Tuesday, May 7, 2013
स्मार्ट महिला.. स्मार्ट खाता
डिजिटल दुनिया की जरूरत है कि स्मार्टली मैनेज हो आपकी बैंक डिपॉजिट। जानें कि कैसे एटीएम के इस्तेमाल से लेकर मोबाइल एलर्ट तक अब आपके साथ चौबीसों घंटे है ताकत अपने पैसे तक पहुंच और इस पर नियंत्रण की..
दिनभर की भागमभाग वाली जिंदगी में लगी स्मार्ट महिलाओं को चाहिए एक स्मार्ट बैंक खाता, जो उनकी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने के साथ रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बना सके। इसके लिए बैंकों ने सदियों से चले आ रहे बचत खाता के स्वरूप को बदलकर रख दिया है। अब यह सिर्फ कम ब्याज देकर छोटी बचतों को सहेजने या बचत की आदत डालने वाला साधारण खाता नहीं रहा। बैंकों ने इसमें कई फीचर जोड़कर इसे काफी आकर्षक बना दिया है। इसी के जरिये वह आपसे संबंधों की शुरुआत करते है।
एटीएम कार्ड मुफ्त में
खाते से पैसा निकालने के लिए आपको बैंक आना न पड़े इसके लिए अधिकांश बैंक एटीएम कार्ड खाता खुलने के साथ वेलकम किट में ही दे देते है। कई बैंकों के एटीएम में डेबिट कार्ड का फीचर रहता है इससे आप खरीददारी या उपयोग वाली सेवाओं के बिलों का भुगतान और रेलवे का आरक्षण भी करा सकती है या फिर किसी धार्मिक संस्था या मंदिर को दान देने के लिये भी उपयोग कर सकती है। इसके जरिये खरीददारी को प्रोत्साहित करने के लिए बैंक समय-समय पर कैशबैक ऑफर भी देते है। अब एटीएम कार्ड के जरिये दूसरे खाते में पैसा भी भेजा जा सकता है। कई बैंकों के एटीएम में आपस में तालमेल होता है। इससे आप दूसरे बैंक के एटीएम का उपयोग कर सकती है। अपने बैंक के एटीएम के उपयोग के लिए कोई शुल्क नहीं लगता। कई बैंकों ने कुछ शुल्क भी निर्धारित किया है। स्टेट बैंक ने एटीएम का सबसे बड़ा नेटवर्क स्थापित किया है। कई शहरों में उनके मोबाइल एटीएम भी कार्य कर रहे है। वैसे तो बैंक एटीएम कार्ड मुफ्त देते है, पर कई बैंक वार्षिक या रखरखाव शुल्क के नाम पर कुछ शुल्क पहले या दूसरे साल से लेने लगते है। यदि संयुक्त खाता है तो सभी खातेदारों को एटीएम कार्ड दिया जा सकता है।
आया मल्टीसिटी चेक का जमाना
चूंकि अधिकांश बैंकों की शाखाएं अब आपस में नेटवर्क से जुड़ी रहती है इससे ग्राहक शाखा का न होकर बैंक का हो जाता है और वह दूसरे शहर की शाखाओं भी लेन-देन कर सकता है। इसके लिए बैंक सममूल्य भुगतान सुविधा वाली मल्टीसिटी चेक जारी करता है। कई बैंक तो इन चेकों के ऊपर ग्राहकों का नाम तथा खाता नंबर भी मुद्रित करा देते है। अधिकांश बैंक साधारण शुल्क पर कुछ बैंक उससे कुछ अधिक शुल्क पर इसे जारी करते है।
सैलरी खाता है तो कई सुविधाएं
संस्था के कर्मचारियों का वेतन खाता खोलने वाले संस्थानों के कर्मचारियों को बैंक कई आकर्षक रियायतें और सहूलियतें प्रदान करते है। उनके खातों का वर्गीकरण उनके पद और वेतन के अनुरूप करके सुविधायें प्रदान करते है। इसमें प्रमुख है रिटेल लोन की प्रक्रिया शुल्क की कमी, मुफ्त चेक पर्ची, खाते से असीमित निकासी, एटीएम से अधिक निकासी की सुविधा एवं अधिक सुविधा वाले कार्ड जारी करना, चेक वापसी सुरक्षा या अल्पकालिक ओवरड्राफ्ट या ऋण की सुविधा प्रमुख है।
आटो स्वीप के जरिए ज्यादा ब्याज
यदि आपके बचत खाते में ठीक-ठाक बैलेंस रहता है तो बेहतर है कि उस शाखा में खाता खोलें जहां आटो स्वीप की सुविधा उपलब्ध हो। इसमें महीने में आप द्वारा चुनी गई तिथि पर आप द्वारा निर्धारित राशि से अधिक राशि स्वत: आटो स्वीप के जरिये टर्म डिपाजिट में ट्रांसफर हो जाती है और आपको सावधि जमा का ऊंची दर पर ब्याज मिलने लगता है। यह अधिक ब्याज कमाने का अच्छा जरिया है। भुगतान लेते समय स्वत: टर्म डिपाजिट से राशि बचत खाते में अंतरित हो जाती है और आपका भुगतान हो जाता है।
इंटरनेट बैंकिंग का मुकाबला नहीं
यदि आप टेक्नोसेवी है, आपकी पहुंच में इंटरनेट है तो आप इंटरनेट बैंकिंग के जरिये अपना लेन-देन कर सकती है। बैंक नेट के जरिये बैंकिंग को काफी प्रोत्साहन देते है। स्टेटमेंट छापना, खाते में धन ट्रांसफर करना, चेकबुक की मांग या ड्राफ्ट इत्यादि बनवाना इसकी कुछ मुख्य विशेषतायें है। इंटरनेट के जरिए टैक्स भुगतान को अब सरकार अनिवार्य करने जा रही है। बैंकें यह सेवा भी मुफ्त में प्रदान करती है।
विशेष लोगों को विशेष रियायतें
संपन्न खाताधारकों को बैंक कई तरह की रियायतें जैसे लॉकर किराये में कमी, कुछ सीमा तक ड्राफ्ट, बैंकर्स चेक या धन का प्रेषण या चेकों का संग्रह, डिमेट खाते में छूट, बीमा जैसी सुविधायें प्रदान करते है। ऐसे लोगों के लिए और भी आकर्षक आफरों के साथ व्यक्तिगत सेवा प्रदान करने के लिए रिलेशनशिप मैनेजर भी नियुक्त कर रखे है।
एसएमएस अलर्ट से अपडेट
यदि आपने अपने खाते को एसएमएस अलर्ट से जोडऩे के लिए बैंक में आवेदन कर रखा है तो आपके खाते में होने वाले किसी भी लेनदेन का मैसेज आपके मोबाइल पर आ जाता है। कुछ बैंक खाता खुलने के समय ही यह सुविधा स्वत: ग्राहकों को प्रदान कर देते है और कई बैंकों में आवेदन पत्र देकर या इंटरनेट बैंकिंग के जरिये यह सुविधा लेनी पड़ती है।
मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा
कुछ बैंकों ने इसकी शुरुआत कर दी है। शुरुआत में बिलों का भुगतान या खाते में राशि अंतरित करने जैसे कार्य किये जा सकते है।
दूसरे बैंकों में पैसा भेजना आसान आरटीजीएस यानी रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट एवं एनईएफटी यानी नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांसफर किया जा सकता है। रिजर्व बैंक द्वारा प्रायोजित यह सुविधा अधिकांश बैंकों की नेटवर्क से जुड़ी शाखाओं में उपलब्ध है। इसके लिए आपके पास उस बैंक का आईएफएससी कोड हेना चाहिए जहां आप पैसा भेज रही है। आरटीजीएस में ऑनलाइन दो लाख रुपये से अधिक का फंड ट्रांसफर होता है, जबकि एनईएफटी में कोई सीमा निर्धारित नहीं है। ड्राफ्ट की तुलना में इसके जरिये पैसा भेजना काफी किफायती है और तत्काल पैसा ट्रांसफर होने से इसका उपयोग दूसरी ओर किया जा सकता है।
Sunday, May 5, 2013
न आएंगे डरावने सपने
हर व्यक्ति की विचारधारा अलग-अलग होती है। कुछ महिलाएं बहुत ही निडर स्वभाव की होती है और उन्हे किसी भी तरह की परेशानी में डर नहीं लगता है। वहीं कुछ ऐसे भी होती है जो परेशानी में तो नहीं घबराती है, लेकिन रात के समय में अंधेरा उनके लिए डर का कारण जरूर बन जाता है। अधिकतर देखा गया है डरावनी फिल्में देखने या इसी तरह की कहानियां सुनने के बाद लोग अक्सर रात को डर जाते है। ऐसे लोगों के लिए कुछ उपाय
-सोने से पहले अपने आपको रिलेक्स करने के लिए चाहे तो मेडिटेशन कर सकती है।
-हर्बल चाय का सेवन भी एक अच्छा रास्ता है।
-हल्का-फुल्का व्यायाम भी कर सकती है।
-दिमाग में बैठी हुई किसी भी तरह की डरावनी बात को पूर्णतया: निकालने की कोशिश करे। अपनी परेशानियों तथा उनके संभव उपचार की एक लिस्ट बना लें और अगले दिन उन बातों पर अमल करे।
-सोने से पहले डरावनी फिल्में मत देखें।
-दूध या दही के साथ स्वअल्पाहार का सेवन करे। यह आपके शरीर में कैल्शियम तथा ट्रिप्टोफैन की मात्रा को बनाए रखता है जो आपको रिलेक्स करने में मदद करता है।
-तले-भुने तथा कड़वे भोजन से परहेज करे, क्योंकि यह आपको गैस की समस्या से परेशान करने के साथ ही बुरे ख्यालों का कारण बन सकता है।
-बहुत अधिक चाय-कॉफी का सेवन न करे क्योंकि इसमें पाया जाने वाला निकोटीन नींद को प्रभावित करने में अहम् भूमिका निभाता है।
-किसी भी तरह के नशे का सेवन न करे, क्योंकि यह आपकी सेहत के साथ ही आपके रहन-सहन पर भी खराब असर डालता है।
-बुरे ख्वाबों से निपटने के लिए नींद खुलने पर उसे एक पन्ने पर लिख लें। यह जानने की कोशिश करे कि इस बात का जुड़ाव किस तरह से आपकी हालिया जीवनशैली से है।
-सोने से पहले मन में नकारात्मक विचारों को न आने दें। नकारात्मक विचार दूर करने के लिए आप अच्छा साहित्य या धार्मिक किताबें पढ़ सकती हैं।
ट्रेडी एक्सेसरीज का सही प्रयोग
अपने सपनों के संसार यानी अपने घर को सही और ट्रेंडी एक्सेसरीज से सजाने की अभिलाषा हर किसी के मन में होती है, पर क्या यह काम आप सही ढंग से कर पाती हैं। अगर नहीं तो अपनाइए इंटीरियर डेकोरेटर एलेक्स डेविस के सुझाव
घर की साज-सज्जा को संपूर्ण टच देने के लिए आप जो भी एक्सेसरीज चुनती हैं, वे आपके घर की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं तो कभी-कभी उसकी सुंदरता को कम भी कर देती हैं। इसके लिए आपने जो एक्सेसरीज चुनी हैं उनका सही ढंग से प्रयोग करना जरूरी होता है। आप ऐसा करती हैं या नहीं, यहां दिए जा रहे सुझावों के जरिए जानिए और उन्हें अपनाइए भी।
व्यवस्थित करें एक्सेसरीज
कमरों को नेचुरल लुक देने के लिए फूलदान या फिर कैंडल को तीन के समूह में या दूसरी किसी विषम संख्या में रखें ताकि सजावट अप्राकृतिक न लगे। फोटो फ्रेम, कैंडल्स और फूलदान की व्यवस्था का सही प्रयोग करें: बड़ी-बड़ी और लंबी कैंड्ल्स को डेकोरेशन के वक्त सबसे पीछे रखें। जैसे एक टेबल पर कैंडल को सबसे पहले रखें, फिर फूलदान लगाएं और उसके आगे फोटो फ्रेम रखें। इसके अलावा आप इन कैंडल्स को एक के ऊपर एक करके रख सकती हैं, साथ सटाकर भी रख सकती हैं।
चीजें एक तरह की हों
मान लें दो छोटी टेबल हैं तो उसमें फूलदान और फूल भी एक ही जैसे रखें। कुशन भी एक तरह के हों। अगर बेड के एक तरफ चौकोर कुशन रखा है तो दूसरी तरफ भी वैसा ही हो। ऐसा न हो कि उस तरफ कोई अलग आकार का कुशन रख दें। ये सामान सुंदर दिखते हैं।
सजावट में विविधता
सजावटी चीजों की ऊंचाई, आकार और कट को अलग-अलग तरह से इस्तेमाल कर सकती हैं। विभिन्नता और कंट्रास्ट का प्रयोग आप आराम से कर सकती हैं, लेकिन कई रंगों का एक साथ इस्तेमाल कम करें वर्ना सारी चीजें बेमेल नजर आएंगी। राज की बात यह है कि तीन प्राइमरी रंगों से ज्यादा का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे कमरा बहुत भरा-भरा सा दिखने लगता है। साथ में सफेद या पारदर्शी ग्लास का इस्तेमाल करें।
अपने कमरे को एक थीम दें
अपने कमरे में कुछ इस ढंग से एक्सेसरीज को इस्तेमाल करें कि लगे आप किसी थीम को दर्शा रही हैं। मसलन अगर आप बाथरूम को सजाना चाहती हैं तो उसमें शंख, छोटे-छोटे पत्थर रखें, उसकी टाइल्स में मछलियों, लहरों या पानी से संबंधित दृश्य हों। दीवार पर समुद्र या पानी से संबंधित कोई बेहतरीन चित्र लगाएं, जो बाथरूम को ताजगी से भर दे।
कुशन्स में मिक्स ऐंड मैच करें
ऐसा प्रयोग करने से पहले यह ध्यान रखें कि तीन प्राइमरी रंगों से ज्यादा का इस्तेमाल न करें। पहले फ्लोरल पैटर्न के कुशन्स लगाएं, फिर स्ट्राइप्स वाले कुशन्स। व्यवस्थित करते समय दोनों तरह के कुशन्स को एक साथ मिलाकर रखें। ऐसा न हो कि एक ओर सिर्फ फ्लोरल पैटर्न वाले, दूसरी तरफ स्ट्राइप्स वाले कुशन रखें।
ज्यादा प्रयोग न कर सकें तो
अगर आपके घर और बजट में ज्यादा प्रयोग करने की गुंजाइश नहीं है तो आप साधारण या प्लेन कुशन के साथ आकर्षक रंगों की पाइपिंग से सजे कुशन्स रख सकती हैं, ताकि सोफे और कुशन्स उभरकर नजर आएं। प्लेन कुशन्स में भी अलग-अलग तरह के शेड्स का प्रयोग कर सकती हैं। इसके अलावा सोफे के फैब्रिक को ध्यान में रखकर उसके कंट्रास्ट फैब्रिक वाला कुशन सजा सकती हैं। बड़े दो सीट वाले सोफे पर पांच से छह कुशन लगाएं। यदि आपको एक ही आकार वाले कुशन्स रखने अच्छे नहीं लगते हैं तो आप इसमें कुछ नया प्रयोग कर सकती हैं। जैसे विभिन्न शेप के कुशन्स रख सकती हैं। कोई चौकोर, गोल, त्रिकोणाकार, अंडाकार या फिर हार्ट शेप वाला कुशन एक साथ रख सकती हैं। इस तरह आप अपनी पसंद की एक्सेसरीज को सही ढंग से व्यवस्थित करके अपने घर-आंगन को नया और आकर्षक रूप दे सकती हैं।
हमेशा यस बॉस..
अब तक यही धारणा प्रचलित थी कि बॉस हमेशा सही होता है और उसकी हर बात माननी चाहिए, पर वक्त के साथ बहुत कुछ बदल रहा है। अब जरूरत है उस पुरानी धारणा को नए सिरे से परखने की..
कॅरियर की सफलता के लिए केवल अच्छी परफॉर्मेंस ही काफी नहीं है, बल्कि बॉस के मिजाज को समझते हुए उसके अनुकूल व्यवहार करना भी व्यक्ति के प्रोफेशनल स्किल का जरूरी हिस्सा माना जाता है। इसी वजह से बॉस इज आलवेज राइट जैसे जुमले इतने प्रचलित हैं। इस विचारधारा के अनुसार चाहे सही हो या गलत, बिना किसी तर्क-वितर्क के बॉस की हर बात माननी चाहिए। लंबे अरसे तक लोग इसी विचारधारा पर अमल करते रहे। फिर एक दौर ऐसा भी आया जब खुद अधिकारियों को इस सच्चाई का एहसास होने लगा कि बिना सोचे-समझे हमारी हर बात पर हा में हा मिलाने वाले कर्मचारियों की वजह से हमारा और संस्थान का नुकसान हो रहा है। पिछले एक दशक से कुछ ऐसे ही मुद्दे लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं। सवाल यह उठता है कि कॅरियर में सफलता हासिल करने का सही तरीका क्या होना चाहिए? क्या बॉस इज आलवेज राइट जैसे कथन को सिरे से नकार देना चाहिए या कामयाबी के लिए कोई संतुलित रास्ता अपनाना चाहिए। बॉस के सामने स्पष्ट विचार रखते हुए कामयाबी के रास्ते पर आगे कैसे बढ़ें।
पहले तोलें फिर बोलें
बॉस के सामने कहा गया एक-एक शब्द आपके लिए बहुत मायने रखता है। इसलिए बॉस के साथ अपनी बातचीत की गंभीरता को समझें। चाहे कोई भी टॉपिक हो, काफी सोच-विचार के बाद उनके सामने तर्कसंगत ढंग से अपनी बात रखें।
बिना सोचे-समझे यस बॉस न कहें
जब आप बॉस की बातों से पूरी तरह सहमत हों तभी हामी भरें, क्योंकि आजकल कोई भी अधिकारी हमेशा हा में हा मिलाने वाले कर्मचारियों को पसंद नहीं करता। प्रोफेशनल लाइफ में अधिकारियों के सामने आपका स्पष्टवादी व्यक्तित्व और मौलिक विचार नजर आना चाहिए, पर ध्यान रहे कि आपकी बातचीत का अंदाज हमेशा शालीन और सटीक होना चाहिए।
असहमति का मतलब असफलता नहीं
अगर किसी वजह से बॉस आपका आइडिया रिजेक्ट कर देते हैं तो यह सोचकर मायूस न हों कि आप नाकाबिल हैं, क्योंकि असहमति की प्रोफेशनल वजहें हो सकती हैं।
निडर होकर दें सही सुझाव
अगर आप अपने काम में परफेक्ट हैं तो बॉस को भी आपकी काबिलीयत की कद्र होगी और वह भी हमेशा आपसे सही सुझाव की उम्मीद रखेंगे। ऐसी स्थिति में अगर कभी आपको ऐसा लगे कि बॉस का सुझाव गलत है, लेकिन वह अपने विचारों पर अडिग हैं तो उस वक्त उनसे ज्यादा बहस न करें, पर बाद में तर्क सहित उनके सामने अपना सुझाव जरूर रखें। हो सकता है कि बाद में शात मन से पुनर्विचार करने के बाद वह आपकी बातों से सहमत हो जाएं।
बॉस के पास है वीटो पावर
अगर किसी मुद्दे को लेकर बॉस के साथ आपका मतभेद हो और आपको ऐसा लगे कि आप दोनों ही सही हैं तो ऐसे में बॉस के विचारों के साथ सहमति दिखाने में ही भलाई है, क्योंकि अंतिम निर्णय लेने का अधिकार उन्हीं के पास होता है।
हर समस्या बॉस के पास न ले जाएं
छोटी-छोटी समस्याएं लेकर बॉस के पास जाने के बजाय उन्हें अपने स्तर पर हल करने की कोशिश करें। बार-बार बॉस के पास शिकायतें लेकर जाने से बेवजह उनके सामने आपका इंप्रेशन खराब होगा।
अगर आप अपने कार्यस्थल पर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको कामयाबी जरूर मिलेगी।
Monday, April 29, 2013
ऐसे करें सिविल सर्विसेज की तैयारी
यूपीएसएसी के सिविल सर्विसेज एग्जाम का प्रिलिम्स 26 मई को होगा। पिछले कुछ सालों के दौरान इस एग्जाम में तमाम बदलाव हुए हैं। इस साल से मेन्स में भी कुछ नए नियम लागू कर दिए गए हैं। इन तमाम बदलावों के बीच कैसे करें इस प्रतिष्ठित एग्जाम की तैयारी जाने :-
यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रमुख और सम्मानित परीक्षा है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा निर्देशित नियमों के मुताबिक अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के ग्रुप क और ग्रुप ख पदों पर भर्ती के लिए यूपीएससी हर साल सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। आयोग हर साल फरवरी, मार्च में इसके लिए विज्ञापन निकालता है। मई के तीसरे या चौथे रविवार को प्री, नवंबर में मेन्स और अगले साल मार्च-अप्रैल में इंटरव्यू का आयोजन किया जाता है। फाइनल रिजल्ट मई के पहले या दूसरे हफ्ते तक घोषित कर दिया जाता है। जहां तक कुल वेकेंसी का सवाल है तो यह अमूमन 900 से 1100 के बीच होती हैं। इस साल सिविल सेवा प्री एग्जाम का आयोजन 26 मई को होना है। मेन्स एग्जाम 8 नवंबर से होंगे।
बदलाव की बात
- यूपीएससी ने इस साल यानी 2013 से सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिए परीक्षा के तरीके में कुछ बदलाव किया है। इस नए फॉर्मैट में अब जनरल स्टडीज पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।
- मेन्स एग्जाम में पहली बार जनरल स्टडीज के सिलेबस में नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और ऐप्टिट्यूड को शामिल किया गया है। डीओपीटी ने तमाम पेपर्स के अधिकतम अंकों के मामले में भी अच्छा खासा बदलाव किया है।
- सिविल सेवा मेन्स एग्जाम 2013 से जनरल स्टडीज के 250-250 अंकों के चार अनिवार्य पेपर होंगे।
- उम्मीदवार द्वारा चुने गए किसी एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के दो पेपर भी 250-250 अंकों के होंगे।
- निबंध के पेपर को 200 से बढ़ाकर 250 कर दिया गया है।
- इंटरव्यू के 300 अंकों को घटाकर अब 275 कर दिया गया है।
- पहले जनरल स्टडीज के केवल दो अनिवार्य पेपर 300-300 अंकों के होते थे और दो ऑप्शनल सब्जेक्ट में हरेक के दो-दो पेपर 300-300 नंबर के होते थे।
शैक्षणिक योग्यता
- कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष योग्यता होनी चाहिए।
- ग्रैजुएशन के फाइनल इयर के उम्मीदवार भी प्री एग्जाम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन जब वे मेन्स के लिए अप्लाई करेंगे तो उन्हें ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल कर लेने का सर्टिफिकेट पेश करना होगा।
उम्र
- जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट की उम्र 21 से 30 साल के बीच होनी चाहिए।
- ओबीसी के उम्मीदवारों के मामले में अधिकतम तीन साल, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए अधिकतम पांच साल की छूट का प्रावधान है।
- उम्र की गणना के लिए विज्ञप्ति प्रकाशन वाले साल के अगस्त महीने की पहली तारीख को मानक माना जाता है।
अवसरों की संख्या
- जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट को चार बार और ओबीसी कैंडिडेट्स को सात बार परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है।
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए अवसरों का कोई प्रतिबंध नहीं है।
- यहां यह जानना भी जरूरी है कि प्री एग्जाम के किसी भी पेपर में शामिल होने को ही अवसर के रूप में गिना जाता है, सिर्फ अप्लाई करने को नहीं।
रिजर्वेशन
- इस एग्जाम में सरकार द्वारा तय तरीके से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, ओबीसी और शारीरिक रूप से अक्षम उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
- अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5% और ओबीसी के लिए 27% तक आरक्षण दिया जाता है।
सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 से जुड़ी जरूरी इंफर्मेशन...
26 मई को होगा सिविल सर्विसेज-2013 प्री एग्जाम
8 नवंबर से होगा सिविल सर्विसेज-2013 मेन्स एग्जाम
मार्च-अप्रैल 2014 में होगा इंटरव्यू
275 अंकों का होगा अब इंटरव्यू, पहले था 300 का
1000 से 1100 तक होती हैं कुल वैकेंसी
5 लाख के करीब भरे जाते हैं कुल फॉर्म
13 गुना (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं मेन्स एग्जाम में
करीब 3 गुने (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं इंटरव्यू में
एग्जाम
सिविल सेवा परीक्षा के दो चरण होते हैं:
1. मेन्स एग्जाम के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए सिविल सेवा प्री एग्जाम होता है। यह ऑब्जेक्टिव होता है।
2. प्री क्वॉलिफाई करने वाले लोगों को सिविल सेवा मेन्स एग्जाम देना होता है, जिसमें लिखित परीक्षा के अलावा इंटरव्यू भी होता है।
एग्जाम में बैठने का फैसला लेने से एक साल पहले या अगर ग्रैजुएशन कर रहे हों तो इसके फाइनल इयर से इसकी तैयारी शुरू कर दें। तैयारी शुरू करने से पहले सिलेबस, प्रश्न-पत्र, उपयोगी पत्र-पत्रिकाओं, न्यूज पेपरों, किताबों और दूसरे सभी पहलुओं की सूची बनाकर सिलसिलेवार ढंग से तैयारी शुरू करनी चाहिए।
1. प्री एग्जाम
- प्री एग्जाम में ऑब्जेक्टिव टाइप के 200-200 अंकों के दो पेपर होते हैं। यह एग्जाम सिर्फ उसी साल के मेन्स एग्जाम के लिए कैंडिडेट्स की स्क्रीनिंग के लिए होता है।
- इस एग्जाम में मिले नंबरों को फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जाता।
- मेन्स एग्जाम में शामिल होने वाले योग्य कैंडिडेट्स की संख्या विज्ञप्ति में प्रकाशित कुल वेकेंसी की संख्या का लगभग 12 से 13 गुना होती है।
- यूपीएससी मेन्स एग्जाम में शामिल होने के लिए कैंडिडेट का चयन प्री में मिले नंबरों के आधार पर करता है।
रूपरेखा
- प्री में जनरल स्टडीज के पहले पेपर में 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
- दूसरे पेपर सिविल सर्विसेज ऐप्टिट्यूड टेस्ट (सीसेट) में 80 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
- दोनों पेपरों के लिए 200-200 अंक निर्धारित हैं।
- हर पेपर को 2 घंटे के भीतर हल करना होता है।
- प्रश्नों के उत्तर देने के लिए ओएमआर शीट पर सही गोले को काले बॉल पेन की मदद से रंगना होता है।
- हर प्रश्न के लिए चार ऑप्शन होते हैं। गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक कट जाता है।
- सीसेट के डिसिजन मेकिंग वाले प्रश्नों में निगेटिव मार्किंग न होकर सबसे सही से लेकर कम सही तक क्रमश: अंकों में कमी आती जाती है।
तैयारी
- जहां तक तैयारी का सवाल है तो सबसे पहले उम्मीदवार को जनरल स्टडीज के विभिन्न भागों की एक सामान्य समझ विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए कक्षा 7 से लेकर 12 तक की भूगोल, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विज्ञान आदि महत्वपूर्ण विषयों की टेक्स्ट बुक का अध्ययन करना चाहिए।
- जनरल स्टडीज के सिलेबस में भारत का इतिहास, भारत एवं विश्व भूगोल, भारतीय राजतंत्र और शासन, पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक विकास, पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और सामान्य विज्ञान को शामिल किया जाता है। तैयारी के लिए इन सभी विषयों या टॉपिक्स को पूरी गहनता के साथ और समसामयिक घटनाक्रम से इन्हें जोड़कर पढ़ना चाहिए।
- अगर हम पिछले सालों के पेपर्स को गंभीरता से देखें तो हम पाते हैं कि अब तथ्यात्मक प्रकृति के प्रश्नों की तुलना में ऐसे प्रश्न ज्यादा आते हैं जिनसे यह पता चल सके कि आपके कॉन्सेप्ट कितने साफ हैं और आपको विषय की कितनी गहरी समझ है। इसलिए स्टूडेंट्स को तैयारी के दौरान विषय के सभी भागों का गहन अध्ययन करना चाहिए।
- भूगोल पढ़ते वक्त मानचित्रों, इंटरनेट आदि की मदद लेनी चाहिए।
- इतिहास पढ़ते वक्त इसके सभी भागों यानी प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास की गंभीरता से पढ़ाई करनी चाहिए। हाल के सालों में समसामयिक घटनाक्रम को अलग से न पूछकर संबंधित विषयों की अवधारणा से जोड़कर पूछा जा रहा है। पढ़ते वक्त अर्थशास्त्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भूगोल, राजनीतिक व्यवस्था के हालिया घटनाक्रम पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए रोजाना कुछ अच्छे न्यूजपेपर और मैग्जीन्स पढ़नी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण इंटरनेट की सहायता जरूर लेनी चाहिए।
- दूसरे भाग सीसेट के सिलेबस में कॉम्प्रिहेंशन या बोधगम्यता संचार कौशल सहित इंटरपर्सनल स्किल, लॉजिकल रीजनिंग, ऐनालिटिकल एबिलिटी, सामान्य मानसिक योग्यता, बेसिक गणित, डाटा इंटरप्रटेशन और अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंशन शामिल हैं।
सीसेट की तैयारी से जुड़े कुछ जरूरी और उपयोगी सुझाव ये हैं...
1. अंग्रेजी और हिंदी कॉम्प्रिहेंशन पर खास ध्यान देना चाहिए क्योंकि 40 से 50% प्रश्न यहीं से होते हैं।
2. इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करनी चाहिए।
3. रीजनिंग, मैथ्स और मानसिक योग्यता के प्रश्नों की रोज प्रैक्टिस करनी चाहिए।
4. अगर अंग्रेजी के प्रश्न को समझने या करने में कठिनाई हो तो अपने अंग्रेजी के ज्ञान को बेहतर करने की कोशिश करें।
5. कई बार कॉम्प्रिहेंशन के प्रश्न का हिंदी में अनुवाद जटिल होने के कारण दिक्कत आती है। वैसी स्थिति में प्रश्न के अंग्रेजी में छपे भाग से मदद लेनी चाहिए।
2. मेन्स एग्जाम
यह एग्जाम का सबसे महत्वपूर्ण व निर्णायक भाग है क्योंकि कुल प्राप्तांक का 85% से ज्यादा वेटेज इसी का होता है। इस परीक्षा में प्राप्त किए गए अंकों की अधिकता न केवल इंटरव्यू का रास्ता साफ करती है, बल्कि अंतिम रूप से चयन और मेरिट में ऊपर आने में भी निर्णायक भूमिका अदा करती है। इसलिए परीक्षा में शामिल विषयों और इनके अंकों पर नजर डालना जरूरी है:
- मेन्स एग्जाम में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चुनी गई कोई एक भाषा और अंग्रेजी के पेपर मैट्रिकुलेशन स्तर के होते हैं, जिनमें केवल पास होना होता है। इन पेपरों में प्राप्त अंकों को फाइनल मेरिट में नहीं जोड़ा जाता।
- मेन्स में आए नए बदलाव द्वारा आयोग ने उम्मीदवारों के बीच वैकल्पिक विषयगत विषमता को दूर करते हुए सामान्य अध्ययन के क्षेत्र को ज्यादा बढ़ा दिया है। अपने उत्तर लिखने के लिए स्टूडेंट्स को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा या अंग्रेजी में लिखने की छूट है।
- टाइम मैनेजमेंट कामयाबी की पहली कुंजी है।
- जनरल स्टडीज पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना बेहद जरूरी है।
- अप्लाई करने से पहले ही ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन और उसके पूरे सिलेबस की पढ़ाई पूरी कर लेनी चाहिए।
- अगर जनरल स्टडीज के सिलेबस के तहत शामिल विषयों से जुड़े ऑप्शनल सब्जेक्ट चुने जाएं तो तैयारी के दौरान काफी समय की बचत हो सकती है।
- उत्तर देते वक्त तय शब्द-सीमा का पालन करते हुए गैरजरूरी विस्तार से बचना चाहिए।
- मुख्य परीक्षा की तैयारी के दौरान लगने वाले समय को जनरल स्टडीज के लिए 60%, ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए 30% और निबंध के लिए 10% के रूप में बांटकर तैयारी करनी चाहिए।
- निबंध का अभ्यास बेहद जरूरी है। इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। कई उम्मीदवार परीक्षा भवन में ही अपना पहला निबंध लिखने के कारण इसका नुकसान उठाते हैं।
- आपके उत्तरों में मौलिकता झलकनी चाहिए। किसी कोचिंग संस्थान, किताब या किसी दूसरे स्त्रोत की पूरी नकल उतार देना सही नहीं है।
- उत्तर अगर समसामयिक घटना-क्रम से जुड़ रहा हो तो जरूर जोड़ें।
- उत्तर के महत्वपूर्ण भाग को अंडरलाइन, ग्राफ, चित्रों, मानचित्रों की मदद से पेश करना अच्छे नंबर लाने के लिए जरूरी है।
- जवाब में प्रश्न की मांग के मुताबिक उसके सभी भाग का अगर मुमकिन हो तो बिंदुवार उत्तर दें।
- ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन सोचसमझकर करें।
यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे प्रमुख और सम्मानित परीक्षा है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा निर्देशित नियमों के मुताबिक अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के ग्रुप क और ग्रुप ख पदों पर भर्ती के लिए यूपीएससी हर साल सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। आयोग हर साल फरवरी, मार्च में इसके लिए विज्ञापन निकालता है। मई के तीसरे या चौथे रविवार को प्री, नवंबर में मेन्स और अगले साल मार्च-अप्रैल में इंटरव्यू का आयोजन किया जाता है। फाइनल रिजल्ट मई के पहले या दूसरे हफ्ते तक घोषित कर दिया जाता है। जहां तक कुल वेकेंसी का सवाल है तो यह अमूमन 900 से 1100 के बीच होती हैं। इस साल सिविल सेवा प्री एग्जाम का आयोजन 26 मई को होना है। मेन्स एग्जाम 8 नवंबर से होंगे।
बदलाव की बात
- यूपीएससी ने इस साल यानी 2013 से सिविल सेवा परीक्षा में सुधार के लिए परीक्षा के तरीके में कुछ बदलाव किया है। इस नए फॉर्मैट में अब जनरल स्टडीज पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।
- मेन्स एग्जाम में पहली बार जनरल स्टडीज के सिलेबस में नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और ऐप्टिट्यूड को शामिल किया गया है। डीओपीटी ने तमाम पेपर्स के अधिकतम अंकों के मामले में भी अच्छा खासा बदलाव किया है।
- सिविल सेवा मेन्स एग्जाम 2013 से जनरल स्टडीज के 250-250 अंकों के चार अनिवार्य पेपर होंगे।
- उम्मीदवार द्वारा चुने गए किसी एक ऑप्शनल सब्जेक्ट के दो पेपर भी 250-250 अंकों के होंगे।
- निबंध के पेपर को 200 से बढ़ाकर 250 कर दिया गया है।
- इंटरव्यू के 300 अंकों को घटाकर अब 275 कर दिया गया है।
- पहले जनरल स्टडीज के केवल दो अनिवार्य पेपर 300-300 अंकों के होते थे और दो ऑप्शनल सब्जेक्ट में हरेक के दो-दो पेपर 300-300 नंबर के होते थे।
शैक्षणिक योग्यता
- कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष योग्यता होनी चाहिए।
- ग्रैजुएशन के फाइनल इयर के उम्मीदवार भी प्री एग्जाम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन जब वे मेन्स के लिए अप्लाई करेंगे तो उन्हें ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल कर लेने का सर्टिफिकेट पेश करना होगा।
उम्र
- जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट की उम्र 21 से 30 साल के बीच होनी चाहिए।
- ओबीसी के उम्मीदवारों के मामले में अधिकतम तीन साल, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए अधिकतम पांच साल की छूट का प्रावधान है।
- उम्र की गणना के लिए विज्ञप्ति प्रकाशन वाले साल के अगस्त महीने की पहली तारीख को मानक माना जाता है।
अवसरों की संख्या
- जनरल कैटिगरी के कैंडिडेट को चार बार और ओबीसी कैंडिडेट्स को सात बार परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलता है।
- अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए अवसरों का कोई प्रतिबंध नहीं है।
- यहां यह जानना भी जरूरी है कि प्री एग्जाम के किसी भी पेपर में शामिल होने को ही अवसर के रूप में गिना जाता है, सिर्फ अप्लाई करने को नहीं।
रिजर्वेशन
- इस एग्जाम में सरकार द्वारा तय तरीके से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, ओबीसी और शारीरिक रूप से अक्षम उम्मीदवारों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
- अनुसूचित जातियों के लिए 15%, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5% और ओबीसी के लिए 27% तक आरक्षण दिया जाता है।
सिविल सर्विसेज एग्जाम-2013 से जुड़ी जरूरी इंफर्मेशन...
26 मई को होगा सिविल सर्विसेज-2013 प्री एग्जाम
8 नवंबर से होगा सिविल सर्विसेज-2013 मेन्स एग्जाम
मार्च-अप्रैल 2014 में होगा इंटरव्यू
275 अंकों का होगा अब इंटरव्यू, पहले था 300 का
1000 से 1100 तक होती हैं कुल वैकेंसी
5 लाख के करीब भरे जाते हैं कुल फॉर्म
13 गुना (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं मेन्स एग्जाम में
करीब 3 गुने (कुल वेकेंसी का) कैंडिडेट्स शामिल होते हैं इंटरव्यू में
एग्जाम
सिविल सेवा परीक्षा के दो चरण होते हैं:
1. मेन्स एग्जाम के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए सिविल सेवा प्री एग्जाम होता है। यह ऑब्जेक्टिव होता है।
2. प्री क्वॉलिफाई करने वाले लोगों को सिविल सेवा मेन्स एग्जाम देना होता है, जिसमें लिखित परीक्षा के अलावा इंटरव्यू भी होता है।
एग्जाम में बैठने का फैसला लेने से एक साल पहले या अगर ग्रैजुएशन कर रहे हों तो इसके फाइनल इयर से इसकी तैयारी शुरू कर दें। तैयारी शुरू करने से पहले सिलेबस, प्रश्न-पत्र, उपयोगी पत्र-पत्रिकाओं, न्यूज पेपरों, किताबों और दूसरे सभी पहलुओं की सूची बनाकर सिलसिलेवार ढंग से तैयारी शुरू करनी चाहिए।
1. प्री एग्जाम
- प्री एग्जाम में ऑब्जेक्टिव टाइप के 200-200 अंकों के दो पेपर होते हैं। यह एग्जाम सिर्फ उसी साल के मेन्स एग्जाम के लिए कैंडिडेट्स की स्क्रीनिंग के लिए होता है।
- इस एग्जाम में मिले नंबरों को फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़ा जाता।
- मेन्स एग्जाम में शामिल होने वाले योग्य कैंडिडेट्स की संख्या विज्ञप्ति में प्रकाशित कुल वेकेंसी की संख्या का लगभग 12 से 13 गुना होती है।
- यूपीएससी मेन्स एग्जाम में शामिल होने के लिए कैंडिडेट का चयन प्री में मिले नंबरों के आधार पर करता है।
रूपरेखा
- प्री में जनरल स्टडीज के पहले पेपर में 100 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
- दूसरे पेपर सिविल सर्विसेज ऐप्टिट्यूड टेस्ट (सीसेट) में 80 ऑब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं।
- दोनों पेपरों के लिए 200-200 अंक निर्धारित हैं।
- हर पेपर को 2 घंटे के भीतर हल करना होता है।
- प्रश्नों के उत्तर देने के लिए ओएमआर शीट पर सही गोले को काले बॉल पेन की मदद से रंगना होता है।
- हर प्रश्न के लिए चार ऑप्शन होते हैं। गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक कट जाता है।
- सीसेट के डिसिजन मेकिंग वाले प्रश्नों में निगेटिव मार्किंग न होकर सबसे सही से लेकर कम सही तक क्रमश: अंकों में कमी आती जाती है।
तैयारी
- जहां तक तैयारी का सवाल है तो सबसे पहले उम्मीदवार को जनरल स्टडीज के विभिन्न भागों की एक सामान्य समझ विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए कक्षा 7 से लेकर 12 तक की भूगोल, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विज्ञान आदि महत्वपूर्ण विषयों की टेक्स्ट बुक का अध्ययन करना चाहिए।
- जनरल स्टडीज के सिलेबस में भारत का इतिहास, भारत एवं विश्व भूगोल, भारतीय राजतंत्र और शासन, पर्यावरण, आर्थिक और सामाजिक विकास, पर्यावरण, पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और सामान्य विज्ञान को शामिल किया जाता है। तैयारी के लिए इन सभी विषयों या टॉपिक्स को पूरी गहनता के साथ और समसामयिक घटनाक्रम से इन्हें जोड़कर पढ़ना चाहिए।
- अगर हम पिछले सालों के पेपर्स को गंभीरता से देखें तो हम पाते हैं कि अब तथ्यात्मक प्रकृति के प्रश्नों की तुलना में ऐसे प्रश्न ज्यादा आते हैं जिनसे यह पता चल सके कि आपके कॉन्सेप्ट कितने साफ हैं और आपको विषय की कितनी गहरी समझ है। इसलिए स्टूडेंट्स को तैयारी के दौरान विषय के सभी भागों का गहन अध्ययन करना चाहिए।
- भूगोल पढ़ते वक्त मानचित्रों, इंटरनेट आदि की मदद लेनी चाहिए।
- इतिहास पढ़ते वक्त इसके सभी भागों यानी प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत का इतिहास की गंभीरता से पढ़ाई करनी चाहिए। हाल के सालों में समसामयिक घटनाक्रम को अलग से न पूछकर संबंधित विषयों की अवधारणा से जोड़कर पूछा जा रहा है। पढ़ते वक्त अर्थशास्त्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, भूगोल, राजनीतिक व्यवस्था के हालिया घटनाक्रम पर ध्यान देना जरूरी है। इसके लिए रोजाना कुछ अच्छे न्यूजपेपर और मैग्जीन्स पढ़नी चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण इंटरनेट की सहायता जरूर लेनी चाहिए।
- दूसरे भाग सीसेट के सिलेबस में कॉम्प्रिहेंशन या बोधगम्यता संचार कौशल सहित इंटरपर्सनल स्किल, लॉजिकल रीजनिंग, ऐनालिटिकल एबिलिटी, सामान्य मानसिक योग्यता, बेसिक गणित, डाटा इंटरप्रटेशन और अंग्रेजी कॉम्प्रिहेंशन शामिल हैं।
सीसेट की तैयारी से जुड़े कुछ जरूरी और उपयोगी सुझाव ये हैं...
1. अंग्रेजी और हिंदी कॉम्प्रिहेंशन पर खास ध्यान देना चाहिए क्योंकि 40 से 50% प्रश्न यहीं से होते हैं।
2. इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करनी चाहिए।
3. रीजनिंग, मैथ्स और मानसिक योग्यता के प्रश्नों की रोज प्रैक्टिस करनी चाहिए।
4. अगर अंग्रेजी के प्रश्न को समझने या करने में कठिनाई हो तो अपने अंग्रेजी के ज्ञान को बेहतर करने की कोशिश करें।
5. कई बार कॉम्प्रिहेंशन के प्रश्न का हिंदी में अनुवाद जटिल होने के कारण दिक्कत आती है। वैसी स्थिति में प्रश्न के अंग्रेजी में छपे भाग से मदद लेनी चाहिए।
2. मेन्स एग्जाम
यह एग्जाम का सबसे महत्वपूर्ण व निर्णायक भाग है क्योंकि कुल प्राप्तांक का 85% से ज्यादा वेटेज इसी का होता है। इस परीक्षा में प्राप्त किए गए अंकों की अधिकता न केवल इंटरव्यू का रास्ता साफ करती है, बल्कि अंतिम रूप से चयन और मेरिट में ऊपर आने में भी निर्णायक भूमिका अदा करती है। इसलिए परीक्षा में शामिल विषयों और इनके अंकों पर नजर डालना जरूरी है:
- मेन्स एग्जाम में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चुनी गई कोई एक भाषा और अंग्रेजी के पेपर मैट्रिकुलेशन स्तर के होते हैं, जिनमें केवल पास होना होता है। इन पेपरों में प्राप्त अंकों को फाइनल मेरिट में नहीं जोड़ा जाता।
- मेन्स में आए नए बदलाव द्वारा आयोग ने उम्मीदवारों के बीच वैकल्पिक विषयगत विषमता को दूर करते हुए सामान्य अध्ययन के क्षेत्र को ज्यादा बढ़ा दिया है। अपने उत्तर लिखने के लिए स्टूडेंट्स को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा या अंग्रेजी में लिखने की छूट है।
- टाइम मैनेजमेंट कामयाबी की पहली कुंजी है।
- जनरल स्टडीज पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना बेहद जरूरी है।
- अप्लाई करने से पहले ही ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन और उसके पूरे सिलेबस की पढ़ाई पूरी कर लेनी चाहिए।
- अगर जनरल स्टडीज के सिलेबस के तहत शामिल विषयों से जुड़े ऑप्शनल सब्जेक्ट चुने जाएं तो तैयारी के दौरान काफी समय की बचत हो सकती है।
- उत्तर देते वक्त तय शब्द-सीमा का पालन करते हुए गैरजरूरी विस्तार से बचना चाहिए।
- मुख्य परीक्षा की तैयारी के दौरान लगने वाले समय को जनरल स्टडीज के लिए 60%, ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए 30% और निबंध के लिए 10% के रूप में बांटकर तैयारी करनी चाहिए।
- निबंध का अभ्यास बेहद जरूरी है। इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए। कई उम्मीदवार परीक्षा भवन में ही अपना पहला निबंध लिखने के कारण इसका नुकसान उठाते हैं।
- आपके उत्तरों में मौलिकता झलकनी चाहिए। किसी कोचिंग संस्थान, किताब या किसी दूसरे स्त्रोत की पूरी नकल उतार देना सही नहीं है।
- उत्तर अगर समसामयिक घटना-क्रम से जुड़ रहा हो तो जरूर जोड़ें।
- उत्तर के महत्वपूर्ण भाग को अंडरलाइन, ग्राफ, चित्रों, मानचित्रों की मदद से पेश करना अच्छे नंबर लाने के लिए जरूरी है।
- जवाब में प्रश्न की मांग के मुताबिक उसके सभी भाग का अगर मुमकिन हो तो बिंदुवार उत्तर दें।
- ऑप्शनल सब्जेक्ट का चयन सोचसमझकर करें।
पेपर
|
अंक
|
संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चुनी गई कोई एक भारतीय भाषा
|
300
|
अंग्रेजी
|
300
|
निबंध
|
250
|
जनरल स्टडीज-1
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज)
|
250
|
जनरल स्टडीज-2
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज)
|
250
|
सामान्य अध्ययन-3
(प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण सुरक्षा, आपदा प्रबंधन)
|
250
|
सामान्य अध्ययन-4
(नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि)
|
250
|
ऑप्शनल सब्जेक्ट पेपर-1
|
250
|
ऑप्शनल सब्जेक्ट पेपर- 2
|
250
|
कुल योग
|
1750
|
इटरव्यू
|
275
|
टोटल
|
2025
|
3. इंटरव्यू
इंटरव्यू से पहले
परीक्षा का अंतिम पड़ाव इंटरव्यू है। मेन्स एग्जाम में कैंडिडेट द्वारा लाए गए अंकों में से आयोग द्वारा निर्धारित अंक हासिल करने वालों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। कैंडिडेट का मूल्यांकन एक बोर्ड करता है, जिसके प्रमुख यूपीएससी के मेंबर होते हैं। उनके अलावा 4 या 5 और सदस्य बोर्ड में शामिल होते हैं। इंटरव्यू की तैयारी मेन्स एग्जाम देने के 15 दिन बाद से शुरू करनी चाहिए और हर रोज इसके लिए 2 से 3 घंटे की तैयारी भरपूर होती है। तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स इस तरह हैं:
- न्यूजपेपर, पत्रिकाओं, न्यूज चैनलों को सरसरी निगाह से देखने की बजाय ध्यान लगाकर पढ़ना-सुनना चाहिए।
- चर्चा में रहे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के प्रासंगिक या ज्वलंत मुद्दों पर खास ध्यान देते हुए अपनी मित्र-मंडली से इसकी चर्चा करनी चाहिए।
- इंटरव्यू डायरी बनाकर उसके महत्वपूर्ण घटनाक्रमों, अपने बायो-डेटा से जुड़े सभी पहलुओं जैसे हॉबी, शिक्षण संस्थान आदि की पूरी जानकारी रखनी चाहिए।
- मॉक इंटरव्यू का अभ्यास करना चाहिए।
- अपने इंटरव्यू का विडियो बनाकर अपनी कमियों को जानने की कोशिश करनी चाहिए।
इंटरव्यू के दौरान
- सबसे जरूरी है, बोर्ड द्वारा पूछे गए प्रश्नों को ध्यान से सुनना। अगर ठीक से सुन या समझ न पाए हों तो सॉरी कहकर प्रश्न दुहराने का निवेदन करें।
- उत्तर देने से पहले थोड़ा ठहरें, फिर शांति से उत्तर दें। जल्दबाजी महंगी साबित हो सकती है।
- सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट्स पहले रखें।
- उत्तर देते वक्त ईमानदार बने रहें। उत्तर न मालूम हो तो विनम्रतापूर्वक बोर्ड से क्षमा मांग लें।
- उदार, छोटे व संतुलित उत्तर पर जोर दें।
- किसी भी विचारधारा, धर्म, पार्टी, भाषा, प्रजाति के प्रति तटस्थ रहने की कोशिश करें।
- बॉडी-लैंग्वेज का खासा ध्यान रखें। उत्तर देते वक्त आई-टु-आई कॉन्टैक्ट बनाए रखें।
- कमरे में प्रवेश करते वक्त या कमरा छोड़ते वक्त बोर्ड सदस्यों का अभिवादन या शुक्रिया करना जरूरी है।
अलग-अलग विषयों/व्यवसायों के स्टूडेंट्स का प्रदर्शन
यूपीएससी द्वारा प्री एग्जाम में सीसेट शामिल किए जाने के बाद इसमें काफी बदलाव आ चुका है। एक ताजा सर्वे में पिछले तीन साल के अंदर अंतिम रूप से चयनित कैंडिडेट में विषय/व्यवसाय, लिंग, क्षेत्र और माध्यम के छात्रों का प्रदर्शन इस तरह रहा है:
मानदंड
|
वर्ष
| ||
2011
|
2010
|
2009
| |
इंजिनियरिंग
|
44%
|
35%
|
26%
|
मेडिकल
|
14%
|
10%
|
7%
|
कला
|
20%
|
26%
|
24%
|
महिला
|
22%
|
18%
|
28%
|
ग्रामीण
|
70%
|
57%
|
66%
|
अंग्रेजी माध्यम
|
90%
|
85%
|
82%
|
हिंदी के स्टूडेंट्स की समस्या
पिछले सालों में हिंदी के स्टूडेंट्स के अंतिम रूप से चयन होने का प्रतिशत काफी कम है। सीसेट के आने से और इसके पेपर में शामिल अंग्रेजी के 8-10 प्रश्नों, रीजनिंग, डिसिजन मेकिंग, गणित, सामान्य मानसिक योग्यता, कॉम्प्रिहेंशन के जटिल अनुवाद आदि ने प्री में ही हिंदी भाषी छात्रों की सफलता के प्रतिशत को काफी हद तक प्रभावित किया है। हिन्दी भाषी उम्मीदवार को तैयारी के पहले चरण की बाधा को दूर करने के लिए अपनी सीसेट पेपर की तैयारी पर खास ध्यान देना होगा।
कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट्स
1. www.pib.nic.in
2. www.wikipedia.org
3. www.bbc.com
4. www.prsindia.com
5. www.indiaenvironmentportal.org.in
6. www.thediplomat.com
Subscribe to:
Posts (Atom)