Friday, October 4, 2013

सुदूर अंतरिक्ष का सैलानी



पृथ्वी का एक सैलानी इस समय गहन अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहा है। यह सैलानी और कोई नहीं, नासा का वॉएजर-1 है। सौरमंडल को पार करके अंतर-नक्षत्रीय में पहुंचने वाला यह पहला मानव निर्मित यान है। एक छोटी कार के आकार के इस यान का पिछले 36 साल से अंतरिक्ष में बने रहना अपने आप में एक बड़ा अजूबा है। इससे यह भी साबित होता है कि 70 के दशक की टेक्नोलॉजी आज भी अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों को ङोलने में सक्षम है। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि वॉएजर-1 के कंप्यूटरों की मेमरी आज के एक आईफोन की तुलना में 2,40,000 गुणा कम है। फिर भी यह बखूबी काम कर रहा है। वॉएजर की सबसे खास बात यह है कि यह अंतरिक्ष की बुद्धिमान सभ्यताओं के लिए सोने की प्लेटिंग वाली तांबे की एक डिस्क ले गया है। यदि पारलौकिक प्राणी वॉएजर के संपर्क में आते हैं तो उन्हें इस डिस्क के जरिए पृथ्वी और मानवता की विविधताओं का परिचय मिल जाएगा। इस डिस्क में 116 तस्वीरों के अलावा प्राकृतिक ध्वनियों की रिकार्डिंग है जिनमें पक्षियों की चहचाहट, व्हेल मछली के संगीत, हवा और तूफान की आवाज आदि शामिल है। इसमें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कुर्ट वाल्दाइम के पारलौकिक सभ्यताओं के नाम दोस्ती के पैगाम भी हैं। डिस्क में शामिल संगीत में बीथोवन और मोजार्ट की कृतियों के अलावा केसरबाई केरकर की कृति जात कहां हो के रूप में भारतीय शास्त्रीय संगीत का नमूना भी है।
वॉएजर-1 इस समय सूरज से करीब 18.30 अरब किलोमीटर दूर है। वॉएजर-1 के पीछे-पीछे वॉएजर-2 चल रहा है। वैज्ञानिकों अनुसार तीन साल के भीतर दूसरा वॉएजर भी सौरमंडल को पार जाएगा। दोनों यान परमाणु ईंधन से चल रहे हैं, लेकिन इनकी आणविक बैटरियां धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। फिर भी नासा के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये दोनों यान कम से कम 2025 तक पृथ्वी के संपर्क में बने रहेंगे। पृथ्वी से संपर्क टूटने के बाद भी ये यांत्रिक सैलानी गहन अंतरिक्ष में 40,000 वर्ष तक भ्रमण रहेंगे। पिछले साल वैज्ञानिकों ने पता लगाया था कि वॉएजर-1 के उपकरणों ने सूरज से निकलने वाले ऊर्जावान कणों को ग्रहण करना बंद कर दिया है। दूसरी तरफ सौरमंडल के बाहर से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों में भी वृद्धि देखी गई थी। इस आधार पर वैज्ञानिकों ने यान के सौरमंडल को पार करने का अंदाजा लगाया था। अब नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि वॉएजर-1 ने पिछले साल 25 अगस्त को अंतर-नक्षत्रीय अंतरिक्ष में प्रवेश कर लिया था। नए डेटा से पता चलता है कि वॉएजर-1 पिछले एक साल से ऊर्जावान गैस से गुजर रहा है जो तारों के बीच अंतरिक्ष में फैली हुई है। वॉएजर-1 के सौरमंडल को पार करने की घटना की तुलना चांद पर मनुष्य के उतरने की ऐतिहासिक घटना से की जा रही है। गौरतलब है कि वॉएजर-1 और उसके जुड़वां भाई, वॉएजर-2 को सौरमंडल के बड़े ग्रहों के अध्ययन के लिए 1977 में 16 दिन के अंतराल में रवाना किया गया था। दोनों यान बृहस्पति और शनि के बगल से गुजरे थे। वॉएजर-2 ने बृहस्पति के विशाल लाल धब्बों और शनि के चमकीले छल्लों की तस्वीरें भेजने के बाद यूरेनस और नेपच्यून को भी नजदीक से देखा था।



नासा के वॉएजर-मिशन के संचालक आज भी इन दोनों यानों से संकेत प्राप्त कर रहे हैं, हालांकि ये संकेत बेहद कमजोर हैं। इन संकेतों की पावर महज 22 वाट है। कुछ वैज्ञानिक वॉएजर -1 के अंतर-नक्षत्रीय अंतरिक्ष में पहुंचने के बारे में नासा के दावे से सहमत नहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रोफेसर लेनार्ड फिस्क का कहना है कि हमें अभी कुछ समय और इंतजार करना चाहिए।

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