अंतरिक्ष में बरसात की परिकल्पना अब तक किसी ने नहीं की थी। लेकिन शनि ग्रह के लिए ये बहुत ही स्वाभाविक प्रक्त्रिया है। दरअसल अब ये साबित हो चुका है कि शनि ग्रह अपने लिए बरसात भी खुद ही बनाता है। और उसके छल्लों से ये बारिश ग्रह के ऊपर होती है। शनि के वलय से होने वाली ये बारिश खुद शनि ग्रह के वातावरण को भी खासा प्रभावित करती है।
एक ताजा शोध के अनुसार आवेशित जल कणों की बरसात शनि ग्रह के वातावरण पर उसके छल्ले से होती है। इतना ही नहीं ये बरसात शनि ग्रह के अधिकाश हिस्से में होती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तस्वीरों के आधार पर इंग्लैंड की लेस्सेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर किए अध्ययन में पाया कि शनि ग्रह के ऊपरी हिस्से के वातावरण को ये बारिश खासा प्रभावित करती है। इससे वातावरण की सामग्री से लेकर ग्रह के तापमान तक पर असर पड़ता है।
प्रमुख शोधकर्ता जेम्स ओ डोनाघ के अनुसार शनि अब तक का पहला ऐसा ग्रह है जहा वातावरण और वलय प्रणाली में सीधे कोई संबंध है। और उनके बीच किसी अहम प्रक्त्रिया का सक्त्रिय रूप से आदान-प्रदान होता है। इस बारिश का सबसे बड़ा प्रभाव यही है कि आयन से भरे शनि ग्रह को शात किया जाता है। दूसरे शब्दों में ये बारिश जिधर भी होती है शनि ग्रह के आवेशित इलेक्ट्रानों के घनत्व में खासी कमी आ जाती है।
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