Sunday, April 21, 2013

दर्दों की दवा फिजियोथेरेपी


कभी कमर में दर्द तो कभी पीठ में, कभी कंधे में तो कभी गर्दन में। राजधानी की मशीनी होती जिंदगी में ये तकलीफें आम हैं। कई बार इनकी वजह कोई अंदरूनी चोट भी होती है, लेकिन इनसे आराम और मुक्ति के लिए आजकल फिजियोथेरेपी काफी लोकप्रिय हो रही है। दवा खाने की टेंशन और साइड इफेक्ट से दूर यह थेरेपी लगभग हर बीमारी में कारगर साबित होती है।
आम तौर पर लोग यही सोचते हैं कि फिजियोथेरेपी सिर्फ खिलाडिय़ों के लिए होती है, लेकिन सच यह है कि बड़े काम की है यह थेरेपी और इस थेरेपी का लाभ कोई भी उठा सकता है। जोड़ों और हड्डियों के साथ-साथ दिल और दिमाग को भी स्वस्थ करती है फिजियोथेरेपी।
रोजाना चलने और थोड़ा बहुत शारीरिक काम करने से पूरी तरह शरीर की एक्सरसाइज नहीं हो पाती। ऐसे में मांसपेशियों का सही संतुलन नहीं बन पाता। आज हमारी जीवनशैली कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल जैसे लग्जरी और आरामप्रद गैजेट्स में सिमट कर रह गई है। इस कारण एक ही मुद्रा में कई घंटे तक बैठे रहना कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों का रूप ले रहा है। पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द, गर्दन का दर्द, बांहों और कंधों में दर्द आमतौर पर लगातार एक ही स्थिति में बैठे रहने के कारण पैदा होता है। लोगों में यह गलतफहमी है कि जिम जाकर व्यायाम करना हमेशा फायदेमंद होता है। आपके शरीर के लिए कौन-सा व्यायाम उपयुक्त है, यह भी आपके ही शरीर पर निर्भर करता है, इसलिए रोजाना किया जाने वाला हल्का-फुल्का व्यायाम ही आपके शरीर के लिए बेहतर साबित होता है। फिजियोथेरेपिस्ट की मानें तो अपने शरीर के लिए व्यायाम चुनने से पहले डॉक्टर से राय जरूर लेनी चाहिए। यदि आप किसी भी रोग या दर्द से पीडि़त हैं तो बिना फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह के कोई भी व्यायाम करना आपके रोग को और बढ़ा सकता है। इसलिए शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले दर्द और मांसपेशियों का उचित संतुलन बनाए रखने के लिए फिजियोथेरेपी की मदद लें। इस पद्घति में सिकाई और व्यायाम के माध्यम से आप अपने दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।
क्या है फिजियोथेरेपी
दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवा लेना ही काफी नहीं होता। इसके अलावा भी कई ऐसी थेरेपी हैं, जो बिना दवा के ही आपको दर्द से मुक्ति दिला सकती हैं। फिजियोथेरेपी ऐसी ही एक थेरेपी है। फिजियोथेरेपी को फिजिक्स ट्रीटमेंट भी कहते हैं। यह मेडिकल साइंस की ही एक शाखा है। इसमें इलाज का एक अलग तरीका होता है, जिसमें एक्सरसाइज, हाथों की कसरत, पेन रिलीफ मूवमेंट द्वारा दर्द को दूर किया जाता है। इस थेरेपी का उद्देश्य रोग के कारणों को जान कर उस रोग से मरीज को मुक्त करना है। यह थेरेपी एक तरीके से शरीर को तरोताजा करने का काम करती है।
कई तरह की है यह थेरेपी
रॉकलैंड हॉस्पिटल के सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ़ संजय बताते हैं कि फिजियोथेरेपी में कुछ खास मूवमेंट्स से इलाज किया जाता है। फिजियोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाले सभी व्यायाम आसान होते हैं और इनका चुनाव मरीज की स्थिति और उम्र को देखकर किया जाता है।
एक्टिव मूवमेंट
यह ट्रीटमेंट उन मरीजों के लिए होता है, जो एक्सरसाइज करने में सक्षम होते हैं। ऐसे मरीज के शरीर की अकडऩ को दूर करने और मसल्स की ताकत वापस लाने के लिए हल्के-फुल्के व्यायाम का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज और डिवाइस के जरिए फेफड़ों की क्षमता को बढ़ा कर फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा गायनी समस्याओं जैसे कंसीव समस्या, मां बनने के बाद और कई अन्य समस्याओं में भी यह उपयोगी साबित होती है।
पैसिव मूवमेंट
कुछ मरीजों को ऑपरेशन के बाद बेड से उठने में परेशानी होती है। ऐसी कई अन्य बीमारियां हैं, जिनमें मरीज बिस्तर पर पड़े रहना पसंद करते हैं। ऐसे मरीज का इलाज पैसिव मूवमेंट से किया जाता है। शरीर में आई स्टिफनेस को गर्मी देकर व्यायाम करवाया जाता है, जिससे शरीर की मसल्स की स्टिफनेस कम हो जाती है और शरीर में फिर से मूवमेंट शुरू हो जाती है।
कॉन्टिन्यूअस पैसिव मूवमेंट
इसमें कई तरह से हीट के जरिये मरीज का उपचार किया जाता है। इसमें कई बार हाथों के प्रयोग से व्यायाम करवाया जाता है तो कई बार आधुनिक तरीकों से मशीन का इस्तेमाल करके इलाज किया जाता है। इसके अलावा फिजियोथेरेपी में हॉट पैक, आइस पैक और हाइड्रो थेरेपी भी शामिल होती है। जैसी तकलीफ वैसा इलाज, लेकिन बिल्कुल अचूक।
कई बीमारियों में फायदेमंद 
किस बीमारी में किस तरह की थेरेपी देनी है, यह मरीज की स्थिति, उसकी तकलीफ, उसकी जीवनशैली आदि को ध्यान में रख कर तय किया जाता है। फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल आमतौर पर हड्डियों और जोड़ों की समस्या, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, लकवा, सर्वाईकल, स्पॉन्डिलाइटिस, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, कार्डियो समस्या, स्पोर्ट्स इंजरी, न्यूरो से संबंधित समस्या, वजन नियंत्रण और महिलाओं की समस्या में किया जाता है। फिजियोथेरेपी के तरीके अलग-अलग इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इलाज अचूक है।
खुद उठाएं इसका लाभ
लगभग हर बीमारी में फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल होने लगा है। आमतौर पर डॉक्टर ही मरीजों को फिजियोथेरेपी के लिए भेजते हैं। लेकिन अब बहुत से लोग जागरूक हैं और खुद ही इस थेरेपी का लाभ उठाने लगे हैं। फिजियोथेरपी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल महिलाओं और बुजुर्गों द्वारा किया जाता है। दिल्ली में लगभग 70-80 प्रतिशत बुजुर्ग इस पद्घति का लाभ उठाते हैं। वयस्कों में इस थेरेपी का इस्तेमाल करने वाले लगभग 40-50 प्रतिशत लोग हैं, जिन्हें एक्सीडेंट आदि के बाद इसकी सलाह दी जाती है। बच्चों में जन्मजात समस्याएं जैसे पोलियो, दिमागी या शारीरिक विकास कम होने की स्थिति में इस थेरेपी का उपयोग किया जाता है और 10-20 प्रतिशत बच्चे फिजियोथेरेपी लेते हैं। महिलाओं में आमतौर पर 45 साल के बाद कई हारमोनल बदलाव आते हैं, जिनसे उनमें हारमोन असंतुलन, कैल्शियम की कमी, जोड़ों की समस्याएं आदि उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में महिलाओं को दवाओं से ज्यादा फिजियोथेरपी की आवश्यकता होती है।





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