मां बनने की उम्र में अगर किसी महिला को यह पता चले कि वह कभी मां नहीं बन सकती तो, भला इससे बड़ा दुख और क्या होगा। मां न बन पाने की कई वजह होती हैं, लेकिन इसमें में एक सबसे बड़ी वजह है ओवरीज का फेल हो जाना :
जब हो ओवरीज फेल
ओवरीज फेल होने की दो वजह होती है। पहली है प्रीमैच्योर ओवरीज फेल (पीओएफ) और दूसरा हेरिडिटिक।
पीओएफ
पीओएफ का मतलब ओवरीज का नॉर्मल काम न करना है। यानी कि ओवरीज का नॉर्मल तरीके से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण न करना। इस सिचुएशन में हारमोंस में लगातार चेंज आता रहता है, जिससे बॉडी की कई चीजें इरेग्युलर हो जाती हैं। ज्ञानी एक्सपर्ट सरिता गुप्ता कहती हैं, 'कई बार उम्र से पहले ओवरीज के फेल होने को मीनोपॉज से जोड़ दिया जाता है, लेकिन ये सिचुएशन डिफरेंट होती है। पीओएफ की प्रॉब्लम आमतौर पर 40 साल से पहले देखने को मिलती है।'
सिम्पटम्स
- अगर ब्लड टेस्ट में आपका फालिक्यूल स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन 25 प्रतिशत से ज्यादा है, तो आपको पीओएफ का खतरा है।
- अगर आपके पीरियड्स रेग्युलर न हों, बहुत ज्यादा गर्मी व पसीना आने की शिकायत हो, तो जल्द से जल्द किसी फर्टिलिटी सेंटर में जाकर अपनी जांच करवाएं।
- स्मोकिंग, ड्रिकिंग, लंबी बीमारी जैसे थायरॉइड व ऑटो इम्यून बीमारियां, रेडियोथेरपी या कीमोथेरपी होना भी इसके मुख्य कारण हैं। - जेनिटक टीबी भी उम्र से पहले ओवरीज फेल होने का कारण हो सकती है।
इंडिया में 30 से 40 साल की उम्र वर्ग में पीएफओ के मामले 0.1 प्रतिशत हैं। वैसे तो ये आंकड़े देखने में नाममात्र हैं, लेकिन 25 प्रतिशत महिलाएं इरेग्युलर पीरियड्स और पीरियड्स कई महीने तक न होने के बाद फिर से शुरू होने (अमनोरिया) जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं।
युवतियां भी हो सकती हैं शिकार
वैसे तो एक्सपर्ट इसे प्रॉब्लम को जेनेटिक मानते हैं। लेकिन कम उम्र की लड़कियां भी इस बीमारी की चपेट में आ सकती हैं। गाइनाकॉलेजिस्ट व आईवीएफ एक्सपर्ट डॉक्टर अनुभा सिंह का कहना है कि चेंज होती लाइफस्टाइल इसमें खास भूमिका निभाती है। इसलिये उम्र से पहले ओवरीज फेल होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस तरह की बीमारियों से बचने के लिये बेहतर है कि समय पर फैमिली प्लानिंग करें। साथ ही, अगर किसी भी तरह की प्रॉब्लम आ रही हो, तो मेडिकल जांच जरूर करवाएं। लेकिन इस तरह की प्रॉब्लम होने पर घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस प्रॉब्लम का सॉल्युशन भी अब आ गया है। बस, जरूरत है समय पर जांच करवाने की।
आईवीएफ टेक्नालॉजी
एग डोनेशन तकनीक अपनाकर बच्चे की चाहत को पूरा किया जा सकता है। एग डोनेशन का मतलब है ओवम को फ्रीज करके रखना। इससे महिलाएं 35 के बाद भी आईवीएफ तकनीक के जरिये प्रेग्नेंसी धारण कर सकती हैं। इस तकनीक में महिला को 14 दिन तक हार्मोन के इंजेक्शन लगाये जाते हैं। उसके बाद उसके परिपक्व ओवम को फ्रीज किया जाता है। यह टेक्नालॉजी उन कपल के लिए बेस्ट है, जो उम्र से पहले ही ओवरीज का फेल होने जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। डॉक्टर अनुभा सिंह का कहना है, ' किसी कपल को लेट कंसीव करना है, तो एग डोनेशन अच्छा सॉल्यूशन है।
लाइफ स्टाइल और हेरिडिटी
हालांकि जिंदगी में जितनी हम प्रगति कर रहे हैं, उतनी ही दिक्कतें भी पेश आ रही हैं लेकिन नई तकनीकों के जरिये इसका समाधान भी मौजूद है। पीओएफ जैसी समस्या वैसे तो हेरिडेटिक है, पर महिलाओं को अपनी लाइफ स्टाइल कंट्रोल करने की खास जरूरत है, जिससे ऐसी समस्या से निपटा जा सके। वैसे, आपको बता दें कि मीनोपॉज से गुजर रही महिलाओं के सिम्पटम्स उम्र से पहले ओवरीज फेल होने वाली महिलाओं के समान होते हैं।
ध्यान दें-
- युवतियां भी आ सकती हैं पीओएफ की चपेट में
- भारत में 25 प्रतिशत महिलाएं इरेग्युलर पीरियड्स की शिकार।
- 90 प्रतिशत मामलों में बीमारी के कारणों का नहीं चलता है पता
- ओवरीज फेल होते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
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