Thursday, April 25, 2013

डिंपी बनी डॉक्टर


जंबो ने जंगल में कदम रखा तो परेशान हो गया। हर तरफ गंदगी, इतनी गंदगी कि उसे मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ गया। जंगल के जानवर गंदगी में सो रहे थे, वहीं पड़ा खाना भी खा लेते थे। जंबो को चलते-चलते खांसी होने लगी।
डिंपी बंदरिया सरकस में काम करती थी। ऊंची कूद लगाना, जलते टायर में से भाग कर निकलना, अपनी कमर पर हाथ रख कर ठुमक-ठुमक कर नाचना उसे खूब आता था। एक बार उनका सरकस एक नदी के पास लगा। नदी में बाढ़ आ गई और सरकस का तंबू ही उखड़ गया। सभी जानवर जान बचा कर भागने लगे। डिंपी तो एक पिंजड़ें में बंद थी। पिंटो रीछ को उस पर दया आ गयी। उसने पिंजड़े का दरवाजा खोल दिया। डिंपी ने फटाफट पिंजड़े से भागने में भलाई समझी। दौड़ते-भागते डिंपी और पिंटो जंगल में आ गए।
जंगल की जिंदगी डिंपी के लिए बिलकुल अनोखी थी। जब चाहे उठ सकते थे, जहां चाहे जा सकते थे। कोई डांटने वाला ना था, ना कोई मारने वाला। बस एक दिक्कत थी। सरकस में समय-समय पर खाना मिल जाता था। जंगल में अपना खाना खुद जुटाना पड़ता था। शुरू-शुरू में डिंपी को बहुत दिक्कतें आईं। उसे पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर गुलटियां खाना आता था, लेकिन वहां से जामुन या आम तोड़ना नहीं आता था।
लेकिन एक काम जो उसे सबसे अच्छे से आता था वो था सफाई से रहना। डिंपी को सरकस के अनुशासन की आदत थी। वह रोज सबेरे उठ कर अपने घर की सफाई करती। फिर नदी में जा कर नहा कर आती। रोज ही वह साफ धुले कपड़े पहनती। उसे देख कर उसके पड़ोस में रहने वाली अमि बंदरिया खूब हंसती और उसका मजाक उड़ाती। अमि बंदरिया और उसके तीनों बच्चे दिन भर धूल में पड़े रहते। बिना धोए फल और सब्जियां खाते और नहाने का तो नाम भी नहीं लेते।
बाढ़ के बाद जंगल में लगभग हर जानवर बीमार पड़ने लगा। अमि के घर में तो हर किसी की तबियत खराब हो गई। जब जंगल के लीडर रोनी शेर खुद बीमार पड़ गए, तो उन्होंने शहर से डॉक्टर जंबो हाथी को बुलवाया। जंबो ने जंगल में कदम रखा तो परेशान हो गया। इतनी गंदगी, इतनी गंदगी कि उसे मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ गया। जंगल के जानवर गंदगी में सो रहे थे, वहीं पड़ा खाना भी खा लेते थे। जंबो को चलते-चलते खांसी होने लगी। सड़क किनारे बुल्लू चीते का ढाबा था। जंबो वहीं बैठ गया। बुल्लू ने उसकी तरफ पानी का गिलास बढ़ाया, तो जंबो ने दूर से मना कर दिया। गिलास में धूल-मिट्टी जमा थी। जंबो ने धीरे से कहा, ‘तुम लोग ऐसा पानी पीते हो, इसीलिए तो बीमार पड़ते हो।’
बुल्लू चीते ने सोच कर कहा, ‘ओह, तब तो तुम्हारे लिए डिंपी से पानी मंगवाना पड़ेगा।’
बुल्लू के बुलाने पर डिंपी चली आई। उसके हाथ में एक फ्लास्क था। डिंपी को साफ-धुले कपड़े में देख कर जंबो की आंखों में चमक आ गई। डिंपी ने फ्लास्क से गिलास निकाल कर पहले उसे धोया, अपना हाथ धोया, फिर जंबो को पानी पिलाया। पानी पीते ही जंबो समझ गया कि डिंपी ने पानी उबाला है। जंबो खुश हो गया, उसने कहा, ‘जिस जंगल में डिंपी रहती है, वहां जानवरों को बीमार क्यों पड़ना चाहिए?’
डिंपी को जंबो रोनी के पास ले गया और रोनी को दवाई देने के बाद जंबो ने घोषणा की, ‘आज से इस जंगल में डिंपी जैसा कहेगी, सब वैसा ही करेंगे। डिंपी की तरह साफ-सफाई से रहेंगे तो कोई बीमार नहीं पड़ेगा।’
डिंपी के पास धीरे-धीरे जंगल के सभी जानवर साफ-सफाई के टिप्स सीखने आने लगे। सबसे पहले तो अमि आई और अमि ने कहा—आज से तुम्हें अपने खाने-पीने की चिंता करने की जरूरत नहीं। बस तुम हमारी हैल्थ का ख्याल रखो, हम तुम्हारा रखेंगे। कहते हैं कि इसके बाद से जंगल में कभी कोई बीमार नहीं पड़ा।





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