Sunday, April 21, 2013

परिवार की ख़ुशहाली के लिए अपनाएं वास्तु


यदि हम वास्तुशास्त्र के नज़रिये से देखने का प्रयास करे तो हम यह पाएंगे कि वास्तु के सिद्धांतों को बनाने एवं समाज द्वारा उनके पालन के पीछे जितने भी उद्देश्य रहे है, उनमें एक अहम बात होती थी कि परिवार के बीच आपसी प्रेम, सद्भावना, अपनापन एवं सम्मान बना रहे।
आज हम चाहे कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं परंतु निश्चित रूप से एक बात तो कभी न कभी हर किसी के मन में आती होगी कि पुराने ज़माने में परिवार में ़ज्यादा लोग होते थे और आर्थिक साधन बहुत सीमित होते थे। फिर भी परिवार के सभी सदस्यों के बीच बेहद अपनत्व और स्नेह होता था। यदि हम वास्तुशास्त्र के नज़रिये से देखने का प्रयास करे तो हम यह पाएंगे कि वास्तु के सिद्धांतों को बनाने एवं समाज द्वारा उनके पालन के पीछे जितने भी उद्देश्य रहे है, उनमें एक अहम बात होती थी कि परिवार के बीच आपसी प्रेम, सद्भावना, अपनापन एवं सम्मान बना रहे। पहले लोग मकान बनवाते समय वास्तु के सिद्धांतों का ध्यान ज़रूर रखते थे। हालांकि आज के संदर्भ में उन सभी प्राचीन सिद्धांतों को व्यवहार में लाना पूरी तरह संभव नहीं, फिर भी उनमें से ़ज्यादातर बातें तो आज भी प्रासंगिक है। अत: जहां तक संभव हो आप परिवार की खुशहाली के लिए वास्तु सिद्धांतों का पालन करें।
1. यदि आपका भवन केवल एक ही तल वाला हो या फिर अगर किसी मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में आपका फ़्लैट हो तो उसके पश्चिमी या फिर दक्षिणी भाग में बुज़ुर्गो एवं हमारे वरिष्ठतम सदस्यों जैसे दादा-दादी या फिर माता-पिता का कमरा होना चाहिए।
2. इसके विपरीत बच्चों के रहने के लिए बाकी सभी दिशाएं उपयुक्त है।
3. यह ध्यान रखें कि परिवार के सभी सदस्यों के बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसे स्थान केवल तभी मिल सकते है, जब प्रत्येक कमरा आगे-पीछे या खुले स्थान से मिलता हो। यदि प्रकाश की ़ज्यादा व्यवस्था न हो पाए तो खिड़की के साथ रोशनदान ज़रूर बनाएं।
4. प्राकृतिक प्रकाश से सोचने का तरीका सकारात्मक बनता है व किसी के प्रति वैमनस्य की भावना नहीं पनपती।
5. पूजा-पाठ, जप, कथा, प्रवचन एवं ऐसे ही अन्य धार्मिक कृत्यों के लिए यों तो संपूर्ण पूर्व दिशा उत्तम है, फिर भी ऐसे सभी शुद्ध कार्यो के लिए पूर्वोत्तर दिशा सर्वोत्तम है।
6. परिवार के सभी बड़े सदस्यों को चाहिए कि वे सभी बच्चों व अन्य सदस्यों में ऐसी परंपरा विकसित करे कि चाहे थोड़े ही क्षणों के लिए सही, परंतु सभी लोग भगवान के समक्ष नतमस्तक होना सीखें। इससे सभी के मन को शांति मिलती है और अहंकार की भावना से ऊपर उठकर सभी लोग परस्पर एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रखते है।
7. सुबह बिस्तर से उठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बड़ों के चरण स्पर्श करना एक ऐसी शक्ति रखता है कि इससे परिवार में एकता की भावना मजबूत होती है।
8. इसी प्रकार रात को सोने से पहले बड़ों का आशीर्वाद लेने से आयु, विद्या एवं वंश बढ़ता है। परंतु ऐसे संस्कारों को यदि हम अपने परिवार के संदर्भ में पूर्णत: चरितार्थ होते देखना चाहते है तो सबसे पहले बड़े सदस्यों को भी इसकी शुरुआत करनी होगी। तभी यह परंपरा हम भावी पीढ़ी को हस्तांतरित कर सकेंगे।
9. यदि आपका मकान एक से अधिक तल वाला है तो आयु में बड़े सदस्यों को ऊपर के तल पर एवं कम उम्र के सदस्यों को नीचे वाले तल पर रहना चाहिए। अर्थात बड़ों के पांव के नीचे के भाग में छोटे सदस्य रहें तो उत्तम है। अगर परिवार के बुज़ुर्ग सीढिय़ां चढऩे-उतरने में असमर्थ हों तो उन्हे नीचे वाले तल में में रहना चाहिए।
10. पूरे परिवार की एकजुटता के लिए यह भी ध्यान रखें कि आपका डाइनिंग रूम घर के पूर्व, उत्तर या दक्षिण-पूर्व दिशा में हो।
11. इसके साथ ही यह आवश्यक है कि परिवार के सभी सदस्य 24 घंटे में से किसी एक समय का भोजन एकसाथ बैठकर करे। इस समय बुज़ुर्ग व्यक्तियों को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
12. भोजन करते समय परिवार के सभी सदस्य टीवी आदि न देख कर परस्पर बातें करे व अपनी दिनचर्या, उपलब्धियों व ऐसे ही अन्य क्रियाकलाप के विषय में सामान्य या फिर प्रसन्नतापूर्ण बातों की चर्चा करे। ध्यान रहे कि कोई भी अप्रिय विषय न उठाया जाए। इस तरह वास्तु सिद्धांतों को अपनाना वास्तव में परिवार को एक सूत्र में पिरोए रखने में सहयोगी होगा।





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