Tuesday, April 16, 2013

हमेशा सलामत रहेंगे आपके बाल


पूरे व्यक्तित्व की खूबसूरती में बालों की काफी भागीदारी होती है। बाल खूबसूरत हैं, चेहरे के अनुकूल कटे हैं तो व्यक्तित्व निखर जाता है।
उम्र के साथ बाल में कई परिवर्तन आते हैं। खासकर 45 की उम्र के बाद बाल सफेद होना, घनापन कम होना, बाल पतला होना, बाल गिरना आदि सामान्य बात है। जब ये सारी समस्याएं 20 से 30 वर्ष की उम्र में ही सामने आने लगें तो किसी भी व्यक्ति के लिए चिंतित हो उठना स्वाभाविक है।
गंजेपन की समस्या
सिर से जब सामान्य से ज्यादा बाल गिरने लगें और एक समय बाद बाल साफ ही हो जाएं तो इसे 'गंजापनÓ कहते हैं। लक्षण के आधार पर गंजेपन को कई नामों से जानते हैं। पुरुषों में आमतौर पर होने वाले सामान्य गंजेपन को 'एंड्रोजेनेटिक एलोपीसियाÓ कहते हैं। महिलाओं में आगे के बालों का उडऩा 'फीमेल पैटर्न बाल्डनेसÓ कहलाता है। जब बाल गोलाकार में झड़ते हैं तो उसे 'एलोपीसिया एरेटाÓ कहते हैं। कई बार बाल कसकर बांधने से भी निकल आते हैं, इसे ट्रैक्शन एलोपीसिया कहते हैं। शरीर में आयरन और पोषक तत्वों की कमी की वजह से या अत्यधिक दवाओं का सेवन करने की वजह से भी बाल गिरने लगते हैं।
क्या हो सकते हैं कारण
बाल गिरने या गंजेपन के कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों में गंजापन अनुवांशिक आ जाता है तो कुछ लोग संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। बालों पर अत्यधिक रसायन का इस्तेमाल भी कभी-कभी गंजेपन का कारण बनता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव व शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी इसकी वजह हो सकती है।
अनुवांशिक: घर में पहले भी किसी को गंजेपन की शिकायत रही है या एक उम्र के बाद दादा, पिता या घर के दूसरे पुरुषों में गंजापन आ जाता है तो आपमें भी गंजापन आ सकता है।
संक्रमण: सिर में फंगल संक्रमण की वजह से भी बाल उडऩे लगते हैं। लेकिन यह अनुवांशिक गंजेपन से अलग होता है। संक्रमण की वजह से जगह-जगह से काफी संख्या में बाल निकलने लगते हैं। इलाज के बाद इसे ठीक किया जा सकता है।
रसायनों का इस्तेमाल: फैशन के साथ कदमताल करने की फिराक में कई लोग अपने बालों के साथ बार-बार प्रयोग करते हैं। बाल सीधे करने या घुंघराले करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन बाल को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। बाल पर अत्यधिक रसायन का इस्तेमाल उनके गिरने का कारण बन जाता है।
हार्मोन में बदलाव: शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव भी गंजेपन का कारण बन सकते हैं। महिलाओं में एंड्रोजेन की मात्रा बढ़ जाए तो उनमें भी गंजापन देखने को मिल सकता है। हाइपरथायरॉयड व हाइपोथॉयरॉयड की स्थिति में भी गंजापन हो सकता है।
पोषक तत्वों की कमी या अधिकता: 
शरीर में महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे आयरन और प्रोटीन की कमी के कारण भी गंजापन हो सकता है। अत्यधिक कमजोरी की वजह से भी गंजापन आता है। डॉक्टरों के मुताबिक शरीर में विटामिन ए की अत्यधिक मात्रा की वजह से भी बाल गिरने लगते हैं और गंजापन आ जाता है।
दवाएं: कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव से भी गंजापन आता है। कीमोथेरेपी, एनाबोलिक स्टेरॉयड, गर्भ निरोधक दवाओं की वजह से भी गंजापन होता है।
बाल ऐसे रहेंगे स्वस्थ और घने
खानपान पर ध्यान दें
बालों की सेहत सुधारने में शाकाहारी भोजन ज्यादा मदद करते हैं। खासकर हरी सब्जियां बालों को जड़ से मजबूत करती हैं और उनकी मोटाई भी बढ़ाती हैं। किसी को भी यदि बाल गिरने की समस्या है तो उसे अपनी डायट में सबसे पहले बदलाव करना चाहिए। बाहरी चीजों जैसे कि फास्टफूड और तली-भूनी चीजों की जगह अपनी डायट में हरी सब्जियों को शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियां, सोया, मशरूम, पनीर आदि में विटामिन एच की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो कि हमारे बालों के लिए वरदान है।
शैम्पू का इस्तेमाल
बाजार में आने वाला हर नया ब्रांड अच्छा ही होगा, यह कहना मुश्किल है। इसलिए किसी भी शैम्पू पर आंख मूंद कर भरोसा न करें। बेहतर होगा कि माइल्ड शैम्पू का चुनाव किया जाए। आमतौर पर लोगों के दिमाग में यह धारणा बनी हुई है कि शैम्पू में बार-बार बदलाव नहीं किया जाना चाहिए, जबकि डॉक्टर किसी भी शैम्पू को लगातार तीन महीने से ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देते। यदि आप सप्ताह में तीन बार शैम्पू करते हैं तो दो बार एक शैम्पू से बाल धोएं, जबकि तीसरी बार के लिए शैम्पू बदल दें। इसके अलावा हर तीन महीने पर अपना शैम्पू बदल देना चाहिए, क्योंकि एक समय के बाद त्वचा उसकी आदी हो जाती है और नई तरह की समस्या आने लगती है।
स्वास्थ्य जांच कराएं
मधुमेह के रोगियों को फंगल संक्रमण का डर बना रहता है। संक्रमण की शुरुआत में ही डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि संक्रमण का जितनी जल्दी इलाज होगा, उतना ही कम नुकसान होगा। बाल ज्यादा गिरने या फंगल संक्रमण की स्थिति में लोग डॉक्टर के पास जाने की बजाय पार्लर जाते हैं। ये गलत है। इससे आपकी समस्या और गंभीर हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को अचानक फंगल इंफेक्शन हो जाए तो उसे सबसे पहले अपने मधुमेह के स्तर की जांच करानी चाहिए।
बालों के साथ ज्यादा छेड़छाड़ ठीक नहीं
युवाओं में यह ज्यादा देखा जाता है। बालों को रंगना, रसायन का इस्तेमाल करना, बालों की बार-बार स्ट्रेटनिंग कराना, घर में ड्रायर का हर दिन इस्तेमाल आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचाते हैं। बालों पर अत्यधिक स्टाइलिंग और रसायन का इस्तेमाल इन्हें कमजोर बना देता है और नतीजा कमजोर और पतले बालों के रूप में सामने आता है।





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