पाती, कभी सब पसंद आ जाता है तो जेब पर भारी पड़ता है। गहनों की जगमग दुनिया से एक जगमगाता आभूषण चुनना बहुत मुश्किल होता है।
औरतों के साथ शॉपिंग करना सबसे मुश्किल काम है..। अमूमन पुरुषों का यही मानना है और यह बात पूरी तरह सच साबित होती है, जब वे ज्यूलरी शो-रूम में बैठी होती हैं। फिर भी कुछ टिप्स हैं, जो मुश्किल कम कर सकते हैं। अगली बार कुछ खरीदने जाएं तो इन्हें पढ़ लें।
1. जब आप ड्रेस खरीदती हैं तो उसे ट्रायल रूम में पहनकर देखती हैं। ज्यूलरी को भी पहनकर जरूर देखें। सुंदरता के साथ यह भी जरूरी है कि वह आप पर अच्छी लगे और सुविधाजनक हो।
2. पहली नजर में कुछ आपको लुभा रहा है और वह पॉकेट के माफिक भी है तो उसे खरीद लें। ये न सोचें कि सिल्वर है या गोल्ड, असली है या नकली। कई बार पहली नजर में कुछ पसंद आता है, इसके बाद दर्जनों चीजें देखने के बावजूद कुछ अच्छा नहीं लगता। क्योंकि पहली चीज मन पर छाई होती है। उसे खरीद लें, अगली बार का इंतजार न करें।
3. कोई ऐसा ट्रेंडी पीस लेना चाहती हैं, जो लंबे समय तक स्टाइल में नहीं रहेगा तो कॉस्ट्यूम ज्यूलरी खरीदें। ये असली नहींहोती, साथ ही कुछ सस्ती भी मिल जाती है।
. 4लंबे समय के लिए आभूषण खरीदना चाहती हैं तो क्लासिक डिजाइनर ज्यूलरी लें। ये महंगी होती है, लेकिन जिंदगी भर साथ देती है।
5. आभूषण व्यक्तित्व को बदल देते हैं। इनमें प्रयोग करना सीखें। कई बार एक बोल्ड पीस आउटफिट की खूबसूरती को दुगना कर देता है। लेकिन इसे पहनकर आईना जरूर देख लें कि यह आप पर फब रहा हो।
6. कुछ भी ऐसा न लें, जिसे लेने में थोड़ी हिचक हो। क्योंकि बाद में भी उसे पहनने में आपको जरूर हिचक होगी।
7. हड़बड़ी में आभूषण न खरीदें। दो-तीन स्थानों पर अवश्य जांच-परख लें। गुणवत्ता, डिजाइन, रंग, मूल्य, हॉलमार्किंग जैसे पहलुओं पर विचार करने के बाद ही आभूषण खरीदें।
8. ज्यूलरी की ऑनलाइन खरीदारी करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें। तकनीकी जानकारियों के अलावा यह भी जरूर देख लें कि अपनी फिटिंग बिलकुल सही बताएं।
9. यह भी ध्यान दें कि आभूषण किस अवसर-आयोजन या स्थान पर पहना जाना है। बड़ा सा चोकर किसी खास शाम के लिए बेहतर हो सकता है, लेकिन उसे पहनकर आप कंप्यूटर पर काम नहींकर सकतीं।
10. किसी एक डिजाइनर, ब्रैंड या शो-रूम के नाम पर न जाएं। जरूरी नहींकि आपका ज्यूलरी बॉक्स डिजाइनर ज्यूलरी से भरा हो। कई बार ब्रैंड के अलावा भी खूबसूरत पीस दिखते हैं, जो स्टाइल स्टेटमेंट बना सकते हैं।
11. अपने कद और चेहरे के हिसाब से गहने खरीदें। चेहरा छोटा है तो बहुत बड़ा पीस अच्छा नहींलगेगा। उम्र कम है तो पारंपरिक आभूषणों के बजाय हलके और सस्ते डिजाइनर पीस लें। इसी तरह अधिक उम्र में शैंडलियर के बजाय छोटे व शालीन डिजाइन वाले टॉप्स खरीदें।



ल़ेजर तकनीक से पाएं बेदाग त्वचा


चेहरे पर एक छोटा सा दाग या एक्ने चेहरे की सुंदरता को खराब कर देता है। यदि चेहरे पर मुंहासों जैसे ढेर सारे दाने पास-पास और गुच्छे की शक्ल में हों और बहुत दिनों तक बनें रहे तो सावधान हो जाइए। यह एक्ने हो सकता है। अगर आपके परिवार में एक्ने की हिस्ट्री रही है यानी आपके मां या पिता को भी यह समस्या रही है तो भी आपको इससे बचाव की कोशिशें शुरू कर देनी चाहिए। दरअसल, एक्ने मुंहासों का बिगड़ा हुआ रूप है। फर्क यह है कि आमतौर पर मुंहासे जहां बिना किसी विशेष उपचार के किशोरावास्था के बाद स्वयं ही ठीक हो जाते है, वहां एक्ने के साथ ऐसा नहीं होता। जब तक कि इनकी देखभाल ठीक से न की जाए तब तक यह ठीक नहीं होते। समस्या तब और बढ़ जाती है जब इनके निशान या दाग चेहरे पर पड़ जाते है। यह दाग किसी भी युवती के लिए नागवार होते है।
क्यों होते है मुंहासे
त्वचा के नीचे स्थित सिबेशियस ग्लैंडं्स से त्वचा को नमी देने के लिए तेल निकलता है। ये ग्लैडं्स चेहरे, पीठ, छाती और कंधों पर सबसे ज्यादा होती है। अगर यह ज्यादा सक्रिय हो जाएं तो रोमछिद्र चिपचिपे होकर ब्लॉक हो जाते है और उनमें बैक्टीरिया पनपने लगते है। जो मुंहासे का कारण बनते है। सिबेशियस ग्लैड की अति सक्रियता की प्रमुख वजह एंड्रोजन हार्मोन की अधिकता है। एंड्रोजन पुरुष सेक्स हार्मोन है और यह लड़के-लड़कियों दोनों में ही होता है। किशोरावास्था में इसका सीक्रिशन ज्यादा होता है इसलिए उन दिनों ऐसी मुंहासों की समस्या से गुजरना पड़ता है। यही मुंहासे बिगड़कर एक्ने का रूप ले लेते है।
कुछ ऐसे लोग भी है जो मुंहासे फोड़ देते है और उन पर डेटॉल या सेवलॉन का घोल लगाते है, यह सोचकर कि शायद ऐसा करने से उनके घाव भर जाएंगे। लेकिन मुंहासों को फोडऩे से संक्रमण पर पूरी त्वचा पर फैल जाता है और उनके दाग भी जरूर पड़ते है। मुंहासों के निकलने के कुछ अन्य कारण भी है मसलन एलर्जी, तनाव, जंकफूड, हाइड्रोजेनेटेड फैट और पशु उत्पादों के प्रयोग, कुपोषण और प्रदूषण से भी इनकी संभावना बढ़ जाती है। कुछ दवाओं जैसे स्टीरॉयड, ओरल, कांट्रेसेप्टिव पिल्स और मिरगी की दवाओं आदि के रिएक्शन से भी मुंहासे हो सकते है।
बचाव संभव है
कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो मुंहासों को रोका जा सकता है, कम से कम उनका ज्यादा बढऩा तो रोका ही जा सकता है। बेहतर होगा कि मुंहासे निकलते ही उनकी रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए जाएं।
अगर आप इनसे बचना चाहती है तो अपने आहार पर खास ध्यान देना होगा। भोजन में अधिक तेल, मसाले से परहेज करना होगा।
इसके अलावा रेशेयुक्त पदार्थो का सेवन अधिक करे। इससे पेट साफ रहता है और शरीर के विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाते है। क्योंकि पेट की खराबी भी मुंहासों का एक विशेष कारण होता है। अधिक मीठा, स्टार्चयुक्त भोजन से जहां तक हो सके बचें।
कैसे जाएं मुंहासों के निशान
आज की व्यस्त जीवन शैली में समय के अभाव के कारण मुंहासों के दाग दूर करने के लिए घंटों चेहरे पर लेप लगाना और उबटन का इस्तेमाल करने से हर स्त्री बचना चाहती है। ऐसे में लेजर तकनीक काफी सुविधाजनक है। लेजर तकनीक मुंहासों का अच्छा इलाज है। इसके जरिये त्वचा के दाग-धब्बे दूर हो जाते है और आपको मिलती है एक निर्दोष, बेदाग त्वचा। इस लेजर चिकित्सा में आपकी त्वचा की कोशिकाओं का पानी लेजर की किरण सोख लेता है। इस क्रिया से कोशिकाओं का तात्कालिक वाष्पीकरण होता है या वे नष्ट हो जाती है। न्यू लुक लेजर क्लीनिक, लाजपत नगर, नयी दिल्ली के कंसल्टेट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल के अनुसार लेजर चिकित्सा के जरिये प्रभावित त्वचा को हटा दिया जाता है और उसके जगह नयी त्वचा निकल आती है। लेजर चिकित्सा के बाद त्वचा कुछ समय तक गुलाबी रहती है पर धीरे-धीरे त्वचा निर्दोष और सामान्य नजर आती है। इसके लिए आपकी त्वचा को देख कर और मुंहासों की स्थिति को ध्यान में रखकर आपको यह परामर्श दिया जाता है कि आपको लेजर ट्रीटमेंट की कितनी सिटिंग लेने की जरूरत होगी। इसके साथ ही डॉक्टर के निर्देशानुसार कुछ दिनों तक आपको सूर्य की किरणों से भी त्वचा का बचाव करना होता है। साथ ही एसपीएफ-18 की सनस्क्रीन का भी प्रयोग करना होता है। लेकिन आपको मिलती है एक सुंदर, स्वस्थ और बेदाग त्वचा।

डैंड्रफ के लिए सिरका




सिरके का प्रयोग कई रूपों में किया जाता है। इतना ही नहीं सिरका कई प्रकार का होता है। क्या आप जानते हैं आयुर्वेद में सिरके का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आप अपने बालों को सुंदर बनाने के लिए भी सिरके का प्रयोग कर सकते हैं। जी हा, सिरका बालों के लिए अच्छा है यानी आप यदि बालों की किसी समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो आपको सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही आपको ये भी पता होना चाहिए कि सिरके का इस्तेमाल बालों के लिए कैसे किया जाता है। आइए जानें डैंड्रफ के लिए सिरके के इस्तेमाल के बारे में।
बालों के लिए सिरके के फायदे
-बालों को सुंदर बनाने के लिए सिरके का प्रयोग किया जाता है। डेंड्रफ, जूं जैसी समस्याओं से बचने के लिए सिरके का प्रयोग लाभकारी है।
-बालों की प्राकृतिक रूप से देखभाल के लिए भी सिरके का प्रयोग किया जा सकता है।
-बालों की अच्छी तरह से सफाई और बालों को स्व्स्थ रखने में सिरके का इस्तेमाल किया जाता है।
-बालों की कंडीशनिंग के लिए भी सिरके का इस्तेमाल किया जा सकता है।
-बालों में होने वाले फुंसी, फंगस और इसी तरह की अन्य समस्याओं को दूर करने और बैक्टीरिया इत्यादि को नष्ट करने में भी सिरके का प्रयोग किया जाता है।
-बालों की चमक बरकरार रखने के लिए और बालों को मुलायम और सुंदर बनाने के लिए सिरके से किफायती कुछ भी नहीं।
-सिरके से बालों को सीधा भी किया जा सकता है। यदि रूखे और घुंघराले बालों को सीधा करना है तो सिरके का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे में आपको चाहिए कि आप सेब के सिरके से बालों को धोएं और इससे जल्द ही आप बाल सीधे कर पाएंगे।
सिरके का इस्तेमाल
-डैंड्रफ बालों के लिए एक बड़ी समस्या होती है, ऐसे में यदि आप डैंड्रफ से छुटकारा पाना चाहे तो भी सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको अच्छी तरह से बालों की जड़ों पर सिरके से तकरीबन आधे घटे तक मालिश करनी चाहिए और उसके बाद बाल धो लेने चाहिए। ऐसा आप सप्ताह में 2- 3 बार करिए आप पाएंगे कि आपके बालों से डैंड्रफ एकदम गायब हो गई है। इससे डैंड्रफ के कारण हो रही खुजली भी जाती रहेगी।
-इतना ही नहीं यदि स्कॉल्प की त्वचा रुखी है और आपको डैंड्रफ भी हो गई र्है तो आप बालों को धोने के बाद सिरके और थोडा सा बादाम का तेल मिलाकर स्कॉल्प पर अच्छी तरह से लगाएं । इससे स्कॉल्प में नमी भी आएगी और दोबारा कभी डैंड्रफ की समस्या भी नहीं होगी।
-बालों में शैंपू करने के बाद लगभग एक लीटर पानी में करीब 75 मिलीलीटर सिरके का घोल तैयार करना चाहिए और उसे बतौर कंडीशनर इस्तेमाल करना चाहिए।
-बालों को प्राकृतिक रूप से मजबूती देने के लिए बालों में सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आपकी स्कॉल्प ऑयली है तो आपको बाल धोने से पहले नींबू के रस के साथ मिलाकर सिरका लगाना चाहिए।
-अब आप ना सिर्फ सिरके के इस्तेमाल से डेंड्रफ से आसानी से निजात पा सकतें हैं बल्कि बालों को रेशमी बनाने के लिए भी सिरका बहुत लाभकारी है।