Tuesday, May 7, 2013

बच्चे भी हो रहे हैं साइबर बुलिंग के शिकार


इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से संचार की दूरिया खत्म हो गई हैं। नई तकनीक जहा अपने साथ सीखने और लोगों को मसरूफ रखने की असीमित संभावनाएं लेकर आई है, वहीं इसके साथ नई चुनौतिया और दबाव भी आए हैं। उनमें से एक है साइबर बुलिंग। यानी इंटरनेट पर दूसरों को डराना-धमकाना या फिर उनका शोषण करना। इसके शिकार इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले बच्चे और टीनएजर भी हो रहे हैं। ज्यादातर मा-बाप इस खतरे से अनजान हैं। जो इससे वाकिफ भी हैं तो उन्हें इससे निपटने का तरीका नहीं मालूम होता है।
 एंटी वायरस बनाने वाली कंपनी नॉर्टन बाय सिमेंटिक के कंट्री सेल्स मैनेजर रितेश चोपड़ा के मुताबिक सोशल नेटवर्किग साइटों को साइबर बुलिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है मगर ये साइटें समस्या नहीं हैं। बल्कि असली समस्या इन्हें इस्तेमाल करने का तरीका है। साइबर बुलिंग का मसला विभिन्न आयु वर्ग के लिए अलग-अलग हो सकता है। कम उम्र के बच्चे गलत वेबसाइट देख सकते हैं। वहीं बड़े बच्चों के लिए यह सेक्सटिंग, निजता और प्रतिष्ठा से जुड़ा मसला या ऑनलाइन स्कैम जैसा कुछ भी हो सकता है।
 नॉर्टन ऑनलाइन फैमिली रिपोर्ट 2011 के अनुसार भारत में 79 फीसद बच्चों का ऑनलाइन अनुभव बेहद खराब रहता है। सोशल नेटवर्क पर मौजूद करीब 84 फीसद बच्चों को असामान्य परिस्थितियों से गुजरना पड़ा। करीब 32 फीसद माता-पिता ने पुष्टि की कि उनके बच्चे को साइबर बुलिंग का अनुभव है।
 संकेतों को पहचानें 
 द बर्कमैन सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी एट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन बच्चों को ज्यादा डराया धमकाया जाता है उनमें स्कूल बदलने वाले बच्चे, कम आय या ज्यादा आय वर्ग से आने वाले बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा सामान्य से अलग दिखने वाले जैसे ज्यादा वजन, कम वजन, चश्मा पहनने वाले या फिर विकलाग बच्चे भी इसके ज्यादा शिकार होते हैं। वहीं, जो बच्चे दूसरों को परेशान करते हैं उनमें भी इसी तरह के लक्षण होते हैं। मगर उनमें ऊर्जा का स्तर काफी अच्छा होता है। वे धूर्त होते हैं और अपनी बात मनवाने में उन्हें बड़ी खुशी होती है। अगर बच्चा स्कूल या अपनी ऑनलाइन सोशल लाइफ से दूर भाग रहा हो, मूडी हो गया हो या जल्दी परेशान हो जाता हो, अपनी निजी वस्तुओं को नुकसान पहुंचाता हो, उसे सोने में मुश्किल हो रही है, त्वचा पर निशान या चोट लगने की वजह नहीं बता पा रहा है, तो मुमकिन है कि उसे स्कूल में या ऑनलाइन डराया-धमकाया या परेशान किया जा रहा है।
 जोखिम करें कम 
 अगर आपको संदेह है कि आपके बच्चे को परेशान किया जा रहा है, तो सबसे पहले इस बारे में बच्चे से बातचीत करें। कोशिश करें कि वह इस बारे में खुलकर बात करे। आपकी कोशिश होनी चाहिए कि वह बिना डरे आपको पूरी जानकारी दे। उसे यह डर नहीं हो कि आप आगे उन्हें उपकरणों या इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने देंगे। अगर बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार हुआ है तो उसे इंटरनेट के इस्तेमाल से रोके नहीं बल्कि इसके लिए नियम बना दें। साथ ही बच्चे के इंटरनेट इस्तेमाल पर नजर भी रखें।
 आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपका बच्चा कौन कौन सी साइट देख रहा है और किस लिए। बाजार में कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर भी हैं, जिनके जरिये मा-बाप बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रख सकते हैं। अपने बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताएं और उससे नियमित तौर पर खुल कर बात करें। उन्हें अपने रोजाना अनुभव साझा करने के लिए भी प्रोत्साहित करें।






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