Sunday, May 12, 2013

फूड, फैट और फिटनेस



बच्चों को कोई खा- पदार्थ खाने से मना नहीं करना चाहिए। इसके बजाय उन्हें यह समझा सकती है कि अमुक वस्तु तुम्हारी सेहत के लिए अच्छी रहेगी और अमुक नहीं..
 बाल्यावस्था के दिन बेफिक्री के होते है। मौजमस्ती और नटखटपन इस अवस्था के प्रमुख गुण होते है। इस अवस्था में शरीर का विकास भी होता है। इसलिए बाल्यावस्था में खानपान पर समुचित ध्यान देना जरूरी है। इससे बच्चों का सही तरह से शारीरिक व मानसिक विकास हो सकता है। खानपान के अलावा उन्हे व्यायाम की भी जरूरत होती है। यह अभिभावकों का फर्ज है कि वे अपने बच्चों में अच्छी सेहत के प्रति सजगता की आदत बचपन से ही डालें।
 परीक्षण करे 
 आपका बच्चा (6-12 साल) शारारिक-मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है या नहीं, इस बात का परीक्षण करने के लिए इस चेकलिस्ट पर गौर फरमाएं
 - क्या आपका बच्चा सुस्त रहता है
 - क्या वह तुनुक-मिजाज है
 - रोजमर्रा में उसे भूलने की आदत है
 - पढऩे-लिखने में मन कम लगता है
 - वह बेचैन रहता है
 - उसका शैक्षिक प्रदर्शन अच्छा नहीं है
 यदि आपके बच्चे में उपर्युक्त लक्षणों में से दो से अधिक लक्षण है तो यह समझें कि उसे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त नहीं हो रहे है।
 सामान्य समस्याएं 
 बाल्यावस्था में मोटापा, वजन कम होना, एनीमिया और दांतों संबंधी समस्याएं पैदा होती है। कुछ बच्चों में अपनी उम्र के बच्चों या अन्य लोगों के साथ घुलने-मिलने में दिक्कत होती है।
 मोटापा 
 देश में बाल्यावस्था में होने वाले मोटापे की समस्याएं बढ़त पर हैं। आप बच्चे में खानपान से संबंधित अच्छी आदतें डालकर उन्हे मोटापे से ग्रस्त होने से बचा सकती है। जैसे उन्हे शुगर युक्त खाद्य पदार्थो से दूर रखना और आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर बढ़ाना। एक अभिभावक होने के नाते आपको बच्चे को यह बताना चाहिए कि उसे मिठाइयों व उन पेयों से दूर रहना चाहिए, जिनमें शुगर ज्यादा रहती है। बच्चे को फल व कच्ची सब्जियां खाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि पहले से ही आपका बच्चा मोटा है तो उसे खेलों व अन्य शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
 वजन कम होना 
 कुछ बच्चों का वजन लंबाई के अनुपात में काफी कम होता है। कुछ बच्चों की आदत कम खाने की होती है। उनकी यह प्रवृलि अभिभावकों के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। ऐसे बच्चों के बारे में अभिभावकों को यह बात मालूम करनी चाहिए कि उन्हे कौन से खाद्य पदार्थ पसंद है। संभव है कि पसंदीदा वस्तु न होने के कारण वे कम खाते हों। उन्हे प्यार से फुसलाकर विविधतापूर्ण हेल्दी भोजन दें। अगर बच्चे का वजन कम है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप उसे शुगरयुक्त खाद्य पदार्थो व पेयों को पीने की अनुमति प्रदान करे। कारण, हेल्दी आहार ग्रहण करने की बात मोटे और पतले दोनों पर ही लागू होती है।
 दांतों की समस्या 
 दांतों में कीड़ा लगना एक आम समस्या है। इस समस्या से बचने के लिए बच्चों में यह आदत डालें कि वे रात में भी सोने से पहले टूथब्रश करें। साथ ही उन्हे शुगरयुक्त खाद्य पदार्थो को कम से कम खाने की सलाह दें।
 एनीमिया 
 शरीर में आयरन की कमी से रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर काफी कम हो जाता है। एनीमिया से ग्रस्त बच्चे थोड़ा सा काम करने पर थकान महसूस करने लगते है। उनके शरीर में चुस्ती-फुर्ती नहीं रहती। इसके चलते बच्चों की मानसिक क्षमता भी कम होने लगती है। एनीमिया की कमी दूर करने के लिए बच्चों को हरी पलेदार सब्जियां दें। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स भी दें। इनमें आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
 नाश्ता बहुत जरूरी है 
 सुबह का नाश्ता करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करे। ज्यादातर बच्चे स्कूल जाने से पहले अच्छी तरह नाश्ता नहीं करते। बच्चों को संतुलित-पौष्टिक नाश्ता करवाकर ही स्कूल भेजें। बच्चे को दिन में तीन मुख्य आहार और दो से तीन बार स्नैक्स जरूर देने चाहिए।
 स्नैक्स 
 इसका सबसे अच्छा विकल्प फल है। साथ ही उन्हें ड्राई फ्रूट्स और दही भी दे सकती है।
 स्कूल में 
 ज्यादातर स्कूल की कैंटीन में खानपान की हेल्दी वस्तुएं उपलब्ध नहीं होतीं। समोसा, बर्गर आदि वस्तुएं ही उपलब्ध होती है। ये वस्तुएं कभी-कभी खाई जाएं तो अच्छा है। बेहतर रहेगा कि बच्चे को टिफिन देकर ही स्कूल भेजें।
 हेल्दी हैबिट्स 
 - खाना खाते समय बच्चे को टीवी न देखने दें। इससे खाने की ओर से उनका ध्यान बंटता है। उन्हे समझाएं कि खाना खाते समय पूरा ध्यान खाने पर ही लगाएं।
 - हेल्दी फूड ग्रहण करने की आदत बच्चा घर से ही सीखता है। इस संदर्भ में अभिभावकों को हेल्दी फूड ग्रहण कर बच्चों के समक्ष खुद को रोल मॉडल के तौर पर पेश करना चाहिए।
 - खानपान के संदर्भ में बच्चे के समक्ष कई विकल्प पेश करने चाहिए। मसलन यदि बच्चा केला नहीं खाना चाहता तो उसे सेब दें। पपीता नहीं खाना चाहता तो गाजर दें।

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