Sunday, April 28, 2013
समुद्री हलचलों को भांपने में माहिर है सार्क मछली
यूं तो समुद्र में रहने वाली मछलियों में डाल्फिन को सबसे संवेदनशील माना जाता है। लेकिन सागर की गहराई में सबसे अधिक खूंखार मानी जाने वाली शार्क का भी कोई जवाब नहीं है। समुद्री जीव वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि धरती के चुम्बकीय क्षेत्रों में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म हलचलों का शार्क मैग्नटोमीटर की तरह पता लगा लेती है।
जिस तरह शार्क समुद्र की सीधी रेखा से हजारों किलोमीटर की यात्रा करती है, उसे लेकर वैज्ञानिक सालों से हैरान थे। हालांकि उन्होंने पहले ही यह अनुमान लगा लिया था कि शार्क को चुम्बकीय क्षेत्रों के बारे में कहीं न कहीं से संकेत मिलते हैं जिससे वह इन क्षेत्रों को पहचान लेती है।
समुद्र वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाने के लिए कई तरह की कोशिशें कीं। इसके लिए हवाई युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शार्क को पकड़कर प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षण के दौरान जब कभी उसके टैंक से कृत्रिम चुम्बकीय क्षेत्र सक्रिय किया जाता शार्क तैर कर अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती। इससे उन्हें पता चला कि शार्क मछली में दिशा बोध होता है। जिसे भौतिक शास्त्र की भाषा में कपास सेस कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस खोज के बाद यह पता लगाना आसान हो गया है कि शार्क मछलियों में यह सेंस किस तरह से काम करता है। अब वैज्ञानिक फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश में हैं कि शार्क धरती के चुम्बकीय क्षेत्र के प्रति कितनी संवेदनशील होती है।
शार्क की चुम्बकीय संवेदनशीलता का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने अपने-अपने अनुसंधान के लिए छ: सेंडवार शार्कों और एक स्कैलेण्ड हैमरहेड शार्क का उपयोग किया। इन खंूखार मछलियों को प्रयोग के दौरान 7 मीटर डायमीटर वाले टैंक में रखा गया। मछलियों को 1.5 $ 6.5 मीटर क्षेत्रफल में खाद्य सामग्री की उपस्थिति से संबंध स्थापित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। इस टैंक से संलग्न भूतल पर तांबे के तारों की टंकी के चारों तरफ बिछाकर चुम्बकीय क्षेत्र तैयार किया जाता था।
इसके अलावा भी वैज्ञानिकों ने कई तरह के प्रयोग किए। जिसमें उस क्षेत्र में विभिन्न अवसरों पर अनिश्चित अंतराल में चुम्बकीय क्षेत्र सक्रिय किया गया। जब-जब चुम्बकीय क्षेत्र सक्रिय किया जाता था, मछलियां भोजन न होने के बावजूद फीडिंग जोन की तरफ बढ़ती थीं। इससे यह साबित होता है कि उनके शरीर में दिशा सूचक कपास विद्यमान है।
मजे की बात तो यह है कि जैसे ही कृत्रिम चुम्बकीय क्षेत्र सक्रिय होता, मछलियां फौरन प्रतिक्रिया व्यक्त कर देती हैं। चुम्बकीय क्षेत्र सक्रिय होने के साथ ही वह टैंक की दीवारों के सहारे धीरे-धीरे तैरना छोड़कर तेजी से तैरने लगती हैं। अब वैज्ञानिकों की दिलचस्पी यह जानने में है कि आखिर ये शार्क मछलियां चुम्बकीय क्षेत्रों को पहचानने में सफल कैसे हो जाती हैं। हालांकि कबूतर भी दिशाबोध रखते हैं क्योंकि उनके शरीर में आयरन मिनरल मैग्नेटाइट तत्व मौजूद होते हैं। जबकि शार्क के शरीर में यह लौह तत्व नहीं पाया जाता है फिर भी इनकी चुम्बकीय बोध क्षमता बेमिसाल है। हो सकता है कि उनके सिर पर कोई इलेक्ट्रोरिसप्टर्स मौजूद होगा जिससे वह चुम्बकीय क्षेत्रों का पता लगा लेती हैं। इस क्षमता का वैज्ञानिकों द्वारा आकलन किया जा रहा है
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