Tuesday, May 7, 2013

भूखा तो नहीं है आपका छोटू


बच्चों की यह मूल प्रवृलि होती है कि जब उन्हें भूख लगती है, तब वे प्राय: रोने लगते हैं। यही नहीं मांएं भी उन्हें तभी दूध पिलाती या कुछ खिलाती हैं, जब बच्चे रोना शुरू कर देते हैं। आपके लिए कुछ टिप्स जिनके जरिए आप अपने नन्हें-मुन्ने की भूख के बारे में जान सकती हैं।
 -आमतौर पर यही धारणा है कि शिशु अगर भूखा नहीं है तो वह आराम से खेलता रहेगा। अगर शिशु आराम से खेल रहा है तो समझ लें कि उसे भूख नहीं लगी है। यह धारणा पुरानी है, कई शोधों और अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि खेलते समय ही बच्चे को खाने की सामग्री दे देना बेहतर रहता है। इससे वह आराम से खा लेगा।
 - बच्चे के लिए खाने या पीने को कुछ देते समय थोड़ी मात्रा में ही सामग्री लें। अगर वह इसे खा-पी लेता है तो तुरंत ही उसे और सामग्री न देकर थोड़ी देर बाद ही दें।
 - यदि घर-परिवार में कई बच्चे हैं तो कोशिश करें कि उन्हें आपस में नजदीक लाकर ही खिलाएं-पिलाएं। आपका शिशु अन्य बच्चों को देखकर खाने-पीने के लिए अपने आप प्रेरित होगा।
 - मौसम बदल रहा है, बदलते मौसम में बच्चे को लिक्विड की अधिक मात्रा की जरूरत पड़ती है। उसे दूध के साथ ही घर में निकाला हुआ जूस, सूप आदि दें। अगर बच्चा छह माह से अधिक का है तो उसे दाल का पानी, पतला दलिया आदि दे सकती हैं।
 - अगर बच्चा खाने-पीने में आनाकानी कर रहा है तो उसके सामने ऐसा प्रदर्शित करें जैसे कि उसके खाने की चीजें आप भी खा रही हैं। इससे बच्चा खाने-पीने के लिए अधिक प्रेरित होगा।
 - याद रखें कभी भी खाना बच्चे के मुंह में जबरदस्ती न ठूंसें।
 - बच्चे को हमेशा पौष्टिक चीजें ही खाने के लिए दें। उसे बाजार की वस्तुओं से दूर रखें।
 - तमाम प्रयासों के बावजूद यदि आपका नन्हा-मुन्ना कुछ खाता-पीता नहीं है तो उसे किसी अच्छे चिकित्सक को ही दिखाएं। हो सकता है बच्चे को अंदरूनी कोई समस्या हो।





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