बीटा कैरोटिन को बीटा कैरोटिनम, प्रो-विटामिन, ट्रांस-बीटा कैरोटिन भी कहते हैं। दूसरे कैरोटिनाइड्स की तरह बीटा कैरोटिन भी एक एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह फ्री-रैडिकल्स द्वारा शरीर को पहुंचने वाले नुकसान से सुरक्षा करता है। फ्री-रैडिकल्स ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया द्वारा शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। समय के साथ यह प्रक्रिया कई बीमारियों का कारण बनती है। बीटा कैरोटिन कैंसरऔर हृदय रोगों जैसी गंभीर बीमारियों की आशंका कम करता है। यह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम के लिए भी काफी उपयोगी है। हाल ही में हुए अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि बीटा कैरोटिन अनाज से आयरन और जिंक की उपलब्धता को सुधारता है।
क्या है बीटा कैरोटिन?
बीटा कैरोटिन एक पिग्मेंट है, जो पौधों में पाया जाता है, विशेषकर रंग-बिरंगी सब्जियों और फलों में। इसी के कारण फलों और सब्जियों में चमकीली पीली और नारंगी आभा नजर आती है। यह लाल, नारंगी और पीले पिग्मेंट्स कैरोटिनाइड समूह का एक सदस्य है। बीटा कैरोटिन हमारी विटामिन ए की 50 प्रतिशत आवश्यकता पूरी कर देता है। यह फल, सब्जियों और साबुत अनाज में पाया जाता है। इसे प्रयोगशाला में भी बनाया जा सकता है। बीटा कैरोटिन भोजन के कलरिंग एजेंट मारैरिन के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
इसके स्रोत
बीटा कैरोटिन हरे पीले और नारंगी रंग के फलों जैसे अंगूर, संतरे, खूबानी और गाजर, कद्दू, शकरकंद जैसी सब्जियों में पाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि बाकी रंगों की सब्जियों और फलों में यह नहीं पाया जाता। यह दूसरे रंग की सब्जियों और फलों में भी पाया जाता है, लेकिन कम मात्र में। उनमें यह दूसरे फाइटोन्युट्रिएंट्स से मिल कर उन्हें लाल, गुलाबी या सफेद आभा देता है। यह ब्रोकली, पालक, हरी मिर्च और हरी पत्तेदार सब्जियों में भी पाया जाता है। सब्जियों और फलों का रंग जितना हरा होगा, उनमें बीटा कैरोटिन की मात्र उतनी ही अधिक होगी। बीटा कैरोटिन के पादप स्रोत वसा और कोलेस्ट्रॉल फ्री होते हैं। ताजे फलों और सब्जियों में इसकी मात्र सर्वाधिक होती है। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में इसकी मात्र कम पाई जाती है।
कुछ मामलों में पकाने की प्रक्रिया भोजन में कैरोटिनाइड की उपलब्धता को सुधारती है। अगर गाजर और पालक को थोड़ी भाप में पका लिया जाए तो इसमें मौजूद कैरोटिनाइड्स को शरीर आसानी से अवशोषित कर लेता है। हालांकि अधिक पकाने से कैरोटिनाइड्स नष्ट हो जाते हैं। कच्ची गाजर में यह 100 प्रतिशत होता है, जबकि डिब्बाबंद में यह मात्र घट कर 73 प्रतिशत रह जाती है। फलों और सब्जियों को छिलके सहित खाएं, क्योंकि छिलकों में भी यह काफी मात्र में होता है।
बीटा कैरोटिन और विटामिन
शरीर बीटा कैरोटिन को विटामिन ए (रेटिनल) में बदल देता है। विटामिन ए आंखों के स्वास्थ्य, मजबूत रोग प्रतिरोधक तंत्र, स्वस्थ त्वचा और म्युकस मेम्ब्रेन के लिए आवश्यक है। अधिक मात्र में विटामिन ए के सेवन का प्रभाव विषैला हो सकता है। शरीर उतनी ही मात्र में बीटा कैरोटिन से विटामिन ए का निर्माण करता है, जितनी मात्रा में शरीर को इसकी आवश्यकता होती है। इसका सीधा अर्थ है कि बीटा कैरोटिन विटामिन ए का सुरक्षित स्रोत है। लेकिन अधिक मात्र में बीटा कैरोटिन का सेवन भी घातक हो सकता है, विशेषकर उन लोगों के लिए, जो धूम्रपान और अधिक मात्र में शराब का सेवन करते हैं। इसलिए सबसे सुरक्षित उपाय यही है कि इसे प्राकृतिक रूप में लें, सप्लीमेंट के रूप में नहीं।
बीटा कैरोटिन टॉक्सीसिटी
अधिक मात्र में भी बीटा कैरोटिन का सेवन आपको बीमार नहीं बनाता। हालांकि इसके अधिक सेवन से त्वचा का रंग पीला या नारंगी हो सकता है, लेकिन इसके सेवन में कमी करने से फिर से त्वचा का रंग सामान्य हो जाएगा। हालांकि कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आई है कि बीटा कैरोटिन के सप्लीमेंट शरीर के लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए इसे संतुलित भोजन के द्वारा प्राकृतिक रूप में लिया जाना ज्यादा उपयोगी है। धूम्रपान करने वाले या एस्बेस्टस के अधिक संपर्क में रहने वाले लोग यदि बीटा कैरोटिन के सप्लीमेंट लें तो लंग कैंसर की आशंका बढ़ जाएगी। बीटा कैरोटिन शराब से मिल कर लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है। शरीर में इसकी अधिकता से जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है। बीटा कैरोटीन की अधिक मात्र आपको कैरोटिनोडर्मिया का शिकार बना सकती है। इसमें त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं, विशेष रूप से हथेलियों और तलवों की त्वचा पर। वैसे यह समस्या अस्थायी होती है।
किन में हो जाती है कमी
- सब्जियों और फलों का सेवन कम करने वाले लोगों में।
- धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन करने वाले लोगों में।
- टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोग कितनी भी मात्र में बीटा कैरोटिन का सेवन कर लें, उनके शरीर में इसकी मात्र कम ही पाई जाती है।
क्यों जरूरी है बीटा कैरोटिन
- कोशिकाओं को फ्री-रैडिकल्स के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए बीटा कैरोटिन
जरूरी है।
- विटामिन ए का अच्छा स्रोत है।
- इम्यून सिस्टम को शक्तिशाली बनाता है।
- प्रजनन तंत्र के ठीक तरह से कार्य करने में सहायता करता है।
- यह सनबर्न के खतरे को कम करता है।
- मेनोपॉज के बाद गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम करता है।
- उम्र के प्रभाव को कम करता है।
- डायबिटीज में भी काफी उपयोगी है।
- मोतियाबिंद और हृदय रोगों की आशंका कम करता है।
- जो लोग संयोजी ऊतकों के डिसऑर्डर स्क्लेरोडर्मा, जिसमें त्वचा कड़ी हो जाती है, से पीड़ित होते हैं, उनके शरीर में बीटा-कैरोटिन का स्तर कम पाया जाता है।
- कुपोषण से ग्रस्त महिलाओं में प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु और रतौंधी को रोकने में इसका उपयोग किया जाता है।
- यह अस्थमा, एड्स, अल्जाइमर्स, डिप्रेशन, उच्च रक्तचाप, बांझपन, पार्किसन, आर्थराइटिस, सीजोफ्रेनिया और त्वचा संबंधी रोगों जैसे सफेद दाग आदि के उपचार में उपयोगी है।
तथ्य और आंकड़े
- कम से कम 600 कैरोटिनाइड्स के बारे में पता है, जिनमें से 50 प्रो विटामिन ए कहलाते हैं।
- प्रतिदिन 5 फल और सब्जियों को खाने से 6-8 मिलीग्राम बीटा कैरोटिन मिल जाता है।
- बीटा-कैरोटिन वसा में घुलनशील होते हैं, इसलिए इनके उचित अवशोषण के लिए भोजन में वसा की उचित मात्र लेना आवश्यक है।
- वैसे वयस्कों को प्रतिदिन 15-50 मिलीग्राम बीटा कैरोटिन की आवश्यकता होती है। खुद से इसकी दवा न लें।
(साभार)
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