Thursday, August 27, 2015

वापस आ जाएगी रूठी नींद


यह साधारण सी बात लगती है कि मेरी नींद पूरी नही होती या फिर मुझे नींद नहीं आती है। लेकिन इसे साधारण समझने की गलती न करें, यह इंसोमेनिया या स्लीपिंग डिसॉर्डर भी हो सकता है। महानगरीय जीवन, अव्यवस्थित दिनचर्या और काम का बोझ आपसे आपकी नींद छीन रहा है।
कई लोग रातभर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकेट्रिक डिस्ऑर्डर माना जाता है। इंसोमेनिया और ऑब्सट्रक्टि स्लीप एपीनिया दो बीमारियां है, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर भागती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज न होने पर परेशानियां हो सकती हैं।
रॉकलैंड अस्पताल में इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉं आर. पी. सिंह कहते हैं, 'नींद का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता है। हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और चक्र के मुताबिक उसकी जरूरतें भी अलग-अलग होती हैं। लेकिन फिर भी स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को 8 से 10 घंटे, किशोरावस्था में 8-9 घंटे की नींद जरूरी है, जबकि युवाओं और प्रौढ़ों के लिए 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 10 से 15 मिनट में अच्छी नींद आ जाती है, इसके लिए उसे प्रयास नहीं करना पड़ता।Ó
क्या है इन्सोमनिया?
पिछले कई सालों में इन्सोमनिया के कई मामले सामने आए हैं। यह कई तरीके का हो सकता है। जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना, दिन में नींद के झटके आते रहना, रात में ज्यादा सपने आना, बार-बार नींद का टूटना, मुंह सूखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार-बार उठना, खर्राटे लेना, रातों में टांगों का छटपटाना, नींद में चलना आदि।
अक्?सर नींद को लोग थकावट या फिर दिमागी तनाव से जोड़ कर सोचते हैं और अच्छी नींद लेने के लिए खुद ही कोई नींद की गोली खा लेते हैं। इस तरह बिना कारण जाने नींद की गोलियां लेने से बीमारी और बढ़ सकती है। हो सकता है कि नींद न आने के सिर्फ ये कारण न हों, कोई अन्य हो। कई बार कार्य करने के घंटों में फेरबदल होने से भी नींद नहीं आती। जिन लोगों की गर्दन छोटी होती है, जबड़ा छोटा होता है, चेहरा बेहद पतला या लंबा होता है, उन लोगों को सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। कई बार टांगों में नसें फड़कती है और टांगों में छटपटाहट होने लगती है, जिस कारण वह अच्छी नींद नहीं ले पाता। इसी तरह कई लोगों को नींद में थोड़ा-सा झटका आने पर नींद टूट जाती है। जांच न कराने पर परिणाम भयानक हो सकते हैं।
सुनने में ये समस्याएं छोटी-छोटी जरूर लगती हैं लेकिन इन्हीं असमान्यताओं के कारण ही रात को सोते समय कई बार हार्ट अटैक आ जाता है। अचानक सांस रुक जाती है और नींद में चलते हुए व्यक्ति अपराध तक कर सकता है। अगर समय रहते डॉक्टरी मदद ली जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। नींद अच्छी आएगी तो सेहत अच्छी रहेगी और मन प्रसन्न रहेगा।
आदतों में लाएं सुधार
सोने से पहले स्नान: रात को सोने से पहले स्नान करने से आपकी दिन भर की थकान एकदम से काफूर हो जाएगी और आपको बहुत अच्छी नींद आएगी। आप चाहें तो अपने नहाने के पानी में कोई खुशबूदार तेल भी मिला सकती हैं। इससे आपको सुकून भरी नींद तो आएगी ही, साथ ही आपको एक अलग ही शांति का अनुभव होगा।
धूम्रपान और एल्कोहल के सेवन से बचें: कैफीनयुक्त वस्तुओं और एल्कोहल को ना कहें। दोपहर के बाद कॉफी का एकाध प्याला लेना बुरा नहीं है, लेकिन सोने से पहले ऐसा न करें। धूम्रपान भी अच्छी नींद की राह में रोडम अटकाने वाली वस्तु है। सोने से पहले कुछ तरल पदार्थ ले सकती हैं जैसे जूस, दूध आदि।
सोने का एक ही समय निश्चित करें: सोने व जागने के लिए एक समय तय कर लें और उस टाइम टेबल को अपनाएं। इससे आपके शरीर की बायोलॉजिक घड़ी खुद-ब-खुद काम करने लगेगी और आपकी नींद में खलल नहीं पड़ेगा।
देर तक कंप्यूटर या टीवी के सामने न बैठें: सोने से तकरीबन आधा घंटा पहले टीवी और कंप्यूटर बंद कर दें। देर तक इनके सामने बैठने से सिरदर्द, आंखों में जलन आदि का सामना करना पड़ता है जो अच्छी नींद में बाधक है। बेड पर बैठकर टीवी न देखें, इससे भी नींद बाधित होती है ।
संगीत थैरेपी: सोने से पहले संगीत सुनें। वैसे भी कहते हैं कि संगीत के पास हर मर्ज का इलाज है। सोने से पहले अपनी पसंद का संगीत सुनें। पर ध्यान रहे कि संगीत ईयरफोन से न सुनें।
तनाव को बिस्तर पर न लाएं: दिनभर के किसी भी तनाव को अपने साथ बिस्तर पर न लाएं। इसके लिए आप एक डायरी बनाएं। उस पर अपने दिनभर का तनाव लिखें और साथ ही ये भी लिखें कि कल में इस टेंशन का हल तलाश लूंगी। इससे भी नींद आने में मदद मिलती है। अगर कोई तनाव है और नींद नहीं आ रही है तो बिस्तर पर लेटकर उसके बारे में न सोचें। कोई किताब पढ़ें या कुछ ऐसा करें जिससे आपका ध्यान उस तनाव से हट जाए।

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