Monday, April 22, 2013

कई बीमारियों में अचूक रंग चिकित्सा


आप ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं, आत्मविश्वास में कमी पाते हैं, सोच स्पष्ट नहीं हो पाती तो रंग चिकित्सा आपकी सहायता कर सकती है।
रंगों का हमारे मन-मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ता है। रंगों की इस ताकत ने उपचार के लिए भी उपयोगी बना दिया। कई सारी बीमारियां हैं, जिनके उपचार के लिए रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। इन खूबियों के कारण इसे कलर थेरेपी यानी रंग चिकित्सा का नाम दिया गया है।
बढ़ रही है लोकप्रियता
भारत में यह चिकित्सा अभी लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाई है, लेकिन यूट्यूब पर इससे संबंधित लगभग डेढ़ लाख वीडियो मौजूद हैं। इनमें काफी भारतीयों से संबंधित भी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अब भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है।
कैसे आया प्रभाव में
रंगों और इंसानी व्यवहार को देखते हुए तमाम लोगों ने इसपर शोध किए। इनमें से एक नाम जर्मनी के नामी लेखक, कलाकार व दार्शनिक गोथ का भी है। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि रंगों का हमारी भावनाओं पर सीधा असर पड़ता है। कुछ ऐसे ही शोधों से यह विचार आया कि क्यूं न रंगों का इस्तेमाल इंसान के मूड से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में किया जाए।
हर रंग कुछ कहता है
हमारी आंखें रंग को देखती हैं, वो दिमाग को मैसेज भेजती हैं और हमारा दिमाग ऐसे रसायन पैदा करता है, जो हमें नाक-मुंह सिकोडऩे या स्माइल करने का सिग्नल देते हैं। किसी कपड़े की दुकान पर दो युवतियों को कपड़े पसंद करते हुए देखकर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं।
कैसे काम करती है यह थैरेपी 
इसके दो तरीके हैं। इसमें सबसे ज्यादा इस्तेमाल में लायी जाती है रोशनी। सूरज की रोशनी को अपनी जरूरत के हिसाब के रंग में से गुजारते हुए शरीर के किसी खास हिस्से पर फेंका जाता है। लैंप जैसी मशीन के जरिए भी रोशनी फेंकी जाती है। इसके अलावा शरीर पर सीधे-सीधे पेंट भी किया जाता है। ये रंग हर्बल होते हैं। अलग-अलग परेशानियों के लिए अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।
एक बार आजमाएं
अगर कभी सर्दी व कफ हो जाए तो लाल रंग की रोशनी को छाती के ऊपर पांच से सात मिनट तक डाले रखें। आपको जरूर लाभ होगा।
सावधानी भी है जरूरी
लाल: 5 से 10 मिनट, सिर, चेहरे पर कभी नहीं।
संतरी: 5 से 10 मिनट
पीला: 15 मिनट
हरा: 10 से 25 मिनट
नीला: 10 मिनट तक, सिर के आसपास ज्यादा देर तक नहीं।
रंग और उसका असर
लाल: हिम्मत, जोश और ऊर्जा
लाल रंग से हीमोग्लोबीन बढ़ता है, जो शरीर में ऊर्जा पैदा करता है। आयरन की कमी और खून से जुड़ी दिक्कतों में इस रंग का इस्तेमाल बड़े काम का साबित होता है।
संतरी: खुशी, आत्मविश्वास और संपूर्णता
ये रंग आपको दिनभर खुशमिजाज रख सकता है। ये रंग जीवन के लिए भूख पैदा करता है। ये हमें हमारी भावनाओं से जोड़ता है और हमें स्वतंत्र व सामाजिक बनाता है।
पीला: समझदारी और स्पष्ट सोच
इस रंग का सबसे ज्यादा असर हमारे दिमाग और बुद्धि पर पड़ता है। कहते हैं कि आंतों और पेट से जुड़ी गड़बडिय़ों को दुरुस्त करने में भी ये रंग काम आता है।
हरा: प्यार, आत्म नियंत्रण और संतुलन
हरे रंग में घावों को भरने की शक्ति होती है। इंद्रधनुष के रंगों के बीच में हरा पड़ता है। इस रंग में आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह के प्रभाव डालने की क्षमता होती है। ये मसल्स को आराम देता है।
इंडिगो: दिमागी संतुलन, समझदारी
इस रंग को पवित्रता की किरण माना जाता है। यह रक्त की सफाई और दिमागी समस्याओं के निदान में बड़ा कारगर है। यह भी कहा जाता है कि इस रंग का संबंध हमारी आत्मा से होता है। आंखों और कानों से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
जामुनी: सुंदरता और रचनात्मकता
यह रंग सिर्फ आत्मिक स्तर पर काम करता है। लियोनाडरे द विंची ने एक बार कहा था कि आप जामुनी रोशनी के बीच योग करें तो आपकी योग करने की शक्ति दस गुना तक बढ़ सकती है। यह रंग हमारे विचारों को शुद्ध करता है। इंसान को भीतर से मजबूत करने के साथ-साथ कलात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
सफेद: शांति
सफेद अपने आप में एक पूर्ण रंग है। अगर सभी रंगों को एक चक्र पर बनाकर उसे तेजी से घुमाएं तो आपको सिर्फ सफेद रंग ही नजर आएगा। यह रंग शांति देता है और घावों को भरने में मदद देता है।
इस थेरेपी का इस्तेमाल
फिलहाल इस थेरेपी का इस्तेमाल ऐसे क्लीनिक में किया जा रहा है जो योग, आयुर्वेद व चेचुरोपैथी के जरिए रोगों के दिना में जुटे हैं। दिल्ली-एनसीआर में ऐसे सेंटर हैं, जो कलर थैरेपी की सुविधा मुहैया कराते हैं। इसकी फीस एक सिटिंग की हजार से 1200 रुपये के बीच होती है। फिलहाल रंग चिकित्सा का इस्तेमाल तनाव, आत्मविश्वास की कमी, उदासी और अशांत मन को दुरुस्त करने के लिए किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख केन्द्र
- एन 2 इमेजिंग, ए-5, ग्रीन पार्क
- चक्र अ क्यूपंक्चर वेलनेस सेंटर, वशिष्ट पार्क, पंखा रोग, सागरपुर
- अक्यूप्रेशर हेल्थ केयर होम सविर्सेस, बलजीत विहार, नांगलोई
- महर्षि आयुर्वेद हॉस्पिटल, वेस्ट शालीमार बाग
- आयुष नेचर केयर, मानसरोवर पार्क, शाहदरा
क्रोमो थेरेपी टॉर्च भी है मौजूद
आप खुद भी कलर थेरेपी का लाभ प्राप्त कर सकता है। इसके लिए बाजार में उपकरण भी मिलने लगे हैं। ऐसा ही एक उपकरण है कलर टॉर्च। यह टॉर्च अलग-अलग रंगों की डिस्क के साथ आती है। जिस भी रंग की जरूरत हो, लगाएं और इस्तेमाल करें। वैसे कलर थेरेपी के उपकरण के साथ उन्हें इस्तेमाल करने के लिए छोटी सी किताब भी दी जाती है।



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