Tuesday, April 16, 2013

चर्म रोग, मधुमेह में फायदेमंद मिट्टी चिकित्सा


मिट्टी कीटाणुनाशक है। यह हमारे शरीर के विषों, विकारों को निकाल बाहर करती है। इस कारण इसे बेहतरीन औषधि कहा गया है।
मिट्टी चिकित्सा का प्रयोग करते समय सबसे पहले मिट्टी को आठ घंटे के लिये भिगोना होता है। इसके लिए उसे रात में ही भिगो दें। सुबह-सुबह मिट्टी को एक घंटे के लिए धूप में रख दें उसके बाद भीगी हुई मिट्टी का बहुत बारीक लेप बनाएं और रोगी के सारे कपड़े उतार कर, पूरे शरीर पर इस लेप को लगा दें। शरीर को धूप में खुला रखें और 30 से 40 मिनट तक लेप को सूखने दें। इसके बाद मिट्टी को छुड़ा कर ठंडे पानी से
नहा लें।
लाभ: इससे चर्म रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अनिद्रा आदि समस्या में काफी लाभ होता है।
सावधानियां: ध्यान रखें कि मिट्टी में कंकड़-पत्थर न हो। इसका इस्तेमाल करते समय आंखों को बंद कर लें। एक बार प्रयोग के बाद मिट्टी का दुबारा प्रयोग न करें। मिट्टी को साफ करते समय स्वच्छ पानी का प्रयोग करें।
एड़ी के दर्द में फायदेमंद
रोगी दो बाल्टी में पानी भर कर रखें। एक बाल्टी में गर्म तथा दूसरी बाल्टी में ठंडा पानी रखें। पहले ठंडे पानी की बाल्टी में 1 मिनट तक रोगी के पैर रखें और उसके बाद 3 मिनट तक गर्म पानी में पैर रखें। इस प्रक्रिया को चार बार दुहराएं। इससे एड़ी में होने वाली असहनीय पीड़ा भी समाप्त हो जाती है।
लाभ: एड़ी के दर्द में लाभ होता है। पैर की त्वचा कोमल रहती है और रक्तसंचार ठीक चलता है।
सावधानियां: पैर ठंडे पानी में रखने से प्रक्रिया को शुरू करें और अंत भी ठंडे पानी की बाल्टी में पैर रखकर ही करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि पानी की गर्मी सहने योग्य हो।
राजधानी में प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ योगा एंड नेचुरोपैथी, ईस्ट ऑफ कैलाश
बालाजी निरोगधाम, महाराजा अग्रसेन नेचुरोपैथी एंड योग साधना रिसर्च ट्रस्ट, बख्तावरपुर
वेलनेस केयर योग प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, बी-4/55, फेज-2, अशोक विहार
देव योग एवं नेचर क्योर सेंटर, नारायणा गांव, नजदीक नारायणा गांव क्लब
डॉ. जैन योगा एंड नेचुरोपैथी सेंटर, सेक्टर 14, गुडग़ांव
जलने-झुलसने पर
जल जाए या झुलस जाए तो तुरंत उसके जले झुलसे अंग को ठंडे पानी में एक घंटा डुबोकर रखें। इससे जलन दूर होगी, फफोला नहीं पड़ेगा। पूरा शरीर जल जाय तो व्यक्ति को तुरंत बड़े पानी के हौज में रख दें। सांस लेने के लिए नाक को पानी से बाहर रखें। याद रखें कि जला झुलसा-अंग पानी में एक से दो घंटे डूबा रहे। इससे ठंडे पानी का चमत्कार दिखायी देगा।
मोच आए चा चोट लगे 
मोच आ जाए या चोट लग जाए तो तुरंत उस स्थान पर खूब ठंडे पानी की पट्टी लगा दें। पट्टी में बर्फ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे न तो सूजन होगी, न दर्द बढ़ेगा। गर्म पानी की पट्टी न लगाएं या ऐसे पानी से सेंक न करें, क्योंकि इससे सूजन आ जाएगी और दर्द भी बढ़ जाएगा। यदि चोट लगने या कटने से खून आ जाय तो बर्फ या काफी ठंडे पानी की पट्टी चढ़ाने से तुरंत आराम होगा।
घुटने का दर्द
घुटनों के दर्द की शिकायत हो तो रोगी ठंडे पानी में भिगोई पट्टी लेकर अपने घुटने पर बांधें। इस बात का ध्यान रखें कि पट्टी में इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा सूती हो। ठंडे पानी की पट्टी के ऊपर ऊनी या मलमल का कपड़ा लपेटना चाहिए।


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