इंटरनेट पर जाने के लिए जिस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं उसे ब्राउजर कहते हैं। मिसाल के तौर पर मोजिला, क्रोम, और एक्सप्लोरर। इन ब्राउजर्स की ताकत को बढ़ाने के लिए खास प्रोग्राम इंस्टॉल कर सकते हैं जिन्हें एक्सटेंशन कहते हैं। इन्हें इंस्टॉल करने के तरीके और फायदे के बारे में बता रहे हैं बालेन्दु शर्मा दाधीच:
ऐसे इन्स्टाल करें क्रोम के ऐड-ऑन 1. ब्राउज़र के सबसे दाईं ओर बने टूल्स आइकन पर क्लिक करें और फिर More Tools-Extensions मेन्यू पर क्लिक करें।
2. अब एक वेब पेज खुलेगा, जिसमें आपके ब्राउज़र में इंस्टॉल किए गए एक्सटेंशनों का ब्यौरा दिखाई देगा। यहीं पर नीचे की ओर Get more extensions नामक लिंक दिखेगा। इसे क्लिक करें। अब क्रोम वेब स्टोर नामक वेब पेज खुल जाएगा।
3. क्रोम वेब स्टोर को सीधे chrome.google.com/webstore टाइप करके भी खोला जा सकता है।
4. याद रहे, ऐसा करते वक्त आप इंटरनेट से कनेक्ट होने चाहिए। वेब स्टोर पर बाईं ओर Extensions नामक मेन्यू पर क्लिक करें। यहां तमाम तरह के एक्सटेंशनों का ब्यौरा दिखाई देगा, जैसे- Accessibility, By Google, Blogging, Search Tooks, Productivity आदि। इनमें से अपनी पसंद के विकल्प को चुनें और सामने दिखने वाले एक्सटेंशनों की सूची में से जरूरत के एक्सटेंशन का चुनाव कर लें, जैसे- गूगल डिक्शनरी या गूगल इनपुट टूल्स आदि।
5. अपनी पसंद के एक्सटेंशन के आइकन पर क्लिक करें। अब उसका ब्यौरा दिखाया जाएगा, जैसे कीमत और फीचर्स आदि। अगर ठीक लगता है तो ऊपर दाईं तरफ़ दिए नीले बटन पर क्लिक करें। आपसे इंस्टॉलेशन की पुष्टि करवाई जाएगी और इसके बाद एक्सटेंशन इन्स्टाल हो जाएगा और उसका आइकन ऊपर टूलबार में दिखने लगेगा।
6. अब अपने आपने ब्राउज़र में एक नई पावर जोड़ ली है। आइकन को क्लिक कर अब इस एक्सटेंशन का इस्तेमाल उसी तरह कर सकते हैं जैसे ब्राउज़र के दूसरे फीचर्स का किया जाता है।
इन्हे आजमाएं ऐडब्लॉक प्लस: अगर आप अपने ब्राउज़र में बार-बार उभरने वाले विज्ञापनों से परेशान हैं तो इस एक्सटेंशन का इस्तेमाल करें। यह न सिर्फ ज्यादातर विज्ञापनों को दिखने से रोकता है बल्कि स्पाईवेयर वगैरह को रोकने के लिए फिल्टर भी उपलब्ध कराता है। सुरक्षित और सुविधाजनक ब्राउज़िंग के लिए यह एक अच्छी युटिलिटी है।
ब्लैक मेन्यू: अगर आप बहुत सी गूगल साइटों का इस्तेमाल करते हैं (जैसे जीमेल, गूगल प्लस, गूगल ट्रांसलेट, गूगल मैप्स वगैरह) तो उन्हें बार-बार खोलने के झंझट से बचने के लिए इस क्रोम एक्सटेंशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी तमाम गूगल सर्विसेज को एक साथ, एक ही जगह पर आसान तरीके से मुहैया करा देता है। उसके बाद किसी को भी एक्सेस करना सिर्फ एक क्लिक का काम है।
माइटी टेक्स्ट: यह एक्सटेंशन आपके कंप्यूटर को ऐंड्रॉयड फोन के साथ कनेक्ट और सिंक्रनाइज़ करने की अनूठी सुविधा देता है। न सिर्फ आप अपने स्मार्टफोन के एसएमएस और एमएमएस मेसेज कंप्यूटर पर देख सकेंगे बल्कि कंप्यूटर के ही जरिए एसएमएस भी भेज सकेंगे। आप चाहें तो इसका इस्तेमाल अपने मेसेज को कंप्यूटर पर आर्काइव करने के लिए भी कर सकते हैं।
सिनाटा: आजकल हम बहुत सी क्लाउड बेस सर्विसेज का इस्तेमाल करते हैं, जैसे- फाइलों को सहेजने के लिए गूगल ड्राइव, वन ड्राइव या ड्रॉप बॉक्स, ऑफिस के कामकाज के लिए ऑफिस 365 या गूगल डॉक्स आदि। अगर आप इन सबको किसी एक जगह पर, सुविधाजनक अंदाज में एक्सेस करना चाहें तो सिनाटा का इस्तेमाल करें, जो इन सभी ठिकानों पर आपकी फाइलों को मैनेज, सर्च आदि करना आसान बनाता है।
जीमेल ऑफलाइन : आम तौर पर वेब बेस ईमेल सर्विसेज को इस्तेमाल करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। न सिर्फ नए, बल्कि पुराने ईमेल मेसेज देखने के लिए भी आपको इंटरनेट पर लॉगिन करना होता है। लेकिन जीमेल ऑफलाइन क्रोम एक्सटेंशन यह सुविधा देता है कि सभी पुराने मेसेज ऑफलाइन भी देख सकें। यानी इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ तभी करें जब नए मेसेज देखने हों या फिर कोई नया ईमेल भेजना हो। बाकी सब काम बिना इंटरनेट के, ऑफलाइन।
एवरनोट वेब क्लिपर: कई मौकों पर आप किसी पसंदीदा वेब पेज को सहेजकर रखना चाहते हैं, फिर भले ही वह स्क्रीनशॉट के रूप में हो या फिर पीडीएफ फाइल के रूप में। यह क्रोम एक्सटेंशन आपको वेब पेजों के किसी खास हिस्से या पूरे वेब पेज को सहेजने की सुविधा देता है, ताकि आप उन्हें फुर्सत से ऑफलाइन पढ़ सकें। इन पेजों को वेब, पीडीएफ या इमेज फॉर्मेट में सहेजा जा सकता है।
न्यूज़ स्क्वेयरः बहुत से ठिकानों से इकट्ठी की गई दिलचस्प और अहम खबरों को सरल अंदाज में पढ़ने-लिखने और एक्सेस करने की सुविधा देने वाला यह एक्सटेंशन अपने कूल डिजाइन के लिए जाना जाता है। इसमें हर खबर का शीर्षक एक खूबसूरत बॉक्स में हाइलाइट करके दिखाया जाता है और इसीलिए इसका नाम है न्यूज़ स्क्वेयर। आप पसंदीदा वेबसाइटों की ताजातरीन खबरों से लगातार जुड़े रहने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको उन सभी वेबसाइटों का बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत नहीं रहेगी। आप चाहें तो इन खबरों को सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हैं।
गूगल ट्रांसलेट: गूगल की ट्रांस्लेशन सर्विस दुनिया भर में पॉप्युलर है। इसमें हिंदी समेत दूसरी भाषाओं के बीच आपस में अनुवाद करने की सुविधा मौजूद है। लेकिन बार-बार गूगल ट्रांसलेट की वेबसाइट पर जाना मुश्किल भरा महसूस हो सकता है। आप चाहें तो इस क्रोम एक्सटेंशन की मदद से गूगल ट्रांसलेट सर्विस से हमेशा जुड़े रह सकते हैं और एक ही क्लिक में ट्रांस्लेशन की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह एक्सटेंशन इंस्टॉल करने के बाद ब्राउज़र में दिखने वाले वेब पेजों को पूरा का पूरा ट्रांसलेट करके दूसरी भाषा में देखना मुमकिन है।
ऐसे इंस्टॉल करें फायरफॉक्स के ऐड-ऑन 1. सबसे पहले मेन्यू बटन पर क्लिक करें। अब Fx नाम के विकल्प पर क्लिक करें और फिर Add-ons को चुनें।
2. इससे ऐड-ऑन मैनेजर टैब खुल जाएगा। यहां Get Add-ons नामक पैनल को सलेक्ट करें।
3. आप चाहें तो किसी ऐड-ऑन को इंस्टॉल करने से पहले उसके बारे में ज्यादा जानकारी पाना चाहें तो उस पर क्लिक करें।
4. अगर सब कुछ मनमुताबिक है तो वहां बने हरे रंग के Add to Firefox नामक बटन पर क्लिक करें। ऐड-ऑन इंस्टॉल होने लगेगा।
5. अगर आपकी पसंद या जरूरत का ऐड-ऑन यहां मौजूद नहीं है तो ऊपर बने सर्च बॉक्स का इस्तेमाल पसंदीदा ऐड-ऑन की खोज के लिए करें। सर्च नतीजों में दिखने वाले ऐड-ऑन के साथ दिखने वाले Add to Firefox बटन पर क्लिक करें।
6. फायरफॉक्स पूछेगा कि क्या आप इस ऐड-ऑन को इंस्टॉल करना चाहते हैं? इस पर हां में जवाब दें। ऐड-ऑन इंस्टॉल हो जाएगा।
7. यदि ब्राउज़र को रिस्टार्ट करने का मेसेज मिले तो उसे रिस्टार्ट कर लें। ऐड-ऑन एक्टिव हो जाएगा।
इन्हें आजमाएं
विडियो रिज्यूमर: वेब पर देखे जाने वाले विडियो आम तौर पर हमेशा शुरूआत से दिखते हैं। लेकिन इस ऐड-ऑन के जरिए आप फायरफॉक्स में देखे जाने वाले विडियो को उसी जगह से शुरू कर सकते हैं जहां तक आपने इसे पिछली बार देखा था। जाहिर है, यह आपका वक्त भी बचाएगा और इंटरनेट का डाटा भी।
स्टाइलिश: अगर आप वेबसाइटों का पारंपरिक रंगरूप देखकर बोर हो चुके हैं तो इस ऐड-ऑन को आजमाएं जो किसी फेसबुक, गूगल, यूट्यूब आदि वेबसाइटों का चेहरा-मोहरा और रंगरूप बदलकर दिखाने लगता है। यह खास तरह की थीम को उन वेबसाइटों पर एप्लाई करके ऐसा करता है।
ब्लूहेल फायरवॉल: वेब ब्राउज़िंग को ज्यादा सेफ बनाने के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर, ऐड-ऑन और एक्सटेंशन इस्तेमाल होते हैं। बहरहाल, यह एक बहुत हल्का फुल्का ऐड-ऑन है जो न सिर्फ आपके ब्राउज़र को वायरसों और स्पाईवेयर से सुरक्षित रखने में सक्षम है बल्कि जटिलता से भी पूरी तरह मुक्त है।
एक्स-नोटिफायर : इस ऐड-ऑन को अपने ईमेल अकाउंट्स से जोड़ने के बाद आप किसी भी नए ईमेल को पढ़ने में देर नहीं करेंगे क्योंकि यह लगातार आपके ईमेल अकाउंट्स पर नजर रखेगा। जैसे ही आपके वेब अकाउंट में कोई नया ईमेल आएगा, यह तुरंत आपको सूचित करेगा, भले ही उस वक्त आप कोई दूसरी वेबसाइट ही क्यों न देख रहे हों।
ऐसे इंस्टॉल करें इंटरनेट एक्सप्लोरर के ऐड-ऑन
इंटरनेट एक्सप्लोरर में 'ऐड-ऑन' नामक टूल्स इंस्टॉल करने की व्यवस्था है। ऐड-ऑन की परिभाषा अधिक व्यापक है। इसमें प्लग-इन भी आते हैं और एक्सटेंशन जैसे टूल्स भी। क्रोम वेब स्टोर की ही तरह माइक्रोसॉफ्ट ने भी इनके लिए एक खास वेबसाइट बनाई है, जिसका नाम है- इंटरनेट एक्सप्लोरर गैलरी। यहां दर्जनों किस्म के उपयोगी ऐड-ऑन आपका इंतजार कर रहे हैं, जिन्हें अपने ब्राउज़र में इंस्टॉल करके इसे और पावरफुल बनाया जा सकता है। इसके लिए इस तरह आगे बढ़ें:
1. इंटरनेट एक्सप्लोरर में यह वेब पता टाइप करें - iegallery.com
2. अब खुलने वाले पेज पर Pinned Sites, Add-ons और Tracking Protection Lists नामक तीन ऑप्शन दिखाई देंगे। इनमें से Add-ons पर क्लिक करें।
3. इससे बाईं तरफ कई तरह के ऐड-ऑन का ब्यौरा दिखाई देगा, जैसे- विडियोज, सोशल, सर्च, यूटिलिटीज आदि। अपनी ज़रूरत के लिहाज से कैटिगरी को क्लिक करें। इससे सामने की ओर मौजूद ऐड-ऑन की लिस्ट दिखाई देगी।
4. अपनी पसंद के ऐड-ऑन के आइकन पर क्लिक करें। इससे एक वेब पेज खुलेगा, जिस पर Add to Internet Explorer लिखा बटन दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।
5. जरूरत का प्लग-इन या ऐड-ऑन इंस्टॉल हो जाएगा।
इन्हें आजमाएं
पैरंटल कंट्रोल: जो पैरंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उनके बच्चे कहीं गलत वेबसाइटों का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे, वे इस ऐड-ऑन को इन्स्टाल करके देखें। यह आपको अपने ब्राउज़र का बेहतर ढंग से कंट्रोल करने की सुविधा देता है, खासकर ऐडल्ट वेबसाइटों पर रोक लगाना बहुत आसान है।
गूगल प्रिव्यू : किसी वेब पेज पर दिखने वाले किसी भी शब्द से जुड़ी वेब सर्च को आसान ढंग से अंजाम देने के लिए यह प्लग इन इस्तेमाल होता है। किसी वेब पेज से हटे बिना ही उसमें मौजूद शब्दों से जुड़ी सर्च करने के लिए इसे आजमाएं। इससे आपका काफी वक्त बचेगा।
रीड ऑन वेब : इसका इस्तेमाल वेबसाइटों की सामग्री को आसान अंदाज में पढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह वेब पेज पर मौजूद तमाम दूसरी सामग्री (विज्ञापन, विजेट, ग्राफिक्स आदि) को हटाकर सिर्फ मूल सामग्री (लेख आदि) को स्क्रीन पर दिखाता है। आप चाहें तो इन्हें बाद में पढ़ने के लिए सहेज सकते हैं या जरूरत के मुताबिक ऐडिट भी कर सकते हैं।
स्पेकी : किसी ईमेल, ब्लॉग, सोशल नेटवर्क या फिर फॉर्म में टाइप किए गए अंग्रेजी शब्दों की स्पेलिंग चेक करने के लिए स्पेकी एक अच्छा ब्राउज़र ऐड-ऑन है। यह गलत महसूस होने वाले शब्दों की पहचान करता है और उनके नीचे लाल घुमावदार अंडरलाइन कर देता है। करीब-करीब उसी तरह जैसे एमएस वर्ड में होता है। इस शब्द पर राइट क्लिक करके आप सही स्पेलिंग देख सकते हैं और क्लिक करके उसे बदल भी सकते हैं।
प्लग-इन बोले तो
प्लग-इन ब्राउज़र से बाहर, कंप्यूटर में इन्स्टाल ऐसे प्रोग्राम होते हैं, जो किसी वेब पेज पर मौजूद खास कंटेंट को दिखाने में ब्राउज़र की मदद करते हैं। प्लग-इन दो तरह के होते हैंः
पहले वे, जिनकी जरूरत किसी वेबसाइट में इस्तेमाल किए गए खास किस्म के कंटेंट या सामग्री को देखने या इस्तेमाल करने के लिए पड़ती है। मिसाल के तौर पर किसी साइट पर फ्लैश एनिमेशन का इस्तेमाल किया गया हो। वह एनिमेशन आपके ब्राउज़र में तब तक दिखाई नहीं देगा, जब तक कि उसमें फ्लैश प्लेयर नामक प्लग-इन मौजूद न हो। यह प्लग-इन इन्स्टॉल किए जाने के बाद ब्राउज़र फ्लैश एनिमेशन को दिखाने में सक्षम हो जाता है। इस तरह के प्लग-इन में ऑडियो, विडियो, एपल क्विक टाइम, जावा, माइक्रोसॉफ्ट सिल्वरलाइट, ऐडोब रीडर वगैरह को लिया जा सकता है। ब्राउज़र में कोई खास जावा ऐप चलाना तब तक संभव नहीं होगा, जब तक कि उसमें जावा प्लग-इन मौजूद न हो। इन सभी प्लग-इंस का संबंध वेब पेज के भीतर की सामग्री को देखने-पढ़ने और इस्तेमाल करने से है।
दूसरी तरह के प्लग-इन ज्यादा पावरफुल होते हैं। इनका इस्तेमाल ब्राउज़र के भीतर खास किस्म की एक्टिविटी को अंजाम देने के लिए किया जाता है। मिसाल के तौर पर आपके ब्राउज़र में यह इन-बिल्ट क्षमता मौजूद नहीं है कि वह किसी वेबसाइट में वायरस की मौजूदगी को जांच कर आपको सचेत कर सके और संबंधित वेब पेज को खुलने से रोक सके। अलबत्ता, नॉर्टन, मैकेफी, अवास्ट आदि एंटी-वायरस कंपनियों की तरफ से बनाए गए खास प्लग-इन को इंस्टॉल करने पर ऐसा मुमकिन हो जाता है। यहां पर प्लग-इन ब्राउज़र के भीतर रहकर काम करने वाले किसी इंडिपेंडेंट सॉफ्टवेयर की तरह काम करता है। इस तरह के प्लग-इन में एंटी-वायरस, एंटी-स्पाईवेयर, स्क्रीनशॉट मेकर, ऑडियो ऐडीटिंग टूल, वेब सर्च प्लग-इन, स्पेलिंग चेकर आदि को लिया जा सकता है। इस किस्म के प्लग-इन ब्राउज़र के भीतर रहते हुए ऐसे काम करते हैं, जिन्हें ब्राउज़र खुद नहीं कर सकता। हालांकि वे ब्राउज़र से अलग रहते हुए, अपनी अलग पहचान बनाए रखते हैं। अमूमन प्लग-इन के उलट इनका इस्तेमाल वेब पेज की सामग्री को देखने-पढ़ने और इस्तेमाल करने तक सीमित नहीं है बल्कि वह इन पेजों की सामग्री में सुधार, उसके लिए फैसले करने (जैसे असुरक्षित वेब पेज को लोड होने से रोकना) और किसी सॉफ्टवेयर जैसे काम (जैसे फोटो में काट-छांट) करने में किया जाता है।
एक्सटेंशन का ऐंगल
आपने एक तीसरी किस्म की चीज़ का जिक्र भी सुना होगा, जिसे एक्सटेंशन कहते हैं। खासकर गूगल क्रोम के पॉप्युलर होने के बाद एक्सटेंशनों के इस्तेमाल में भी खूब इजाफा हुआ है। एक्सटेंशन खुद ब्राउज़र की पावर को बढ़ाते हैं और उसमें नए फीचर, नई क्षमताएं जोड़ देते हैं। लेकिन वे किसी इंडिपेंडेंट टूल की तरह नहीं बल्कि ब्राउज़र का ही एक हिस्सा बनकर काम करते हैं। कई बार ब्राउज़र के फीचर्स की संख्या बहुत ज्यादा होती है लेकिन उनको डिवेलप करने वाली कंपनी उन्हें एक हल्के-फुल्के और आसानी से डाउनलोड और इंस्टॉल होने वाले सॉफ्टवेयर के रूप में छोटे साइज में जारी करती है। वह यूज़र को यह छूट देती है कि एक बार मूल ब्राउज़र सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने के बाद अपनी जरूरत के लिहाज से फीचर्स को बाद में जोड़ ले। इन फीचर्स को एक्सटेंशन की तरह उपलब्ध कराया जाता है। जैसे- क्रोम वेब ब्राउज़र में अनुवाद, स्पेल चेक, वॉयस इनपुट जैसे एक्सटेंशन खुद गूगल ने उपलब्ध कराए हैं। क्रोम वेब स्टोर पर जाकर ऐसे एक्सटेंशन डाउनलोड और इंस्टॉल किए जा सकते हैं। वे आपके ब्राउज़र में नई काबिलियत जोड़ देते हैं। अगर गूगल ने क्रोम ब्राउज़र में पहले ही ये सभी एक्सटेंशन जोड़कर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध कराया होता तो डाउनलोड का साइज बहुत बड़ा होता और बहुत से लोग इसी वजह से उसे डाउनलोड नहीं करते। अगर पहले से मौजूद एक्सटेंशनों में से ज्यादातर हमारे लिए किसी काम के नहीं होते तो एक्सटेंशन की व्यवस्था बड़े काम की दिखाई देती है। यह कुछ वैसा ही है जैसे आप किसी दावत में अपनी प्लेट लेकर खड़े हो जाते हैं और खाने-पीने की सिर्फ उन्हीं और उतनी ही चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जो आपके मन की हैं। वैसे तो वहां पर बहुत कुछ है। ब्राउज़र को डिवेलप करने वाली कंपनियां उनके लिए एक्सटेंशन बनाने की छूट प्राइवेट डेवलपरों और दूसरी कंपनियों को भी दे सकती हैं, बशर्ते वे उनकी तरफ से मुहैया कराए गए साधनों का इस्तेमाल करें और उनके बनाए नियमों का पालन करें। एक्सटेंशन फ्री भी हो सकते हैं और पेड भी।
कैसे इन्स्टाल करें प्लग-इन (सभी ब्राउज़रों में)
1. आम तौर पर किसी खास कंटेंट को दिखाने वाले प्लग-इन की गैर-मौजूदगी की हालत में ब्राउज़र में मेसेज दिखाई देते हैं जिसमें प्लग-इन का नाम और उसे डिवेलप करने वाली कंपनी का जिक्र होता है। मिसाल के तौर पर ऐडोबी फ्लैश प्लेयर, जहां कंपनी का नाम ऐडोबी है और प्लग-इन का नाम फ्लैश प्लेयर। कई बार इस मेसेज के साथ ही यूज़र को संबंधित प्लग-इन की डाउनलोड साइट पर जाने का लिंक भी मुहैया कराया जाता है।
2. जब ऐसा लिंक मुहैया न कराया जाए तो मेसेज में दिखने वाले प्लग इन और कंपनी का नाम गूगल में सर्च करें, जैसे Adobe Flash Player Download और सर्च नतीजों का इस्तेमाल कर डाउनलोड साइट तक पहुचें।
3. डाउनलोड साइट पर आपसे अपने ऑपरेटिंग सिस्टम (विंडोज, मैक, लिनक्स आदि), उसके वर्जन आर्किटेक्चर (32 बिट या 64 बिट) और ब्राउज़र के बारे में सवाल पूछे जा सकते हैं। इन्हें बताकर आप प्लग-इन की सही डाउनलोडेबल फाइल को चुनें। कुछ वेबसाइटें खुद ही आपके सिस्टम के अनुरूप सही डाउनलोड फाइल सुझा देती हैं। इससे जुड़े लिंक या बटन को क्लिक करें।
4. इससे इंस्टॉल होने योग्य प्लग-इन की सेटअप फाइल डाउनलोड होने लगेगी। डाउनलोड होने के बाद उसे डबल क्लिक कर इन्स्टाल कर लें। हो सकता है कि इस दौरान आपसे ब्राउज़र को बंद करने के लिए कहा जाए। वैसे कई बार प्लग-इन सीधे ही ब्राउज़र में इंस्टॉल हो जाता है।
5. इंस्टॉलेशन पूरा होने के बाद इससे संबंधित मेसेज दिखाई देता है। जैसे फ्लैश प्लेयर इंस्टॉल होने के बाद बाकायदा आपके ब्राउज़र में एक फ्लैश एनिमेशन दिखाकर पूछा जाता है कि क्या आप इसे देख पा रहे हैं? अब आप उस कन्टेन्ट को एक्सेस कर सकते हैं, जिसे इस प्लग-इन की गैर-मौजूदगी में इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे।
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