अक्सर बड़ी बीमारियों के डर से हम छोटी बीमारियों कोनजरअंदाज कर देते हैं। बड़ी बीमारियां न हों, इसके लिए तोहम अपने खानपान का पूरा ध्यान रखते हैं, लेकिन छोटी-सीदिखने वाली बीमारी को बढ़ा लेते हैं। ऐसी ही एक आम-सीलगने वाली बीमारी है टॉन्सिलाइटस। इसे नजरअंदाज करनासही नहीं है
क्या है टॉन्सिल्स
यह बादाम के आकार के ऐसे अंग हैं, जो हमारे मुंह के अंदर गले के दोनों तरफ होते हैं।टॉन्सिल्स हमारे शरीर के सिक्युरिटी गार्ड के रूप में काम करते हैं और बाहरी इन्फेक्शन सेहमारी हिफाजत करते हैं। ये बाहर से आने वाली किसी भी बीमारी को हमारे शरीर मेंदाखिल होने से रोकते हैं। अगर हमारे टॉन्सिल मजबूत होंगे तो वे बीमारी को शरीर मेंजाने से तो रोकेंगे ही, साथ ही खुद भी उस बीमारी या इन्फेक्शन से बच जाएंगे। अगरटॉन्सिल्स कमजोर होंगे तो वे बीमारी को शरीर में जाने से तो रोक लेंगे लेकिन खुद बीमारहो जाएंगे यानी उनमें सूजन आ जाएंगी, वे लाल हो जाएंगे, उनमें दर्द होगा जिससे बुखारहो जाएगा। इसके अलावा कुछ भी खाने-पीने या निगलने में दिक्कत होगी।
क्या है टॉन्सिलाइटस
टॉन्सिल में होने वाले इन्फेक्शन को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं। टॉन्सिलाइटिस की समस्याक्रॉनिक (लगातार बनी रहे) हो जाए तो ठीक नहीं है। टॉन्सिलाइटस को क्रॉनिक तब कहेंगे,जब यह समस्या हर एक-दो महीने में बार-बार हो रही हो। एक बार टॉन्सिलाइटिस होनेपर अगर यह प्रॉब्लम दोबारा छह महीने बाद हो तो वह नॉर्मल है।
कितनीतरहकाहोताहैटॉन्सिलाइटिस
1) बैक्टीरियल इन्फेक्शन
2) वायरल इन्फेक्शन
बैक्टीरियल इन्फेक्शन: यह इन्फेक्शन बैक्टीरिया के अटैक से होता है, जिनमें प्रमुख हैं Staphylococcus aureus,U Streptococcus pyogenes, Haemophilus influenzae आदि।
वायरल इन्फेक्शन: यह इन्फेक्शन Reovirus, Adenovirus, Influenza virus आदि के अटैक से होता है। यहइन्फेक्शन तब होता है, जब हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होती है।
किसमौसममेंहोताहै
वैसे तो टॉन्सिलाइटिस इन्फेक्शन पूरे साल कभी भी हो सकता है लेकिन मौसम बदलने के दौरान यानी मार्च औरसितंबर-अक्टूबर में इस इन्फेक्शन के होने का खतरा ज्यादा रहता है। इन महीनों में आप अपना ज्यादा ख्यालरखेंगे मसलन बहुत ठंडा-गरम, तीखा आदि न खाएं तो टॉन्सिलाइटिस से बच सकते हैं।
किस उम्र में खतरा ज्यादा
टॉन्सिलाइटिस किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, लेकिन 14 साल से कम उम्र के बच्चों में इसका खतराज्यादा होता है।
कैसे होता है
- बहुत तेज गर्म खाना खाने से
- बहुत ज्यादा ठंडा खाने या पीने से, जैसे एकदम ठंडी आइसक्रीम या कोल्ड ड्रिंक आदि
- ज्यादा मिर्च-मसाले वाला तीखा और तला-भुना खाना खाने से
- टॉन्सिल्स के कमजोर होने पर भी
- प्रदूषण, धूल-मिट्टी आदि से
- इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कमजोर होने पर
- पेट खराब होने से गैस या कब्ज की लगातार शिकायत रहने पर
लक्षण
- टॉन्सिल्स का बढ़ना और सूज जाना
- गले के बाहर भी सूजन
- सूजन के साथ-साथ गले में दर्द
- कुछ भी खाने-पीने और निगलने में दिक्कत
- टॉन्सिल्स और गले का लाल होना
- तेज बुखार होना
- थकान होना
- कान में दर्द
- आवाज में बदलाव और भारीपन आना
नोट : बच्चों और बड़े, दोनों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षण एक जैसे ही होते हैं।
कौन - से डॉक्टर के पास जाएं- अगर आपको ऊपर बताएं लक्षण दिखें तो फौरन किसी अच्छे ईएनटी एक्सपर्ट यानी कान, नाक और गले वालेडॉक्टर को दिखाएं।
- अगर वायरल बुखार होने पर टॉन्सिल्स भी बढ़ जाएं, तब अपने फैमिली डॉक्टर (फिजिशन) को भी दिखासकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर बुखार में टॉन्सिल्स बढ़ें हीं।
क्या है इलाजअगर बुखार न हो तो मरीज को बुखार की कोई दवा नहीं दी जाती। गले में दर्द के लिए सिर्फ गरारे के लिए कहाजाता है। अगर टॉन्सिलाइटिस वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है तो बुखार के लिए पैरासिटामॉल (क्रॉसिन,कालपोल आदि) की गोली दी जाती है। गले में दर्द के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर मरीज को उसके गरारेकरने को कहा जाता है। अगर टॉन्सिलाइटिस बैक्टीरियल इन्फेक्शन से हुआ है तो पैरासिटामॉल और गरारों केसाथ एंटी-बायोटिक दवाएं भी दी जाती हैं। इससे एक हफ्ते में मरीज को आराम हो जाता है और दो हफ्ते में वहपूरी तरह ठीक हो जाता है।
कब होता है ऑपरेशन- अगर साल में तीन से चार बार टॉन्सिलाइटिस का अटैक हो।
- अगर मरीज को बोलने, खाना निगलने में बहुत ज्यादा दिक्कत हो।
प्रोसेस: मरीज को बेहोश करके ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन में टॉन्सिल को निकाल दिया जाता है।
वक्त: ऑपरेशन करने में करीब 30 मिनट का वक्त लगता है और एक से दो दिन में मरीज ठीक हो जाता है।
खर्च: करीब 20 से 30 हजार रुपये
कौन करता है: ईएनटी स्पेशलिस्ट या ईएनटी सर्जन
होम्योपैथी में इलाजइम्यून सिस्टम कमजोर होने से भी टॉन्सिलाइटिस की समस्या होती है। होम्योपैथी में इलाज करते वक्त इस बातका ध्यान रखा जाता है कि इम्युनिटी को इतना बढ़ा दिया जाए कि हमारे टॉन्सिल मजबूत हो जाएं और खुद परअसर हुए बिना बीमारी को रोक सकें। होम्योपैथी में टॉन्सिलाइटिस के बार-बार होने का वक्त, उसकी समयसीमाऔर समस्या कितनी गंभीर है, इन तमाम बातों पर गौर किया जाता है। टॉन्सिलाइटिस को धीरे-धीरे कम औरफिर बिल्कुल ठीक किया जाता है। आमतौर पर पूरी तरह ठीक होने में 3-6 महीने लग जाते हैं।
दवाएंBelladonna 30: टॉन्सिल्स बहुत बड़े हो गए हों, उनमें सूजन, लालिमा और दर्द हो।
डोज : 5-5 गोली दिन में 4 बार, 3-4 महीने तक
Baryta Carb 30: टॉन्सिल बड़े हो गए हों, मुंह खुला रहता हो, मुंह से लार आती हो, याददाश्त कम होनेलगी हो और देखने में परेशानी होने लगी हो।
डोज: 5-5 गोली दिन में 3 बार, 1-2 महीने तक
Calcarea Carb 30: टॉन्सिलाइटिस बार-बार हो रहे हों और हर ठंडी चीज जैसे ठंडा पानी, आइसक्रीम,कोल्ड ड्रिंक आदि खाने-पीने से परेशानी हो।
डोज: 5-5 गोली दिन में 3 बार, 2-3 महीने तक
नोट: इन दवाओं को अपने आप न लें। इन्हें किसी अच्छे होम्योपैथ डॉक्टर की सलाह से ही लें।
आयुर्वेदआरोग्य वर्धिनी वटी: 2-2 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
पुनर्नवादिमंडूर: 2-2 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
महालक्ष्मी विलास रस: 1-1 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं।
त्रिभुवनकीर्तिरस: 1-1 गोली सुबह-शाम, सादा पानी के साथ 3 से 6 दिन तक खाएं। यह दवा गर्भवतीमहिलाओं को नहीं लेनी है।
कल्पतरु रस: 125 मिग्रा. पाउडर को आधा चम्मच शहद या अदरक के साथ मिलाकर रोज रात को सोने सेपहले एक हफ्ते तक खाएं।
नोट: इनमें से किसी एक दवा का सेवन करें। ये दवाएं लेने से पहले वैद्य से सलाह कर लें।
घरेलू इलाज- 5 पत्ते तुलसी, 5 पत्ते काली मिर्च, 2 ग्राम या चने के बराबर अदरक को 1 कप पानी में उबालें। फिर छानकरपानी को पी लें। अगर चाहें तो इसमें आधा चम्मच चीनी और आधा चम्मच चाय पत्ती डालकर भी उबाल सकतेहैं।
डोज: महीने भर पिएं। रात को पीकर सोएं और इसे पीने के बाद कुछ खाएं-पिएं नहीं।
- आधा चम्मच हल्दी पाउडर को एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर पिएं। हल्दी हमारे शरीर को इन्फेक्शन सेबचाती है। हल्दी को गर्म नहीं करना है।
डोज : रोज रात को सोने से पहले महीने भर पिएं।
- एक-चौथाई मुलेठी चूर्ण को आधा चम्मच शहद में मिलाकर खाएं।
डोज : रोजाना रात को महीने भर खाएं।
ऐसे बढ़ा एंइम्युनिटी
इम्युनिटी यानी शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता हर इंसान के शरीर के अनुसार अलग-अलग होती है।
- ताजे फल, हरी सब्जियां, दालें खूब खाएं
- सादा खाना खाएं।
- खूब पानी पिएं।
- रोजाना आधा घंटा एक्सरसाइज करें
- ताजा हवा में टहलें।
- खाने को फ्रिज में रखने के बाद उसे बार-बार गर्म न करें। इससे खाने के पोषक तत्व कम होते हैं और इम्यूनसिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसा खाना हमारी पाचन क्रिया पर भी बुरा असर डालता है। वह खाने कोपचने नहीं देता, जिससे शरीर में गैस, कब्ज, खट्टी डकार, दस्त आदि की शिकायत हो जाती है। फोड़े-फुंसी भी होजाते हैं।
- 10 से 15 पत्ते तुलसी, 10 से 15 पत्ते पुदीने और 50 ग्राम अदरक को आधा भगौना पानी में उबालें। पानी कोतब तक उबालें, जब तक वह कुल पानी का एक-चौथाई न रह जाएं। इसके बाद पानी को छान लें और उसमें पडे़तुलसी और पुदीने के पत्तों और अदरक को भी पानी में निचोड़ लें। फिर उसमें शहद मिलाकर पिएं। इसे 7 दिनोंतक 3 से 4 बार पिएं। यह उपाय उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिन्हें टॉन्सिलाइटिस की प्रॉब्लम बढ़ने परडॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी है।
योग भी है कारगर
कुंजल क्रियाः सुबह एक जग भरकर पानी उबालें, गुनगुना होने पर उसमें नमक मिलाएं। उकडू होकर बैठ जाएंऔर पानी पिएं। पानी उतना पिएं, जितनी आपकी क्षमता हो, जोकि 2 से 4 गिलास तक हो सकती है। जब पानीगले तक आ जाए और उलटी आने को हो तो खडे़ हो जाएं। अब आगे झुककर उलटे हाथ को लेफ्ट साइड पर पेटपर रखें और पेट को दबाएं और सीधे हाथ की मिडल फिंगर से मुंह में उलटी लटकी जीभ को टच करें। ऐसा करनेसे उलटी होगी। ऐसा तब तक करें, जब तक सारा पानी उलटी के जरिए बाहर न निकल जाए और सूखी उलटी नआने लगे। इसके आधे घंटे बाद एक गिलास गुनगुना दूध पिएं।
कितने समय तक करें
- पहले 7 दिन रोज करें
- फिर 7 दिन में दो बार करें
- उसके बाद 7 दिन में 1 बार करें
नोट : यह क्रिया सुबह खाली पेट करनी है और इस दौरान हाथ साफ हों और नाखून कटे हों। साथ ही जबटॉन्सिल बढे़ हुए हों, उनमें सूजन हो, लालिमा हो, उनमें दर्द हो या बुखार हो तो यह क्रिया न करें। इस क्रिया कोकिसी अच्छे योग गुरु के प्रशिक्षण में ही करें।
ये हैं मददगार
- कपालभाति
- सेतुबंधासन
- पवनमुक्तासन
- भुजंगासन
- धनुआर्सन
- उष्ट्रासन
- जालंधर बंध
-अनुलोम-विलोम
- उज्जायी प्राणायाम
- भस्त्निका प्राणायाम
- डीप ब्रीदिंग
नोट : इन्हें रोजाना सुबह 15 से 20 मिनट तक करें। ये तमाम आसन और प्राणायाम टॉन्सिलाइटिस होने पर भीराहत देते हैं।
कैसा है आपका शरीर
हमारे शरीर में मुख्यत: 3 तरह की प्रवृत्तियां पाई जाती हैं- 1. वात, 2. पित्त, 3. कफ। हालांकि एक इंसान केशरीर में दो तरह की प्रवृत्तियों का मिला-जुला असर भी पाया जा सकता है।
वात
जिन्हें पेट में गैस, कब्ज, सिरदर्द आदि रहता हो।
दवा : आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण 1 गिलास गर्म दूध के साथ रोजाना रात को 1 से 2 महीने तक पिएं।
पित्त
जिन्हें अक्सर बुखार, पेट में जलन, फोड़े-फुंसी, चक्कर आने की समस्या हो।
दवा : आधा चम्मच आंवला चूर्ण सादा पानी के साथ रोजाना रात को 1 से 2 महीने तक लें।
कफ
जिन्हें सर्दी-जुकाम, मोटापे या शरीर में सूजन की समस्या हो।
दवा : एक चम्मच सितोपलादि चूर्ण या आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण रोजाना रात को सादे पानी के साथ 1 से 2 महीने तक लें।
(साभार)