Tuesday, April 16, 2013

तो कंप्यूटर से आंखें रहेंगी सुरक्षित


लगातार कंप्यूटर पर काम करने से कई बार सिरदर्द की समस्या सामने आती है। इसके साथ और भी मुश्किलें हो सकती हैं।
आप लंबे समय तक कम्प्यूटर पर काम करते हैं और अक्सर सिरदर्द, कमर या फिर गरदन दर्द से परेशान हो जाते हैं? कहीं फेसबुक की 'लतÓ के चलते आपकी आंखों में आंसू और लाली की समस्या तो नहीं रहती? यदि हां, तो सावधान हो जाएं! यह सब एक बड़ी समस्या का एक छोटा हिस्सा भर है! गलत पोस्चर और अत्यधिक कम्प्यूटर इस्तेमाल करने की वजह से होने वाली ये समस्याएं आपके शरीर को इतना नुकसान पहुंचा सकती हैं कि आप इसकी भरपाई भी नहीं कर पाएंगे।
गलत पोस्चर है घातक
देर तक, गलत पोस्चर में काम करने और लगातार की-बोर्ड पर अंगुलियां चलाने से आपकी आंखों पर बहुत तनाव पड़ता है। इससे नर्व और हड्डी से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं। शारीरिक गतिविधियों से तरल पदार्थों का प्रवाह बना रहता है और कार्टिलेज स्वस्थ रहते हैं और हड्डियां तंदुरुस्त। गलत पोस्चर में हर दिन 4 घंटे से अधिक बैठने से जोड़े उत्तरोत्तर क्षतिग्रस्त होते हैं - परिणामत: घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचता है।
देर तक कम्प्यूटर पर काम करने से लिगामेंट में सूजन की समस्या हो सकती है और शरीर के नर्म ऊतक भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। लोगों में बार-बार एक ही काम करने की संवेदना अलग-अलग हो सकती है, पर इससे हर किसी में अक्षमता पैदा हो सकती है।
कम्प्यूटर के देर तक इस्तेमाल करने की वजह से एक बड़ी समस्या 'रिपीटिटिव स्ट्रेन इंजरीÓ है। गलत तरीके से बार-बार एक ही काम करने से संबंधित अंग में तनाव पैदा होता है, जैसे अत्यधिक की-बोर्ड के इस्तेमाल से कलाई का दर्द।
सतर्कता है जरूरी
कम्प्यूटर संबंधी बीमारियों की रोकथाम या उससे मुक्ति पाने के लिए सबसे अच्छा उपाय लोगों को कम्प्यूटर के इस्तेमाल के बारे में जागरूक बनाना है। मॉनिटर और की-बोर्ड को सही स्थिति में रखना और अपना पोस्चर सही रखना। यह स्थिति काफी लाभदायक है। इससे मांसपेशी के सूजन की समस्या कम हो सकती है।
डेस्कटॉप है बेहतर
डेस्कटॉप का उपयोग लैपटॉप के मुकाबले कम खतरनाक है। लैपटॉप में स्क्रीन और की-बोर्ड जुड़े होने से शरीर का पोस्चर अपने-आप बिगड़ जाता है, जिससे कमर दर्द रहता है। डेस्कटॉप पर काम करते वक्त कलाई को सीधे रखें और कोहनी को करीब 90 डिग्री पर रखना चाहिए।
गर्दन और कंधे के दर्द से बचे रहेंगे
मॉनिटर, माउस और वह पेपर डाक्युमेंट, जिससे आप कॉपी कर रहे हैं, यदि सही स्थिति में रहें तो गरदन और कंधे के दर्द या अकडऩ में कमी आ सकती है। टाइप करते वक्त कंधे और कान के बीच फोन दबा कर बात करने से भी गरदन और कंधे का दर्द बढ़ता है।
फर्नीचर का डिजाइन अनुरूप होना जरूरी है। कुर्सी का पिछला हिस्सा कंधे की ऊंचाई तक हो। साथ ही, कुर्सी की ऊंचाई बढ़ाने की सुविधा हो। गलत कुर्सी की वजह से भी पोस्चर गलत होता है और आप कुर्सी में धंस कर बैठते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है।
कैसी हो आपकी कुर्सी
आपकी कुर्सी इतनी ऊंची हो कि आप पैर को फर्श पर रखें तो आपके घुटने 90 डिग्री के एंगल पर हों। ध्यान रहे, टाइपिंग के वक्त आपकी बांहें भी 90 डिग्री की एंगल बनाएं। कमर को टिकाते वक्त यह एंगल 20 डिग्री अधिक हो, यानी आपकी कमर कुछ पीछे की ओर 110 डिग्री के एंगल पर हो।
लगातार ज्यादा देर काम न करें
देर तक कम्प्यूटर पर काम करने की आदत हो तो आंखों पर जोर पड़ता है। आंखों में थकान होती है और इससे कई बार धुंधला दिखाई देने की समस्या सामने आती है। इन लक्षणों को इक_े कम्प्यूटर विजन सिण्ड्रोम कहते हैं। इससे बचने के कुछ आसान उपाय हैं।
मॉनिटर पर लगातार न देखें
एकटक स्क्रीन को देखने से आंखों की नमी पर बुरा प्रभाव पडम्ता है। आंखों की नमी बनाए रखने हेतु बार-बार पलक झपकाना जरूरी है। आप हर एक घंटे पर अपनी आंखों को 5-10 मिनट तक मूंद कर रखें, ताकि आंसू की परत फिर से तैयार हो जाए।
मॉनिटर की चमक कम करने से भी विजन सिण्ड्रोम से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। कम्प्यूटर से बिल्कुल सट कर नहीं बैठें। काम करते वक्त तन कर बैठें। कम्प्यूटर के स्क्रीन का बैकग्राउण्ड हल्के रंग का रखें। हर आधे घंटे पर दस सेकेंड हेतु स्क्रीन से नजर हटा लेना भी बहुत लाभदायक है।






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