Friday, March 22, 2013

यूं सामना करें जब आए आपात स्थिति



कई बार अचानक कार्डिएक अटैक की समस्या सामना करता पड़ता है तो कई बार अस्थमा परेशान कर देती है। कुछ खाने-पीने के बाद अचानक सांस फंसने-फूलने लगती है और कई बार हाथ जल या कट जाता है।
जानलेवा आपात स्थितियां कभी भी, कहीं भी हो सकती हैं। इनकी वजह कोई स्वास्थ्य समस्या, दुर्घटना, जहरीले पदार्थ का सेवन, प्राकृतिक आपदा या हिंसा हो सकती है। हम आपको बता रहे हैं कार्डिएक अरेस्ट, चोकिंग (सांस की नली या गले में किसी बाहरी वस्तु का फंस जाना) और अस्थमा अटैक के अचानक हुए हमले में क्या करें कि पीडिम्त की जान बचाई जा सके।
कार्डिएक अरेस्ट
कार्डिएक अरेस्ट में दिल के बंद होने से रक्त का संचरण पूरी तरह बंद हो जाता है। लक्षण नजर आने के कुछ ही मिनटों में मरीज की मौत हो जाती है। हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल कहते हैं, अगर कार्डिएक अरेस्ट होने के कुछ मिनटों में पीडिम्त को आकस्मिक और डॉक्टरी सहायता उपलब्ध करा दी जाए तो उसके जीवित रहने की संभावना 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
क्या करें
हार्ट एसोसिएशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्डिएक अरेस्ट आने के दस मिनट के भीतर छाती को दबाकर और तेजी से थपथपाकर तथा कृत्रिम श्वास द्वारा दिल को रिवाइव करने की कोशिश करें। ऐसा न करने पर स्थिति बिगड़ सकती है।
सबसे पहले मरीज की धड़कन चेक करें। अगर धड़कन नहीं चल रही हो तो सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) शुरू कर दें।
सीपीआर में छाती को तेजी से दबाकर और तेजी से थपथपाकर तथा कृत्रिम श्वास द्वारा दिल को रिवाइव करने की कोशिश की जाती है।
सीपीआर से ऑक्सीजन युक्त रक्त का संचरण मस्तिष्क और हृदय में करने में मदद मिलती है।
सीपीआर
छाती को जोर-जोर से और तेजी से दबाएं।
ध्यान रहे आपका हाथ छाती के बीच में होना चाहिए। एक हाथ को हथेली की तरफ से छाती पर रखें, दूसरे हाथ को भी हथेली की ओर से ही पहले हाथ पर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए रखें। छाती को 30 बार दबाएं, गिनती को जोर से गिनें। दबाने की रफ्तार प्रति मिनट 100 होनी चाहिए।
ढेर से दो इंच (4-5 से.मी.) दबाने के बाद छाती को सजह छोड़ दें। कोई हस्तक्षेप न करें।
सांस चेक करें। सांस नहीं चल रही हो तो रेस्क्यू ब्रीद (मुंह से कृत्रिम सांस) दें।
30 कंप्रेशन और दो कृत्रिम श्वास इन्हें बारी-बारी से दोहराएं।
अस्थमा
अस्थमा श्वास संबंधी रोग है। इसमें श्वास नलिकाओं में सूजन आने से वह सिकुड़ जाती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। लेकिन कई बार सर्द हवाओं के संपर्क में आने, अत्यधिक व्यायाम करने, कम वायु दाब वाले स्थानों जैसे पहाड़ों पर, वायु प्रदूषण या बारिश में भीगने पर अचनक अस्थमा का प्रकोप बढ़ जाता है और मरीज की सांसें उखड़ने लगती हैं। इसे अस्थमा अटैक कहते हैं। अटैक अधिक तीव्र होने पर मरीज बेहोश भी हो जाता है।
क्या करें
अस्थमा के रोगी नियमित रूप से दवाओं का सेवन करें और उन कारकों से बचें, जिनसे अस्थमा होता है तो अस्थमा के अटैक का खतरा टाला जा सकता है। परंतु फिर भी यदि कोई इमरजेंसी हो जाए तो-
बिना कोई देर किए डॉक्टर द्वारा दी दवाएं लें।
सीधे बैठ जाएं, लेटें बिल्कुल भी नहीं।
कपड़ों को ढीला कर लें, संभव हो तो आरामदायक कपड़े पहन लें।
शांत रहने का प्रयास करें।
डॉक्टर से संपर्क करें या बिना देर किए नजदीक के किसी अस्पताल में जाएं।
अगर व्यक्ति अस्थमा की कोई दवाई जैसे इनहेलर आदि इस्तेमाल कर रहा हो तो, उसे इस्तेमाल करने में उसकी मदद करें।


चोकिंग
चोकिंग तब होता है, जब कोई बाहरी वस्तु गले या सांस की नली में अटक जाती है और हवा के प्रवाह को अवरुद्ध कर देती है। बड़ों में अधिकतर खाने की कोई चीज फंस जाती है और कई बार बच्चे कोई छोटी चीज निगल लेते हैं। चोकिंग से मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जितनी जल्दी से जल्दी हो सके, प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया जाए।
लक्षणों की जांच करें
चोकिंग का सामान्य लक्षण है कि पीडित अपने गले को हाथों से दबाता है। यह नहीं होता है तब इन संकेतों को समझें।
बोल नहीं पाना।
सांस लेने में तकलीफ होना।
त्वचा, होंठ और नाखून नीले या धूसर पड़ने लगना।
बेहोशी की स्थिति आने लगना।
क्या करें
चोकिंग होने पर रेड क्रॉस ने प्राथमिक उपचार देने के लिए ‘पांच और पांच’ की सिफारिश की है:’कमर पर पीछे कंधे की ब्लैड के बीच में मुट्ठी से पांच धीमे-धीमे मुक्के मारें।
व्यक्ति के पीछे खड़े हो जाएं। अपनी बांहें उसकी कमर के आसपास लपेट दें। व्यक्ति को थोड़ा-सा आगे की ओर झुका दें।
एक हाथ की मुट्ठी बांध लें। इसे व्यक्ति की नाभी के थोड़ा-सा ऊपर रखें।
मुट्ठी को दूसरे हाथ से पकड़ें। उसे पेट में अंदर और ऊपर की ओर तेजी से दबाएं, जैसे आप उसे उठाने का प्रयास कर रहें हों।
कुल पांच बार जोर-जोर से पेट में अंदर की ओर झटके दें। फिर भी ब्लॉकेज न निकले तो इसे पांच-पांच के समूह में दोहराते रहें।
चिकित्सा सहायता पहुंचने से पहले अगर व्यक्ति बेहोश होने लगे तो उसे सीपीआर और कृत्रिम श्वास दें। वैसे अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन कमर पर घूंसे मारने की सिफारिश नहीं करता है।
रखें इन बातों का ध्यान
घर में फर्स्ट एड बॉक्स सही जगह पर जरूर रखें।
बॉक्स में तमाम जरूरी सामान हो, इसकी जांच करते रहें।
रसोई में चाकू, लाइटर, माचिस आदि को सही जगह पर रखें।
रसोई में सामान को सही जगह पर रखें ताकि बच्चे उन तक न पहुंच पाएं।
कुछ जरूरी टेलीफोन नम्बर की लिस्ट घर में सही जगह टांग कर रखें।
अगर आपको हार्ट, अस्थमा आदि की तकलीफ है तो अपनी दवाओं की उपलब्धता की जांच करते रहें, ताकि दवा की कमी न आए।
अगर घर में बुजुर्ग हैं तो उनके स्वास्थ्य की जांच समय-समय पर करवाते रहें। खासकर आंखों की जांच छह महीने पर जरूर करवाएं।
गिरना
गिरने से सामान्य से लेकर गंभीर चोटें आ सकती हैं। अगर कोई गिर जाए तो सबसे पहले उसे उठाएं और खुली हवा में लेटा दें। चोटों का मुआयना करें। व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो पहले उसे होश में लाने का प्रयास करें। व्यक्ति को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं जब तक कि डॉक्टरी सहायता पहुंच नहीं जाती।
औंधे मुंह गिरा है तो सबसे पहले उसे सीधा कर लें, उसे कमर के बल लेटा दें। सांसें उखड़ रही हों तो कृत्रिम रूप से सांस दें और लेटा दें।
घर में अकेले हों और सीढियों से या किसी ऊंची जगह से गिर जाएं तो जल्दी से उठने की कोशिश न करें। पास में अगर कोई कुर्सी और सोफा है तो उस तक रेंगते हुए पहुंचें और फिर धीरे से उस पर बैठ जाएं।
परिचित या अस्पताल में फोन करें।
कटना
सब्जी या फल काटते हुए चाकू के फिसलने से उंगली कट जाना, शरीर के किसी भाग विशेषकर पैर या हाथ में कील या कांच चुभ जाना और जख्म से खून बहने लगना, इस संसार में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जिसे इसका अनुभव कभी न हुआ हो। कभी-कभी मामूली रूप से कटना भी संक्रमण फैलने से जानलेवा हो जाता है।
रखें इन बातों का ध्यान
हल्के जख्म में डॉक्टर के पास न जाएं।
घाव से गंदगी बाहर निकाल दें।
जख्म को बहते हुए ठंडे पानी से धो लें।
हाइड्रोजन परऑक्साइड से अच्छी तरह साफ करने के बाद बैंडेड से लपेट लें।
सूजन कम करने के लिए कटी हुई जगह पर बर्फ मलें।
घाव को साफ रखें ताकि संक्रमण न फैले, लगातार पट्टी बदलते रहें।
कटने पर अगर दस मिनट में खून बहना बंद हो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
जलना
खाना बनाते समय आग की चपेट में आ जाना जलने की सबसे प्रमुख वजह है। मामूली रूप से जलने के जख्म तो समय के साथ वैसे ही ठीक हो जाते हैं, पर गंभीर रूप से जलने पर विशेष देखभाल करनी होती है।
क्या करें-क्या नहीं
आग लग जाए तो वह फर्श पर लोट जाएं, धुंए की परत से नीचे, अगर आग पूरे स्थान पर फैल रही है तो बाहर निकलकर भागें।
मामूली रूप से जले हुए स्थान पर 10-15 मिनट तक ठंडा पानी डालें। ध्यान रहे पानी ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए।
जली हुई त्वचा पर सीधे बर्फ न रखें। इससे त्वचा को और नुकसान पहुंच सकता है।
जख्म के थोड़ा सूखने के बाद उस पर सूखी पट्टी ढीली बांधें, ताकि गंदगी और संक्रमण न फैले।
गंभीर रूप से जलने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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