Tuesday, May 7, 2013

अंटार्कटिक में दस गुना तेजी से पिघल रही बर्फ


अंटार्कटिक में अब से 600 साल पहले के मुकाबले अब गर्मियों के मौसम में दस गुना अधिक रफ्तार से बर्फ पिघल रही है। बीसवीं सदी की मध्य से अंटार्कटिक ने अपने बर्फ का बड़ा हिस्सा खोना शुरू कर दिया है। एक ताजा अध्ययन में चेताया गया है कि अब गर्मियों के मौसम में बर्फ पिघलने की प्रक्त्रिया इतनी अधिक और घातक हो गई है कि वह अंटार्कटिक की बर्फ की परत और ग्लेशियरों के अस्तित्व को ही प्रभावित करने लगी है। हर एक हजार साल में अंटार्कटिक प्रायद्वीप के मौसम के पुनर्निर्माण पर पत्रिका नेचर जीयोसाइंस के अनुसार गर्मियों में दस परतों तक की बर्फ पिघलने लगी है।
 वर्ष 2008 में ब्रिटेन-फ्रेंच साइंस टीम ने जेम्स रास द्वीप के मुख्य स्थान पर 364 मीटर की गहराई तक बर्फ काट करके ये जानने की कोशिश की थी कि अंटार्कटिक प्रायद्वीप के उलरी क्षेत्र में बर्फ की हालत और तापमान कैसा है। उन्होंने पाया कि आइस कोर में की गई खुदाई से बर्फ के भविष्य का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। आइस कोर पर दिखने वाली परतें बताती हैं कि कितनी गर्मियों में बर्फ पिघलने के बाद सर्दियों में वापस जम गई। इन पिघली हुई परतों की मोटाई नापकर बर्फ के पिघलने की रफ्तार का खाका तैयार हो जाता है। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने पिछले एक हजार साल की परतों की नाप और तबके तापमान का तुलनात्मक अध्ययन किया है। इसी हिसाब से भविष्य के हालात का भी अनुमान निकाला गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो खामियाजा पूरी धरती को भुगतना होगा।






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