Sunday, April 21, 2013

व्रत में सेहत से न करें खेल


मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों से पीडि़त लोगों को नवरात्र में व्रत रखने का आस्था से जुड़ा महत्वपूर्ण फैसला काफी सोच-विचार कर लेना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि खानपान व दिनचर्या में लापरवाही बरतने से ऐसे लोग कई स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं। इन समस्याओं को कैसे दें शिकस्त..
ऐलोपैथी का दृष्टिकोण
मधुमेह से ग्रस्त रोगियों को नवरात्र में व्रत रखने का महत्वपूर्ण फैसला काफी सोच-विचार कर और अपने डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लेना चाहिए। हालाकि व्रत रखने का फैसला निजी स्तर पर आस्था से जुड़ा है, लेकिन इस सदर्भ में मधुमेह पीडि़तों का मामला गैर मधुमेहग्रस्त व्यक्तियों से अलग है। ऐसा इसलिए, क्योंकि लापरवाही बरतने पर व्रत के दौरान मधुमेह रोगियों के समक्ष कई जटिलताएं और जोखिम पैदा हो सकते हैं।
कौन रखें व्रत और कौन नहीं
-ऐसे मधुमेह रोगी, जिनका दवाओं से मधुमेह नियत्रित है, वे कुछ सजगताएं बरतकर व्रत रख सकते हैं।
-ऐसे व्यक्ति जिन्होंने खान-पान व व्यायाम से मधुमेह को नियत्रण में रखा है, वे भी व्रत रख सकते हैं।
-जिन लोगों का ब्लड शुगर लेबल बमुश्किल नियत्रण में रहता है, उन्हें व्रत नहीं रखना चाहिए।
-इंसुलिन लेने वाले मधुमेह रोगियों को व्रत नहीं रखना चाहिए।
ऐसे करें नियत्रित
कुछ सुझावों पर अमल कर व्रत के दौरान मधुमेह का प्रबधन या नियत्रण किया जा सकता है। व्रत के दौरान लापरवाही बरतने से मधुमेह रोगियों को हाइपोग्लाइसीमिया और हाई ब्लड शुगर जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बावजूद इसके कुछ सुझावों पर अमल कर इन परेशानियों को नियत्रित किया जा सकता है
थोड़ी मात्रा में खाएं
मधुमेह से ग्रस्त रोगियों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में एक निश्चित अंतराल जैसे हर तीन या चार घटे पर कुछ न कुछ स्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। उन्हें खाने के मामले में लबा अंतराल नहीं रखना चाहिए और भूख से अधिक खाद्य पदार्थ ग्रहण नहींकरने चाहिए। जो लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं, उनके लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि खानपान के प्रति लापरवाही न बरतें। जो व्यक्ति डाइबिटीज से सबधित दवाएं ले रहे हैं, उन्हें तो खानपान में लबा अंतराल बिल्कुल नहीं रखना चाहिए। अगर इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति चद घटों के अंतराल पर स्वास्थ्यप्रद आहार लेते रहें, तो इससे उनके ब्लड शुगर का स्तर तेजी से बढ़ नहींसकेगा।
ऐसा हो खानपान
व्रत में मधुमेह से ग्रस्त व्यक्ति लौकी, कूटू के आटे से निर्मित रोटी कद्दू की सब्जी के साथ खा सकते हैं। कूटू का चीला, सावा का चावल खीरे के रायते के साथ, ताजा पनीर, दूध, मक्खन और नारियल का पानी भी इस रोग से पाीडि़त व्रत रखने वाले लोगों के लिए लाभप्रद है। एक नियमित अंतराल पर फल लें। स्नैक्स में बादाम और रोस्टेड मखाना भी ले सकते हैं।
शुगर की जाच: मधुमेह से ग्रस्त उपवास रखने वाले लोगों को दिन में कई बार रक्त में शुगर के स्तर की जाच करनी चाहिए।
तरल पदार्थ लें
मधुमेह से ग्रस्त लोगों को शरीर में पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है। ब्लड शुगर के स्तर के बढ़े होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए तरल पदार्थ (जैसे नारियल पानी, नीबू पानी और म_ा) पर्याप्त मात्रा में लें। इन्हें लेने से डीहाइड्रेशन की आशका खत्म हो जाती है।
डीहाइड्रेशन के लक्षण
-बहुत ज्यादा प्यास महसूस करना।
-भूख न लगना, थकान या कमजोरी महसूस करना।
-चिड़चिड़ापन।
-तेज सास चलना या फिर सास लेने में परेशानी महसूस करना।
उपर्युक्त सभी लक्षण शरीर में पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) से सबधित हैं। इन लक्षणों के प्रकट होते ही सचेत हो जाएं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें।
जमकर आहार ग्रहण न करें
एक बार की सिटिंग में जमकर भोजन करने से बचें। अनेक लोग हैं, जो नवरात्र व्रत के दौरान खाने-पीने पर नियत्रण नहीं रख पाते। कुछ लोग तो सामान्य दिनों की तुलना में व्रत के दौरान कुछ ज्यादा ही खाते-पीते हैं। जैसे वे तले हुए आलू, मखाने की खीर, साबूदाना की खिचड़ी व पकौड़ा आदि खाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे साबूदाना खिचड़ी और आलू टिक्की खाने से परहेज करें, क्योंकि इन खाद्य पदार्र्थो में रेशा या फाइबर कम और वसा अधिक मात्रा में पायी जाती है।
डॉक्टर का परामर्श
जब आप उपवास करने का सकल्प लेती/ लेते हैं, तो अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। डॉक्टर व्रत के दौरान ब्लडशुगर को नियत्रित करने के सदर्भ में आपको आवश्यक परामर्श देंगे। इसके अलावा वह आपकी दवा या इंसुलिन की डोज को भी नए सिरे से निर्धारित कर सकते हैं।
आयुर्वेद के आइने में
आध्यात्मिक लाभ के अलावा उपवास रखने से शरीर की शुद्धि भी होती है, लेकिन जो लोग मधुमेह उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर), हृदय रोग या खून की कमी (एनीमिया) जैसे रोगों से पीडि़त हैं, उन्हें नवरात्र में व्रत रखते समय खानपान में विशेष सजगताएं बरतने की जरूरत है।
भारी (गरिष्ठ) आहार से बचें
नवरात्र के दौरान उपवास रखने वाले लोग अक्सर तला हुआ आहार ग्रहण करते हैं। जैसे आलू, कूटू या सिघाड़े के आटे के पकौड़े, साबूदाना की कचौड़ी, साबूदाना खीर और टिक्की आदि खाते हैं। लगातार नौ दिनों तक गरिष्ठ भोजन करने से कई प्रकार के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा घटे खाली पेट न रहें
मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीडि़त रोगियों को अधिक समय तक भूखा नहीं रहना चाहिए। यदि वे पेट को खाली रखते हैं, तो प्रत्येक दो से तीन घटे के बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सुपाच्य भोजन करते रहना चाहिए। मधुमेह के रोगियों के लिए लौकी, कद्दू, तुरई जैसी सब्जिया या उनका सूप लेना चाहिए। पपीता, सेब, मौसमी या मुसम्मी, नाशपाती व बादाम का सेवन लाभप्रद है। चीनी (शुगर) और इससे निर्मित खाद्य पदार्र्थो और मीठे फलों जैसे केला आदि का सेवन न करें।
नमक के अधिक सेवन से परहेज
उच्च रक्तचाप से पीडि़त लोगों को विभिन्न प्रकार की नमकीन, आलू के चिप्स और अन्य नमकयुक्त खाद्य पदार्र्थो के अधिक सेवन से परहेज करना चाहिए। चाय, कॉफी अचार, मिर्च और तली हुई खाद्य वस्तुएं नहीं खानी चाहिए। खीरा, ककड़ी, केला, लस्सी और ताजा फलों का सेवन उच्च रक्तचाप से पीडि़त व्यक्तियों के लिए लाभप्रद है।
निर्जल उपवास न करें
मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीडि़त व्यक्तियों को निर्जल उपवास कदापि नहीं करना चाहिए। कुछ लोग पूरा दिन भूखा रहकर रात को हाई कैलोरी युक्त भोजन अधिक मात्रा में करते हैं। यह भोजन पूर्ण रूप से जल्दी नहीं पच पाता। इस स्थिति में अपच या बदहजमी की शिकायत पैदा हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप आतों में एक विशेष पदार्थ उत्पन्न होता है। इस पदार्थ को आयुर्वेद में आम(आंव) कहते हैं। अधिक मात्रा में आम बनने से शरीर में अनेक प्रकार के रोगों के पैदा होने की आशकाएं बढ़ जाती हैं। कुछ लोग कम मात्रा में भोजन करके या पूर्ण रूप से भोजन त्यागकर उपवास रखते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में धातुओं का क्षय, कमजोरी, थकान व अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
ये तरीका ठीक नहीं
कुछ लोग नवरात्र का व्रत वजन कम करने के लिए भी करते हैं। इसलिए वे पानी या तरल पदार्थ सूप या जूस पीते हैं या फिर केवल एक बार भोजन करते हैं। ऐसा करने से शरीर का न केवल मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है, बल्कि उनके शरीर में वसा (फैट) की मात्रा भी बढ़ती है। अधिक समय तक भूखा रहने से एसीडिटी की समस्या भी पैदा हो जाती है। इस कारण ब्लडप्रेशर भी अनियत्रित हो जाता है और ब्लडशुगर के कम होने की आशकाएं बढ़ जाती हैं। इसी कारण व्रत के दौरान हर दो-तीन घटे पर फल, सलाद, जूस आदि लेते रहना चाहिए।
इन बातों पर न करें अमल
कुछ लोग नवरात्र में दिन भर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। कई प्रकार के पैकेट फूड्स, फास्ट फूड्स, स्पेशल नवरात्र थाली और अनेक प्रकार के स्नैक्स बाजार में उपलब्ध होने के कारण नवरात्र में दिन भर खाने का चलन बढ़ गया है। इसलिए खान-पान पर सयम रखना जरूरी है, तभी उपवास का सही लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त नवरात्र के दौरान सतुलित भोजन करना अत्यत आवश्यक है।
ध्यान दें
-जो लोग किसी गभीर रोग से पीडि़त हैं, उन्हें उपवास नहीं करना चाहिए। जैसे हृदय, किडनी व सास से सबधित रोग और लिवर से सबधित बीमारी आदि।
-गर्भवती महिलाओं और बच्चे को स्तनपान कराने वाली माओं को भी उपवास नहीं रखना चाहिए।
डॉ.प्रताप चौहान आयुर्वेद चिकित्सक फरीदाबाद (हरियाणा)
प्राकृतिक चिकित्सा का नजरिया
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोग का एकमात्र कारण शरीर के किसी अंग में सचित विकार होते हैं। रोग का कारण उस सचित विकार की सड़ान (फर्मेन्टेशन) है। ऋतु या मौसम के परिवर्तन के दौरान फर्मेन्टेशन की यह प्रक्रिया तेज हो जाती है। इसीलिए हमारे ऋषियों ने साल के दो ऋतु परिवर्तनों यानी दशहरे की नवरात्र और रामनवमी की नवरात्र में उपवास करने का नियम बताया ताकि शरीर के विकार दूर हो सकें। इसके अलावा ऋषियों ने नवरात्र के दौरान आत्म-बल बढ़ाने के लिए उपासना का भी विधान बताया।
सच तो यह है कि उपवास को सही ढंग से करने पर शरीर निरोग होता है और गलत ढंग से करने से और भी बीमार होता है। प्रस्तुत हैं इस सदर्भ में कुछ सार्थक सुझाव
-नवरात्र में उपवास के दौरान दिन में तीन या चार बार नीबू-शहद का गुनगुना शर्बत पीना लाभप्रद है।
-उपवास रखने वाले व्यक्तियों को कूटू के आटे की पूडिय़ा, पराठे और पकोड़े आदि तले हुए खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए।
-सब्जियों का रस या सूप और फलों का जूस या सूप लेना लाभप्रद है।
-दिन में कम से कम चार से पाच लीटर शुद्ध जल का सेवन आवश्यक है।
-उपवास के दौरान कठोर श्रम या कठोर व्यायाम कदापि न करें।
-कब्ज के रोगी उपवास के दौरान त्रिफला चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
-उपवास तोड़ते वक्त अत्यधिक सावधानी रखें। भारी भोजन से उपवास न तोड़ें।
-उपवास के दौरान वायु के रोगियों (पेट में गैस बनने की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति) को कच्ची छोटी हरड़ (जंगहरड़) को सुबह-शाम कम से कम दो बार चूसना चाहिए।
-कफ के रोगियों को कच्ची अदरक चूसनी चाहिए।
-एसीडिटी के रोगियों को गरी का पानी या गरी चूसना चाहिए।

No comments:

Post a Comment