Thursday, April 18, 2013

मिठास हो तो ऐसी!


हम आए दिन टेलीविजन में शुगर फ्री, स्वीट्नर्स, शुगर फ्री खाद्य पदार्थों के कई विज्ञापन देखते रहते हैं। ये शुगर फ्री एक दूसरे तरह का मीठा होता है, जिनमें मिठास तो होती है, लेकिन इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है, जिससे आपके ब्लड शुगर पर कोई असर नहीं होता। आमतौर पर डायबिटिक और वजन कम करने वाले लोग ही इनका इस्तेमाल करते हैं।
शुगर फ्री यानी आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स मानव निर्मित कृत्रिम रसायन है, जिन्हें चीनी की जगह इस्तेमाल किया जाता है। आम भाषा में कहें तो इनमें मिठास चीनी की तरह ही होती है, लेकिन कैलोरी चीनी से बहुत कम होती है। इन आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स को ऐसे यौगिकों से बनाया जाता है, जिनमें चीनी के मुकाबले मिठास तो कई गुना होती है, लेकिन कैलोरी नहीं होती। कुछ प्रमुख आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स हैं एस्पार्टेम, सेचरीन, निओटेम, सुक्रालोज। इन स्वीट्नर्स का चीनी के स्थान पर सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। आजकल बाजार में मिठाई, सॉफ्ट ड्रिंक्स, चॉकलेट, पेस्ट्री और अन्य कई ऐसे उत्पाद हैं, जिनमें आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स का इस्तेमाल कर इन्हें शुगर फ्री बनाया जाता है, जिससे मधुमेह रोगी भी मीठे का लुत्फ उठा सकें।
शुगर फ्री के फायदे 
वजन कम करने में मिलती है मदद: शुगर फ्री यानी शुगर सब्सिटीटय़ूट वजन कम करने में आपकी मदद करते हैं। खाने-पीने की चीजों में आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल करने से कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ती, जिससे वजन नहीं बढ़ता।
दांत भी रहें सुरक्षित: शुगर फ्री दांतों के लिए भी फायदेमंद हैं। ये दांतों में प्लॉक नहीं जमने देते। दांतों में रहने वाले बैक्टीरिया सबसे ज्यादा चीनी के कारण ही होते हैं, लेकिन ये आर्टिफिशयल स्वीट्नर्स बैक्टीरिया पैदा नहीं होने देते।
मधुमेह भी रहे नियंत्रण में: आर्टिफिशयल शुगर शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं। ये मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है।
शुगर स्तर का करे नियंत्रण: हाइपोग्लाइसेमिया शरीर में उस इंसुलिन को बहुत तेजी से बनाता है, जो शरीर में ग्लूकोज को ग्रहण करके उसे रक्त में पहुंचाता है। लेकिन हाइपोग्लाइसेमिया को बेअसर करने में ये आर्टिफिशियल स्वीट्नर्स काफी मददगार साबित होते हैं।
चीनी के प्राकृतिक विकल्प
शहद और गुड़ प्राकृतिक चीनी के विकल्प हैं। लेकिन ये तभी ज्यादा फायदेमंद हैं, जब ये अनप्रोसेस्ड हों, क्योंकि प्रोसेस्ड शहद या गुड़ में चीनी से भी ज्यादा ग्लाइस्मिक इंडेक्स होता है। इसलिए मधुमेह रोगी बिना प्रोसेस्ड शहद या गुड़ का ही सेवन करें।
फल और फलों के रस में प्राकृतिक चीनी होती है। मधुमेह के मरीज होने के बावजूद आप सेब, अमरूद, पपीता, किवी, बेरी, जामुन और मौसमी जैसे फल खा सकती हैं।
मधुमेह रोगी अधिक से अधिक रेशेदार फलों व सब्जियों का सेवन करें। सलाद, बीन्स और हरी सब्जियों में ग्लाइस्मिक इंडेक्ट कम होता है, इसलिए ये मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है और इनसे कैलोरी भी नहीं बढ़ती। इस वजह से  वजन भी नियंत्रण में रहता है।
साबुत अनाज जैसे चोकर के साथ आटा, आटे में सोयाबीन और चने का आटा मिलाकर खाना भी फायदेमंद है। ब्राउन ब्रेड, ब्राउन या रेड राइस भी अच्छा विकल्प है।
मेवे जैसे अखरोट और बादाम में भी ग्लाइस्मिक इंडेक्स बहुत कम होता है और ये कैलोरी, वजन और खून में शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखने में बहुत मदद करते हैं।
तेल का कम से कम इस्तेमाल करें। अपने खाने में ऑलिव ऑयल या सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।
इन बातों का भी रखें खास ख्याल
लगातार चीनी न खाना भी आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इससे आपके शरीर में शुगर कम हो सकता है, जो सेहत की दृष्टि से खतरनाक है।
मीठे में आप ताजे फलों का सेवन करें या कोई ऐसी मिठाई लें, जिसमें फल शामिल हो। लेकिन याद रहे, आम, अनन्नास, लीची, अंगूर, चीकू और केले जैसे फल मधुमेह के रोगियों के लिए ठीक नहीं हैं। इनकी दो-तीन फांकों का ही सेवन करें।
अधिकतर मधुमेह रोगी मीठे में आर्टिफिशियल शुगर या किसी दूसरे विकल्प का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन याद रहे, इनके अत्यधिक सेवन के भी कई साइड इफेक्ट हैं।
बाहर का या पैक्ड फूड खाने से पहले उसके लेबल पर लिखी सामग्री को जरूर पढें। उनमें कितनी मात्रा में शुगर है, ये जांचकर ही उनका सेवन करें। इसके अतिरिक्त होटल या रेस्टोरेंट में कुछ भी खाने से पहले डिश में इस्तेमाल सामग्री को भी देखें।
घर में मीठा जैसे मिठाई, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि न रखें। ये चीजें आपकी भूख को ज्यादा बढ़ती हैं।
मीठे के स्थान पर मेवा, ताजा स्ट्रॉबेरी, फ्रूट सलाद, फ्रूट स्मूदी और ताजे फलों के रस का सेवन करें।


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