Sunday, April 28, 2013

समय कम हो तो शार्ट टाइम योग


व्यस्त दिनचर्या में कई बार समय निकालना भी मुश्किल हो जाता है। कुछ योग बताते हैं जिन्हें आप चलते-फिरते कर सकते हैं
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे पास दो चीजों का सबसे ज्यादा अभाव है- समय और सुकून। समय में वृद्धि करना तो संभव नहीं है, किंतु अपनी एकाग्रता में वृद्धि कर समय का बेहतर उपयोग करना हमारे वश में है। इसी प्रकार, अपनी एकाग्रता में वृद्धि कर मन को शांत कर लेना भी हमारे वश में है। यह सब योग के अभ्यास से सहज ही हो सकता है। अगर आपके पास समय नहीं है तो उठते-बैठते, चलते-फिरते, ऑफिस में काम करते हुए, मेट्रो या बस में यात्रा करते हुए भी आप योग कर सकते हैं।
आसन- योग की रिचाजिर्ग क्रिया अति प्रभावशाली है। बस, मेट्रो आदि में यात्रा करते समय यदि हम सीट पर बैठे हैं तो सिर, रीढ़ व गले को सीधा कर लीजिए। आंख खुली रखते हुए ही 5 से 10 गहरी श्वास लीजिए। तत्पश्चात् मन को सजग रखते हुए अपने दोनों पैरों को नितम्ब से लेकर अंगुलियों तक कड़ा कीजिए। अब कड़ेपन को थोड़ा बढ़ाते हुए अधिकतम स्थिति तक ले जाइए। 5 से 10 सेकेंड तक इस स्थिति में रुकिए। इसके पश्चात् अंगुलियों से नितम्ब की ओर धीरे-धीरे पैरों को ढीला कीजिए। इसके बाद यही क्रिया क्रमश: पीठ, सीना, पेट, गले तथा चेहरे के साथ कीजिए। अंत में गहरी श्वास-प्रश्वास लेकर वापस पूर्व की स्थिति में आ जाइए।
खड़े रहने की स्थिति में ताड़ासन तथा प्रति ताड़ासन क्रिया बहुत कारगर सिद्ध होती है। सीधा खड़े होकर दोनों पैरों की एडिय़ों को यथासंभव ऊपर उठाइए। 5 सेकेंड तक इस स्थिति में रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए। इसके पश्चात् पैर के पंजे को उठाकर एड़ी पर खड़े हो जाइए। दीवार आदि का सहारा लिया जा सकता है। इन दोनों क्रियाओं का बारी-बारी 25 से 50 बार तक अभ्यास कीजिए।
प्राणायाम- यहां बताई किसी भी स्थिति में दो प्रकार की श्वसन क्रियाएं बहुत लाभकारी सिद्ध होती हैं- पहली, यौगिक श्वसन तथा दूसरी स्टेप ब्रीदिंग क्रिया है। यौगिक श्वसन के अंतर्गत बैठे या खड़े हुए, आंखें बंद कर या खोलकर, गहरी श्वास-प्रश्वास लेते हैं। गहरी श्वास लेकर पहले पेट तथा उसके बाद सीने को यथासंभव फैलाइए। इसके बाद गहरी श्वास निकालते हुए पहले सीने तथा बाद में पेट को धीरे-धीरे पिचकाइए। यह यौगिक श्वसन का एक चक्र है। इसके चक्रों का यथासंभव अभ्यास कीजिए।
दूसरी क्रिया-स्टेप ब्रीदिंग है। इस क्रिया में हर एक श्वास तीन स्टेप्स में अंदर लेते हैं तथा तीन ही स्टेप्स में बाहर निकालते हैं। पहले स्टेप में थोड़ा श्वास अंदर लेकर एक सेकेंड रुकिए, उसके बाद द्वितीय स्टेप से थोड़ी श्वास अंदर लेकर एक सेकेंड तक रुकिए। अंत में पूरी श्वास अंदर लेकर एक सेकेंड रुकिए तत्पश्चात् तीन स्टेप्स में ही श्वास को बाहर निकालिए। यह एक चक्र है। इसके चक्रों का भी यथासंभव अभ्यास कीजिए।
सहज ध्यान- यह ध्यान बैठकर या खड़े होकर कहीं भी किया जा सकता है। यह एक विशेष प्रकार का ध्यान है जो आंख खोलकर या बंद कर किसी भी स्थिति में किया जा सकता है। इस ध्यान में व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार कोई मंत्र या किसी देवी-देवता का चित्र अपने मन में सोच सकता है। इसका अभ्यास मानसिक होता है। उदाहरण के रूप में हम ओम् को लेते हैं। प्रत्येक श्वास-प्रश्वास के साथ ओम् का अभ्यास अपने मन ही मन में करते जाइए। पूरी सजगता बनाए रखिए, ताकि विचारों, स्मृतियों तथा कल्पनाओं में मन अधिक न भटक पाये। इसका 5 मिनट तक अभ्यास मन को नकारात्मक एवं अनावश्यक विचारों से मुक्त कर देता है।
आहार- इन क्रियाओं का अभ्यास करने वाले व्यक्ति को अपने आहार में प्रोटीनयुक्त तथा तरल पदार्थों को अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए। सूप, जूस, फल, दूध तथा दही सर्वोत्तम है। तले-भुने तथा गरिष्ठ भोजन के सेवन से बचना चाहिए।
लाभ- ये क्रियाएं शरीर और मन को स्फूर्ति तथा ऊर्जा देती हैं। मन की एकाग्रता शक्ति में तीव्र वृद्धि कर स्मृति, सहनशीलता, धैर्य तथा धारणा शक्ति को बढ़ाता है। भय, चिंता, क्रोध, नकारात्मक विचार तथा असुरक्षा से रक्षा करता है। यह पाचन शक्ति, रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाता है तथा मस्तिष्क को रचनात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत कर हमारी कार्यक्षमता तथा उत्पादकता में वृद्धि करता है।





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