Monday, April 22, 2013

अंटार्कटिक महाद्वीप रहस्यों का द्वीप


दक्षिणी ध्रुव प्रदेश में स्थित विशाल भू-भाग को अंटार्कटिक महाद्वीप अथवा अंटार्कटिका कहते हैं।
इसका एक नाम अंध महाद्वीप भी है। झंझवातों, हिमशिलाओं तथा ऐल्बैट्रॉस नामक पक्षियों से घिरा हुआ यह एकांत प्रदेश मानव के लिए रहस्यमय रहा है। इस द्वीप को लेकर तमाम ऐतिहासिक खोज आज भी जारी हैं।
खोजों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 17 वीं शताब्दी से ही नाविकों ने इसकी खोज के प्रय} प्रारंभ कर दिए थे। 1769 ई. से 1773 ई. तक कप्तान कुक ने इसके बारे में जानकारी हासिल की। 1819 ई. में स्मिथ शेटलैंड तथा 1833 ई. में केंप ने केंपलैंड का पता लगाया। 1841-42 ई. में रॉस ने अंर्टाकटिका द्वीप में उच्च सागरतट, उगलते ज्वालामुखी इरेवस तथा शांत माउंट टेरर का पता लगाया। इसके साथ ही गरशेल ने यहां मौजूद 100 द्वीपों की खोज की। वहीं सन् 1910 में पांच शोधक दल काम में लगे थे जिनमें कप्तान स्काट तथा अमुंडसेन दल के मुखिया थे। अमुंडसेन दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा और इस विशाल भू-भाग का नाम उसने सम्राट हक्कन सप्तम पठार रखा। 35 दिनों बाद स्काट भी वहां पहुंचा और लौटते समय मार्ग में ही उसकी मौत हो गई।
इस द्वीप की खोज यात्रा में माउसन शैकल्टन और बियर्ड ने यात्राएं कीं। 1950 ई. में ब्रिटेन, नार्वे और स्वीडन के शोधक दलों ने मिलकर शोध कार्य किया। नवंबर, 1958 में रूसी वैज्ञानिकों ने यहां पर लोहे तथा कोयले की खानों का पता लगाया, जो दुनिया के लिए एक बड़ी खोज साबित हुई।
इसका दक्षिणी ध्रुव 10,000 फुट ऊंचे पठार पर स्थित है जिसका क्षेत्रफल 50,00,000 वर्ग मील है। इसके अधिकांश भाग पर बर्फ की परत 2,000 फुट है और केवल 100 वर्ग मील को छोड़कर शेष भाग वर्ष भर बर्फ से ढका रहता है। समतल शिखर वाली हिमशिलाएं यहां की विशेषताएं हैं। यहां पाई जाने वाली पमोकाबरेनिफेरस समय की प्राचीन चट्टानें हैं। यहां के समान चट्टानें भारत, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका में मिलती हैं। यहां पर ग्रेनाइट तथा नीस नामक शैलों की एक 1100 मील लंबी पर्वत श्रेणी है जिसका धरातल बलुआ पत्थर तथा चूने के पत्थर से बना है। इसकी ऊंचाई 8,000 से लेकर 15,000 फुट तक है। दक्षिणी ध्रुव महासागर में पौधों तथा छोटी वनस्पतियों की भरमार है। लगभग 15 प्रकार के पौधे इस महाद्वीप में पाए गए हैं, जिनमें से तीन मीठे पानी के पौधे हैं, शेष धरती पर होने वाले पौधे, जैसे काई आदि।अंध महाद्वीप का सबसे बड़ा दुग्धपाई जीव ह्वेल है। यहां तेरह प्रकार के सील नामक जीव भी पाए जाते हैं। उनमें से चार तो उत्तरी प्रशांत महासागर में होने वाले सीलों के ही समान हैं।
ये फर-सील हैं तथा इन्हें सागरीय सिंह अथवा सागरीय गज भी कहते हैं। बड़े आकार के किंग पेंगुइन नामक पक्षी भी यहां मिलते हैं। यहां पर विश्व में अत्यंत अप्राप्य 11 प्रकार की मछलियां होती हैं। दक्षिणी ध्रुवीय प्रदेश में धरती पर रहने वाले पशु नहीं पाए जाते। धरती पर रहने वाले पशुओं अथवा पुष्पों वाले पौधों के न होने के कारण इस प्रदेश का आय स्नेत एक प्रकार से नगण्य है। परंतु पेंगुइन पक्षियों, सील, ह्वेल तथा हाल में मिली लोहे एवं कोयले की खानों से यह प्रदेश भविष्य में संपत्तिशाली हो जाएगा, इसमें संदेह नहीं। यहां की ह्वेल मछलियों के व्यापार से काफी धन अर्जित किया जाता है। वायुयानों के वर्तमान युग में यह महाद्वीप विशेष महत्व का होता जा रहा है।
ग्रीष्म में 60 दक्षिण अक्षांश से 78 दक्षिण अक्षांश तक इसका तापमान 28 डिग्री फारेनहाइट रहता है। सर्दियों में यहां का ताप 71 से 30 दक्षिण अक्षांश में 45 डिग्री रहता है। ध्रुवीय प्रदेश के ऊपर उच्च वायुभार का क्षेत्र रहता है।
यहां पर दक्षिण-पूर्व को बहने वाली वायु का प्रति चक्रवात उत्पन्न होता है। महाद्वीप के मध्य भाग का ताप 100.फारेनहाइट से भी नीचे चला जाता है। इस महाद्वीप पर अधिकतर बर्फ की वर्षा होती है। यहां पर मनुष्य नहीं रहते। अंतर्राष्ट्रीय भू-भौतिक वर्ष में संयुक्त राष्ट्र (अमरीका), रूस और ब्रिटेन तीनों की इस महाद्वीप के प्रति विशेष रुचि परिलक्षित हुई है और तीनों ने दक्षिणी ध्रुव पर अपने झंडे गाड़ दिए हैं।





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