Sunday, April 21, 2013
ठोस आहार की हो सही शुरुआत
बच्चे को जब आप ठोस आहार देना शुरू करती हैं, तब आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। सतर्कता का अभाव बच्चे को बीमार कर सकता है या उसके शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
10 महीने के आहान की मां निशिता अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ से मिलने के बाद काफी दुखी व चिंतित हो गईं। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उसका बेटा एनीमिया से ग्रस्त है, क्योंकि उसके रक्त में आयरन की कमी है। निशिता समझ नहीं पाईं कि ऐसा कैसे हो गया। दरअसल, वे माएं जो अपने बच्चे को ठोस आहार खिलाना शुरू करती हैं, उनके लिए यह फैसला करना आसान नहीं होता कि बच्चे को कब, क्या और कितना खाना देने की जरूरत है। पर थोड़ा-सा ध्यान देने से यह बदलाव सरल हो जाता है। छह महीने से पहले तक मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम होता है, लेकिन इसके बाद जब बच्चे को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है तो शरीर में पोषक तत्वों की कमी की शिकायत अकसर हो जाती है। इसलिए बच्चे की आहार योजना बनाते वक्त कई बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
भीतर छुपी समस्या
निशिता का अनुभव बड़ी संख्या में भारतीय माताओं के अनुभव को दर्शाता है। छह महीने के बाद बढ़ते बच्चे की क्या आवश्यकताएं हैं, इस बारे में अधूरी जानकारी के चलते विकसित होते बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की कमी रह जाती है। यह देखा गया है कि छह महीने के बाद बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता, क्योंकि अब तक मां के दूध से आयरन, प्रोटीन, जिंक, विटामिन व कैल्शियम जैसे पोषक तत्व उन्हें मिलते थे, वो अब ठोस आहार से नहीं मिल पाते। अगर आपका बच्चा छह महीने का होने जा रहा है तो आपको सोचना शुरू कर देना चाहिए कि उसे खाने में आपको क्या-क्या देना है। छह महीने के बाद आपके बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताएं काफी अधिक हो जाती हैं और आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक खुराक मिले। आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि छह महीने के बच्चे का पेट उसकी मु_ी के बराबर होता है, इसलिए उसके लिए ज्यादा मात्रा में खा पाना संभव नहीं होता। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि बच्चे को थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाने के लिए दिया जाए।
ठोस आहार की शुरुआत, जानकारी के साथ
यह जानना महत्वपूर्ण है कि बच्चे को ठोस आहार देना धीम-धीमे बढऩे वाली प्रक्रिया है। खुराक कैलोरी व प्रोटीन से भरपूर होनी चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप ऐसे खाद्य पदार्थ चुनें, जिनसे बच्चे की जरूरतें पूरी हो सकें। शुरुआत में आप अपने शिशु को कोमल कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ दे सकती हैं, जैसे कि सूजी की खीर, घी वाली खिचड़ी, दलिया, कुचला हुआ केला आदि। आपके शिशु के लिए इस उम्र में आयरन बेहद अहम है। जो शिशु मां के गर्भ में वक्त पूरा करके जन्म लेते हैं उसके शरीर में आयरन का भंडार छह महीनों तक रहता है। उसके बाद उसके शरीर से आयरन का भंडार कम होने लगता है और उसकी खुराक में आयरन जरूरी हो जाता है। इस लिहाज से आयरन युक्त खाद्य को खास महत्व देना चाहिए। आप कुचली हुई सब्जियों से शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे उसे अन्य चीजें खिलाएं। दालें, फलियां, अंकुरित दालें, ब्रोकली व बंदगोभी आयरन का अच्छा स्त्रोत हैं।
क्या है पोषक तत्वों की भूमिका
आयरन, बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास के अलावा हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए जरूरी है। हीमोग्लोबिन कोशिकाओं को ऑक्सीजन पहुंचाने व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
कैल्शियम व फॉस्फोरस, हड्डियों की बढ़त के लिए जरूरी है। बच्चे को प्रचुर मात्रा में कैल्शियम देने की सलाह दी जाती है, ताकि बाद में फ्रैक्चर आदि की आशंका कम हो।
विटामिन ए, विटामिन ई, आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी है।
प्रोटीन बच्चे की समग्र वृद्धि व विकास में केन्द्रीय भूमिका निभाता है। यह शरीर के ऊतकों के निर्माण व मरम्मत के लिए जरूरी हैं। प्रोटीन की कमी के चलते बच्चे की विकास गति धीमी पड़ सकती है।
कैलोरी से भरपूर खुराक अहम है, जिससे बच्चे की ऊर्जा संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं। अगर ऊर्जा की जरूरत पूरी न हो तो हो सकता है कि शरीर प्रोटीन को ऊर्जा के लिए प्रयोग करे और इससे बच्चे के विकास व वृद्धि पर विपरीत असर पड़ेगा।
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