Saturday, April 20, 2013

अल्जाइमर बढ़ती उम्र का मानसिक रोग


ल्जाइमर एक घातक मानसिक रोग है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं का आपस में संपर्क खत्म हो जाता है और वे मरने लगती हैं। प्राय: यह 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में पाया जाता है। अल्जाइमरमें मस्तिष्क में कुछ रसायनों की मात्र भी कम होने लगती है। ये रसायन मस्तिष्क में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए जरूरी होते हैं। अल्जाइमरएक लगातार बढऩे वाला रोग है। जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता जाता है, मस्तिष्क का अधिक से अधिक भाग क्षतिग्रस्त होता जाता है और लक्षण ज्यादा गंभीर हो जाते हैं।
क्या है इसका कारण
वैसे तो इसका ठीक-ठीक कारण पता नहीं है, लेकिन मस्तिष्क में अमायलयिड प्रोटीन के एकत्र हो जाने को इसके सबसे बड़े कारण के रूप में देखा जाता है। अल्जाइमरकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है। इसमें सबसे पहले मस्तिष्क का वह भाग प्रभावित होता है, जो भाषा और याददाश्त को नियंत्रित करता है। इसके रोगी को चीजों और लोगों के नामों को याद रखने में दिक्कत होती है। उम्र, अनुवांशिकी, पर्यावरणीय कारक, जीवन शैली और स्वास्थ्य समस्याएं भी अल्जाइमरको बढ़ाने का काम करते हैं। इनमें प्रमुख हैं-
-अगर परिवार में माता-पिता या दूसरे रिश्तेदारों को अल्जाइमरहै तो अगली पीढ़ी में इसकी आशंका बढ़ जाती है।
- डाउन सिंड्रोम से पीडि़त लोगों में इसकी आशंका बढ़ जाती है।
-कभी सिर में गंभीर चोट लगी हो तो इसका खतरा बढ़ जाता है।
-कई अनुसंधानों में यह बात भी सामने आई है कि जो लोग धूम्रपान करते हैं, जिनके शरीर में ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होता है या जिन्हें डायबिटीज होती है, उनमें इस रोग के विकसित होने की आशंका अधिक होती है।
-डिप्रेशन, उत्तेजना, एलर्जी और पर्किसन बीमारियों के उपचार के लिए दी जाने वाली दवाओं से भी मस्तिष्क में एसीटिल कोलिन नामक रसायन का स्तर प्रभावित होता है, जो मस्तिष्क के न्यूरन के बीच संदेश पहुंचाने के लिए एक जरूरी रसायन है।
इन लक्षणों पर ध्यान दें
अल्जाइमर की शुरुआत में याददाश्त कमजोर हो जाना और बात करने में सही शब्द ढूंढने में कठिनाई होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, रोगी में ये तकलीफें बढ़ती जाती हैं-
-रोगी भ्रमित हो जाता है और बार-बार लोगों के नाम, स्थान और हाल-फिलहाल में हुई घटनाओं को भूलने लगता है।
-बार-बार मूड बदलने लगता है, अपनी याददाश्त के कमजोर पडऩे से दुखी, क्रोधित और हताश महसूस करने लगता है।
-आत्मविश्वास कम होने से लोगों से कटा-कटा रहने लगता है।
-चीजें यहां-वहां रखकर भूल जाता है।
जब समस्या गंभीर हो जाए
 धीरे-धीरे ये लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि उसे अपनी दिनचर्या के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। बोलने, लिखने और पढऩे में भी समस्या आती है। अपने परिवार के सदस्यों को नहीं पहचान पाता। वह यह भी भूल जाता है कि कंघी कैसे की जाती है या दांत कैसे साफ किए जाते हैं। बाद में वह बहुत उत्तेजित या उग्र हो जाता है या घर से निकलकर यहां-वहां भटकता है। फिर उसे पूरी तरह देखभाल की जरूरत होती है।
उपचार कठिन, पर घबराएं नहीं
वर्तमान में इस रोग का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। कुछ दवाएं इसे नियंत्रित कर गंभीर होने से रोक सकती हैं। अल्जाइमर पीडि़तों के मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन की मात्र कम पाई जाती है। इसलिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिससे मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन का स्तर नियंत्रित रहे। जितनी जल्दी इस रोग के बारे में पता चलेगा, इसका उपचार उतना ही आसान होगा।
नई-नई चीजें सीखें
कई शोधों ने यह साबित किया है कि मस्तिष्क भी मांसपेशियों के समान ही कार्य करता है। जितना ज्यादा आप इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना ही यह शक्तिशाली होगा। मानसिक व्यायाम नई मस्तिष्क कोशिकाओं के निर्माण में मदद कर मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं। नई जटिल चीजें सीखें जैसे कोई नई भाषा, चुनौतीपूर्ण खेल जैसे शतरंज वगैरह खेलें। ब्रेन गेम जैसे सुडोकू, क्रॉस वर्ड बेहतरीन मानसिक व्यायाम हैं।
इनसे करें तौबा
वजन न बढऩे दें। धूम्रपान न करें। शराब का सेवन न करें या कम करें। ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखकर इसके खतरे से बच सकते हैं। सिर को चोट लगने से बचाएं।
झपकी सुधारे याददाश्त
दिन में झपकी आना आमतौर पर अच्छा नहीं माना जाता। अगर आप दिन के समय अपने काम पर या ऑफिस में झपकी लेंगे तो लोग आपको टोकेंगे कि रात सोए नहीं क्या। लेकिन वैज्ञानिक शोध में यह बात सामने आई है कि दिन में एक झपकी आपके दिमाग के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक टीम ने अपने शोध में पाया कि दिन भर जागने वाले छात्रों की सीखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जबकि उन छात्रों की सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है जो दिन में एक बार झपकी ले लेते हैं। यह शोध मैथ्यू वॉकर और उनकी टीम ने किया।
नियमित रूप से पढ़ें-लिखें, दिमाग रहेगा दुरुस्तआप अपने दिमाग से जितना काम लेंगे, वह उतना ही दुरुस्त रहेगा। यह मान्यता हमारे यहां पहले से ही रही है, लेकिन हाल में ही अमेरिका के इलिनोएस प्रौद्योगिकी संस्थान में किए गए शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि पढ़ाई-लिखाई और शतरंज जैसे खेल को अपनी दिनचर्या में प्रमुखता से शामिल करने वाले लोगों का दिमाग उन लोगों की तुलना में ज्यादा दुरुस्त रहता है जो इन गतिविधियों से दूर रहते हैं।
40 के हो गए तो टमाटर जरूर खाएं
40 साल के बाद कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बिगडऩे से लेकर बीपी बढऩे या घटने तक की समस्याएं सामने आ सकती हैं। हृदय रोग और मधुमेह की भी आशंका बढऩे लगती है। एक शोध के अनुसार, अगर आप 40 पार कर गए हैं तो आपको अपने भोजन में बादाम, जै, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शािमल करना चाहिए। शोध में पाया गया है कि 20 मिनट के व्यायाम के बाद 150 मिलीग्राम टमाटर का जूस पीने से कैंसर से बचे रहते हैं, दिल भी दुरुस्त रहता है और कई अन्य बीमारियां भी नियंत्रित रहती हैं। कोलेस्ट्रॉल के खतरे से दूर रहने के लिए रोज 3 ग्राम जै खाएं।



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