Tuesday, May 7, 2013

किचन वेस्ट से बनेगी बिजली


रसोई में बचे खाने एवं सब्जियों-फलों के छिलकों से अब बायोगैस एवं बिजली बन सकेगी। पंजाब सरकार और नई दिल्ली की द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के बीच तीन माह पूर्व मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन होने के बाद पंजाब एग्रीकल्चरल यूनीवर्सिटी (पीएयू) अपने कैंपस में बने हॉस्टल में पहली यूनिट लगाने की तैयारी कर रही हैं।
 इसकी पूरी योजना तैयार हो चुकी है तथा यूनीवर्सिटी प्रबंधक इसको लगाने पर खर्च होने वाले 36 लाख के फंड का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने पंजाब सरकार के साथ लुधियाना के सासद मनीष तिवारी को पत्र भेजकर एमपीलैड्स फंड से यह रुपया मागा है।
 सेमी गवर्नमेंट एजेंसी टेरी की टीम ने कुछ दिन पहले यूनीवर्सिटी का दौरा किया था। यहा पर वेस्ट टू एनर्जी गैसीफायर प्रोजेक्ट के संदर्भ में उन्होंने यूनीवर्सिटी के अधिकारियों से बातचीत की। इसमें पता चला कि पीएयू के हॉस्टल से रोजाना एक टन किचन की वेस्टेज निकलती है। अगर उपरोक्त प्लाट लगता है तो इसके जरिए यूनीवर्सिटी खाना पकाने के लिए बायोगैस का उत्पादन कर सकती है। अगर किचन वेस्ट ज्यादा हुई तो फिर बिजली भी पैदा की जा सकती है। पीएयू की योजना है कि अगर प्रोजेक्ट का यह ट्रायल सफल रहा तो फिर वह घरों से निकलने वाले किचन वेस्ट को जमाकर प्लाट के जरिए गैस और बिजली पैदा करने पर विचार करेंगे। लगभग 35 लाख रुपये के इस प्रोजेक्ट में पीएयू प्लाट के लिए जगह व दूसरे सपोर्ट देगी, जबकि बाकी का काम टेरी करेगी। प्लाट लगने के बाद इसका स्वामित्व पीएयू के पास हो जाएगा।
 ट्रायल सफल होने के बाद पीएयू शहरों, गावों व कस्बों में लोगों को इसी तरह के छोटे-छोटे यूनिट लगाने के लिए प्रेरित करेगी। सूत्रों के मुताबिक, बाजार में कई कंपनिया इस तरह का प्लाट बनाती हैं, जिसकी कीमत महज 35 हजार तक है। टेरी के सहयोग से लगने वाले प्लाट के ट्रायल सफल होने के बाद पीएयू छोटे यूनिटों का भी ट्रायल करेगी तथा फिर उनके संदर्भ में आगे सिफारिश करेगी।
 पीएयू के स्कूल आफ एनर्जी स्टडीज के डायरेक्टर डॉ. सर्बजीत सूद ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पूरी योजना तैयार हो चुकी है तथा फंड मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस प्लाट के साथ पीएयू कई दूसरी छोटी यूनिटों का भी परीक्षण कर रही है, जो आसानी से घरों में किचन वेस्ट के जरिए बायोगैस बनाने के इस्तेमाल में आ सकेंगी।





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