चिड़चिड़ा मिजाज, बिगड़ा स्वास्थ्य और गड़बड़ दिन। इन सबकी गुत्थी जिस एक चीज पर आकर खुलती है वह है नींद। नींद यानी वह दवा जिसका सही डोज, सही समय पर लेने पर जिंदगी सेहतमंद और खुशी के रंग में रंगी रह सकती है। पर तेज रफ्तार जिंदगी में नींद के लिए ही वक्त कम होता जा रहा है।
कभी नन्हा बच्चा, तो कभी ऑफिस का ढेर सारा काम और कभी ऑफिस और बच्चे के साथ घर का मैनेजमेंट आपकी नींद पूरी नहीं होने देते। आपके साथ भी ऐसा ही होता होगा। पर नींद की कमी कई बड़ी बीमारियों को भी जन्म दे सकती है, इसलिए जरूरी है कि नींद पूरी हो। पर इसके लिए कुछ बातें आपको याद रखनी होंगी:
कब सोती हैं आप
सुबह सात बजे उठना है, रात के 12 ऐसे ही बज गए हैं। पर मुझे तो फेसबुक एकाउंट चेक करना है। अरे वो जरूरी ई-मेल तो चेक की ही नहीं, जरा वो भी देख लूं। सबकुछ करेंगी पर सुबह जल्दी उठने के लिए जल्दी सोएंगी नहीं। आपकी भी यही आदत है तो बदल दीजिए। सोने का समय तय कर लीजिए और किसी भी हाल में उसी समय पर सोने की कोशिश करें। जल्दी उठने के लिए जल्दी सोने पर ध्यान दीजिए, क्योंकि नींद है तो सेहत है और सेहत है तो दूसरे काम भी हैं।
अंधेरा हो कमरे में
दिनभर के काम, ऑफिस और फिर बच्चे, इन सबके बीच में एक-दो घंटे ही रिलैक्स करने के लिए मिलते हैं। पर, दिन में आराम करने जाओ तो बाकी के बचे काम की चिंता में ही नींद नहीं आती। अगर आपके पास भी सोने के नाम पर यह कुछ घंटे हैं तो इनका इस्तेमाल कीजिए। कमरे में पूरी तरह से अंधेरा करके सोइए। फिर देखिए आराम करने के लिए मिले दो घंटों का आप भरपूर इस्तेमाल कर पाएंगी।
टु-डू लिस्ट देगी अच्छी नींद
10 घंटे चिंताओं में करवटें बदलने से अच्छा 5 घंटे की सुकून भरी नींद का आनंद लिया जाए। रिलैक्स रहेंगी तो जितनी देर भी सोएंगी वो सुकून की नींद होगी। इसलिए जरूरी है कि आप दूसरे दिन किए जाने वाले कामों की टु-डू यानी कल करने वाले कामों की लिस्ट बना लें। ऐसा करना आपको सुकून तो देगा ही, साथ ही यह आपको दूसरे दिन सारे काम हो जाएंगे का आत्मविश्वास भी देगा।
बेडरूम का माहौल हो अच्छा
तकिये का कवर गंदा है, बिस्तर पर गैरजरूरी सामान पड़े हैं। बच्चों ने टॉफी खाई थी, उसके कवर जमीन पर ही पड़े हैं और हां, कमरे के कोनों में जाले भी लगे हैं। बेडरूम का नजारा ऐसा होगा तो सोने के लिए मिलने वाला समय भी बेकार हो जाएगा। मतलब पूरे दिन में नींद के लिए बमुश्किल निकलने वाले कुछ घंटों के समय में आप सुकून ही महसूस नहीं करेंगी। इसलिए जरूरी है कि बेडरूम हमेशा साफ-सुथरा रखिए। बेडशीट, दीवारें या फिर कोई शोपीस सबके सब साफ होंगे, माहौल अच्छा होगा तो यकीन मानिए दो घंटे की नींद भी आपको रिफ्रेश कर देगी।
कम नींद यानी झुर्रियों को बुलावा
जी हां, जरूरत से कम नींद झुर्रियों को जरा जल्दी बुला लेती है। इतना ही नहीं, मुहांसे और त्वचा का रूखापन भी कम नींद का परिणाम हो सकते हैं। दरअसल जब हम सोते हैं तो उस दौरान मस्तिष्क के साथ-साथ त्वचा की भी मरम्मत होती है। जब सोएंगे नहीं तो यह मरम्मत होगी नहीं और असर आपकी त्वचा पर साफ दिखेगा।
नींद अच्छी, तो सेहत अच्छी
ज्यादातर महिलाओं में नींद न आने की परेशानी शारीरिक दर्द से शुरू होती है। फिर खट्टी डकारें, थकान और हमेशा बुझा महसूस करना आम हो जाता है। पर इस पर ध्यान न दिया जाए तो छोटी-सी लगने वाली समस्या बड़ी बन जाती है। किंग जॉर्ज मेडिकल युनिवर्सिटी, लखनऊ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉं डी. हिमांशु रेड्डी मानते हैं कि मेंटल कंफ्यूजन, डिप्रेशन से होते हुए परेशानी हाइपर टेंशन तक पहुंच जाती है। दरअसल महिलाओं पर पहले के मुकाबले मानसिक दबाव ज्यादा बढ़ गया है। उन्हें परिवार के रख-रखाव और ऑफिस के कामों को साथ में मैनेज करना होता है। डॉं रेड्डी कहते हैं कि इन सबके बीच बने तनाव के परिणाम स्वरूप उन्हें नींद से समझौता करना पड़ता है। महिलाएं मुश्किल से हर रोज 4 से 5 घंटे की नींद ही ले पाती हैं और इसका असर उनकी सेहत पर पड़ता है।
तेज दिमाग के लिए सोएं
सोना हमारे लिए क्यों जरूरी है, यह सवाल बार-बार उठता है और शोधकर्ता अपनी-अपनी तरह से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश भीकरते रहे हैं। एक शोध के मुताबिक सोने से हमारे मस्तिष्क की कोशिकाएं रिपेयर होती हैं, इसलिए हमें सोना चाहिए। एक अन्य शोध के मुताबिक सोने से हमारी याददाश्त बेहतर होती है, ऊर्जा मिलती है, ईटिंग डिसऑर्डर से बचाव होता है और साथ ही हम अल्जाइमर जैसी बीमारी के खतरे से भी बचे रहते हैं।
नींद को समझने की दिशा में न्यूयॉर्क के रॉस्टर युनिवर्सिटी की शोधकर्ता डॉं. मेकन नेडर्गार्ड ने एक और कदम बढ़ाया है। उनके अनुसार नींद हमारे मस्तिष्क की सफाई ठीक उस तरह से करता है, जिस तरह से डिशवॉशर बरतनों की सफाई करता है। यानी जब हम जगे होते हैं उस वक्त हमारे शरीर के संचालन के दौरान मस्तिष्क में कई तरह का कूड़ा-कचरा इक_ा हो जाता है। इनकी सफाई का काम मस्तिष्क उस समय करता है, जब हम सो रहे होते हैं। इस क्रम में मस्तिष्क में तरल पदार्थ जाते हैं और वे अपने साथ सारी गंदगियों को बाहर ले आते हैं। इस शोध में इस बात पर भी बल दिया गया है कि अच्छी नींद से अल्जाइमर का खतरा भी कई गुना कम हो जाता है।
बच्चा सोता नहीं, कैसे सोएं?
बच्चा कुछ महीनों का ही है। अपने हिसाब से सोता है, अपने हिसाब से जागता है। पर इन सबके चक्कर में आपका अपना हिसाब गड़बड़ा गया है। सोने के वक्त जागना पड़ता है। जागने के वक्त बच्चे की ड्यूटी में रहती हैं वो अलग। तो मैडम, अपनी ड्यूटी को ऐसे बदलिए कि आप भी नींद ले सकें, वरना रूटीन के साथ आपकी हेल्थ भी गड़बड़ा जाएगी। इसके लिए करना इतना है कि जब बच्चा सोए तो आप भी सो लें। जरूरी नहीं कि जब वो सोए तब आप खाली ही हों। पर वो दिन भर में कई बार सोएगा और जागेगा। ऐसे में उसके सोते ही आप अपनी प्राथमिकता नींद को बनाएं, पर कोई दूसरा काम ज्यादा जरूरी लगे तो कर लें और अगली बार उसके सोते ही अपनी नींद की प्राथमिकता को पूरा कर लें।
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