Tuesday, April 16, 2013
बीमारियों में रामबाण जल चिकित्सा
पंचतत्वों से बने शरीर को जल की अत्यधिक आवश्यकता होती है। जल एक अमृत औषधि भी है। जल की औषधीय महत्ता इतनी अधिक है कि जल चिकित्सा से अनेक बीमारियां प्राकृतिक तरीके से ठीक हो जाती हैं।
शरीर का तीन चौथाई भाग पानी है। हम तरह-तरह से पानी को ग्रहण भी करते हैं। खाने-पीने के साथ-साथ स्नान तक में पानी का इस्तेमाल होता है, जिससे हमारी सेहत बनी रहती है। शरीर में पानी का संतुलन बिगड़े या खाने-पीने में स्वच्छ पानी की तनिक भी कमी आ जाए तो बीमारी हमें घेर लेती है। कई बार ऐसी बीमारियां हमें सताने लगती हैं, जिनका बेहतर उपचार पानी से ही होता है। इस प्रक्रिया को जल चिकित्सा कहते हैं।
किन-किन बीमारियों में है अचूक
पेट से संबंधित रोगों में जल की भूमिका अति आवश्यक होती है। त्वचा रोगों, कब्ज, अनिद्रा, थकान, जोड़ों में के दर्द, मिर्गी, डायबिटीज, शुगर व कई अन्य रोगों में जल चिकित्सा बेहद असरदार होती है। एक और खास बात यह कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
मिर्गी के दौरे
कारण: मिर्गी के दौरे मस्तिष्क के किसी एक भाग में अचानक विद्युत प्रवाह के कारण होते हैं। आमतौर पर मिर्गी का दौरा लगभग 4-5 मिनट में खत्म हो जाता है। यह दौरा काफी खतरनाक होते हैं और कभी-कभी रोगी का मल-मूत्र भी निकल जाता है।
लक्षण: रोगी के शरीर में किसी भी अंग में दर्द या शरीर का टेढ़ा होना, मुंह से झाग आना, कुछ देर बाद अचानक ठीक होना इसका लक्षण हो सकता है।
उपचार: रोगी को पूर्ण रूप से विश्वास में लेने का प्रयास करें। 4-5 मिनट तक सिर पर गीला तौलिया बांधें। पीठ पर धीरे-धीरे पानी की धार छोड़ें। टब या बाल्टी में 5-7 मिनट तक दोनों पैरों को पानी में डुबाकर रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें।
अनिद्रा
कारण: अनिद्रा या नींद न आने की स्थिति अधिकतर मानसिक कारणों से होती है। गलत खान-पान, चिंता, देर रात तक जागना, पेट में गैस हो, छाती में भारीपन, शरीर में दर्द हो, रात को अधिक चाय पीना, कॉफी का सेवन करना आदि।
लक्षण: रात को नींद नहीं आती और पूरी रात करवटें बदलते बीतती है। नींद खुल जाती है, दुबारा नींद नहीं आती। सुबह को उठने पर शरीर में सुस्ती, थकावट आदि होती है।
उपचार: रात में हल्का भोजन लें। रात को सोने के लिए हवादार कमरे तथा आरामदायक बिस्तर का प्रयोग करें। सोने से पहले स्नान करें। नहाते समय सिरे पर पानी की धार डालें।
सूजन
कारण: शरीर में छोटी-मोटी बीमारी से सूजन नहीं होती। यह शरीर से खून निकल जाने या अन्य किसी प्रकार की कमजोरी के कारण उत्पन्न हो जाती है। भोजन में अधिक नमकीन, खट्टे, तीखे पदार्थों का सेवन करने भी से भी यह रोग पैदा हो जाता है। कई बार अशुद्ध भोजन लेने के कारण भी शरीर में विष उत्पन्न हो जाता है, जिससे सूजन की समस्या आती है।
लक्षण: कभी सूजन हो जाती है तो कभी खुद ही ठीक हो जाती है। सूजन आने से नसें पतली पड़ जाती हैं, जिससे त्वचा पर नीचे रंग की शिराएं दिखाई देने लगती हैं। शरीर में रोएं खड़े हो जाते हैं। यह सूजन वात, पित्त तथा कफ का संतुलन बिगडऩे के कारण होती है।
उपचार: 10 से 20 मिनट तक कटि स्नान करें। उसके बाद तौलिये को गीला करके कमर पर रगड़ें। सूजन वाले स्थान पर पानी की धार धीरे-धीरे छोड़ें।
पेट में गैस बनती है
उपचार: जब पित्त की मात्रा शरीर में अधिक हो जाए और अपचय हो तो रोगी को चाहिए की वह अपने पेट को वमन (उल्टी) द्वारा ठीक करे। सबसे पहले पीने के लिए 5-6 गिलास पानी गर्म करें। उसमें एक चम्मच नमक मिलाएं। अब कागासन में बैठ कर पानी पिएं। अब 5 से 10 मिनट तक टहलें। उसके उपरांत आगे की तरफ झुककर वमन कर दें। इसे कुंजन क्रिया कहते हैं।
लाभ: इससे गैस संबंधित रोग खत्म होता है। शरीर के अन्दर की सफाई होती है। आप काफी हल्का महसूस करेंगे।
सावधानियां: उच्च रक्तचाप की समस्या वाले व्यक्ति डॉक्टर की सलाह से ही यह क्रिया करें।
मन हल्का करने को वाष्प स्नान
उपचार: घर पर वाष्प स्नान लेने के लिए एक कुर्सी पर रोगी को बैठा दें। उसको कम्बल से चारों तरफ से ढक दें। दूर गैस चूल्हे पर एक कुकर पानी भर कर रखें। सिटी को हटा कर एक लम्बी पाइप लगा दें। पाइप के एक सिरे को सावधानीपूर्वक रोगी की कुर्सी के नीचे रख दें। इससे पहले रोगी को एक गिलास पानी पिलाएं और सिर पर ठंडे पानी से भीगा तौलिया रखें।
लाभ: भाप स्नान से त्वचा का मैल फूलकर निकल जाता है। शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं। शरीर में हल्कापन आता है। त्वचा निखरती है। कमर की सिकाई से दर्द दूर हो जाता है।
सावधानियां: उच्च रक्तचाप की तकलीफ है तो वाष्प स्नान न करें। अगर गरमी सहन न हो तो उपचार तुरंत रोक दें।
सर्दी-जुकाम से निजात दिलाए
उपचार: सर्दी-जुकाम से निजात पाने के लिए जल नेति क्रिया फायदेमंद होती है। एक लोटा लेकर उसमें हल्का गर्म पानी और 1/2 चम्मच नमक मिलाकर नाक में लगाएं और मुंह को खोलकर सांस लें तथा दूसरी नाक से पानी को निकाल दें।
लाभ: जल नेति से सर्दी-जुकाम की समस्या से मुक्ति मिलती है। नेत्र ज्योति बढ़ाती है। समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। सिरदर्द ठीक होता है।
पाचन क्रिया बेहतर करने के लिए
विधि: कमर स्नान काफी फायदेमंद होता है। बड़े टब में पानी भरें। रोगी को टब में कपड़े उतारकर इस तरह बैठा दें कि उसकी नाभि तक पानी आ जाए। रोगी के पैर बाहर एक मेज पर रख दें। रोगी के सिर पर एक गिला तौलिया रख दें तथा रोगी को एक सूती कपडा़ देकर नाभि के चारों तरफ रगडऩे को कहें। यह चिकित्सा 20 से 30 मिनट तक दें।
लाभ: यह पाचन क्रिया को ठीक करता है। कब्ज, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितता को ठीक करता है।
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