Tuesday, April 16, 2013
सरल नाड़ीशोधन प्राणायाम बनाए नाड़ी को मजबूत
नाडियां कमजोर हों तो अनेक बीमारियां परेशान कर सकती हैं। थकावट, कमजोरी, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओं के लिए नाड़ी दुर्बलता काफी हद तक जिम्मेदार होती है। कुछ आसन और प्रायाणम आपकी नाडियों को मजबूती दे सकते हैं।
आज की इस भागदौड़, तनावग्रस्त तथा आरामतलब जिन्दगी में नाड़ी दुर्बलता जैसी बीमारियां बहुत लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। थकावट, कमजोरी, चिड़चिड़ापन, हताशा, निराशा, भय, असुरक्षा तथा किसी काम में मन न लगने आदि जैसी समस्याएं इसका प्रमुख लक्षण हैं। आज अधिकांश लोग इस समस्या से पीडित हैं। वस्तुत: यह समस्या मनोकायिक है, जिसका योग के अतिरिक्त कहीं अन्यत्र स्थायी समाधान नहीं है। इस समस्या के निदान हेतु यहां बताई गई यौगिक क्रियाएं बहुत लाभदायक हैं-
आसन
नाड़ी दुर्बलता की समस्या को दूर करने के लिए सर्वागासन तथा शीर्षासन बहुत प्रभावकारी हैं। किन्तु प्रारम्भ में अन्य सरल आसनों जैसे-सूर्य नमस्कार, जानु शिरासन, पश्चिमोत्तानासन, मेरुवक्रासन, राजकपोतासन, उष्ट्रासन तथा उत्तानासन आदि में दक्षता प्राप्त कर ही सिर के बल खड़े होने वाले आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
उष्ट्रासन की अभ्यास विधि
घुटने के बल जमीन पर खड़े हो जाएं। दोनों घुटनों के मध्य आपस में एक फुट तथा दोनों पंजों के बीच भी एक से डेढ़ फुट का अंतर रखें। अब दाएं हाथ को पीछे ले जाकर दाएं पैर की एड़ी पर रखं। इसी प्रकार बाएं हाथ को बाएं पैर की एड़ी पर रखें। नितम्ब तथा कमर को आगे की ओर इस प्रकार धकेलें कि रीढ़ की आकृति ऊंट की रीढ़ जैसी बन जाए। इस स्थिति में श्वास-सामान्य रखते हुए आरामदायक स्थिति तक रुकें। इसके पश्चात वापस पूर्व स्थिति में आएं।
प्राणायाम
नसों-नाडियों को सशक्त करने हेतु सरल कपालभाति, नाड़ी शोधन तथा उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। यदि नियमित रूप से नाड़ीशोधन का अभ्यास किया जाए तो उस समस्या को बहुत कम समय में जड़ से हटाया जा सकता है।
सरल नाड़ी शोधन की अभ्यास विधि
ध्यान के किसी आसन जैसे-पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन या कुर्सी पर रीढ़, गला व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दाएं हाथ के अंगूठे से दांयी नासिका को बन्द कर बायीं नासिका से एक गहरी तथा धीमी श्वास अन्दर लें। अब बायीं नासिका को बंद कर दायीं नसिका से एक गहरी तथा धीमी श्वास बाहर निकालें। पुन: दायीं नासिका से श्वास अन्दर कर बायीं नासिका से श्वास बाहर निकालें। यह नाड़ी शोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति है। प्रारंभ में इसकी 12 आवृतियों का अभ्यास करें। धीरे-धीरे इसकी आवृति अपनी क्षमतानुसार बढ़ाते जाना चाहिए।
आहार
सुपाच्य तथा संतुलित भोजन खूब चबा-चबाकर खायें। दूध, दही, म_ा, लस्सी, अंगूर, संतरे तथा मौसमी का रस पियें। हरी सब्जियों तथा सलाद पर्याप्त मात्रा में लें।
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