Friday, March 22, 2013

व्यक्तित्व में चार चांद लगाएं आपके दांत


साफ और सुंदर दांत तथा स्वस्थ मसूड़े न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होते हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक भी बनाते हैं। दांत और मसूड़ों का स्वास्थ्य एक-दूसरे पर निर्भर करता है। अगर मसूड़े स्वस्थ नहीं होंगे तो दांत भी स्वस्थ नहीं रह पाएंगे, इसलिए स्वस्थ दांतों के लिए स्वस्थ मसूड़े बहुत जरूरी हैं।
पोषक और संतुलित भोजन भी है जरूरी
संतुलित भोजन आपके दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है और संक्रमण से बचाता है। इसके अलावा फाइबर युक्त भोजन करें। यह आपके दांतों को साफ और मसूड़ों के ऊतकों को मजबूत बनाता है। हर बार जब आप भोजन करते हैं या ऐसा पेय पदार्थ पीते हैं, जिसमें शुगर या स्टार्च होता है तो वह एसिड उत्पन करता है। यह 20 मिनट या उससे ज्यादा देर तक आपके दांतों पर हमला करता है। दांतों को स्वस्थ रखने के लिए ऐसा भोजन करें, जो विटामिन, मिनरल, कैल्शियम और फॉस्फोरस से भरपूर हो। काबरेनेटेड पेय पदार्थों, जंक फूड और मीठे पदार्थों का सेवन कम करें।
दांतों की समस्याएं
दांतों का पीलापन
तंबाकू, गुटखा, शराब आदि के सेवन या दांतों की ठीक तरह से सफाई न करने से दांत पीले पड़ जाते हैं। कई लोगों में उम्र बढ़ने के साथ दांतों पर प्लाक की परत चढ़ती जाती है। इससे भी दांत पीले दिखने लगते हैं। ज्यादा मात्र में चाय, कॉफी और कोल्ड  ड्रिंक का सेवन करने से भी दांत पीले पड़ जाते हैं। विटामिन डी की कमी भी दांतों की चमक खत्म कर देती है। कुछ खास रसायनों से दांतों को साफ कर चमकाया जाता है। इसे डेंटल ब्लीचिंग कहते हैं। यह एक सुरक्षित तरीका है। दांतों को चमकदार बनाने के लिए लेजर ट्रीटमेंट सबसे प्रभावी और सुरक्षित तरीका है।
दांतों में संवेदनशीलता
हमारे दांतों के ऊपर एक सुरक्षा परत होती है, जिसे इनेमल कहते हैं। हम जो भी खाते हैं, उसका पहला संपर्क हमारे दांतों के इसी इनेमल से होता है। इनेमल हमें ताप और दूसरी चीजों से बचाता है। खानपान की गलत आदतों ओर कई अन्य कारणों से ये परत पतली हो जाती है। इससे दांतों में अति संवेदनशीलता की समस्या हो जाती है। अगर यह संवेदनशीलता ज्यादा नहीं है तो एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट से ठीक हो सकती है। अगर समस्या गंभीर है या एंटी सेंसिटिविटी टूथपेस्ट के उपयोग के बाद भी ठीक नहीं हो रही तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह सेंसिटिविटी किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकती है, जैसे कैविटी या दांतों में दरार आ जाना।
मुंह से दुर्गंध्‍ा आना
कई लोग जब सांस लेते हैं या बात करते हैं तो उनके मुंह से दुर्गंध्‍ा आती है। यह दुर्गंध्‍ा पाचन प्रणाली के कमजोर पड़ जाने या दांतों या मसूड़ों के किसी रोग के कारण हो सकती है। यह किसी आंतरिक रोग का संकेत भी हो सकती है। यह ऐसा रोग है, जिससे किसी के व्यक्तित्व का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान करने से मुंह में लार बननी कम हो जाती है। इससे भी मुंह से बदबू आने लगती है।
मसूड़ों की समस्याएं
मसूड़ों की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण प्लाक होता है। इसके अलावा कई बीमारियां जैसे कैंसर, एड्स, डायबिटीज, महिलाओं में किशोरावस्था, गर्भावस्था, मेनोपॉज और पीरियड्स के समय होने वाला हार्मोन परिवर्तन भी मसूड़ों पर संक्रमण की आशंका बढ़ा देते हैं। धूम्रपान भी मसूड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वैसे मुंह की साफ-सफाई का ख्याल न रखना मसूड़ों की समस्याओं का सबसे प्रमुख कारण है। मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। हाल ही में हुए कई अध्ययनों में यह बात उभर कर आई है कि 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस उम्र में हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की किसी न किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं।
सबसे आम है जिन्जीवाइटिस
जिन्जीवाइटिस मसूड़ों की सबसे आम समस्या है। इसमें मसूड़े सूख कर लाल हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। कई लोगों में दांतों के बीच में उभरा हुआ तिकोना क्षेत्र बन जाता है, जिसे पेपीले कहते हैं। इसका प्रमुख कारण सफेद रक्त कोशिकाओं का जमाव, बैक्टीरिया का संक्रमण और प्लाक हो सकता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए।


पायरिया
अगर ब्रश करने या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून बहता हो तो यह पायरिया के लक्षण हैं। इसमें मसूड़ों के ऊतक सड़ कर पीले पड़ने लगते हैं। इसका मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।
पीरियोडोंटिस
यदि समय रहते जिन्जीवाइटिस का उपचार नहीं किया जाता तो वह गंभीर रूप लेकर पीरियोडोंटिस में बदल जाती है। पीरियोडोंटिस से पीड़ित व्यक्ति में मसूड़ों की अंदरूनी सतह और हड्डियां दांत से दूर हो जाती हैं। दांतों और मसूड़ों के बीच स्थित इस छोटी-सी जगह में गंदगी इकट्ठी होने लगती है और दांतों और मसूड़ों में संक्रमण फैल जाता है। अगर ठीक से इलाज न किया जाए तो दांतों के चारों ओर मौजूद ऊतक नष्ट होने लगते हैं। यह दांतों के लिए गंभीर स्थिति होती है। इससे दांत गिरने लगते हैं।
संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ओरल हाइजीन
- मसूड़ों और दांतों की बीमारियां दरअसल बैक्टीरिया का संक्रमण है। ये बैक्टीरिया खाने के साथ हमारे रक्त में पहुंच जाते हैं और हमारे लिए कई घातक बीमारियों की आशंका बढ़ा देते हैं।
- जिन लोगों को मसूड़ों की बीमारी होती है, उन्हें हार्ट अटैक होने का खतरा दोगुना हो जाता है।
- हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ओरल इंफेक्शन से स्ट्रोक की आशंका भी बढ़ जाती है।
- डायबिटीज से मसूड़ों की बीमारियों की आशंका ही नहीं बढ़ती, बल्कि मसूड़ों की बीमारी से डायबिटीज की आशंका भी बढ़ जाती है।
- ओरल कैविटी में मौजूद बैक्टीरिया फेफड़ों में चले जाते हैं। इससे खासकर जिन्हें मसूड़ों की बीमारियां हैं, उन्हें श्वसन संबंधी बीमारी निमोनिया होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
- जिन गर्भवती महिलाओं को मसूड़ों की बीमारियां हैं, उनका बच्चा समय से पहले और कम भार का होता है।
दांतों को स्वस्थ रखने के टिप्स
- फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट और मुलायम ब्रश से दिन में दो बार दांत साफ करने की आदत डालें। इसके साथ जीभ की सफाई भी करें, क्योंकि बैक्टीरिया ज्यादातर यहीं पनपते हैं।
- दिन में एक बार फ्लॉस भी करें। इससे दांतों के बीच फंसे भोजन के टुकड़े निकल जाते हैं। 
- अधिक गर्म चीजें न खाएं।
- ज्यादा कड़क ब्रिसल वाले ब्रश से दांत साफ न करें।
- नॉनवेज खाने के बाद कुल्ला जरूर करें। इससे दांतों में फंसे रेशे भी निकल जाएंगे और गंध भी।
इन बातों का भी रखें ख्याल
साल में एक बार दांतों का चेकअप कराएं: दांतों में तकलीफ न हो, तब भी साल में एक बार दांतों का चेकअप जरूर कराएं। कभी-कभी बाहर से देखने पर दांत सामान्य लगते हैं, लेकिन कई बार अंदर ही अंदर उनमें कोई बीमारी पल रही होती है। शुरू में इसका पता नहीं चलता, लेकिन समय के साथ यह समस्या गंभीर होती जाती है। डेंटल चेकअप इस तरह की समस्याओं से बचाता है।
दो बार ब्रश करें: सुबह और रात को दो बार ब्रश करें। इसके अलावा कुछ भी खाने-पीने के बाद साफ पानी से कुल्ला करें।
टूथपिक का प्रयोग न करें: अगर दांतों में खाना फंस जाए तो उसे टूथपिक से न निकालें। इससे मसूड़ों को नुकसान होता है। इस समस्या को नजरअंदाज भी न करें। डेंटिस्ट को दिखाएं।
तीन महीने में बदलें ब्रश: ज्यादा पुराना ब्रश मसूड़ों और दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए हर तीन महीने में ब्रश बदल लें।
घरेलू उपचार
- नींबू, पुदीने का रस तथा नमक एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर सुबह-शाम कुल्ला करें। मुंह से दुर्गंध नहीं आएगी।
- आधा कप गुनगुने पानी में पुदीने की पत्तियां मिला कर गरारा करें, इससे भी मुंह की दुर्गंध से निजात मिलेगी।
- दांतों की चमक बनाए रखने के लिए आधा चम्मच नमक में दस बूंद नींबू मिला लें। इस मिश्रण को दांतों पर लगा कर पांच मिनट के लिए छोड़ दें। फिर दांतों पर बिना पेस्ट लगाए ब्रश करें। दांत लंबे समय तक चमकेंगे।


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