Wednesday, April 24, 2013

थायरॉइड भी बन सकता है दिल की बीमारियों का कारण


आम तौर पर लोग थायरॉइड की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते लेकिन इसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन का स्तर अनियमित हो जाता है जिससे दिल की बीमारियां, हार्ट अटैक, अवसाद और आर्थरोस्क्लेरोसिस की आशंका बढ़ जाती है।

इंडियन मेडिकल असोसिएशन के संयुक्त सचिव डॉ. रवि मलिक ने बताया गले में पाए जाने वाली अंत:स्त्रावी ग्रंथि थायरॉइड से निकलने वाला हार्मोन थायरॉक्सिन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी कारण यह हार्मोन कम या ज्यादा प्रड्यूस होने लग जाए तो थायरॉइड की समस्या हो जाती है। थायरॉक्सिन का उत्पादन कम होने पर व्यक्ति को हाइपोथायरॉइड और उत्पादन अधिक होने पर हाइपरथायरॉइड की समस्या हो जाती है।

उन्होंने बताया आम तौर पर लोगों को हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है। दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन इसका समय रहते पता चलना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वरना यह बीमारी खतरनाक हो सकती है। जिन बच्चों को हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है उनका मानसिक विकास बाधित होने की आशंका अधिक होती है क्योंकि थायरॉक्सिन हार्मोन दिमाग के विकास के लिए बहुत जरूरी है।

इंडियन थायरॉइड सोसायटी के अध्यक्ष व कोच्चि स्थित अमृता इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. आर वी जयकुमार ने बताया यह कड़वा सच है कि हाइपोथायरॉइड के चलते कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन का लेवल अनियमित हो जाता है और करीब 90 फीसदी मरीज डिस्लिपीडीमिया के शिकार हो जाते हैं।










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