Tuesday, May 7, 2013
खुश हों कि बच्चा शरारती है!
अगर आपका बच्चा शरारती है, तो उसके भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। एक शोध के अनुसार बड़े होने पर ऐसे बच्चे खुशहाल जिंदगी जीते हैं। शोध के अनुसार बड़े होने पर ऐसे बच्चों के अवसाद या बेचैनी का शिकार होने की आशंका कम होती है। डेयकिन विश्वविद्यालय की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि बचपन में शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के बाद की जिंदगी में निराशा से बचने में मदद मिलती है। यह जानकारी 2,152 ऑस्ट्रेलियाई बच्चों पर अध्ययन करने के बाद दी गई है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक चुस्त और शरारती बच्चों की तुलना में निष्क्रिय रहने वाले बच्चों के बड़े होकर अवसाद की चपेट में आने की आशंका 35 फीसदी अधिक रही। प्रमुख शोधकर्ता डॉ. फेलिस जेका ने बताया कि बचपन वह अवस्था होती है जब दिमाग का विकास बहुत तेजी से होता है और बचपन में अधिक शारीरिक गतिविधियों का मस्तिष्क के विकास पर लाभकारी असर पड़ता है।
डॉ. जेका के अनुसार खेलकूद में व्यस्त रहने से बच्चों में तनाव प्रबंधन कौशल के विकसित होने में मदद मिलती है और ऐसे बच्चे किशोरावस्था में भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।
बच्चे को जरूर दें बेबी फूड
शिशुओं को शुरुआती दौर में दिए गए बेबी फूड का उनके स्वास्थ पर दीर्घकालिक असर होता है।
एक नए शोध में यह बात सामने आई है। क्लाउडे बर्नार्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों ने मां का दूध पिया था, तीन साल की उम्र में उनका रक्तचाप उन शिशुओं की तुलना में कम था, जिन्हें उच्च प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया था। इसके अलावा दुग्धपान करने वाले बच्चों का सिर भी उन बच्चों से कुछ बड़ा था, जिन्हें निम्न प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया था।
लाइफ साइंस की रिपोर्ट के अनुसार बेबी फूड लेने के बावजूद बच्चों का रक्तचाप और सिर का आकार सामान्य था। मां का दूध शिशुओं के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन इसमें विटामिन डी की मात्रा कम होती है। अध्ययन के लिए डेन्वर में पीडियाट्रिक एकेडमी सोसाइटी ने 234 शिशुओं के तीन समूहों का अध्ययन किया।
पहले समूह को विशेषरूप से शुरुआती चार महीनों में दुग्धपान कराया गया था, जबकि अन्य दो समूहों को या तो निम्न प्रोटीन फॉ?र्म्यूला या उच्च प्रोटीन फॉ?र्म्यूला दिया गया। इनमें प्रोटीन की मात्रा इस उम्र में बच्चों के लिए बताए गए स्तर के समान थी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment